Friday 20 April 2012

नकली गाँधी खानदान | गयासुद्दीन गाजी के वंशज By दिनेश चंद्र मिश्र [प्रत्रकार अमर उजाला ]



जम्मू-कश्मीर में आए महीनों हो गए थे, एक बात अक्सर दिमाग में खटकती थी कि अभी तक नेहरू के खानदान का कोई क्यों नहीं मिला, जबकि हमने किताबों में पढ़ा था कि वह कश्मीरी पंडित थे। नाते-रिश्तेदार से लेकर दूरदराज तक में से कोई न कोई नेहरू खानदान का तो मिलना ही चाहिए था। नेहरू राजवंश कि खोज में सियासत के पुराने खिलाड...िय़ों से मिला लेकिन जानकारी के नाम पर मोतीलाल नेहरू के पिता गंगाधर नेहरू का नाम ही सामने आया। अमर उजाला दफ्तर के नजदीक बहती तवी के किनारे पहुंचकर एक दिन इसी बारे में सोच रहा था तो ख्याल आया कि जम्मू-कश्मीर वूमेन कमीशन की सचिव हाफीजा मुज्जफर से मिला जाए, शायद वह कुछ मदद कर सके।

अगले दिन जब आफिस से हाफीजा के पास पहुंचा तो वह सवाल सुनकर चौंक  गई। बोली पंडित जी आप पंडित नेहरू के वंश का पोस्टमार्टम करने आए हैं क्या? कश्मीरी चाय का आर्डर देने के बाद वह अपने बुक रैक से एक किताब निकाली, वह थी रॉबर्ट हार्डी एन्ड्रूज कि किताब "ए लैम्प फार इंडिया- द स्टोरी ऑफ मदाम पंडित।" उस किताब मे तथाकथित गंगाधर का चित्र छपा था, जिसके अनुसार गंगाधर असल में एक सुन्नी मुसलमान थे जिनका असली नाम था गयासुद्दीन गाजी।

इस फोटो को दिखाते हुए हाफीजा ने कहा कि इसकी पुष्टि के लिए नेहरू ने जो आत्मकथा लिखी है, उसको पढऩा जरूरी है। नेहरू की आत्मकथा भी अपने रैक से निकालते हुए एक  पेज को पढऩे को कहा।  इसमें एक जगह लिखा था कि उनके दादा अर्थात मोतीलाल के पिता गंगाधर थे। इसी तरह जवाहर की बहन कृष्णा ने भी एक जगह लिखा है कि उनके दादाजी मुगल सल्तनत बहादुरशाह जफर के समय में नगर कोतवाल थे। अब इतिहासकारो ने खोजबीन की तो पाया कि बहादुरशाह जफर के समय कोई भी हिन्दू इतनी महत्वपूर्ण ओहदे पर नहीं था। और खोजबीन करने पर पता चला कि उस वक्त के दो नायब कोतवाल हिन्दू थे नाम थे भाऊ सिंह और काशीनाथ जो कि लाहौरी गेट दिल्ली में तैनात थे। लेकिन किसी गंगाधर नाम के व्यक्ति का कोई रिकार्ड  नहीं मिला है। नेहरू राजवंश की खोज में मेहदी हुसैन की पुस्तक बहादुरशाह जफर और 1857 का गदर में खोजबीन करने पर मालूम हुआ। गंगाधर नाम तो बाद में अंग्रेजों के कहर के डर से बदला गया था, असली नाम तो था गयासुद्दीन गाजी। जब अंग्रेजों ने दिल्ली को लगभग जीत लिया था तब मुगलों और मुसलमानों के दोबारा विद्रोह के डर से उन्होंने दिल्ली के सारे हिन्दुओं और मुसलमानों को शहर से बाहर करके तम्बुओं में ठहरा दिया था। जैसे कि आज कश्मीरी पंडित रह रहे हैं। अंग्रेज वह गलती नहीं दोहराना चाहते थे जो हिन्दू राजाओं-पृथ्वीराज चौहान ने मुसलमान आक्रांताओं को जीवित छोडकर की थी, इसलिये उन्होंने चुन-चुन कर मुसलमानों को मारना शुरु किया। लेकिन कुछ  मुसलमान दिल्ली से भागकर पास के इलाकों मे चले गये थे। उसी समय यह परिवार भी आगरा की तरफ कूच कर गया। नेहरू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि आगरा जाते समय उनके दादा गंगाधर को अंग्रेजों ने रोककर पूछताछ की थी लेकिन तब गंगाधर ने उनसे कहा था कि वे मुसलमान नहीं हैं कश्मीरी पंडित हैं और अंग्रेजों ने उन्हें आगरा जाने दिया बाकी तो इतिहास है ही। यह धर उपनाम कश्मीरी पंडितों में आमतौर पाया जाता है और इसी का अपभ्रंश होते-होते और धर्मान्तरण होते-होते यह दर या डार हो गया जो कि कश्मीर के अविभाजित हिस्से में आमतौर पाया जाने वाला नाम है। लेकिन मोतीलाल ने नेहरू उपनाम चुना ताकि यह पूरी तरह से हिन्दू सा लगे। इतने पीछे से शुरुआत करने  का मकसद सिर्फ  यही है कि हमें पता चले कि खानदानी लोगों कि असलियत क्या होती है।


आनंद भवन नहीं इशरत मंजिल:

