Saturday 5 March 2016

कामरेड कन्हैया कुमार ...काश तुमने अपने लच्छेदार भाषण में पी. कुमार को भी याद किया होता !! लेकिन कैसे याद करोगे ? तुम्हारा भाषण तो दलाल शिरोमणि बरखा दत्त ने लिखा था






कन्हैया .. सच में ..मुझे जरुर विश्वास था की तुम पी राजन को भी याद करोगे ..फिर याद आया की तुम्हारे भाषण को तो बरखा दत्त ने लिखा है ..जो भारत की जानीमानी दलाल है ..इसलिए तुम अपने ही सन्गठन के छात्र नेता पी राजन को क्यों याद करोगे .. बल्कि तुम तो पी राजन के हत्यारे राहुल गाँधी और उनकी पार्टी के लिए आदर व्यक्त कर रहे थे ...
मित्रो, आप लोगो को शायद पी राजन याद नही होगा .. क्योकि हम भारतीयों की यादाश्त बहुत छोटी होती है .. हिस्ट्री चैनेल ने भारत के टॉप टेन क्राइम जिन्होंने भारत को हिला दिया था उसमे रंगा बिल्ला के बाद पी राजन केस को दुसरे स्थान पर रखा था ...
पी राजन केरल के कालीकट में 1975 में रीजनल इंजीनियरिंग कालेज में बीटेक का छात्र था ..जिसका वर्तमान में नाम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी है ..उस समय देश में कांग्रेस पार्टी ने आपातकाल लगाया था ..लोगो के सभी नागरिक अधिकार खत्म कर दिए गये थे ...देश में पुलिसराज कायम था ...पी राजन कम्युनिस्ट पार्टी के छात्र सन्गठन से जुड़ा हुआ था जिससे आज कन्हैया कुमार जुड़ा हुआ है ..
नक्सलियों से सम्बन्ध रखने के आरोप में केरल पुलिस ने पी राजन और उसके रूम पार्टनर सी जोसेफ को उठा लिया .. बाद में सी जोसेफ को नौ महीने जेल में रखने के बाद रिहा कर दिया था .. लेकिन पी राजन का कोई पता नही चला ..
पी राजन में पिता इचारा वेरियार अपने जवान बेटे को कई महीनों तक केरल के हर जेल में जाकर खोजे .. उन्होंने अपने बेटे का पता लगाने के लिए अपनी पूरी सम्पति तक बेच दी .. यहाँ तक की कम्युनिस्ट पार्टी भी उनकी कोई मदद नही की ...उन्होंने केरल के डीजी , मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी तक गुहार लगाई ..फिर उन्होंने भारत के राष्ट्रपति से गुहार लगाई .. राष्ट्रपति भवन ने केरल पुलिस पर सख्ती की ..लेकिन केरल पुलिस और केरल की कांग्रेस सरकार राष्ट्रपति भवन को भी गुमराह करती रही ..मजे की बात ये की उस समय केरल का गृहमंत्री के. करुणाकरन था जो इंदिरा गाँधी का बहुत ही करीबी था ..इचारा को इतना पता चला की उनके बेटे को केरल के गृहमंत्री के. करुनाकरन जो इमरजेंसी के बाद केरल के मुख्यमंत्री बन चुके थे और कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता बन चुके थे ,,उनके आदेश से गिरफ्तार किया गया था ... इचारा केरल के मुख्यमंत्री करुनाकरन से २२ बार मिले क्योकि उनके गृहमंत्री रहते उनके ही आदेश से उनके बेटे को गिरफ्तार किया गया था .. लेकिन करुनाकरन ने साफ साफ कहा की एक मर्डर के केस में पुलिस ने उनके बेटे को गिरफ्तार किया था ..लेकिन बाद में छोड़ दिया था ..
उन्होंने बहुत कोशिसे की लेकिन उन्हें अपने बेटे का कोई पता नही चला ..कालीकट पुलिस ने उनसे कहा की हमने तो उसे उसी रात छोड़ दिया था ..थक कर इचारा ने केरल हाईकोर्ट में habeas corpus की अर्जी की ...हाईकोर्ट ने पुलिस से सारे दस्तावेज मंगाए ..और केरल पुलिस के डीजी को सख्त आदेश दिया की वो पी राजन के बारे में हाईकोर्ट को जानकारी दे ... हाईकोर्ट ने इस मामले पर बेहद कठोर रुख अपनाया और हर रोज सुनवाई का आदेश दिया ..हाईकोर्ट में केरल पुलिस ने खुलासा किया की उसे गिरफ्तार किया गया लेकिन किसी मजिस्ट्रेट के सामने पेश नही किया था ..लेकिन उसका क्या हुआ ये केरल पुलिस खुलासा नही कर रही थी ..बाद में हाईकोर्ट में पी राजन के रूममेट ने बयान दिया की केरल पुलिस की क्राइम ब्रांच के डीआईजी जयराम पडीकक्ल ने उसे इतना टार्चर किया की वो मर गया और उसकी लाश को जंगल में ले जाकर जला दी ..
तुरंत की केरल पुलिस के क्राइम ब्रांच में आठ अधिकारी जिसमे डीआईजी भी शामिल थे उन्हें हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया .. हाईकोर्ट ने केरल के उस समय के गृहमंत्री करुणाकरन जो मुख्यमंत्री बन चुके थे उन
पर बेहद सख्त टिप्पड़ी किया और कहा की उन्हें ये पता था की पी राजन मर चूका है फिर भी उन्होंने एक बूढ़े पिता को २२ बार अपने ऑफिस में धक्के खिलाने के बाद भी उन्हें उसके उपर दया नही आई ... हाईकोर्ट की इस सख्त टिप्पड़ी से केरल के मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्थिपा देना पड़ा क्योकि केरल में उनके खिलाफ काफी घृणा फैलने लगी थी ...
पी राजन केस में कुल आठ पुलिस कर्मियों को जिसमे क्राइम ब्रांच के आईजी, डीआईजी डीएसपी और कांस्टेबल भी थे उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गयी ..जो हाईकोर्ट ने बरकरार रखी ..
इस केस में सबसे दुखद और घृणित बात ये है की केरल के तात्कालिन नेता प्रतिपक्ष ई.एम. एस . नम्बूदरीपाद जो खुद कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेता थे उन्होंने पी राजन केस में बूढ़े लाचार पिता की कोई मदद नही की .. ये पूरी लड़ाई पी राजन के पिता इचारा ने अकेले ही लड़ी थी .. बाद में पता चला की कम्युनिस्टो और कांग्रेसियो ने पी राजन की लाश का सौदा कर लिया था की इस मामले को विपक्ष यानी कम्युनिस्ट नही उठाएंगे .. बदले में कम्यूनिस्ट पर कई केस हटा लिए जायेंगे ...
इचारा जी के इस संघर्ष पर एक मलयालम फिल्म "पीरावी" बनी जिसे कांस फिल्म फेस्टिवल में सम्मानित भी किया गया था .. उनके संघर्ष पर एक दूसरी फिल्म "इद्द्दुकी गोल्ड" भी बनी थी जो काफी हिट रही ...
सोचिये .. ये वामपंथी कितने बड़े दोगले होते है .. जिस कांग्रेस ने कन्हैया कुमार के पार्टी के सदस्य की हत्या की ..और जिसकी वजह से एक पूरा परिवार बिखर गया ..उसी पार्टी की गोद में बैठकर कन्हैया कुमार मानवता की बात कर रहा है .. शर्म से डूब मरो कन्हैया ...

