Sunday 27 May 2012

कांग्रेस और चर्च तथा अरब देशो के फेके हुए टुकड़े पर पलने वाली मीडिया के हेडलाइन का विरोधाभास ::::: आखिर नीचता और लालच की एक हद होती है >>



जरा आपलोग हमारे देश की नीच और कुत्ती मीडिया की हेडलाइन का विरोधाभास सुनिए :



१- शिव सेना या बीजेपी अगर पुणे मे मारे गए किसानो के पक्ष मे कोंग्रेसी सरकार की बख़ियाँ उधेड़ते है

तो मीडिया मे हेडलाइन होती है “अब इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है“



वही रौल विंची भट्टा पारसौल मे नौटंकी करने जाता है तो उसे बार बार केन्द्रित किया जाता है और हेडलाइन होती है



“आज राहुल गांधी ने पीड़ित किसानो का हाल चाल पूछा और मृतको के प्रति संवेदना व्यक्त की…

और माया सरकार पर जमकर बरसे” ऐसी महा हरामखोर मीडिया है हमारी .



सभी चर्च द्वारा पोषित और देश द्रोहीयों कश्मीरी अलगाववादियों के समर्थित इन चेनलों का यही हाल है भाई …. बीजेपी के नेताओ को राजनीति से प्रेरित करना, अपने डिबेट कार्यक्रमों मे बीजेपी का एक नेता और मुक़ाबले मे 2-3 कोंग्रेसी + उनके सहयोगी वामपंथि कुत्तो से लडवाकर मुद्दो को गुमराह करना, लक्ष्य होता है बीजेपी को अराष्ट्र पार्टी के रूप मे चित्रित करना, ताकि हर युवा के मुख से यही निकले बीजेपी एक नकारा पार्टी है सांप्रदायिक पार्टी है ।



इनके लिए कॉंग्रेस ने अगर 10 किलो का भ्रष्टाचार किया तो उसके सामने बीजेपी का 30 ग्राम का भ्रष्टाचार 20 किलो का हो जाएगा ….


२- अगर १० महीने से डियूटी से अनुपस्थित और हिरासत मे दो मौत के अभियुक्त तथा जबरन फर्जी एफिडेविट बनाने के आरोपी संजीव भट्ट को पुलिस गिरफ्तार करती है तो नीच मिडिया की हेडलाईन होती है " मोदी का बदला " या " यही है मोदी की असली सद्भावना "



लेकिन अगर कांग्रेस शासित राज्यों मे किरण बेदी का प्रोमोशन सरकार रोक दे या बाबा रामदेव और आचार्य बल्क्रिशन के पीछे बदले के लिए पूरी सीबीआई लगा दे या महाराष्ट्र मे पांच पुलिस अधिकारियो को गिरफ्तार कार लिया जाये या केन्द्र सरकार "नोट फार वोट " मे उल्टे बीजेपी के सांसदों को गिरफ्तार कर ले तो फिर इस नीच मीडिया की सनसनी खेज हेडलाईन क्यों नहीं होती ?


३- आज बाबा रामदेव के सम्पति के पीछे पूरी मीडिया पड़ी है जो उन्होंने योग या दवाओ से अर्जित की है .. इसमें कोई अपराध नहीं है ..


लेकिन आज की नीच मीडिया राबर्ट वढेरा के साम्राज्य के पीछे क्यों नहीं पड़ती ? उसने सिर्फ १० साल मे खरबो की सम्पति कैसे बनाई ? उसने कौन सा जादू किया ?

मीडिया सोनिया से क्यों डरती है ? क्या उसे अपनी बोटी और हड्डी खोने का डर है ?


४- यदुरप्पा के पीछे पूरी मीडिया कई महीनो तक जैसे एक सोचा समझा आन्दोलन चलाया .. वो धार और वो मीडिया का पैनापन शीला दिछित और अशोक गहलोत के भ्रष्टाचार पर खामोश क्यों हों जाता है ??


५- गुजरात दंगो के १० साल बीत जाने के बाद भी मीडिया जाकिया जाफरी , जाहिरा शेख , और दूसरे मुस्लिम पीडितो के लिए बहुत सद्भावना दिखाती है .. वो सद्भावना राजबाला के लिए क्यों नहीं ???


६- गुजरात दंगो के लिए आज मिडिया मोदी के लिए जिन शब्दों का उपयोग करती है वही शब्द और वही धार वो कांग्रेस के लिए सिख्ख विरोधी दंगे और भागलपुर दंगे और मुंबई दंगे के लिए क्यों नहीं इस्तेमाल करती ?



७- अभी भरतपुर दंगे के लिए गहलोत को मिडिया "मुसलमानों का कातिल " क्यों नहीं कहती ?



आज की इस मीडिया के प्रमुख कार्य है :


1. आरएसएस को सिम्मी के कतार मे खड़ा करना


2. भगवा मे आतंकवाद ढूँढना, डिग्गी के बयानो को जानबूझकर हवा देना ताकि हिंदुओं की वाणी उसी मे बहकर हिन हो जाये….


3. हिन्दू संस्कृति मे दोष ढूँढना, अमरनाथ यात्रा को ढोंघ करार देना – फर्जी विज्ञानी को बुलाकर के अमरनाथ यात्रा का वैज्ञानिक बिन्दु देखना ताकि हिन्दू यह समझे की यह एक ढोंग है.


4. लंदन मे 4 लोग मारे तो उसे रोज दवाई की तरह दर्शकों को पिलानाऔर ठीक उसी समय मे मुरादाबाद मे भगवान शिव की यात्रा मे शामिल 4-5 हिन्दू मरे दंगो मे तो उसे बिलकुल भी नहीं बताना


5. केरल मे सत्ताधारी पार्टी के जिहादी युवक पाकिस्तानी पर्चे बांटे तो बड़ी बात नहीं है, लेकिन सुब्रमण्यम स्वामी के बयान बड़ी बात है…..


6. मुहम्मद के डेन्मार्क मे बने कार्टून का गुस्सा यहाँ के मुस्लिम कोल्हापुर और हुबली मे सरकारी संपत्ति और मुर्दे हिंदुओं पर हाथ साफ करें तो इस मीडिया की हेडलाइन होती है“इनका गुस्सा जायज है किसी के धर्म की भावनाओ के साथ खिलवाड़ उचित नहीं है “वही एक सांस्कृतिक आतंकवादी एम एफ हुसेन बहुसंख्यक (?) हिंदुओं के देवी देवताओ के नग्न चित्र बनाए और उसके प्रतिकृया मे बहुसंख्यक हिंदुओं के देश मे मुट्ठी भर संगठन विरोध करें तोमीडिया उन पर तोगड़िया टेग लगाकर हुसेन के प्रति अपनी हमदर्दी बताती है….