एक कप चाय खत्म हो गयी थी, दूसरी का आर्डर हाफीजा ने देते हुए के एन प्राण कि  पुस्तक द नेहरू डायनेस्टी निकालने के बाद एक पन्ने को पढऩे को दिया। उसके अनुसार जवाहरलाल मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे और मोतीलाल के पिता का नाम था गंगाधर। यह तो हम जानते ही हैं कि जवाहरलाल की एक पुत्री थी इन्दिरा प्रियदर्शिनी नेहरू । कमला नेहरू उनकी माता का नाम था। जिनकी मृत्यु स्विटजरलैण्ड में टीबी से हुई थी। कमला शुरु से ही इन्दिरा के फिरोज से विवाह के  खिलाफ थीं क्यों यह हमें नहीं बताया जाता। लेकिन यह फिरोज गाँधी कौन थे? फिरोज उस व्यापारी के बेटे थे जो आनन्द भवन में घरेलू सामान और शराब पहुँचाने का काम करता था। आनन्द भवन का असली नाम था इशरत मंजिल और उसके मालिक थे मुबारक अली। मोतीलाल नेहरू पहले इन्हीं मुबारक अली के यहाँ काम करते थे। सभी जानते हैं की राजीव गाँधी के नाना का नाम था जवाहरलाल नेहरू लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के  नाना के  साथ ही दादा भी तो होते हैं। फिर राजीव गाँधी के दादाजी का नाम क्या था? किसी  को  मालूम नहीं, क्योंकि राजीव गाँधी के दादा थे नवाब खान। एक मुस्लिम व्यापारी जो आनन्द भवन में सामान सप्लाई करता था और जिसका मूल निवास था जूनागढ गुजरात में। नवाब खान ने एक पारसी महिला से शादी की और उसे मुस्लिम बनाया। फिरोज इसी महिला की सन्तान थे और उनकी माँ का उपनाम था घांदी (गाँधी नहीं) घांदी नाम पारसियों में अक्सर पाया जाता था। विवाह से पहले फिरोज गाँधी ना होकर फिरोज खान थे और कमला नेहरू के विरोध का असली कारण भी यही था। हमें बताया जाता है कि फिरोज गाँधी पहले पारसी थे यह मात्र एक भ्रम पैदा किया गया है। इन्दिरा गाँधी अकेलेपन और अवसाद का शिकार थीं। शांति निकेतन में पढ़ते वक्त ही रविन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें अनुचित व्यवहार के लिये निकाल बाहर किया था। अब आप खुद ही सोचिये एक तन्हा जवान लडक़ी जिसके पिता राजनीति में पूरी तरह से व्यस्त और माँ लगभग मृत्यु शैया पर पड़ी हुई हों थोड़ी सी सहानुभूति मात्र से क्यों ना पिघलेगी?

इंदिरा गांधी या मैमूना बेगम:

इसी बात का फायदा फिरोज खान ने उठाया और इन्दिरा को बहला-फुसलाकर उसका धर्म परिवर्तन करवाकर लन्दन की एक मस्जिद में उससे शादी रचा ली। नाम रखा मैमूना बेगम। नेहरू को  पता चला तो वे बहुत लाल-पीले हुए लेकिन  अब क्या किया जा सकता था। जब यह खबर मोहनदास करमचन्द गाँधी को  मिली तो उन्होंने नेहरू को  बुलाकर समझाया। राजनैतिक छवि की  खातिर फिरोज को  मनाया कि वह अपना नाम गाँधी रख ले, यह एक  आसान काम  था कि एक  शपथ पत्र के जरिये बजाय धर्म बदलने के  सिर्फ  नाम बदला जाये तो फिरोज खान घांदी बन गये फिरोज गाँधी। विडम्बना यह है कि सत्य-सत्य का जाप करने वाले और सत्य के  साथ मेरे प्रयोग नामक आत्मकथा लिखने वाले गाँधी ने इस बात का उल्लेख आज तक नहीं नहीं किया। खैर, उन दोनों फिरोज और इन्दिरा को  भारत बुलाकर जनता के सामने दिखावे के लिये एक बार पुन: वैदिक  रीति से उनका विवाह करवाया गया ताकि  उनके  खानदान की ऊँची नाक का भ्रम बना रहे। इस बारे में नेहरू के सेकेरेटरी एम.ओ. मथाई अपनी पुस्तक प्रेमेनिसेन्सेस ऑफ  नेहरू एज (पृष्ठ 94 पैरा 2 (अब भारत में प्रतिबंधित है किताब) में लिखते हैं कि पता नहीं क्यों नेहरू ने सन 1942 में एक अन्तर्जातीय और अन्तर्धार्मिक  विवाह को वैदिक रीतिरिवाजों से किये जाने को अनुमति दी जबकि उस समय यह अवैधानिक था का कानूनी रूप से उसे सिविल मैरिज होना चाहिये था । यह तो एक स्थापित तथ्य है कि राजीव गाँधी के जन्म के कुछ समय बाद इन्दिरा और फि रोज अलग हो गये थे हालाँकि तलाक  नहीं हुआ था। फिरोज गाँधी अक्सर नेहरू परिवार को पैसे माँगते हुए परेशान  किया करते थे और नेहरू की राजनैतिक गतिविधियों में हस्तक्षेप तक करने लगे थे। तंग आकर नेहरू ने फिरोज के  तीन मूर्ति भवन मे आने-जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। मथाई लिखते हैं फिरोज की मृत्यु से नेहरू और इन्दिरा को बड़ी राहत मिली थी। 1960 में फिरोज गाँधी की मृत्यु भी रहस्यमय हालात में हुई थी जबकी  वह दूसरी शादी रचाने की  योजना बना चुके  थे।

संजय गांधी और इंदिरा:

संजय गाँधी का असली नाम दरअसल संजीव गाँधी था अपने बडे भाई राजीव गाँधी से मिलता जुलता । लेकिन संजय नाम रखने की नौबत इसलिये आई क्योंकि उसे लन्दन पुलिस ने इंग्लैण्ड में कार चोरी के आरोप में पकड़ लिया था और उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया था। ब्रिटेन में तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त कृष्ण मेनन ने तब मदद करके संजीव गाँधी का नाम बदलकर नया पासपोर्ट संजय गाँधी के नाम से बनवाया था, इन्हीं कृष्ण मेनन साहब को भ्रष्टाचार के एक मामले में नेहरू और इन्दिरा ने बचाया था। अफवाहें यह भी है कि संजय गांधी इंदिरा गांधी के उनके सचिव युनुस खान से संबंधों के सच थे यह बात संजय गांधी को पता थी। अब संयोग पर संयोग देखिये संजय गाँधी का विवाह मेनका आनन्द से हुआ। कहा जाता है मेनका जो कि एक सिख लड़की थी संजय की रंगरेलियों की वजह से उनके पिता कर्नल आनन्द ने संजय को  जान से मारने की धमकी दी थी फि र उनकी शादी हुई और मेनका का  नाम बदलकर मानेका किया गया क्योंकि इन्दिरा गाँधी को  यह नाम पसन्द नहीं था। फिर भी मेनका कोई साधारण लडकी नहीं थीं क्योंकि उस जमाने में उन्होंने बॉम्बे डाईंग के लिये सिर्फ एक तौलिये में विज्ञापन किया था। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि संजय गाँधी अपनी माँ को  ब्लैकमेल करते थे और जिसके कारण उनके सभी बुरे कामो पर इन्दिरा ने हमेशा परदा डाला और उसे अपनी मनमानी करने कि छूट दी।

सन्यासिन का सच: एम.ओ.मथाई अपनी पुस्तक के पृष्ठ 206 पर लिखते हैं - 1948 में वाराणसी से एक सन्यासिन दिल्ली आई जिसका काल्पनिक नाम श्रद्धा माता था। वह संस्कत की विद्वान थी और कई सांसद उसके व्याख्यान सुनने को बेताब रहते थे। वह भारतीय पुरालेखों और सनातन संस्कृत की अच्छी जानकार थी। नेहरू के पुराने कर्मचारी एस.डी. उपाध्याय ने एक हिन्दी का पत्र नेहरू को सौंपा जिसके कारण नेहरू उस सन्यासिन को एक इंटरव्यू देने को राजी हुए। चूँकि देश तब आजाद हुआ ही था और काम बहुत था। नेहरू ने अधिकतर बार इंटरव्य़ू आधी रात के समय ही दिये। मथाई के शब्दों में एक रात मैने उसे पीएम हाऊस से निकलते देखा वह बहुत ही जवान खूबसूरत और दिलकश थी। एक बार नेहरू के लखनऊ दौरे के समय श्रध्दामाता उनसे मिली और उपाध्याय जी हमेशा की तरह एक पत्र लेकर नेहरू के पास आये नेहरू ने भी उसे उत्तर दिया और अचानक एक दिन श्रद्धा माता गायब हो गईं किसी के ढूँढे से नहीं मिलीं।

नवम्बर 1949 में बेंगलूर के एक कान्वेंट से एक  सुदर्शन सा आदमी पत्रों का एक बंडल लेकर आया। उसने कहा कि उत्तर भारत से एक  युवती उस कान्वेंट में कुछ  महीने पहले आई थी और उसने एक  बच्चे को जन्म दिया। उस युवती ने अपना नाम पता नहीं बताया और बच्चे के जन्म के तुरन्त बाद ही उस बच्चे को  वहाँ छोडकर गायब हो गई थी। उसकी निजी वस्तुओं में हिन्दी में लिखे कुछ पत्र बरामद हुए जो प्रधानमन्त्री द्वारा लिखे गये हैं पत्रों का वह बंडल उस आदमी ने अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया। मथाई लिखते हैं। मैने उस बच्चे और उसकी माँ की खोजबीन की काफी कोशिश की लेकिन कान्वेंट की मुख्य मिस्ट्रेस जो कि एक विदेशी महिला थी बहुत कठोर अनुशासन वाली थी और उसने इस मामले में एक  शब्द भी किसी से नहीं क हा लेकिन मेरी इच्छा थी  कि उस बच्चे का पालन-पोषण मैं करुँ और उसे रोमन कथोलिक संस्कारो में बड़ा करूँ चाहे उसे अपने पिता का नाम कभी भी मालूम ना हो लेकिन विधाता को यह मंजूर नहीं था। नेहरू राजवंश की कुंडली जानने के बाद घड़ी की तरफ देखा तो शाम पांच बज गए थे, हाफीजा से मिली ढेरों प्रमाणिक जानकारी के लिए शुक्रिया अदा करना दोस्ती के वसूल के खिलाफ था, इसलिए फिर मिलते हैं कहकर चल दिए।

(दिनेश चंद्र मिश्र लखनऊ में रहनेवाले पत्रकार हैं। यह खोजबीन उन्होंने अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान की है जिसे वे क्रमश: अपने ब्लाग पर प्रकाशित कर रहे हैं.)

कंधार मामले पर आर टी आई के द्वारा कांग्रेस का दोगलापन उजागर .


मित्रों , कांग्रेस के हर नेता अपने भाषणों मे वाजपाई सरकार और बीजेपी को कंधार प्लेन अपहरण मामले पर आतंकवादीओ को छोड़ने पर बीजेपी की बहुत आलोचना करते है ..