Saturday 20 February 2016

रविश कुमार ..आपके अंदर जमीर होती तो आप बरखा दत्त की दलाली का टेप सुनकर ही ब्लैकआउट करते ...वैसे अब सच में भारतीय मीडिया के लिए ब्लैकआउट करने का वक्त है..

विश कुमार ...सच में ये भारतीय मीडिया के लिए ब्लैकआउट करने का वक्त है..

रविश कुमार आपको जेएनयु मुद्दे पर सरकार की करवाई से बहुत पीड़ा पहुंची है..क्योकि आपके अनुसार सरकार लोगो की आवाज दबा रही है ..अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला कर रही है ...आपके अनुसार पाकिस्तान जिंदाबाद ..भारत तेरे टुकड़े होंगे ..भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी ..अफजल जिंदाबाद ..आदि नारे देश के लोगो की अभिव्यक्ति है |
रविश कुमार .. आपने उस वक्त ब्लैकआउट क्यों नही किया था जब कमलेश तिवारी ने अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी के हक को इस्तेमाल करते हुए कुछ सच मगर कड़वी बाते की थी ? उसे फांसी देने के लिए भारत के बीस शहरों में दंगाई मुस्लिमो की भारी भीड़ ने जमकर दंगे किये .. यूपी की विधानसभा में उसे फांसी देने की मांग उठी ..उसके सर पर करोड़ो का ईनाम रखा गया .. और आपके ही टीवी चैनेलो पर कितने लोगो ने उसे मौत की सजा देने की वकालत की ... रविश कुमार ..भारत में ईशनिंदा कानून नही है .. फिर भी कई मुस्लिम सांसदों और विधायको ने उसे फांसी देने की मांग करते हुए हर टीवी चैनेलो पर चिल्लाते थे ...तब आपके मुंह से एक बार भी ये क्यों नही निकला की कमलेश तिवारी को भी अभिव्यक्ति की आज़ादी है .. और उसके उपर एनएसए लगाना सरकारी आतंकवाद है ...
रविश कुमार .. आपको ज्यादा पीड़ा दुसरे चैनलों पर जेएनयु मुद्दे पर कवरेज पर हो रही है ... आप सिर्फ एक बार अपने आर्काइव से 2003, 2007 और 2012 में गुजरात विधानसभा में आपके चैनेल एनडीटीवी पर किये गये कवरेज को निकालकर देख लीजियेगा ... और अगर आपको लगे की ये सच में पत्रकारिता है तो मै आपसे माफ़ी मांग लूँगा ...
आपके उस वक्त के चीफ एडिटर विनोद दुआ गुजरात चुनाव के कवरेज पर आये थे .. दिल्ली से फ्लाईट से बड़ोदरा उतरे ..फिर एक इनोवा से अहमदाबाद आये ..ड्राइवर मुस्लिम था .. विनोद दुआ ने उससे पूछा आपको गुजरात में डर नही लगता ? और फिर वो ड्राइवर नकली आंसू रोने लगा ..विनोद दुआ उससे ऐसे ऐसे सवाल पूछ रहे थे जैसे हिन्दू सबसे बड़ा आतंकी और गुंडा है ..फिर उन्होंने कहा आप ये जो आलिशान एक्सप्रेस हाइवे देख रहे है उसे केंद्र के पैसे पर बनाया गया है .. हद है पत्रकारिता की ... बाद में उस ड्राइवर ने बताया की ये पूरा प्रीस्क्रिप्टेड था .. उसे रोने की एक्टिंग करने को कहा गया था ...
2012 की गुजरात विधानसभा चुनाव में आप खुद कवरेज के लिए आये थे ...आपने साबरमती रिवरफ्रंट को नही दिखाया .. आपने गुजरात में हुई इंडस्ट्रियल ग्रोथ को नही दिखाया ...आपने दिखाया भी तो क्या ? एक झोपडपट्टी ..कहावत है की सयाने कौवे की नजर हमेशा टट्टी पर होती है .. तो आप वही सयाने कौवे थे ...|
रविश जी .. आपको सबसे ज्यादा पीड़ा इस बात का है की उमर खालिद और कन्हैया को देशद्रोह का दोषी ठहराने वाले ये मीडिया के एंकर और कुछ जमात के लोग कौन है ? 