7. गोवा मे मंदिर की मूर्तियों पर पैशाब करके “ईसा की ताकत बताना” और मूर्तियाँ ईसाई तोड़े तो कोई बात नहीं….


केरल के मुस्लिम बहुल इलाकों मे मिशनरी के गुजरने मात्र से मौत मिले तो मीडिया मे कोई हेडलाइन / बात नहीं …..क्योंकि दोनों “मित्र समुंह″ का टकराव है


8. लेकिन एक मर्द हिन्दू उड़ीसा मे ईसाई मिशनरियों को उनके कुकृत्य पर जिंदा जलाए …..तो इस मीडिया की हेडलाइन होती है”देश मे हिन्दू कट्टरपंथ बढ़ रहा है“


9. हमेशा इन्हे व्यवस्था परिवर्तन करने निकले स्वामी रामदेव मे एक चोर, पाखंडी नजर आता है

10. हर रोज कम से कम 4-5 खबरे ऐसी होती है जहां कोई पुजारी किसी मंदिर मे बलात्कार करता है, कोई हिन्दू संत ढोंगी निकलता है, आसाराम हत्यारा निकलता है आरएसएस के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन होता है, ऐसी मीडिया जिसे सिर्फ हिन्दू के अंदर ही बलात्कारी, पाखंडी, चोर नजर आता हो वो कैसे लोगो को जगाएगी ? जब कोई देश की मीडिया किसी निजी संस्थानो के हाथो मे हो तो उससे किसी भी तरह की आशा रखना व्यर्थ है ….. वह तो सिर्फ अपने आकाओ के कहने पर अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए बहुसंख्यकों को बरगलाएगी…. ताकि हिन्दू ये खबरे पढ़ पढ़ कर के अपने आप को हीन समझने लगे और मिशनरियों के लिए धर्म परिवर्तन के लिए पहली सीढी तैयार हो जाये ….


११- यदि कोई मुस्लिम या ईसाई कोई हिंदू विरोधी किताब लिखे तो वो "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" और यदि कोई हिंदू लिखे तो अपराध


महानगरो मे “हिन्दू नास्तिको” (नपुंसको) की तादात बढ़ रही है गले मे क्रॉस शोभायमान है…. वाणी मे आधुनिक कंपनीतंत्र से प्रेरित सेकुलरवाद- -



अब तो यह कहने मे भी शर्म आती है की जागो हिंदुओं जागो । क्योंकि एक भाषण मात्र से ही यदा कडा सिर्फ एक हिन्दू की आँख खुलती है लेकिन बाकी जागते हुए भी अंदर सोये रहते है … जयचंदी का जिन कहीं न कहीं उनमे हिलोरे लेता है ….



इ बात का आप कभी घमंड न करें की आपकी संख्या 8० % हैं….. इसमे से आधे तो सेकुलर की औलादे हैबाकी वे जो मौन विरोध करतेहै लेकिन वोट नहीं देते है क्योंकि उन्हे अपना व्यापारिक समय प्यारा है ….


और जिस तरह से इस देश मे मुस्लिम जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है उस हिसाब से २०६० तक हिंदू इस देश मे अल्पसंख्यक हों जायेंगे ..

जागो हिंदू जागो अपने वोट की कीमत समझो !! अपने जाति और छेत्र को भूल कर एक नई सुबह के लिए तैयार हों जाओ ..



मीडिया को समझो बंधु मीडिया को … हमारे देश की मीडिया दुनिया की की सबसे बड़ी नीच मिडिया है !!

Saturday 26 May 2012

चचा जान नेहरु इस देश मे बूथ कैप्चरिंग का प्रथम मास्टर माइंड था


चचाजान नेहरु सिर्फ ऐयाश ही नही बल्कि भ्रष्ट भी था |

[३ जून १९८८ को नवभारत टाइम्स मे छपी खबर ]



मित्रों, जो "चचाजान " नेहरु हमारे उपर जबरजस्ती थोपे गए है , जबरजस्ती इसलिए क्योकि शायद नेहरु कांग्रेसियो के माँ के देवर लगते थे इसलिए उन्हें भारत का चचाजान बना दिया |

और हम आमिर खान के प्रोग्राम मे देखते ही है कि लोगो को ऐसे चचाजान और अंकल से सावधान रहने की हिदायत दी जाती है |


ये चचाजान नेहरु कितने भ्रष्ट थे और इनके अंदर लोकतंत्र के प्रति क्या भावना थी वो इस लेख से पता चलता है |

जवाहर लाल नेहरु देश मे हुए प्रथम आम चुनाव मे यूपी की रामपुर सीट से पराजित घोषित हो चुके कांग्रेसी प्रत्याशी मौलाना अबुल कलम आज़ाद को किसी भी कीमत पर जबरजस्ती जिताने के आदेश दिये थे |

उनके आदेश पर यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री पं गोविन्द वल्लभ पन्त ने रामपुर के जिलाधिकारी पर घोषित हो चुके परिणाम बदलने का दबाव डाला और इस दबाव के कारण प्रशासन ने जीते हुए प्रत्याशी विशन चन्द्र सेठ की मतपेटी के वोट मौलाना अबुल के पेटी के डलवाकर दुबारा मतगणना करवाकर मौलाना अबुल को जीता दिया |

मित्रों, ये रहस्योदघाटन यूपी के तात्कालीन सुचना निदेशक शम्भुनाथ टंडन ने अपने एक लेख मे किया है |

उन्होंने अपने लेख "जब विशन सेठ ने मौलाना आजाद को धुल चटाई थी ..भारतीय इतिहास की एक अनजान घटना " मे लिखा है की भारत मे नेहरु ही बूथ कैप्चरिंग के पहले मास्टर माइंड थे |

उस ज़माने मे भी बूथ पर कब्जा करके परिणाम बदल दिये जाते थे और देश के प्रथम आम चुनाव मे सिर्फ यूपी मे ही कांग्रेस के १२ हारे हुए प्रत्याशियों को जिताया गया | देश के बटवारे के बाद लोगो मे कांग्रेस और खासकर नेहरु के प्रति बहुत गुस्सा था लेकिन चूँकि नेहरु के हाथ मे अंतरिम सरकार की कमान थी इसलिए नेहरु ने पूरी सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करके जीत हासिल थी थी |

देश के बटवारे के लिए हिंदू महासभा ने नेहरु और गाँधी की तुष्टीकरण की नीति को जिम्मेदार मानते हुए देश मे उस समय जबरजस्त आन्दोलन चलाया था और लोगो मे नेहरु के प्रति बहुत गुस्सा था | इसलिए हिंदू महासभा ने कांग्रेस के दिग्गज नेताओ के खिलाफ हिंदू महासभा के दिग्गज लोगो को खड़ा करने का निश्चय किया था ..