लेकिन इसने कांग्रेस का दोगलापन छुपा है ..

कांधार मामले पर अटल जी ने २ जनवरी २००० को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी ..जिसमे सभी पार्टियो ने हिस्सा लिया था ..

इसी बैठक मे तय किया जाना था कि सरकार इस मामले से कैसे निबटे .

एक सामाजिक कार्यकर्त्ता हरीश मेघवाल ने प्रधनमंत्री कार्यालय से उस मीटिंग से जुड़े कई दस्तावेज मांगे जिसमे ..

१- कौन कौन लोग उसमे शामिल हुए थे .

२- और उन्होंने इस मामले पर क्या राय रखी .

दो साल तक चली लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय को वो सारे दस्तावेज देने पड़े ..क्योकि सरकार की दलील थी कि ये देश के एक गुप्त प्लान और रक्षा मामले से जुड़ा है ..असल मे कांग्रेस को डर था कि वो जनता से सामने जो दस साल से झूठ बोलती आ रही है वो बेनकाब हों जायेगा ..उसकी पोल खुल जायेगी ..

इस बैठक मे कांग्रेस के तरफ से खुद सोनिया गाँधी , मनमोहन सिंह , चितंबरम  शामिल हुए थे ..

इसमें सोनिया गाँधी ने कहा था कि " मै खुद समझ नहीं पा रही हूँ जब २८० लोगो के परिवार हजारों की तादाद मे आकर मेरे घर के सामने हल्ला दंगा कर है है ..

मनमोहन सिंह ने कहा कि यदि पाकिस्तान ने अपने एयरबेस के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दे रहा है तो सरकार को आतंकवादियो की मांगे मानने के आलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है ..

सिर्फ सीपीआई के नेता हरकिशन सिंह सुरजीत ने कहा कि सरकार को २८० यार्त्रियो और रक जहाज की बुरबानी दे देनी चाहिए ..लेकिन जब डीएमके के मुरोसोली मरन ने उनके कहा कि आप तो बीपी सिंह की सरकार मे थे फिर आपने क्यों नहीं रजिया सईद की क़ुरबानी दी ? इस पर हरकिशन सिंह सुरजीत की बोलती बंद हों गयी ..

चितम्बरम और मनमोहन सिंह ने कहा कि कांग्रेस इस मामले मे सरकार [बीजेपी] के साथ है .जो भी कदम सरकार उठाएगी कांग्रेस उसके साथ है ..
फिर ब्रिजेश मिर्श्र ने कहा कि सरकार उनकी मांगे मांग भी सकती है .इस पर मनमोहन सिंह और सोनिया और चितम्बरम ने अपनी सहमती दी ..और कहा कि ये मामला बहुत पेचीदा है ..तालिबान सरकार के साथ भारत के राजनयिक सम्बन्ध नहीं है .और ना ही पाकिस्तान अपने एयर बेस और अपनी हवाई सीमा के प्रयोग करने की अनुमति दे रहा है .इसलिए हम इस मामले मे सरकार के हर कदम का समर्थन करते है ..

मित्रों ये बंद कमरे की बाते है ..लेकिन यही कांग्रेस के नेता जब जनता के सामने भाषण देते है तो अपना दोगलापन छुपा लेते है ..

गाँधी परिवार अथवा खान परिवार



गाँधी परिवार का परिचय जब भी किसी कांग्रेसी अथवा मीडिया द्वारा देशवासियों को दिया गया है अथवा दिया जाता है,तब वह फिरोज गाँधी तक जाकर ही यकायक रुक सा जाता है फिर बड़ी सफाई के साथ अचानक उस परिचय का हैंडिल एक विपरीत रास्ते की और घुमाकर नेहरु वंश की और मोड़ दिया जाता है। फिरोज गाँधी भी अंततः किसी के पुत्र तो होंगे ही। उनके पिता कौन थे ? यह बतलाना आवश्यक नहीं समझा जाता। फिरोज गाँधी का परिचय पितृ पक्ष से काट कर क्यों ननिहाल के परिवार से बार-बार जोड़ा जाता रहा है, यह एक ऐसा रहस्य है जिसे नेहरु परिवार के आभा-मंडल से ढक कर एक गहरे गढे में मानो सदैव के लिए ही दफ़न कर दिया गया है।

यह कैसा आश्चर्य है की पंथ निरपेक्षता(मुस्लिम प्रेम) की अलअम्बरदार कांग्रेस के द्वारा भी आखिर यह गर्वपूर्वक क्यों नहीं बतलाया जाता की फिरोज गाँधी एक पारसी युवक नहीं अपितु एक मुस्लिम पिता के पुत्र थे। और फिरोज गाँधी का मूल नाम फिरोज गाँधी नहीं फिरोज खान था जिसको एक सोची समझी कूटनीति के अर्न्तगत फिरोज गाँधी करा दिया गया था।

 
फिरोज गाँधी मुसलमान थे और जीवन पर्यन्त मुसलमान ही बने रहे। उनके पिता का नाम नवाब खान था जो इलाहबाद में मोती महल (इशरत महल) के निकट ही एक किराने की दूकान चलाते थे । इसी सिलसिले में (रसोई की सामग्री पहुंचाने के सिलसिले में) उनका मोती महल में आना जाना लगातार रहता था। फिरोज खान भी अपने पिता के साथ ही प्रायः मोती महल में जाते रहते थे। वहीँ पर अपनी समवयस्क इन्द्रा प्रियदर्शनी से उनका परिचय हुआ और धीरे-धीरे जब यह परिचय गूढ़ प्रेम में परिणत हुआ तब फिरोज खान ने लन्दन की एक मस्जिद में इन्द्रा को मैमूदा बेगम बनाकर उनके साथ निकाह पढ़ लिया।