रविश जी .. यही पीड़ा हमे भी तब होती थी जब नरेंद्र मोदी को बिना किसी जाँच के आप जैसे पत्रकारों ने दंगाई और अछूत घोषित कर दिया था ...नरेंद्र मोदी को आपके स्टूडियो में बैठकर शबनम हाश्मी, राणा अय्यूब, आशीष खेतान, जैसे लोगो ने क्या क्या कहा है वो आप एक बार याद करिये ... आपके स्टूडियो में कितनी बार तुरंत फैसला हो जाता था आप उसे क्यों भूल गये ?
रविश जी ... अंत में एक बार अपने दिल पर हाथ रखकर सोचियेगा की आप जिसे रिपोर्ट करते है वो बरखा दत्त जो आज एनडीटीवी की चीफ ग्रुप एडिटर है ..क्या उसे पत्रकार कहा जा सकता है ? क्या आपने बरखा और निरा रादिया का टेप नही सुना ? उस टेपो को सुप्रीम कोर्ट ने जांच में सही पाया है .. रतन टाटा ने जब उस टेप के प्रसारण पर रोक लगाने की अर्जी की थी तब उन्होंने कहा था की हाँ ये टेप असली है .. लेकिन इससे मेरी निजता का हनन होता है .. एक बातचीत में बरखा दत्त निरा से कहती है की तेरे उपर रतन बुरी तरह फ़िदा है यही वक्त है ....सब काम निकाल ले ..तो नीरा राडिया बेशर्मी से कहती है हा ..यार कल वो तेल अबीब में था लेकिन मेरे से बात किये बिना रह ही नही पा रहा था .. एक टेप में बरखा दत्त कहती है मुकेश अंबानी की चिंता मत करो
..उसे मै मैनेज कर लुंगी .. एक टेप में वो मंत्रियों के नाम फाइनल करती है ..


कमाल की बात है रविश कुमार .. आपने एक बार भी बरखा दत्त पर कोई प्राइम टाइम नही किया ...
और अंत में .. आपको याद होगा की जब अन्ना आन्दोलन चल रहा था तब बरखा दत्त कवरेज के लिए इण्डिया गेट गयी थी .. वहां जेएनयु के विभाग इन्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मॉस क्म्न्युनिकेशन के एक दलित छात्र ने बरखा दत्त के खिलाफ नारेबाजी की थी .. उसने नारा लगाया था दलाल बरखा वापस जाओ .. बाद में एनडीटीवी के इशारे पर उस दलित छात्र का पूरा कैरियर चौपट कर दिया गया |

रविश जी लिखना तो बहुत चाहता था .. लेकिन लोग बड़े बड़े लेख नही पढ़ते ..उब जाते है

Monday 31 March 2014

कांग्रेस नेता और लोकसभा प्रत्याशी इमरान मसूद के द्वारा नरेंद्र मोदी को बोटी बोटी काटने की बात करना क्या सिर्फ एक धमकी भर ही है या भविष्य की प्लानिग का खुलासा ?? भडकाऊ भाषण तो वरुण गाँधी, तोगडीया ने भी दिया है लेकिन किसी ने ये नही कहा की जब हम फलाना प्रतिशत हो जायेंगे तो फलाना को बोटी बोटी काट डालेंगे ..हिन्दुओ ये लेख पढो और सोचो की इमरान मसूद ने क्यों कहा "आज गुजरात में सिर्फ ४% मुस्लिम है यहाँ पश्चिमी यूपी में ४२% मुस्लिम है ..आने दो मोदी को हम उसका बोटी बोटी काट डालेंगे"




बसपा नेता और पूर्व विधायक हाजी याकूब कुरैशी [कसाई ] मोदी को हैवान, दरिंदा और शैतान क्यों कहा क्योकि ये खुद भारत का सबसे बड़ा दरिंदा है ..