इसीलिए नेहरु के खिलाफ फूलपुर से संत प्रभुदत्त ब्रम्हचारी और मौलाना अबुल के खिलाफ रामपुर से भईया विशन चन्द्र सेठ को लडाया गया |

नेहरु को भी अंतिम राउंड मे जबरजस्ती २००० वोट से जिताया गया |

वही सेठ विशन चन्द्र के पक्ष मे भारी मतदान हुआ और मतगणना के पश्चात प्रशासन ने बकायदा लाउडस्पीकरों से सेठ विशन चंद को १०००० वोट से विजयी घोषित कर दिया |

और फिर रामपुर मे हिंदू महासभा के लोगो ने विशाल विजयी जुलुस भी निकाला |

फिर जैसे ही ये खबर वायरलेस से लखनऊ फिर दिल्ली पहुची तो मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की अप्रत्याशित हार की खबर से नेहरु तिलमिला और तमतमा उठे | उन्होंने तुरंत यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री पं गोविन्द वल्लभ पन्त को चेतावनी भरा संदेश दिया की मै मौलाना की हार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नही कर सकता , अगर मौलाना को जबरजस्ती नही जिताया गया तो आप अपना इस्थीपा शाम तक दे दीजिए |

फिर पन्त जी ने आनन फानन मे सुचना निदेशक  [जो इस लेख के लेखक है ] शम्भूनाथ टंडन को बुलाया और उन्हें रामपुर के जिलाधिकारी से सम्पर्क करके किसी भी कीमत पर मौलाना अबुल को जिताने का आदेश दिया .. फिर जब शम्भुनाथ जी के कहा की सर इससे दंगे भी भडक सकते है तो इस पर पन्त जी ने कहा की देश जाये भांड मे नेहरु जी का हुकम है |


फिर रामपुर के जिलाधिकारी को वायरलेस पर मौलाना अबुल को जिताने के आदेश दे दिये गए |

फिर रामपुर के सीटी कोतवाल ने सेठ विशनचन्द्र के पास गया और कहा कि आपको जिलाधिकारी साहब बुला रहे है .. जबकि वो लोगो की बधाईयाँ स्वीकार कर रहे थे |

और जैसे ही जिलाधिकारी ने उनसे कहा कि मतगणना दुबारा होगी तो सेठ विशन चन्द्र ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा कि मेरे सभी कार्यकर्ता जुलुस मे गए है ऐसे मे आप बिना मतगणना एजेंट के दुबारा कैसे मतगणना कर सकते है ? लेकिन उनकी एक नही सुनी गयी .. और डीएम के साफ साफ कहा कि सेठ जी हम अपनी नौकरी बचाने के लिए आपकी बलि ले रहे है क्योकि ये नेहरु का आदेश है |

शम्भुनाथ टंडन जी ने आगे लिखा है कि चूँकि उन दिनों प्रत्याशियो के नामो की अलग अलग पेटियां हुआ करती थी और मतपत्र पर बिना कोई निशान लगाये अलग अलग पेटियों मे डाले जाते थे इसलिए ये बहुत आसान था कि एक प्रत्याशी के वोट दूसरे की पेटी मे मिला दिये जाये |

देश मे हुए प्रथम आमचुनाव की इसी खामी का फायदा उठाकर ऐसय्श नेहरु ने इस देश की सत्ता पर काबिज हुआ था और उस नेहरु ने इस देश मे जो भ्रष्टाचार के बीज बोये थे वो आज उसके खानदान के "काबिल" वारिसों के अच्छी तरह देखभाल करने की वजह के एक वटवृक्ष बन चूका है |

मुर्ख कांग्रेसियो मोदी को वैट कम करने के पहले अपनी नीच केन्द्र सरकार से कहो कि वो जो पेट्रोल पर ४२% विभिन्न टैक्स वसूलती है पहले उसे तो हटाये ..



गुजरात मे तो तो २३% वैट है .. आंध्रप्रदेश मे ४५% वैट है .. महाराष्ट्र मे ३२% वैट है ..

कल महाराष्ट्र के कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने साफ साफ कहा कि महाराष्ट्र वैट तभी कम करेगा जब केन्द्र गांरटी दे कि जितने का नुकसान होगा उतने की भरपाई करेगा |


पोती दादी को सीख दे और खुद मजे करे !!!
[राज्य पेट्रो प्रोडक्ट पर वैट कम करे ..केन्द्र नहीं करेगा !!]

सभी मुर्ख कांग्रेसी  पोस्ट कर रहे  है की गुजरात सरकार गैस और पेट्रोल पर राहत क्यों नहीं दे रही है ..


इसके लिए सबसे पहले टैक्स स्ट्रक्चर को समझना होगा ..केंद्र राज्य आयोग के नियम के तहत कुछ टैक्स केंद्र सरकार लेती है और कुछ टैक्स राज्य सरकार ..


लेकिन गैस और पेट्रोल पर २१% एक्साइज ,१३ इम्पोर्ट ड्यूटी ५% तेल के टेंकरों से पोर्ट टैक्स , तथा ७% रिफाइनरीग टैक्स खुद केंद्र सरकार वसूलती है .. राज्य सरकार ८% -३५ % वैट वसूलते है .. अब केंद्र सरकार खुद अपने द्वारा वसूलने वाले टैक्स में कोई राहत क्यों नहीं दे रही है ?? वो राज्यों को क्यो सीख दे रही है ?? इसका जबाब है आज १८ राज्यों में कांग्रेस सत्ता से बहार है और चार राज्यो में वो गठबंधन से सरकार चला रही है .. इसलिए उसने राज्य सरकारों को बदनाम करने के लिए ये सलाह दी है .. अगर कांग्रेस को जनता की चिंता होती तो वो खुद केंद्र सरकार द्वारा वसूले जाने वाले टैक्स को खत्म कर देती ..

