Wednesday, 19 March 2014

केजरीवाल और कांग्रेस के द्वारा बार बार ये कहना की मोदी सरकार में दागी मंत्री है .. इसकी असली सच्चाई ..



मित्रो, मैंने गुजरात के मंत्री पुरुषोत्तमभाई सोलंकी और बाबुभाई बोखिरिया पर पहले कई बार लिख चूका हूँ .. लेकिन जबसे केजरीवाल गुजरात आया और इस मुद्दे तो उठाया तो कई मित्रो ने मैसेज किया है की आप इसकी सच्चाई लिखे ..

मित्रो, पहले मै पुरुषोत्तम भाई सोलंकी के मामले पर लिखता हूँ .. इनके बारे में कांग्रेस और केजरीवाल कहते है की इन्होने ४०० करोड़ का फिशिंग घोटाला किया है फिर भी मोदी के मंत्रीमंडल में है |

पहले गुजरात के बड़े ५८ तालाब जो करीब २०० एकड़ में फैले है उनमे फिशिंग का ठेका नीलामी के द्वारा दिया जाता था | और इस नीलामी में एक खास समुदाय के बेहद आमिर व्यापारी इशहाक मारडिया का मोनोपोली था | पालनपुर का ये मुस्लिम व्यापारी पैसे के दम पर गुजरात के सभी तालाबो में फिशिंग का ठेका ले लेता था और बेहद गरीब कोली मछुआरे जिनका खानदानी पेशा ही फिशिग है वो बेचारे इन व्यापारियों के यहाँ मजदूरी करने को मजबूर थे |

इसलिए जब गुजरात के तालाबो के फिशिंग ठेके देने थे तो पहले फिशिंग राज्यमंत्री रहे पुरुषोत्तम सोलंकी ने नीलामी करने की सोची और इस बारे में फ़ाइल पर नोटिंग भी किया .. फिर गुजरात के कोली माछीमार समुदाय के लोग उनसे मिले पुरुषोतम सोलंकी खुद भी कोली माछीमार है | कोली माछीमार समाज के लोगो ने उन्हें भारत सरकार के उस आदेश के अनुसार ठेके देने की बात कही जिसके अनुसार तालाबो में फिशिग के ठेके नीलामी के बजाय मछुआरा समाज के लोगो को एलाटमेंट के द्वारा दिया जाना चहिये और यदि किसी गाँव में कोई माछीमार समाज का नही है तो उसे दुसरे समाज के लोगो को देना चाहिए |

आज भी यूपी, बिहार, राजस्थान महाराष्ट्र आदि कई राज्यों में तालाबो में मछली पकड़ने के ठेके सिर्फ माछिमार समुदाय के लोगो जैसे केवट, निषाद आदि समुदाय के लोगो को दिए जाते है | और दिए भी जाने चाहिए | आज भी भारतीय सेना यदि पूरोहित की भर्ती करती है तो सिर्फ ब्राम्हण ही लिए जाते है और नाई की भर्ती करती है तो नाई समुदाय के लोग ही लिए जाते है |

इसलिए पुरुषोतम सोलंकी ने अपने पहले के आदेश को रद्द करते हुए आदेश दिया की सभी ५८ तालाबो को सिर्फ माछिमार समुदाय के लोगो को ही एलाटमेंट के द्वारा दिए जायेंगे | लेकिन मंत्री के इस आदेश के खिलाफ जब कई मुस्लिम व्यापारियों ने कोर्ट केस करने की धमकी दी तो विवाद से बचने के लिए मंत्री पुरुषोतम सोलंकी ने एक बाद फिर अपना पुराना आदेश वापस लेकर फ़ाइल पर नया नोटिंग किया की तालाबो में फिशिग के ठेके अब नीलामी से दिए जायेंगे | फिर तालाबो की दस साल के लिए नीलामी हुई और गुजरात सरकार को ४०० करोड़ रूपये की आय हुयी | यानी केजरीवाल और कांग्रेस जिस ४०० करोड़ के घोटाले की बात करते है वो दरअसल घोटाला नही बल्कि आय है |

लेकिन इस नीलामी में मुस्लिम व्यापारी इशहाक मारडिया को कोई ठेका नही मिला | इसलिए उसने घोर मोदी विरोधी एनजीओ जन संघर्ष मंच जो मुकुल सिन्हा और तीस्ता जावेद के द्वारा संचालित है उससे सम्पर्क किया ..