मित्रो, पश्चीमी यूपी में जानवरों के हड्डियों को उबालकर गैरक़ानूनी तरीके से उसमे से चर्बी निकालकर उसे कई उद्योगों में बेचा जाता है जिसे कमेला कहते है ...हाजी याकूब कुरैशी पश्चिमी यूपी का सबसे बड़ा कमेला माफीया है ..

इस हाजी याकूब कुरैशी के सैकड़ो आदमी रात में यूपी के गाँवो में जाकर पालतू जानवरों को चुपके से जहर दे देते है फिर जब जानवर मर जाता है तो जानवर के मालिक उसे गाँव के बाहर फेक देते है बाद में याकूब कुरैशी के आदमी मरे हुए जानवर को उठाकर कमेले में लाते है फिर उसे बोटी बोटी काटकर उसकी हड्डीयों को उबालकर उसमे से चर्बी निकालते है | आज कई उद्योगों में फैट यानी चर्बी की भारी मांग है और ये हाजी याकूब कुरैशी इस दरिंदगी के धंधे में करोडपति हो चूका है |

पश्चिम यूपी में सपा और बसपा की सरकारे इस कुटीर उद्योग को बढ़ावा ही देती है क्योकि इस काम में सिर्फ मुसलमान ही लिप्त है और वोट बैंक के लिए यूपी सरकार ने पुलिस को आदेश दिया है की किसी भी कमेला को बंद नही किया जाये जबकि हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के कहा है की इस तरह से जानवरों की हड्डियों को खुले में उबालना कई पर्यावरण के खतरे पैदा कर रहा है इसलिए इसे बंद किया जाए फिर भी यूपी सरकार इस पर खामोश है |

इतना ही नही इस कमेला उद्योग से पश्चिम यूपी के कुत्तो के स्वभाव में भी भारी परिवर्तन आ गया है क्योकि खुले में ही जानवरों में मांस और हड्डीया पड़े रहते है जिसे सैकड़ो कुत्ते चबाते रहते है .. आज ये हालत है की पश्चिम यूपी में किसी कुत्ते को आप रोटी या दूध दो तो वो उसे नही खायेगा क्योकि कुत्तो में सिर्फ मांसाहार की प्रवृति उत्त्पन हो चुकी है .. और कुत्ते इतने खूंखार हो चुके है की यदि कोई छोटा बच्चा अकेले हो तो वो उसे भी फाडकर खा जाते है अब तक चार बच्चो को कुत्ते खा चुके है |

ये हाजी याकूब कुरैशी के पास करीब दो हजार कमेला है .. और करीब दस हजार मुस्लिम लोगो को इसने इस नीच और गैरकानूनी काम पर रखा है |

आज पश्चिमी यूपी में पालतू जानवर जैसे बकरी , भैस या गाय पालने वाले लोग पूरी रात और दिन अपने जानवरों की रखवाली करते है जिससे इस हाजी याकूब कुरैशी के आदमी कही उन्हें जहर न खिला दे ... सोचिये मित्रो ,, पुरे पश्चिम यूपी में जितने जानवर प्राकृतिक रूप से नही मरते होंगे उससे लाख गुना जानवर हर रोज इन भठ्ठीयो यानी कमेले में लाकर उबाले जाते है |

आज पश्चिमी यूपी के फिजा में सिर्फ मांस की बदबू और जानवरों के मांस के लोथड़े और नदियों और नालो में जानवरों के खून से लाल पानी ही बहते नजर आते है ... हालत ये हो चूका है की यदि कोई सामाजिक कार्यकर्ता इनके खिलाफ आवाज उठाये तो इस हाजी याकूब कुरैशी के आदमी उसे ही बोटी बोटी काटकर उन्ही जानवरों के साथ उबाल देते है और उनका पता तक नही चलता की वो कहाँ गायब हो गये |

जब मैंने इमरान कुरैशी की मोदी को दी गयी धमकी सुनी --"गुजरात में तो सिर्फ ४% मुस्लिम है यहाँ पश्चिमी यूपी में ४२% मुस्लिम है आने दो मोदी को हम उसे बोटी बोटी काट डालेंगे" मित्रो ये धमकी कोई कोरी धमकी नही है ,,सच्चाई ये की आज तक जितने भी हिन्दुओ ने इस ह्व्शी धंधे यानी कमेले के खिलाफ आवाज उठाई है उसे ये मुस्लिम लोगो ने बोटी बोटी काटकर जानवरों की टनों हड्डियों के साथ उबालकर उनका भी चर्बी निकालकर बाजार में बेच दिए है |
मजे की बात ये है की इन गैरक़ानूनी धमधमाती भट्टियो यानी कमेले में बिजली का गैरक़ानूनी कनेक्सन ही इस्तेमाल होता है |
आज़म खान की सात भैसे भी इन्ही कमेले माफियायो ने ही चुराई थी और चुराकर एक कमेले पर ही बेचा था जहाँ पुलिस में छापा मारकर बरामद कर लिया था लेकिन यूपी की सपा सरकार के आदेश से उस कमेले पर कोई करवाई नही की गयी क्योकि मामला मुस्लिम से जुड़ा था ..