अब रही बात गुजरात की .. सब जानते है की यहाँ शराब बंदी है .. दूसरे राज्य जहा शराब बिकती है वहाँ राज्य सरकारे २३% आबकारी कर तथा खरबो रूपये लाइसेन्स फ़ीस के रूप में वसूलती है .. दिल्ली , यूपी महाराष्ट्र या राजस्तान का कुल टैक्स क्लेक्शन का ४०% आय सिर्फ शराब से आता है .. इसलिए यदि ये राज्य पेट्रो प्रोडक्ट पर वैट खत्म भी कर दे तो इनकी आय पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा .. लेकिन गुजरात में सरकार के पास आय का सिर्फ वैट ही एक साधन है इसलिए यदि गुजरात सरकार पेट्रो प्रोडक्ट पर वैट घटाए तो फिर राज्य के विकास के उपर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ..

जब गुजरात में शराब बंदी का कानून कांग्रेस के शासन में लागू हुआ था तो एक समझौता केन्द्र और गुजरात सरकार के बीच में हुआ था .. जिसके तहत गुजरात सरकार के कुल खर्च का २१% केंद्र सरकार देगी .बदले में गुजरात सरकार को शराब बंदी लागू करना होगा ..

जब तक गुजरात में कांग्रेस की सरकार थी तब तक तो केंद्र ने अपना वायदा निभाया .. लेकिन अब गुजरात की मोदी सरकार कांग्रेस की आंख में रेती के कण की तरह चुभ रही है , इसलिए केंद्र की कांग्रेस सरकार ने अब समझौते को आगे बढाने से इंकार कर दिया .. ताकि राज्य के सारे विकास के कम रुक जाये और मोदी सरकार को बदनाम करने का मौका मिल जाये ..


लेकिन कांग्रेस ये मानती है की विकास के फंड में से करीब पचास प्रतिशत कांग्रेस के नेता खा जाते है जो गुजरात में नहीं होने पाता .. इसलिए अब उसने गुजरात सरकार की आय को कम करने के लिए एक नया शगूफा छोड़ा है ..


चलो एक पल को मान लेते है कि २१% वैट वसूलने वाली मोदी सरकार जनता को राहत नही दे रही है ..तो फिर ४६% टैक्स वसूलने वाली केन्द्र सरकार क्या सोनिया और राहुल के तलवे चाट रही है ?

आज अगर कांग्रेस चाहे तो गुजरात मे पचास रूपये प्रति लीटर पेट्रोल सस्ता हो सकता है .. फिर चोरों का सरदार अहमद पटेल क्यों नही कम करता ?

मुर्ख कांग्रेसियो दूसरे को सीख देने से अच्छा है कि तुम खुद उसे अमल करो . जनता अब तुम्हारी लुच्चाई समझ चुकी है



मीडिया मे बीजेपी मे अंदरूनी मतभेद वाली खबरे पलांट करवाने के पीछे असली दिमाक प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार और १० जनपथ के वफादार नस्लों मे सबसे वफादार लेब्रोडोर एनडीटीवी के पूर्व समाचार सम्पादक पंकज पचौरी उर्फ कचौरी और जनार्दन उर्फ जुतार्दन द्विवेदी का हाथ है |



मीडिया देश को ये बात क्यों नही बताती की कांग्रेस मे तो मालकिन और कुत्तों का रिश्ता है और कुत्ते कभी भी मलिक बनने का ख्याब नही देख सकते .. बीजेपी मे तो कोई भी ख्वाब देख सकता है ,, कांग्रेस मे तो एक खानदान के तलवे ही चाटने है ,, पूरी जिंदगी गुलामी और चाटुकारिता करके एक खानदान को खुश रखना है . कांग्रेस मे कोई कितना भी काबिल क्यों न हो क्या वो पार्टी प्रमुख बनने का ख्वाब देख सकता है ? क्या गुलामी को अनुशासन कहते है ?

नितिन गडकरी एक समय स्कूटर पर घूम घूम कर पर्ची बाटने का काम करते थे एक मामूली कार्यकर्ता से आज वो अध्यक्ष पद तक पहुचे है क्या कांग्रेस मे कोई सोच भी सकता है ?
कांग्रेस ने अपना मीडिया मैनेज बजट बढाकर तीन गुणा कर दिया क्योकि पांच साल पहले सिर्फ पांच छह कुत्तों को बोटी देनी पडती थी , आजकल तीस कुत्ते पैदा हो गए है |

मित्रों, जब सुषमा स्वराज ने मुंबई जाने के पहले ही कह दिया था कि उनका गाज़ियाबाद मे एक प्रोग्राम है इसलिए वो मुंबई कि रैली मे हाज़िर नही होंगी ,, और कल उन्होंने कई बार कहा कि  उनकी कोई नाराजगी नही है ..फिर भी इस देश कि नीच मीडिया पूरे दिन इस खबर को जबरजस्ती  चलाती रही कि सुषमा और अडवाणी नाराज है |

रैली के एक दिन पहले ही अडवाणी के गले मे इन्फेक्शन था ..क्या इन नीच मीडिया वालो को मालूम नहीं है कि ८४ साल कि उम्र मे क्या हर रोज इंसान स्वथ रहेगा ?


मित्रों, मेरे कई मित्र मीडिया मे है ,, उनके अनुसार जब कांग्रेस के हर रोज घोटले की खबरे मीडिया की सुर्खिया बनने लगी तो कांग्रेस हाईकमान ने सोनिया गाँधी के फेकी हुयी बोटी पर पलने वाले चैनेल एनडीटीवी के सम्पादक पंकज पचौरी को कोई योग्यता न होने के बावजूद भी प्रधानमंत्री का मुख्य मीडिया सलाहकार के पद पर नियुक्त किया |




पंकज पचौरी ने सोनिया गाँधी से कहा की चूँकि कांग्रेस के खिलाफ हर रोज मामले सामने आ रहे है और उसे दिखाना मीडिया की मजबूरी है इसलिए पंकज पचौरी और सोनिया गाँधी के मीडिया सलाहकार और कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जनार्दन द्विवेदी ने ये प्लान रचा की बीजेपी को बन्दं किया जाये

चूँकि कांग्रेस के भ्रस्टाचार से सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को मिलना है इसलिए उन्होंने मीडिया के भी बड़े दिगज्जो को दिल्ली बुलाया और उनके सामने करोडो रुपयों की आफर कर दी गयी .