मुकुल सिन्हा इसहाक के तरफ से पहले लोअर कोर्ट में गये जहाँ से आदेश हुआ की मंत्री ने कोई भ्रष्टाचार नही किया है फिर वो इसे लेकर गुजरात हाईकोर्ट में गये | गुजरात हाईकोर्ट ने रिटायर जज और गुजरात के पूर्व लोकायुक्त रहे जस्टिस एसएम सोनी से इस मामले की जाँच करवाई .. उन्होंने भी रिपोर्ट दिया की मंत्री ने कोई भ्रष्टाचार नही किया है इसलिए पुरुषोत्तम सोलंकी के उपर कोई केस नही चल सकता |

फिर हाईकोर्ट ने भी इस मामले में पुरुषोतम सोलंकी को बरी कर दिया | लेकिन मुकुल सिन्हा ने इसे दो जजों की खंडपीठ के सामने दुबारा चैलेंज किया | जो जजों जस्टिस कापडिया और जस्टिस भट्टाचार्य ने अपने फैसले में कहा की हाईकोर्ट को इस मामले में पुरुषोतम सोलंकी के उपर कोई मामला नही दिखता है | मंत्री ने किसी भी तरह का भ्रस्टाचार नही किया है लेकिन ये एक पॉलिसी मैटर है |  हाईकोर्ट मंत्री के उपर केस चलाने की अनुमति नही देगी लेकिन यदि गुजरात की राज्यपाल चाहे तो वो इस मामले पर मंत्री पुरुषोतम सोलंकी के खिलाफ केस दर्ज करवा सकती है | क्योकि पॉलिसी मैटर की वजह से इस मामले में राज्यपाल के विवेक पर इसे छोड़ना चाहिए |
फिर गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल ने गांधीनगर के क्राइम ब्रांच में केस दर्ज करने के आदेश दिए और क्राइम ब्रांच ने जाँच करके पुरुषोतम सोलंकी को क्लीनचीट दे दी | हलांकि मुकुल सिन्हा ने इस क्लीनचिट के खिलाफ भी अपील की है |

अब असल मामले को समझते है ... टेक्निकल रूप से पुरुषोतम सोलंकी राज्यमंत्री थे .. और क़ानूनी रूप से वो किसी भी फ़ाइल को क्लियर नही कर सकते थे | फाइलें क्लियर करने का अधिकार सिर्फ केबिनेट मंत्री को ही है .. राज्यमंत्री फाइल पर सिर्फ नोटिंग करता है और उस फ़ाइल को अपने केबिनेट मंत्री को मार्क करता है फिर केबिनेट मंत्री ही उस पर अपना अंतिम नोटिंग लिखकर उसे मुख्यमंत्री को मार्क करता है फिर मुख्यमंत्री उस फ़ाइल पर अपना नोटिंग लिखकर उसे राज्यपाल को मार्क करता है और फिर राज्यपाल के दस्तखत से कोई बड़े निर्णय होते है | और इस मामले में भी यही हुआ था ...

फिर भी ऊँगली पुरुषोतम भाई सोलंकी पर ही क्यों उठाई गयी ????
असल में गुजरात में माछिमार समाज के बहुत से लोग रहते है और तीस सीटो पर माछीमार समुदाय निर्णायक भूमिका में है .. पुरुषोतम सोंलकी गुजरात के एक बड़े माछीमार समाज के नेता है कांग्रेस ये चाहती थी की कुछ भी ऐस्डा किया जाये जिससे नरेंद्र मोदी पुरुषोतम सोलंकी को अपने मंत्रीमंडल से हटाने पर मजबूर हो जाए और बगावत करके कांग्रेस में शामिल हो जाए और फिर विधानसभा चुनावो में ये प्रचारित किया जाए की नरेंद्र मोदी सरकार माछीमार विरोधी है |

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