सोचो ...मित्रो ... सिर्फ कांग्रेस नेता और सहारनपुर से लोकसभा उम्मीदवार की धमकी के बारे में सोचो और अगर तुममे जरा भी गैरत बची हो तो इस नीच कांग्रेस को खत्म करो

"गुजरात में तो सिर्फ ४% मुसलमान है .. यहाँ यूपी में ४२% मुस्लिम है ..आने दो मोदी को हम उसे बोटी बोटी काट डालेंगे"





Wednesday 19 March 2014

केजरीवाल और कांग्रेस के द्वारा बार बार ये कहना की मोदी सरकार में दागी मंत्री है .. इसकी असली सच्चाई ..



मित्रो, मैंने गुजरात के मंत्री पुरुषोत्तमभाई सोलंकी और बाबुभाई बोखिरिया पर पहले कई बार लिख चूका हूँ .. लेकिन जबसे केजरीवाल गुजरात आया और इस मुद्दे तो उठाया तो कई मित्रो ने मैसेज किया है की आप इसकी सच्चाई लिखे ..

मित्रो, पहले मै पुरुषोत्तम भाई सोलंकी के मामले पर लिखता हूँ .. इनके बारे में कांग्रेस और केजरीवाल कहते है की इन्होने ४०० करोड़ का फिशिंग घोटाला किया है फिर भी मोदी के मंत्रीमंडल में है |

पहले गुजरात के बड़े ५८ तालाब जो करीब २०० एकड़ में फैले है उनमे फिशिंग का ठेका नीलामी के द्वारा दिया जाता था | और इस नीलामी में एक खास समुदाय के बेहद आमिर व्यापारी इशहाक मारडिया का मोनोपोली था | पालनपुर का ये मुस्लिम व्यापारी पैसे के दम पर गुजरात के सभी तालाबो में फिशिंग का ठेका ले लेता था और बेहद गरीब कोली मछुआरे जिनका खानदानी पेशा ही फिशिग है वो बेचारे इन व्यापारियों के यहाँ मजदूरी करने को मजबूर थे |

इसलिए जब गुजरात के तालाबो के फिशिंग ठेके देने थे तो पहले फिशिंग राज्यमंत्री रहे पुरुषोत्तम सोलंकी ने नीलामी करने की सोची और इस बारे में फ़ाइल पर नोटिंग भी किया .. फिर गुजरात के कोली माछीमार समुदाय के लोग उनसे मिले पुरुषोतम सोलंकी खुद भी कोली माछीमार है | कोली माछीमार समाज के लोगो ने उन्हें भारत सरकार के उस आदेश के अनुसार ठेके देने की बात कही जिसके अनुसार तालाबो में फिशिग के ठेके नीलामी के बजाय मछुआरा समाज के लोगो को एलाटमेंट के द्वारा दिया जाना चहिये और यदि किसी गाँव में कोई माछीमार समाज का नही है तो उसे दुसरे समाज के लोगो को देना चाहिए |

आज भी यूपी, बिहार, राजस्थान महाराष्ट्र आदि कई राज्यों में तालाबो में मछली पकड़ने के ठेके सिर्फ माछिमार समुदाय के लोगो जैसे केवट, निषाद आदि समुदाय के लोगो को दिए जाते है | और दिए भी जाने चाहिए | आज भी भारतीय सेना यदि पूरोहित की भर्ती करती है तो सिर्फ ब्राम्हण ही लिए जाते है और नाई की भर्ती करती है तो नाई समुदाय के लोग ही लिए जाते है |

इसलिए पुरुषोतम सोलंकी ने अपने पहले के आदेश को रद्द करते हुए आदेश दिया की सभी ५८ तालाबो को सिर्फ माछिमार समुदाय के लोगो को ही एलाटमेंट के द्वारा दिए जायेंगे | लेकिन मंत्री के इस आदेश के खिलाफ जब कई मुस्लिम व्यापारियों ने कोर्ट केस करने की धमकी दी तो विवाद से बचने के लिए मंत्री पुरुषोतम सोलंकी ने एक बाद फिर अपना पुराना आदेश वापस लेकर फ़ाइल पर नया नोटिंग किया की तालाबो में फिशिग के ठेके अब नीलामी से दिए जायेंगे | फिर तालाबो की दस साल के लिए नीलामी हुई और गुजरात सरकार को ४०० करोड़ रूपये की आय हुयी | यानी केजरीवाल और कांग्रेस जिस ४०० करोड़ के घोटाले की बात करते है वो दरअसल घोटाला नही बल्कि आय है |

लेकिन इस नीलामी में मुस्लिम व्यापारी इशहाक मारडिया को कोई ठेका नही मिला | इसलिए उसने घोर मोदी विरोधी एनजीओ जन संघर्ष मंच जो मुकुल सिन्हा और तीस्ता जावेद के द्वारा संचालित है उससे सम्पर्क किया ..