प्लान ये बनाया गया की क्यों न बीजेपी को जनता के बीच मे इनता बदनाम कर दिया जाये की वो कांग्रेस की कमजोरी का फायदा न उठा सके | इसके लिए चैनेलों के मालिकों को मैनेज करने का काम पंकज पचौरी और जनार्दन द्विवेदी को और अखबारों के मालिकों को मैनेज करने का काम हिंदुस्तान के सम्पादक विनोद शर्मा, आलोक मेहता, और अहमद पटेल को सौपा गया |


इसी क्रम मे गुजरात के सबसे नीच अखबार गुजरात समाचार के मलिक शांति लाल शाह को पद्म विभूषण से नवाजा गया .. संदेश अखबार के मालिकों की बीस हज़ार करोड की प्रोजेक्ट एप्पल व्वुड्स जो कई सालो से लम्बित थी उसे पर्यवरण मंत्री जयराम रमेश की असहमति के बगैर अहमद पटेल ने हरी झंडी दिलवा दी |

पिछले दो महीने से मीडिया मे चली झूठी और कांग्रेस के ईशारे पर प्लोंतेड खबरे :-
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१- मोदी जी अडवाणी की रथ यात्रा के खिलाफ है और मोदी जी उससे अलग रहेंगे ..जबकि मोदी जी अडवाणी के गुजरात मे प्रवेश द्वारा भिलाद मे स्वागत करने पहुचे थे .. और पूरे गुजरात साथ साथ रहे

२- मोदी और अरुण जेटली मे मतभेद है और इस बार मोदी जेटली को गुजरात से राज्यसभा मे नही भेजेंगे जबकि ये खबर पूरी तरह झूठी साबित हुई |

३- मोदी जी के उपवास कार्यक्रम मे अडवाणी और सुषमा स्वराज नही आयेंगे जबकि न सिर्फ दोनों आये बल्कि भाषण मे मोदी को प्रधानमंत्री बनने की वकालत की .

४- सुषमा और जेटली मे बोलचाल बंद है .ये खबर भी पूरी तरह झूठी साबित हुई

मित्रों, असल मे ये कांग्रेस की एक सोची समझी रणनीति है और इस गंदे खेल मे मीडिया पूरी तरह कांग्रेस के हाथो बिक चुकी है |

लेकिन एक कहावत है कि हाथी चुपचाप चलती रहती है और कुत्ते भौकते रहते है |


इन मीडिया के कुत्तों को भौकने दो क्योकि ये जितना भौकेंगे मैडम उनके आगे उतनी ही बड़ी हड्डी फेकेगी |

अब इस देश कि जनता इतनी जागरूक हो चुकी है कि उसे इस देश कि कुत्ती और नीच मीडिया बरगला नही सकती .. पिछले पांच सालो मे इस देश मे जितने भी चुनाव हुए भी मे कांग्रेस को मुंह कि खानी पड़ी ..क्योकि इस देश कि जतना अब मीडिया और कांग्रेस के बीच हुए गंदे गठजोड़ को समझ चुकी है |

कुछ मुर्ख कांग्रेसी अपने वाल पर संजय जोशी के इस्थिपे को लेकर अपनी छाती कूट रहे है ... इन मूर्खो और इटली की मालकिन के पालतू कुत्तों को क्या सीताराम केसरी याद है की नहीं ?


देखिये इस तस्वीर को जब सोनिया गाँधी से त्रस्त होकर सीताराम केसरी अपने से उम्र के कई साल छोटे नरसिम्हा राव के कदमो मे झुकना पड़ा था ..फिर भी नरसिम्हा राव उन्हें सोनिया के कहर से नही बचा सके |


मित्रों, सीताराम केसरी जब पांच साल के थे तब चम्पारण मे महात्मा गाँधी के सत्यग्रह से प्रभावित होकर कांग्रेसी बन गए .. हलाकि वो दलित थे और दूसरे दलित नेता उनको समझते थे की नीच कांग्रेस कभी दलितो को बड़े पद पर असिन नही होने देगी .. बाबू जगजीवन राम का इस नीच कांग्रेस ने क्या हाल किया वो पूरी दुनिया ने देखा |

बेचारे सीताराम केसरी बिहार से ट्रेन के जनरल डिब्बे मे बैठकर दिल्ली नेहरु से मिलने आते थे . फिर बाद मे उन्हें कांग्रेस का कोषाध्यक्ष बनाया गया | उन्होंने अपने काम को इतनी ईमानदारी से निभाया की उनके बारे मे कहा जाने लगा " न खाता न बही .. जो केसरी कहे वही सही "

फिर जब राजीव गाँधी की हत्या के बाद सोनिया गाँधी ने राजनीती मे न आने की कसम खायी और बयान दिया कि अपने बच्चों के हाथ मे भीख का कटोरा पकड़ा दूंगी लेकिन मै और मेरे बच्चो को कभी राजनीती मे नही आने दूंगी | तो नरसिम्हा राव ने सीताराम केसरी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया | सीताराम केसरी पहले दलित थे जो कांग्रेस के अध्यक्ष बने | कांग्रेस के सम्विधान के अनुसार अध्यक्ष का कार्यकाल पांच साल का होता है |

लेकिन मित्रों, जिस खानदान को खून पीने की आदत हो उस खानदान के ड्रेकुला और पिचास बिना खून पिए आखिर कब तक चैन से बैठ सकते है ?

जो सोनिया कहती थी कि वो अपने बच्चो के हाथ मे कटोरा दे देंगी लेकिन राजनीती मे नही आएँगी .. सिर्फ दो साल के बाद ही उनके अंदर राजनीती मे आने की चूल मचने लगी .. असल मे जब जब वो स्विस बैंक का अकाउंट देखती थी तो सोचती थी ये कम हो रहा है और इसे भरने के लिए इस देश को लूटना ही पडेगा |

फिर उन्होंने कहा की को अब कांग्रेस का अध्यक्ष बनेंगी .. इस पर सीताराम केसरी ने कहा की मैडम मेरा कार्यकाल तो पूरा हो जाने दीजिए अभी तीन साल बचे है लेकिन इस कांग्रेस ने एक कर्मठ, दलित सीताराम केसरी को बुरी तरह बेइज्जत करके लात मारकर बाहर फेक दिया |

सीताराम केसरी को इस्थीपा देने के लिए दो दिन का टाइम मैडम ने दिया जब उन्होंने नही दिया तो मैडम सोनिया ने कांग्रेस कार्यकारिणी की आपात बैठक बुलाकर सीताराम केसरी को अध्यक्ष पद से बर्खास्त करवा दिया |