गाँधी और नेहरु के अत्यधिक विरोध किये जाने के फलस्वरूप भी जब यह निकाह संपन्न हो ही गया तब समस्या 'खान' उपनाम को लेकर आ खड़ी हुई। अंततः इस समस्या का हल नेहरु के जनरल सोलिसिटर श्री सप्रू के द्वारा निकाला गया। मिस्टर सप्रू ने एक याचिका और एक शपथ पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करा कर 'खान' उपनाम को 'गाँधी' उपनाम में परिवर्तित करा दिया।इस सत्य को केवल पंडित नेहरु ने ही नहीं अपितु सत्य के उस महान उपासक तथाकथित माहत्मा कहे जाने वाले मोहन दास करम चाँद गाँधी ने भी इसे राष्ट्र से छिपा कर सत्य के साथ ही एक बड़ा विश्वासघात कर डाला।

गाँधी उपनाम ही क्यों - वास्तव में फिरोज खान के पिता नवाब खान की पत्नी जन्म से एक पारसी महिला थी जिन्हें इस्लाम में लाकर उनके पिता ने भी उनसे निकाह पढ़ लिया था। बस फिरोज खान की माँ के इसी जन्मजात पारसी शब्द का पल्ला पकड़ लिया गया। पारसी मत में एक उपनाम गैंदी भी है जो रोमन लिपि में पढ़े जाने पर गाँधी जैसा ही लगता है। और फिर इसी गैंदी उपनाम के आधार पर फिरोज के साथ गाँधी उपनाम को जोड़ कर कांग्रेसियों ने उस मुस्लिम युवक फिरोज खान का परिचय एक पारसी युवक के रूप में बढे ही ढोल-नगाढे के साथ प्रचारित कर दिया। और जो आज भी लगातार बड़ी बेशर्मी के साथ यूँ ही प्रचारित किया जा रहा है।

Thursday 19 April 2012

2050 के मिडिया की सुर्खियाँ :-

१- अन्ना हजारे का पोता मुन्ना हजारे लोकपाल की मांग को लेकर रामलीला मैदान मे पप्पू केजरीवाल , अशांत चूषण , के साथ अनशन पर बैठेंगे ..

२- कांग्रेस ने आसाम और केरल को इस्लामिक राज्य घोषित करने की मांग मान ली .

३- दीपक चरसी का पोता ढेबरी चरसी हिस्टीरियाई अंदाज मे बाबू सिंह कुशवाहा को बीजेपी मे शामिल करने पर सवाल उठा रहा है

४- प्रधनमंत्री श्री चिरकुट वढेरा ने राबर्ट वढेरा को देश का राष्ट्रपिता घोषित किया


५- कसाब न्यूयॉर्क के अस्पताल मे हाई कोलेस्ट्रॉल से मरा . डाक्टरों ने ज्यदा बिरयानी खाने से उसके हार्ट पर बुरा असर होने की बात कही


६- राहुल गाँधी वृद्धाश्रम मे ही रहना चाहते है :- प्रधानमंत्री श्री चिरकुट वढेरा

७- गोलमाल पार्ट २५ रिलीज ..

८- वैघनिको ने "ब्लुत्रुथ " से बच्चा पैदा करने की तकनीक खोज ली .. हजारो प्रवासी लोगो ने इस तकनीक पर खुशी जाहिर किया ..

९- फेसबुक के राष्ट्रपति जितेन्द्र प्रताप सिंह कल से अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर जायेंगे

१०- ए राजा का पोता २० जी घोटाले मे गिरफ्तार.

११- सरकार ने आसाम और केरल को इस्लामिक राज्य घोषित करने की मांग स्वीकार की

१२- अल्संख्यक आरक्षण बढकर सिर्फ ५७% किया गया .. मुलायम सिंह का पोता कठोर सिंह ने इसे बढकर १०० % करने की मांग की .

१३- दिल्ली मे एक लड़की ने पचास मीटर तक सुरक्षित पैदल चली और उसका बलात्कार नहीं हुआ ..

१४- "लाछ्द्विप डोग्स" आईपीएल मे ६५ टीम के रूप मे शामिल .

१५- सुचना और प्रसारण मंत्री लम्बिका सोनी ने कांग्रेस महासचिव श्री चाटू चरण दास की लिखी किताब " भारत की स्वतंत्रता मे वढेरा खानदान का बलिदान " का विमोचन किया

उस FIR की असली कॉपी जो सीबीआई ने सोनिया गाँधी के बहन के द्वारा भारत से प्रदर्शनी के नाम पर बहुमूल्य एंटीक चीजों को चोरी चोरी भारत से बाहर भेजने पर दर्ज किया गया


सीबीआई ने सोनिया गाँधी के बहन के खिलाफ भारतीय पुरात्व और दुर्लभ चीजों की तस्करी के केस दर्ज किया था . लेकिन जाँच करने वाले चार अधिकारियो का या तो डिमोशन कर दिया गया या उन्हें हटा दिया गया

