मित्रो, जब मोदी जी ने गुजरात की सत्ता सम्भाली तब भूकम्प पुनर्वास के बाद उन्होंने दुसरे कामो पर ध्यान दिया | वो चौक गये जब उन्हें बताया गया की गीर ने अब सिर्फ 56 एशियाटिक बब्बर शेर बचे है | उन्होंने इस मसले पर फारेस्ट विभाग के सभी अधिकारियो और कई वन्यजीवों के विशेषज्ञ की मीटिंग बुलाई |
उन्होंने सबकी बाते सुनी ... सब समझा .. उन्हें बताया गया कि शिकारी फारेस्ट गार्डो को पैसा देकर शेरो का शिकार करते है.. और शेरो की खाले, नाख़ून व् अन्य कई चीजे चीन भेजी जाती है जहां इनकी बहुत मांग है |
फिर बैठक के अंत में नरेंद्र मोदी जी ने गीर फारेस्ट के चीफ कंजरवेटर डा अमित कुमार से कहा कि आप 70 फारेस्ट गार्ड और बीट गार्ड और 20 रेंजर की वैकेंसी निकालिए ...
लेकिन दो शर्ते डालिए --
१- प्रार्थी सासन गीर या उससे आसपास का रहने वाला हो
२- महिला हो
मित्रो, "महिला" सुनते ही बैठक में मौजूद सभी बड़े बड़े खोपड़ी वाले विशेषज्ञ चौक उठे ... किसी ने विरोध नही किया क्योकि मुख्यमंत्री के फैसले का विरोध करने की हिम्मत बड़े बड़े अधिकारियो में नही होती .. फिर थोड़ी देर के बाद डा अमित कुमार ने कहा सर क्या महिलाओ के शेरो के जंगल में काम ओर रखना ठीक होगा ? उनकी हिम्मत होगी ..
मोदी जी ने कहा अभी आप उनको नियुक्त करिये फिर मै आपको एक साल के बाद बताऊंगा की आखिर मै महिलाओ को ही इस काम पर क्यों रखना चाहता हूँ | लेकिन जब उनकी नियुक्ति हो जाये तब आप उनको मेरे से मिलाने जरुर लाइयेगा |
फिर 70 महिला फारेस्ट गार्ड, और 20 महिला फारेस्ट रेंजर की नियुक्ति के बाद जब वो मोदी जी से मिलने आई तब मोदी जी ने उनसे पूछा कि क्या आप जानती है की मैंने आपको ही क्यों इस नौकरी पर रखा .. तब किसी भी महिला से संतोषजनक जनक जबाब नही दिया |
फिर मोदी जी ने कहा की मशहूर लेखक शिवानी ने लिखा है की "सृजन का दर्द और सुख वही महसूस कर सकता है जिसने सृजन का दर्द सहा है"
आज शिकारी चंद पैसे देकर शेरो के बच्चों को और शेरो को मार रहे है ... मुझे विश्वास है की आप अब महिला है आपको पता होगा की अब किसी शेर को मारा जाय तब शेरनी का दर्द क्या होगा या जब किसी शेरनी का शिकार हो तब उसके बच्चों का दर्द क्या होता होगा | ये पुरुष फारेस्ट गार्ड चंद सिक्को की खनक से अंधे हो सकते है लेकिन मुझे विश्वास है की आपको खरीदने वाला नोट दुनिया के किसी भी टकसाल में नही छपा होगा क्योकि आपके ममता है जिसे पैसे से नही ख़रीदा जा सकता |
मित्रो, धीरे धीरे गीर ने शेरो की संख्या बढती चली गयी ... और आज 512 शेर है और अब केंद्र सरकार गीर के शेरो को कान्हा नेशनल पार्क और रणथमबौर नेशनल पार्क में भी स्थानान्तरण करना चाहती है |
मित्रो, आज महिला फारेस्ट गार्ड कभी घड़ी देखकर अपनी ड्यूटी नही निभाती बल्कि वो गीर के शेरो को अपने परिवार के सदस्यों जैसा मानती है ..
गीर में शेरो की बढती संख्या पर रिसर्च करने आज दुनिया भर के प्रकृतिप्रेमी आते है .. और नेशनल जियोग्राफिक ने भी इस पर एक डोक्युमेंट्री दिखा चूका है .. और मोदी जी के इस फोर्मुले को आज अफ्रीका और अमेरिका का वनविभाग भी अपना रहा है |
लेकिन भारत की मीडिया ???? अरे उनकी सुई तो आज भी 2002 पर अटकी पड़ी है |
1 comment:
सृजन का दर्द और सुख वही महसूस कर सकता है जिसने सृजन का दर्द सहा है.... :) :)
वहा क्या बात कही मोदीजी ने ..... जय श्री राम
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