उस समय टीवी पर पूरे देश ने एक बुजुर्ग दलित जो ८० साल से कांग्रेस की सेवा किया उसे फूट फूट कर रोते देखा . और उन्होंने कहा कि काश वो बाबा साहब अम्बेडकर की बात मान लेते कि कांग्रेस न अभी दलितो की हितैषी है न कभी थी और न कभी रहेगी |

मित्रों जब सीताराम केसरी का निधन हुआ तो सोनिया तो दूर कोई बही कांग्रेसी उनको श्रद्धांजलि देने तक नही गया |

आज जहां जहा राजीव गाँधी पेशाब तक किये है वहाँ वहाँ कांग्रेस ने स्मारक बनवा दिया लेकिन आज पूरे देश के किसी भी कांग्रेस दफ्तर मे कांग्रेस के पहले दलित अध्यक्ष सीताराम केसरी का फोटो तक नही है |

इतना ही नही सोनिया गाँधी को इस बात का किस कदर गुस्सा था कि आखिर इसने मेरा आदेश क्यों नही माना  .. सोनिया गाँधी ने सीताराम केसरी के बच्चो को कही का नही छोड़ा .. उनके सामान सरकारी आवास से फेक दिये गए ..चुकी सीताराम केसरी पूरी जिंदगी ईमानदार रहे इसलिए बेचारे दिल्ली मे एक कमरे का फ़्लैट तक नही खरीद सके ..

आज उनके बच्चे बिहार मे गुमनामी के काले अँधेरे मे खो गए |

मित्रों, इस देश की नीच और  भांड मीडिया मैडम से बोटी मिलने की आस मे कभी ये सब नही बताएगी | लेकिन जो जो कुछ इस देश मे घटा है उसे सोनिया चाह कर भी बदल नही सकती

Friday 25 May 2012

एनडीटीवी का मलिक प्रणव रॉय कांग्रेस का घोषित दलाल है

इस फोटो को देखिये फिर आप अपने आप समझ जायेंगे की आखिर एनडीटीवी बीजेपी और खासकर मोदी जी के खिलाफ हमेशा झूठी खबरे बना कर उन्हें बदनाम करने की कोशिस क्यों करता रहता है |

एनडीटीवी के भांड एंकर मोदी मोदी कह कर अपनी छाती क्यों कूटते रहते है ? असल मे उनसे छाती कूटवाई जाती है |


जिसे कोई नही पूछता और जो आज अपने सगे भाई के हत्यारों की गोद मे बैठी है ऐसी महिला शबनम हाशमी को सिर्फ एनडीटीवी ही अपने डिबेट मे क्यों बुलाता है ?

कांग्रेस के ईशारे पर भारत की भांड, नीच और बिकाऊ मीडिया बीजेपी मे अंतर्कलह की झूठी खबरे दिखा रही है ..

इनमे सबसे आगे एनडीटीवी है ..

सब जानते है की एनडीटीवी के मलिक प्रणव राय पर कुल पांच केस दर्ज है जिनकी जाँच सीबीआई कर रही है |

दूरदर्शन को १२०० करोड का चुना लगाने वाले एनडीटीवी के मलिक प्रणव रॉय के खिलाफ सीबीआई ने केस इसलिए बंद कर दिया क्योकि सुबूत तो मिले लेकिन गवाह नहीं !!

जबकि असल मे कांग्रेस और प्रणव रॉय मे समझौता हो गया की कांग्रेस प्रणव रॉय के आगे बोटी फेकती रहेगी और उन्हें सभी घोटालों से बचा लेगी बदले मे प्रणव रॉय बीजेपी और खासकर भोदू युवराज की राह मे चट्टान की तरह अडिग मोदी जी के खिलाफ झूठी प्रोपेगंडा करते रहेंगे

अगर कांग्रेस झूठी है तो वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी महाझूठा है



कांग्रेस के सभी प्रवक्ता सिर्फ और सिर्फ सोनिया और राहुल गाँधी के पालतू कुत्ते है इससे ज्यादा अक्ल उनके पास नही है |

आखिर ये देश की जनता से झूठ क्यों बोल रहे है कि तेल की कीमते बढाने से सरकार का कोई लेना देना नही है और ये बढोत्तरी तेल कम्पनियों ने अपने मर्जी से किया है ..

अगर ऐसा है तो फिर संसद के बजट सत्र के दरमियान तेल की कीमते क्यों नही बढाई गयी ?

जब यूपीए के डिनर मे सोनिया, अहमद पटेल, आदि बीफ और पोर्क के बोर्बेकिउ स्लाइस का मजा उड़ा रहे थे ..देश की आधी जनसंख्या भूखे मर रही है और ये जश्ने हलाल मना रहे थे ..तब डिनर के समय क्यों नही तेल की मूल्यवृद्धि क्यों नही की गयी ?

जब पांच राज्यों मे चुनाव थे तब तेल कम्पनियों ने कीमते क्यों नही बढाई ?

इंडियन आयल के चेयरमैन ने खोली सरकार की पोल ::
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कांग्रेस के मंत्री और खुद मनमोहन सिंह का झूठ आज आई ओ सी के चेयरमैन ने बेनकाब कर दिया .. कांग्रेस पार्टी झूठ हमेशा बोलती है ..लेकिन इस देश के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को इस देश की जनता से झूठ कैसे बोला जा सकता है ..सरकार बार बार कहती है कि तेल की कीमतों पर उसका वश नहीं है ..लेकिन जब एक पत्रकार परिषद मे पत्रकारों ने आई ओ सी के चेयरमैन से पेट्रोल के भाव वृद्धि के बारे मे कई चुभते सवाल पूछने शुरू कर दिए तब उन्होंने साफ़ कर दिया कि

आई ओ सी कोई प्राइवेट कंपनी नहीं है ..

इसका सम्पूर्ण मलिकी भारत सरकार के हाथ मे है

पेट्रोलियम मंत्री और वित्त मंत्री इसके पदेन  निदेशक है

अगर सरकार कहे तो हम आज पेट्रोल की कीमत घटा दे .

उन्होंने साफ कर दिया की पेट्रो पदार्थों के दाम घटाने या बढ़ाने का निर्णय लेने का सत्ता किसी भी तेल कंपनी के पास नहीं है....केबिनेट [EGoM] ही तेल की कीमते निर्धारित करता है ..

फिर जब एक पत्रकार ने सवाल किया कि प्रणव मुखर्जी तो कह रहे है सरकार नहीं बल्कि तेल कम्पनिय दाम बढाती है....इस पर उन्होंने कहा कि जो भी ऐसा बोलता है वो झूठ बोल रहा है ..