CENTRAL BUREAU OF INVESTIGATION
SPE/SIU (XII)
NEW DELHI
_________________________________
1. PROGRESS REPORT NO. : 1
AND DATE. : 23.02.1993
2. CASE NO. AND DATE : RC.1/93-SIU(XII)
OF REGISTRATION : Dt.08.07.1993
3. NAME OF THE ACCUSED : M/s . Southern Arts,
Exporters of Indian Handicrafts
10-D, First East Main Road,
Shenoy Nagar,
Madras and Unknown Others.
4. OFFENCES : U/s 120-B IPC and Sec.25 (1)
r/w Sec.3(1) of Antiquities and
Art Treasures Act, 1972
5. NAME OF THE IO. : Shri Hari Kumar, Inspr/SIU.
6. NO. OF WITNESSES :
EXAMINED
That, M/s. Southern Arts, Exporters of Indian Handicrafts, 10-D, First Main Road, Shenoy Nagar, Madras, exported 34 items from the port of Madras to Mr. Guide Zanderige Via 24 Maggie 437126 Verona, Italy, in connivance with the officials of Customs of Madras, Illegally against the provisions of the Antiquities & Art Treasures Act, 1972. On inspection of the aforesaid 34 items by Dr. C. Margbandhu, Director (Exploration), ASI, New Delhi at Pisa, Italy at the instance of Department of Culture, Ministry of Human Resources Development, New Delhi, 19 items were found to be “Antiquity”. In view of above, the instant case was registered against the Exporter (and unknown others).
9. DEVELOPMENTS:-
During the fortnight under review, the IO Submitt plan of Action in the case. A copy of the same is enclosed herewith. Special Look-out notices have also been sent to NCRB/New Delhi and to the Director General of Police of Southern States along with the photocopies of photographs of the items, which are lying presently at Pisa, Italy with the Customs Authorities, requesting them to check their records under their jurisdiction with a view to find out, if any report regarding the theft of any the item, is reputed, to them. Interpol/CBI/New Delhi has been requested to move to IP/Rome for the seizure of the consignment, in question, lying with Customs authorities in Pisa, Italy and restitution of the same to India thereafter. The matter has also been reported to Secretary, Department of Culture, Ministry of Human Resources & Development, Shastri Bhavan, New Delhi so that they may inform to the Embassy of India at Rome, Italy, for necessary direction to Customs Authorities in Pisa, Italy, for not releasing the consignment to the Importer. The IO has proceeded to Madras in connection with the investigation of this case and the progress shall be reported to HO on his return.
10. CD (S) NO. & DATE (S) : C.D. No.1 dated .07.1993
ON WHICH PR BASED : C.D. No.1 dated .07.1993
C.D. No.1 dated .07.1993
C.D. No.1 dated .07.1993
11. PENDING ACTION : A detailed Plan of Action
Submitted by the IO, is
Enclosed herewith.
DETAILED PLAN OF ACTION SUBMITTED IN CASE RC.1/93-SIU(XII) FOR PERUSAL.
_______
1. To take immediate steps for retrieval of the case property from Italy by moving the Interpol as well as Indian Embassy in Rome.
2. To send reference to Interpol for conducting part investigation in Italy regarding the examination of the Importer.

राहुल गाँधी !! अब कहा गए तुम्हारे नेहरु के सिद्धांत ?



मुस्लिम आरक्षण पर कांग्रेस का महा दोगला चरित्र ..

हर बात मे गाँधी और नेहरु के सिधान्तो का ठेका लेने वाली कांग्रेस और राहुल गाँधी तुम पहले संविधान सभा मे गाँधी और नेहरु का दिया भाषण पढ़ो   और बताओ कि तुम्हारा नेहरु दोगली बाते करता है या तुम्हारा राहुल गाँधी ?


इन दिनों कांग्रेस मुसलमानों व अन्य अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने की पुरजोर राजनीति कर रही है। ऐसा करते वक्त कांग्रेस के नेता अपने ही अतीत को भुला रहे हैं। कांग्रेस को अपने राजनीतिक पुरोधा जवाहरलाल नेहरू के विचार जानना चाहिए जो वर्तमान नीच कांग्रेसियों की तुलना में निश्चित ही थोड़े बहुत तो उच्च थे। 26 मई 1949 को संविधानसभा में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि "आप अल्पसंख्यकों को ढाल (आरक्षण) देना चाहते हैं तो वास्तव में आप उन्हें अलग-थलग करते है, हो सकता है कि आप उनकी रक्षा कर रहे हो पर किस कीमत पर ? ऐसा आप उन्हें मुख्य धारा से काटने की कीमत पर करेंगे।"

इसी के तीन वर्ष बाद 21 जून 1961 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मजहब के आधार पर आरक्षण देने से रोकने के लिए हर राज्य सरकारों को पत्र भी लिखा था।  आज भी ये पत्र कुछ राज्यों मे सुराछित है ..जवाहर लाल नेहरू ने लिखा था ‘‘मैं किसी भी तरह के आरक्षण को नापसंद करता हूं, यदि हम मजहब या जाति आधारित आरक्षण की व्यवस्था करते हैं तो हम सक्षम और प्रतिभावान लोगों से वंचित हो दूसरे या तीसरे दर्जे के रहे जायेंगे। जिस क्षण हम दूसरे दर्जे को प्रोत्साहन देंगे हम चूक जायेंगे। यह न केवल मूर्खतापूर्ण है बल्कि विपदा को भी आमंत्रण देना है।’’ मुसलमानों में निचली जातियों में व्याप्त कुरीतियों एंव अशिक्षा को दूर करने के लिए सरकार चरणबद्ध कार्यक्रम चलाना चाहिए। हकीकत में गरीब या पिछड़ा किसी भी जाति का हो सकता है फिर चाहे वह ब्राहृाण, क्षत्रिय, वैश्य ही क्यों न हो। सभी गरीबों के लिए सरकार को एक समुचित दीर्घकालीन कार्यक्रम बनाना ही होगा

भारत के केन्द्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद जो जिम्मेदार ओहदा संभाले हुए है। लेकिन इनका इतिहास एकदम कट्टरवादी मुस्लिम और घोर हिंदू विरोधी रहा है ..ये यही सलमान खुर्शिद है जिन्होंने सिमी प्रतिवंध लगाये जाने के खिलाफ आठ सालो तकसुप्रीम कोर्ट मे सिमी के वकील के तौर पर केस लड़े और सिमी को एक सांस्कृतिक संगठन बताए ..