मुकुल सिन्हा इसहाक के तरफ से पहले लोअर कोर्ट में गये जहाँ से आदेश हुआ की मंत्री ने कोई भ्रष्टाचार नही किया है फिर वो इसे लेकर गुजरात हाईकोर्ट में गये | गुजरात हाईकोर्ट ने रिटायर जज और गुजरात के पूर्व लोकायुक्त रहे जस्टिस एसएम सोनी से इस मामले की जाँच करवाई .. उन्होंने भी रिपोर्ट दिया की मंत्री ने कोई भ्रष्टाचार नही किया है इसलिए पुरुषोत्तम सोलंकी के उपर कोई केस नही चल सकता |

फिर हाईकोर्ट ने भी इस मामले में पुरुषोतम सोलंकी को बरी कर दिया | लेकिन मुकुल सिन्हा ने इसे दो जजों की खंडपीठ के सामने दुबारा चैलेंज किया | जो जजों जस्टिस कापडिया और जस्टिस भट्टाचार्य ने अपने फैसले में कहा की हाईकोर्ट को इस मामले में पुरुषोतम सोलंकी के उपर कोई मामला नही दिखता है | मंत्री ने किसी भी तरह का भ्रस्टाचार नही किया है लेकिन ये एक पॉलिसी मैटर है |  हाईकोर्ट मंत्री के उपर केस चलाने की अनुमति नही देगी लेकिन यदि गुजरात की राज्यपाल चाहे तो वो इस मामले पर मंत्री पुरुषोतम सोलंकी के खिलाफ केस दर्ज करवा सकती है | क्योकि पॉलिसी मैटर की वजह से इस मामले में राज्यपाल के विवेक पर इसे छोड़ना चाहिए |
फिर गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल ने गांधीनगर के क्राइम ब्रांच में केस दर्ज करने के आदेश दिए और क्राइम ब्रांच ने जाँच करके पुरुषोतम सोलंकी को क्लीनचीट दे दी | हलांकि मुकुल सिन्हा ने इस क्लीनचिट के खिलाफ भी अपील की है |

अब असल मामले को समझते है ... टेक्निकल रूप से पुरुषोतम सोलंकी राज्यमंत्री थे .. और क़ानूनी रूप से वो किसी भी फ़ाइल को क्लियर नही कर सकते थे | फाइलें क्लियर करने का अधिकार सिर्फ केबिनेट मंत्री को ही है .. राज्यमंत्री फाइल पर सिर्फ नोटिंग करता है और उस फ़ाइल को अपने केबिनेट मंत्री को मार्क करता है फिर केबिनेट मंत्री ही उस पर अपना अंतिम नोटिंग लिखकर उसे मुख्यमंत्री को मार्क करता है फिर मुख्यमंत्री उस फ़ाइल पर अपना नोटिंग लिखकर उसे राज्यपाल को मार्क करता है और फिर राज्यपाल के दस्तखत से कोई बड़े निर्णय होते है | और इस मामले में भी यही हुआ था ...

फिर भी ऊँगली पुरुषोतम भाई सोलंकी पर ही क्यों उठाई गयी ????
असल में गुजरात में माछिमार समाज के बहुत से लोग रहते है और तीस सीटो पर माछीमार समुदाय निर्णायक भूमिका में है .. पुरुषोतम सोंलकी गुजरात के एक बड़े माछीमार समाज के नेता है कांग्रेस ये चाहती थी की कुछ भी ऐस्डा किया जाये जिससे नरेंद्र मोदी पुरुषोतम सोलंकी को अपने मंत्रीमंडल से हटाने पर मजबूर हो जाए और बगावत करके कांग्रेस में शामिल हो जाए और फिर विधानसभा चुनावो में ये प्रचारित किया जाए की नरेंद्र मोदी सरकार माछीमार विरोधी है |

Wednesday 1 January 2014

आम आदमी कभी ढिंढोरा नही पिटता .. नरेंद्र मोदी ने आज इस साल मिले 3064 उपहारों को सरकारी खजाने में जमा कराया ..जिनकी कीमत करीब दो करोड़ से उपर है


 मित्रो, नरेंद्र मोदी विभिन्न समारोहों पर मिले भेट आदि को गुजरात सरकार ने ट्रेजरी ने जमा करवा देते है | जिनकी बाद में ट्रेजरी नीलामी करवाता है और प्राप्त धन को लड़कियों की पढाई के लिए बने कोष "कन्या केलवनी" में जमा करवा दिया जाता है |

जो मीडिया केजरीवाल पर आफरीन है ..वो मीडिया कभी इस बारे में क्यों नही देश को बताती ? पुरे भारत में सिर्फ  नरेंद्रमोदी  ही एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री है जो मिले उपहारों को सरकार में जमा करवा देते है

चित्र में ... इस वर्ष नरेंद्र मोदी को मिले उपहार जिन्हें आज ट्रेजरी में जमा करवाया गया





Friday 29 November 2013

भारत का विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद अरब देशो में बने इस्लामिक एजेंडे पर काम कर रहा है ..





मित्रो, एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने भारत सरकार से पूछा की तेजपाल के तहलका द्वारा किया गया गोवा थिंक फेस्ट में आतंकी सन्गठन तालिबान के उपप्रमुख मुल्ला जईफ़ को वीजा क्यों और किसके सिपारिश पर मिला ??

जबाब था :-
१- आईबी चीफ आसिफ इब्राहीम [IPS] [धर्म - मुस्लिम ]
२-विदेश मंत्रालय के प्रमुख प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन [IFS] [धर्म - मुस्लिम]
3- विदेश मंत्री भारत गणराज्य सलमान खुर्शीद [ धर्म -मुस्लिम]


मित्रो, ये सिपारिश अपने आप में बहुत कुछ कह जाती है .. भारत की मेनस्ट्रीम मीडिया इस गम्भीर मामले पर चुप है ..