मित्रों इस बारे मे दो महीने पहले ही टाइम्स नाउ ने एक आर टी आई करके पेट्रोलियम मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से ये पूछा था कि

१- तेल की कीमतों पर अंतिम निर्णय लेने का किसे अधिकार है ?

२- क्या कोई भी तेल कम्पनी को तेल की कीमते निर्धारित करने का अधिकार है ?

३- सरकार ने तेल उत्पादक देशों को कितनी क्रूड पूल गारंटी ओपेक के द्वारा दी है ?

जबाब खुद कांग्रेस के सफेद झूठ को बेनकाब कर दिया . इस जबाब की कॉपी चैनेल ने बकायदा टेलीकास्ट किया था ..
जबाब था .

१- तेल की कीमतों पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकर सिर्फ केबिनेट के पास है .

२- कोई भी तेल कंपनी अपने मर्जी से भाव निर्धारित नहीं कर सकती .
३- सरकार ने ४०० बिलियन डॉलर क्रूड गारंटी ओपेक को एडवास मे दी है ..जिससे आज भी सरकार को क्रूड सिर्फ साठ डोलर प्रति बैरेल मे मिलता है ..

यानि अन्तराष्ट्रीय मार्केट मे क्रूड के दर मे वृद्धि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता ..क्योकि सरकार एडवांस मे ही ओपेक से क्रूड बुक करवा लेती है .
यानी  मित्रों ये नीच कांग्रेसऔर इसके मंत्री पूरे देश को बरगलाने का काम कर रहे है |

पुरे देश के मुख्यमंत्रियों को विकास पुरुष मोदी जी से सीख लेनी चाहिए - फारुक अब्दुला



आज संसद में एक सवाल के जबाब में वैकल्पिक और रिनेवेबल उर्जा मंत्री फारुख अब्दुल्ला ने पुरे आधे घंटे तक मोदी जी की तारीफ की और उन्हे विकास पुरुष बताया ..

फारुख अब्दुल्ला ने कहा की जिस तरह से मोदी जी ने गुजरात में नर्मदा कैनाल के उपर सोलर पैनल लगाकर आठ मेगावाट बिजली की परियोजना पूरी की है उसकी परिकल्पना सही मायनो में एक विकास पुरुष ही कर सकता है |

मित्रों जब संसद में फारुख अब्दुल्ला नरेंद्र मोदी जी की तारीफ कर रहे थे तो उनके ठीक बगल में कानून मंत्री सलमान खुर्शीद बैठे थे लेकिन उनका चेहरा देखने जैसा हो गया था .जैसे किसी की जवान बेटी अपने नौकर के साथ भाग गयी हो |

फारुख अब्दुल्ला ने कहा की इस परियोजना से कई फायदे होंगे .. जैसे कैनाल का पानी धुप से वाष्पीकृत होकर नही उड़ेगा ,सोलर पैनल लगाने के लिए जमीन बर्बाद नही होगी . और सोलर पनेल की धुलाई के लिए दूर दराज से पानी नही लाना पडेगा | फारुख अब्दुल्ला ने आगे कहा की उन्होंने देश के सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर गुजरात की इस परियोजना को देखने और इसको अपने राज्य में लगाने का अपील किया है |

अब्दुला ने कहा की आखिर ये आइडिया इसके पहले किसी और के दिमाग में क्यों नही आया ? कोई विकास पुरुषके दिमाग में ही विकास के ऐसे इनोवेटिव आइडिया आ सकते है |

फारुख अब्दुला यही तक नही रुके उन्होंने कहा की सूरज और हवा पुरे देश को बराबर मिलता है फिर भी सोलर एनर्जी और विंड एनर्जी का ९८% अकेले सिर्फ गुजरात देता है बाकि राज्य इस फिल्ड में बहुत बहुत पीछे है |

मित्रों फारुक अब्दुला जब बोल रहे थे तब केन्द्र के दूसरे मंत्रियो के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी जैसे सब सोच रहे थे की इस देश में मोदी की तारीफ करना एक तरह से राजद्रोह और संघीय अपराध है फिर भी फारुख तारीफ किये जा रहे है | लेकिन शेर किसी कुत्तों की तारीफ का मोहताज नही होता |

मित्रों, जैसा की सब जानते है की सोनिया गाँधी ने सभी मंत्रियो को बकायदा आदेश देकर कहा है की कोई भी मोदी जी और गुजरात की तारीफ नही करेगा ..लेकिन चूँकि फारुख अब्दुल्ला नेशनल कोंफ्रेंस के है इसलिए सोनिया का आदेश उन्होंने नही माना |

इसमें पहले प्रधानमन्त्री ने गुजरात को लगातार पांचवी बार ग्राउंड वाटर रिचार्जेबल सिस्टम्स , ग्राउंड वाटर टेबल को बढाने के छेत्र में प्रधानमंत्री का बेस्ट एवार्ड मिला लेकिन प्रधानमंत्री ने ये एवार्ड चुपचाप दिया और संसद में इसका उल्लेख तक नही किया जबकि आजतक ये परम्परा रही है की प्रधानमंत्री का बेस्ट एवार्ड का उल्लेख संसद में किया जाता है लेकिन मोदिफोबिया से पीड़ित सोनिया गाँधी ने सारी परम्पराए तोड़ दी |

संसद मे कालेधन पर केन्द्र सरकार का श्वेत पत्र .. सिर्फ ये कागज चटनी रखने के काम या जिसको आउल बाबा की बीमारी हो वो इसकी बत्ती बनाकर ..... डाल सकता है ..




इससे ज्यादा इस श्वेतपत्र की कोई अहमियत नही है |

आखिर सरकार कालेधन रखने वालो का नाम क्यों नही सार्वजनिक करती ?

क्योकि पहला नाम राजीव गाँधी ,का है जिसमे ऑपरेटिंग पर्सन का नाम राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी लिखा है ..

दूसरा नाम राष्ट्रिय दामाद राबर्ट वढेरा का है |

मित्रों, ये सरकार इस देश से झूठ बोल रही है की ये एक ऐसे समझौते से बंधी है जिसमे ये स्विस सरकार के द्वारा दिये गए लिस्ट को सार्वजनिक नही कर सकती |

स्विस सरकार ने ऐसी ही लिस्ट अमेरिका, पाकिस्तान, फ्रांस , चीन, रूस और जर्मनी को भी दिए , लेकिन उन देशो ने तो अपनी लिस्ट सार्वजनिक कर दी .फिर भारत सरकार क्यों नही कर रही है ?