उन्होंने उत्तर प्रदेश  में मुस्लिम आरक्षण की दिशा में एक कदम बढ़ाते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के सत्ता में आने पर मुसलमानों को पिछड़े वर्ग के कोटे में से 9 प्रतिशत आरक्षण दिया जायेगा, कह निःसंदेह पूरी कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने के साथ-साथ मंत्री पद के दौरान ली गई शपथ का घोर उल्लंघन कर चुनाव आचार संहिता का भी मजाक उड़ाया है। यह अक्षम्य है। हालांकि चुनाव आयोग ने उन्हें इस कृत्य के लिए एक कारण बताओ नोटिस भी तलब किया है जिसे मिल उनके अंदर उनका अहम और जाग उठा कह रहे है नोटिस ही तो हे कोई फाँसी की सजा तो नहीं? बहरहाल चुनाव आयोग ने अभी इतना तो कर दिया है कि खुर्शीद के बयान के कारण केन्द्र द्वारा प्रस्तावित आरक्षण पर मार्च तक के लिए रोक लगा दिया है।

मित्रों कांग्रेस और उसके दोगलेपन को समझो और कसम खाओ कि इस कांग्रेस को इस देश से उखाडकर ही चैन लेंगे

क्या आपको इन प्रश्नों का ठीक से उत्तर मालूम है-



यदि नहीं तो पता कीजिये, रहस्य ही शक्ति है जो दुश्मन को गुमराह करके रखता है. देश के जड़ जमाये दुश्मन भी यही कर रहे है, कोई रहस्य जनता को नहीं बताते है और फर्जी इतिहास लिख डालते है, ज़रा इन प्रश्नों के बारे में सोचे और दूसरो से पूछे:-
१-राजीव गाँधी के दादा जी का क्या नाम था,और वह क्या करते थे?
... ...
२-इंदिरा गाँधी का धर्म क्या था?
३-राहुल गाँधी का असली नाम क्या है और इनका धर्म क्या है?
 यदि आप भारत के नागरिक है तो आपको हक़ है की आप इन प्रश्नों का उत्तर जाने? दोस्तों की जानकारी बढ़ने के लिए इसे अग्रेषित करे.

४-सोनिया की असली जन्म तिथि क्या है?५-राहुल ने एम् ए कब किया, एम्-फिल किस साल में किया और कितने विषय में फेल है?
६-सोनिया गाँधी का असली नाम क्या है और इनका धर्म क्या है?
७-विरोनिका किसकी गर्ल फ्रेंड है?
८-नेहरू जी के दादा जी का क्या नाम है और वह क्या काम करते थे और उनके पिताजी कौन थे.
९-सोनिया कितनी पढ़ी हैं और उनको प्रधान मंत्री बनाने से किसने रोका, और क्यों ?
१०-अफगानिस्तान में बाबर की मजार पर भारत का कौन प्रधानमंत्री बिना पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के गुपचुप गया था?
११-भारत किस प्रधानमंत्री को सौउदी अरब की सरकार ने हज यात्रा के लिए निमंत्रित किया था और उसका कारन क्या था?
१२-नेहरू जी किस बीमारी से मरे थे?
१३-"लिव इन रिलेशन" कानून क्या है, इसे किसके लिए बनाया गया था जब की इसकी मांग कोई नहीं किया था?
१४-भारत में २००५ में इटली और स्विस के कितने कितने बैंक गुपचुप खोले गए ?
१५-क्वात्रोची को किसने छुड़वाया था? उसके बेटे की कंपनी भारत में क्या करती है?
१६-किस प्रधानमंत्री के स्विस बैंक खाते में सबसे ज्यादा पैसा जमा है?
१७-मृत्यु के समय राजीव गाँधी का धर्म क्या था?
१८-राबर्ट बढेरा के परिवार में अब कौन कौन बचे है और उनका धर्म क्या है?
१९-भारत के हवाई अड्डो पर राबर्ट बढेरा के सामान की तलाशी क्यों नहीं ली जाती है?
२०- रूस की ख़ुफ़िया अजेंची के. जी. बी. ने किस भारतीय प्रधानमंत्री को पैसा देना स्वीकार किया है?
२१-सोनिया ने इटली की नागरिकता किस साल में छोड़ी? छोड़ी या नहीं?
२२-भारत की किस सांसद के पास दो दो पासपोर्ट है और किस देश के?
२३-भारत के किस सुरक्षा सलाहकार की बेटी इटली में ब्याही है?
24- सोनिया गाँधी की बहन सीबीआई के वांटेड लिस्ट मे थी उसका नाम क्यों हटा दिया गया ?
२५- इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी के समय दूसरे देशो मे भारत महोत्सव और भारतीय प्रदर्शनी के नाम पर एंटीक और बहुमूल्य चीजे भेजी जाती थी वो कभी वापस नहीं आयी ..अभी ताजा मामला भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रषाद जी को अमेरिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट ने रोलेक्स घड़ी भेंट की थी .जो १९८७ को इटली के मिलान शहर मे प्रदर्शित करने के नाम पर भेजी गयी थी .. उसको नीलाम करने के लिए जेनेवा मे क्रिस्टी ने निविदा मांगी है .