क्या केंद्र सरकार जबाब देगी ??

१- क्या अब भारत के मुस्लिम अधिकारी अयातुल्लाह खुमैनी के बनाये गाइडलाइन पर काम कर रहे है ? जिसमे उसने कहा था की दुनिया के हर मुस्लिम को पहले ये समझना होगा की वो इस्लाम का फर्ज अदा करे बाद में कोई और फर्ज अदा करे ,,और यदि उसके पेशे, नौकरी आदि के फर्ज और इस्लाम का फर्ज हो तो वो अपने पेशे के फर्ज को भूलकर इस्लाम का फर्ज अदा करे ... और दुनिया का हर मुस्लिम "मुस्लिम ब्रदरहुड" की भावना से काम करे

२- क्या भारत सरकार को पता नही था की तालिबान एक खूंखार इस्लामिक आतंकी सन्गठन है तो फिर उसके उपप्रमुख मौलाना जईफ जो नाटो का वांटेड खूंखार हत्यारा है उसे वीजा क्यों दिया गया ??

३- भारत का पूर्वगृहमंत्री और वर्तमान वित्त मंत्री इस खूंखार आतंकी से होटल में क्यों बैठक किया ? उस बैठक का एजेंडा क्या था और उस बैठक का मिनट्स ऑफ़ मीटिंग जाहिर क्यों नही किया गया ?

४- क्या ये सत्य है की कांग्रेस ने तालिबान के उपप्रमुख को इसलिए भारत बुलाया ताकि नरेंद्र मोदी की हत्या की सुपारी तालिबान को दी गयी है ??

ये एक बहुत ही गम्भीर मामला है और मै भारत की मीडिया से अपील करता हूँ की इस गम्भीर मामले को देश के सामने उठाये

बंगाल से दिल्ली में पत्रकार बनने का सपना लिए चंद सालो पहले दिल्ली आई शोमा चौधरी आज अरबो की जायजाद की मालिक कैसे बन गयी ???





मित्रो, तहलका रेप केस में बलात्कारी तेजपाल को जी जान से बचाने वाली शोमा चौधरी की कुंडली अब खंगाली जा रही है | ये महिला चंद सालो पहले बंगाल से दिल्ली आई थी .. आँखों में बड़े बड़े सपने थे और दिल में उन सपनों को साकार करने के लिए किसी भी हद तक जाने का साहस था |


कुछ इधर उधर काम करने के बाद एक पेज थ्री पार्टी में इनकी मुलाकात तहलका के तरुण तेजपाल से हुई .. तरुण तेजपाल के बारे में मीडिया जगत में एक चर्चा है की उनकी आँखे किसी भी महिला पत्रकार के आँखों से लेकर सब कुछ टटोलती है फिर जब वो भांप लेते है की कोई महत्वाकांक्षी महिला किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जायेगी तब उसका एप्वाइंटमेंट तहलका में हो जाता है |

तहलका में प्रोमोशन का क्या पैमाना है ये आज तक किसी को नही पता चल सका क्योकि काफी जूनियर रही लेकिन काफी खूबसूरत राना अय्यूब बड़ी तेजी से प्रोमोशन पाते हुए एडिटर तक पहुंच जाती है जबकि कई उम्रदराज महिला या पुरुष पत्रकार संवाददाता तक ही पहुचे |

तरुण तेजपाल की लम्पटगिरी से उनके साथी रहे कई लोग उनका साथ छोड़ चुके ..जैसे तहलका को शुरू करने में साथी रहे अनिरुद्ध बहल और आशीष खेतान जैसे पुरुष पत्रकारों को लगा की चूँकि तरुण तेजपाल होमोसेक्सुअलिटी में रूचि नही ले रहे है इसलिए उनका तहलका में कोई भविष्य नही है इसलिए उन्होंने तहलका छोड़ने में ही अपनी भलाई समझी |

आज शोमा चौधरी का दिल्ली के पॉश साउथ दिल्ली में बड़ा बंगला है .. गुडगाँव में फार्महाउस है .. नैनीताल में रिजोर्ट है ..


पत्रकार ही नहीं बड़ी कारोबारी भी हैं शोमा

साथी महिला पत्रकार के यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे तहलका पत्रिका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल को कथित तौर पर बचाने के आरोप से आहत होकर पत्रिका की मैनेजिंग एडिटर की कुर्सी छोड़ने वाली शोमा चौधरी सिर्फ पत्रकार नहीं हैं। शोमा लाखों-करोड़ों रुपए का कारोबार कर रहीं कंपनियों की शेयर होल्डर भी है।
तहलका पत्रिका को प्रकाशित करने वाली कंपनी अनंत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के 66.75 फीसदी शेयर रॉयल बिल्डिंग्स एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के पास हैं। यह कंपनी केडी सिंह की है जो तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं।

अनंत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के अन्य साझेदार इस तरह से हैं-