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कालेधन के मामले पर राष्ट्रपति आसिफअली जरदारी को बचाने की कोशिश किये और नतीजा हमारे सामने है .. वो आज अदालत के चक्कर लगा रहे है ..

अगर सरकार ने ऐसे किसी एग्रीमेंट पर दस्तखत किये है तो वो एग्रीमेंट देश के सामने क्यों नही दिखाए जाते ?

चीन ने दस लोगो को स्विस बैंक मे गैरक़ानूनी ढंग से पैसे भेजने के आरोप मे फांसी दे दी .. और भारत सरकार उनका नाम भी जाहिर करने से डर रही है ?

सोचिये अगर किसी बीजेपी या दूसरे पार्टी के नेताओ का नाम होता तो क्या सरकार अब तक चूप रहती ? आखिर केन्द्र सरकार क्यों चूप है ? क्योकि सोनिया गाँधी, राजीव गाँधी के काले चेहरे इस देश के सामने बेनकाब हो जायेंगे |

दुनिया की सबसे भ्रष्ट राष्ट्रपति भारत की प्रतिभा पाटिल है


मित्रों क्या आप जानते है की शांत स्वभाव और साफसुथरे व्यक्तित्व के लिये जानी जाने वाली भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल चीनी मिल में ड्रग स्मगलिंग से लेकर कई बैंक घोटाले, जमिन घोटाले और हत्यारे भाई को सरंक्षण देने जैसे गंभीर गुनाहों में डूबी हुई है ? जानिये और शेयर कीजिये प्रतिभा का काला सच:


1. प्रतिभा महिला सहकारी बैंक जिसे उन्होंने 1973 में अन्य महिलाओं के लिए अपने नाम से स्थापित किया था 1995 में भारतीय रिजर्व बैंक ने इसे "कमजोर बैंक" की सूची में शामिल कर लिया। उन्होंने अपने परिवार के कई लोगों को इसमें निदेशक बनाया। प्रतिभा पाटिल अंत तक इसकी संस्थापक अध्यक्ष बनी रहीं और रिश्तेदारों कों करोडो के कर्ज बाटकर घोटाले किये।
http://panchjanya.com/arch/2007/7/8/File7.htm

2. प्रतिभा पाटिल मुंबई के श्रम साधना ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी हैं। ट्रस्ट ने महाराष्ट्र में अपने द्वारा संचालित पॉलिटेक्निक से 2001 से 2003 के बीच 4.16 करोड़ रुपये निकाले जो नियमों का खुला उल्लंघन है। यह रकम इंस्टिट्यूट के विकास में इस्तेमाल की जानी चाहिए थी।'
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/2161853.cms

3. प्रतिभा के चेयरमन रहते हुये संत मुक्ताबाई चीनी मिल में ड्रग्स स्मगलिंग नेटवर्क पाया गया था, इस मिल में प्रतिभा ने काई घोटाले भी किये और मिल ने बैंक से लिया हुआ कर्ज भी डूबा दिया.
http://hindustan.org/forum/showthread.php?t=3639
http://hindi.webdunia.com/news/news/national/0706/23/1070623001_1.htm
http://panchjanya.com/arch/2007/7/8/File7.htm

4. कांग्रेस नेता व्ही.जी. पाटिल के हत्यारे अपने भाई को बचाने के लिए प्रतिभा ने राष्ट्रपति पद का दुरुपयोग किया था.
http://www.moneycontrol.com/news/politics/pratibha-patil-the-truth-behindallegations_289566.html
http://hindi.in.com/showstory.php?id=14429

5. राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल की विदेश यात्राओं में सरकारी खजाने का करीब 205 करोड रूपया खर्च हो गया। यह एक रिकॉर्ड बन गया है। खर्च का ब्यौरा आरटीआई से हुआ है। प्रतिभा पाटिल ने अपने कार्यकाल में 12 विदेश यात्राएं कीं। इन विदेश यात्राओं के दौरान वह 79 दिन तक विदेशों में रहीं। उन्होंने सरकारी खजाने से अपने कई रिश्तेदारों कों भी विदेश यात्राए करवाई.
http://www.khaskhabar.com/editors-pick/National-pratibha-patil-foreignh-tours-2254709.html
http://articles.economictimes.indiatimes.com/2012-03-25/news/31236682_1_foreign-trips-president-pratibha-patil-foreign-visits

6. राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के रिटायरमेंट निवास के लिए पुणे में सैनिकों की 5 एकड़ से अधिक 2.60 लाख रुपए वर्ग फुट की कीमत वाली जमीन आबंटित कर दी गई । प्रतिभा पाटिल पर आरोप है कि बंगला बनाने के लिए उन्होंने तय सीमा से 6 गुना अधिक सेना की जमीन कथित रूप से ‘हथिया’ ली। बाद में विवाद के चलते प्रतिभा अपना फैसला बदल लिया.
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/12634979.cms
http://economictimes.indiatimes.com/news/politics/nation/President-Pratibha-Patil-gives-up-post-retirement-home-in-Pune/articleshow/12901250.cms

7. प्रतिभा पाटिल एक जमाने में इंदिरा गांधी के घर रसोई बनाने का काम करती थी. नेहरू-गांधी परिवार की वफादार होनी के नाते सोनिया गांधी ने उन्हें भारत का राष्ट्रपति बना दिया.
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/7461664.cms
http://economictimes.indiatimes.com/articleshow/7460425.cms

8. प्रतिभा पाटिल और उनके पारिवारिक सदस्यों की अंडमान-निकोबार द्वीप की तीन दिवसीय यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए सैकड़ों पेड़ों को बलि चढ़ा दिया गया। राष्ट्रपति के हेलिकॉप्टर के लिए हेलीपेड बनाने में 400 से ज्यादा पेड़ काट दिए गए। पोर्ट ब्लेयर में विमानतल से राज निवास के बीच कम से 60 पेड़ इसलिए बलि चढ़ गए, क्योंकि ये जहाँ राष्ट्रपति ठहरेंगी, वहाँ से बीच का नजारा देखने में बाधा खड़ी करते।
http://www.dnaindia.com/india/report_400-trees-chopped-down-for-presidents-visit_1141498

9. राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से जुड़े अन्य गुनाहों की जानकारी के लिए पढ़े:
http://www.thepunjabkesari.com/blog.aspx?blog_id=295