तरुण तेजपाल 19.25 फीसदी
नीना तेजपाल (बहन) 1.55 फीसदी
मिंटी तेजपाल (भाई) 0.5 फीसदी
शकुंतला तेजपाल (मां) 0.13 फीसदी
इंदरजीत तेजपाल (पिता) 0.13 फीसदी
गीतन बत्रा (पत्नी) 0.25 फीसदी
शोमा चौधरी 0.5 फीसदी
कपिल सिब्बल 0.04 फीसदी
राम जेठमलानी 0.08 फीसदी
साइरस 0.43 फीसदी
राजस्थान पत्रिका 1.96 फीसदी
आयशर गुडअर्थ 0.04 फीसदी
व अन्य


थिंकवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड

इस कंपनी के 10 फीसदी शेयर शोमा चौधरी के पास हैं। वहीं, इतने ही शेयर नीना तेजपाल और 80 फीसदी शेयर तरुण के पास हैं। इसी कंपनी ने गोवा में थिंकफेस्ट आयोजित किया था, जहां कथित तौर पर तेजपाल ने महिला पत्रकार का यौन उत्पीड़न किया था। इस कंपनी के पास कुल 14.2 करोड़ का राजस्व है।


अमररमन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (यह कंपनी क्या काम करती है, साफ नहीं है)

तरुण तेजपाल 70 फीसदी
केडी सिंह 10 फीसदी
शोमा चौधरी 10 फीसदी
नीना तेजपाल 10 फीसदी


आखिर तरुण तेजपाल शोमा चौधरी पर इतने मेहरबान क्यों थे ??

शोमा चौधरी का असली नाम सुपर्णा चौधरी है ... ये महज कुछ साल पहले ही तहलका में आई थी .. और आने के चंद महीनों के भीतर ही तेजपाल ने इन्हें तहलका का पार्टनर बना दिया था

शोमा चौधरी के कारोबारी हितों की चर्चा मीडिया में तेजी से हो रही है। शोमा को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। शोमा चौधरी को तहलका को छापने वाली कंपनी अनंत मीडिया ने 10 रुपए के मूल्य पर 1500 शेयर अलॉट किए थे। तब वे पत्रिका की फीचर संपादक हुआ करती थीं। 14 जून, 2006 को शोमा ने 500 शेयर एके गुर्टू होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को 13,189 रुपए के प्रीमियम पर बेच दीं। इस तरह से शोमा ने करीब 66 लाख (65,94,500 रुपए) रुपए का मुनाफा बटोरा। शोमा ने अनंत मीडिया के 1500 शेयर खरीदने के लिए 15000 रुपए की रकम खर्च की थी। इसका मतलब यह हुआ कि 5 हजार रुपए में खरीदे गए अनंत मीडिया के 500 शेयरों ने तीन सालों के भीतर शोमा को 66 लाख का मुनाफा दे दिया।

चौंकाने वाली बात यह है कि अनंत मीडिया और उससे जुड़े लोगों के लेनदेन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। 14 जून, 2006 को जिस दिन शोमा ने अपने शेयर करीब 13189 हजार रुपए में बेचे थे, उस दिन ही तरुण तेजपाल ने शंकर शर्मा और देविना मेहरा से 4,125 शेयर 10 रुपए प्रति शेयर मूल्य पर खरीदे थे। मतलब एक ही दिन में एक ही कंपनी यानी अनंत मीडिया के शेयरों के कई दाम थे। एक तरफ कुछ लोग उसे 10 रुपए में खरीद रहे थे, तो वहीं कुछ लोग उसे 13189 रुपए में। जबकि उस दिन कंपनी का नेट एसेट वैल्यू नकारात्मक था। इसका मतलब यह हुआ कि कंपनी के एक शेयर की असल कीमत उस दिन 10 रुपए भी नहीं थी। लेकिन उस दिन 10 रुपए के शेयरों को 2000 से लेकर 13000 रुपए से ज्यादा की कीमत पर बेचा गया।





अगर आप पिछले पांच सालो का तहलका का एकाउंट देखेंगे तो साल दर साल तहलका को करोड़ो रुपयों का घाटा हुआ है ... ये घाटा साल दर साल बढ़ता ही गया है |

फिर भी तहलका हर साल गोवा में "थिंक सेक्स फेस्ट" कैसे आयोजित करती है ? ये आयोजन गोवा के एम् फाइव स्टार होटल में होता है और मेहमानों के रुकने के लिए गोवा के सारे फाइव स्टार होटलो में कमरे बुक किये जाते है ... विदेशो से भी सैकड़ो वक्ता बुलाये जाते है उन्हें लाखो रूपये का मेहनताना, आने जाने का प्लेन टिकट दिया जाता है |

इतना ही नही शोमा चौधरी जिनके पास बीएमडबल्यू कार रही उन्होंने अभी हाल ही में बेंटले खरीदा है .तरुण तेजपाल और उनका पूरा परिवार शाही जीवन जीने का आदि है ..उसके लिए पैसे कौन दे रहा है

तहलका की दिल्ली और मुंबई ऑफिस में करीब ३४० लोग काम करते है .. उन्हें हर महीने सेलेरी और अन्य भत्ते रेगुलरी कैसे मिल रहा है ????

तहलका पांच सालो से घाटे में है लेकिन इसके किसी ही एम्प्लाई को देखकर कोई कह नही सकता की तहलका घाटे में है