गुजरात मे मुसलमानों का कत्लेआम तो कांग्रेस ने अपने राज मे किया है



आज पूरे देश मे सबसे ज्यादा सुखी मुसलमान गुजरात मे है : राजीव गाँधी फाउंडेशन की रिपोर्ट

मित्रों एक तरफ कांग्रेस मीडिया को पैसे देकर मोदी को बदनाम करती है और वही एक ऐसे एनजीओ की रिपोर्ट मे मोदी की खूब तारीफ की गयी है जिसकी मुखिया खुद सोनिया गाँधी है .
हलाकि बाद मे सोनिया ने तीन बड़े लोगो को निकाल भी दिया .


मोदी विशुद्ध रूप से एक प्रशासक हैं। उनके अन्दर नेतृत्व की क्षमता है। वे कभी भी राज्य के हिन्दू-मुस्लिम अधिकारियों के बीच भेदभाव नहीं करते और न ही विकास का लाभ एक वर्ग को पहुंचाते हैं। गुजरात पहला राज्य है जहां के मुसलमानों की आय देश के अन्य राज्यों के मुसलमानों से अधिक है। राज्य के मुस्लिम व्यवसायी मानते हैं कि उन्हें नरेन्द्र मोदी सरकार से बहुत सुविधा मिलती है। व्यावसायिक मामलों में शासकीय औपचारिकताएं तो सरल हैं ही साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से भी वे संतुष्ट हैं।


कांग्रेस के समय मे हुए गुजरात के भयावह दंगे :-
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गुजरात के बाहर के मुसलमानों को डराकर वोट लेने के लिए नरेन्द्र मोदी की चाहे जैसी छवि बनाई जाए किन्तु सच यही है कि गुजरात के मुसलमान धर्मनिरपेक्ष राजनीति के तिकड़मी लफ्फाजी को समझ चुके हैं। अब वे नरेन्द्र मोदी और पूर्व की सरकारों में तुलना करने लगे हैं। उनके लिए नरेन्द्र मोदी अच्छे हैं या फिर वे जिनके शासनकाल में दो-दो, तीन-तीन महीनों तक गुजरात के कस्बों व शहरों में कर्फ्यू रहा करता था। 2002 के दंगे के बाद गुजरात में एक भी दंगा नहीं हुआ किन्तु भाजपा के शासन के पहले गुजरात हिन्दू-मुस्लिम दंगों के राज्य के रूप में बदनाम था। उल्लेखनीय है कि 1969 में कांग्रेस शासन के दौरान हुए दंगे में 512 लोग मरे जबकि 1982 में बड़ौदा के दंगे में 17 जानें गईं और 50 घायल हुए। उस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री थे कांग्रेस के माधव सिंह सोलंकी। 1985 में अहमदाबाद के दंगे में 300 लोग मरे थे। उस वक्त भी मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी ही थे। 1986 में फिर अहमदाबाद में दंगा हुआ इसमें 59 लोग मारे गए और 80 लोग घायल हुए। उस वक्त मुख्यमंत्री थे कांग्रेस के अमर सिंह चौधरी। 1990 में गुजरात में दंगा हुआ उसमें 265 लोग मारे गए और 775 लोग घायल हुए। उस वक्त भी गैर भाजपाई सरकार थी। मुख्यमंत्री थे चिमन भाई पटेल जो कांग्रेस के समर्थन से राज्य में सरकार चला रहे थे। 1991 में बड़ौदा में हुए दंगे के दौरान 66 लोग मारे गए और 170 लोग घायल हुए। उस वक्त भी सरकार चिमन भाई पटेल की ही थी। 1992 में सूरत के दंगे में 200 लोग मारे गए तब भी चिमन भाई पटेल ही मुख्यमंत्री थे। 2002 में भाजपा शासन के दौरान दावा तो किया जा रहा है कि 2000 लोग मारे गए किन्तु सरकारी रिकार्ड के मुताबिक 790 मुस्लिम, 254 हिन्दू मारे गए और 223 लोग गायब हैं जिनमें दोनों समुदाय के लोग शामिल हैं। इस दौरान 27901 हिन्दू, 7651 मुसलमान गिरफ्तार हुए। पुलिस ने 10 हजार गोलियां चलाई इनमें 93 मुस्लिम और 77 हिन्दू मारे गए थे।


गुजरात कैडर के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री खुद पुलिस मुख्यालय में जाकर जिला पुलिस प्रमुखों एवं अन्य पुलिसकर्मियों से कानून व्यवस्था के बारे में बात करते हैं। यही नहीं, गुजरात में पहली बार एक मुस्लिम पुलिस प्रमुख यानि महानिदेशक बने शब्बीर हुसैन शेखदम खण्डवा वाला जिन्हें नरेन्द्र मोदी ने ही बनाया। इतना ही नहीं, नरेन्द्र मोदी की तारीफ तो खुद प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी इस बात के लिए कर चुके हैं कि मुस्लिमों के विकास के लिए उन्होंने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट बड़ी ईमानदारी एवं कुशलतापूर्वक लागू कर दी है। राजीव गांधी फाउंडेशन ने देश के सबसे ज्यादा विकास की गति के लिए जब मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को श्रेय दिया तो उसकी रिपोर्ट में इस बात का कहीं भी उल्लेख नहीं था कि विकास सिर्प हिन्दुओं का ही हुआ है। रिपोर्ट में गुजरात के ग्रामीण क्षेत्र, कृषि, व्यवसाय एवं कानून व्यवस्था की सुदृढ़ता के लिए नरेन्द्र मोदी को सबसे श्रेष्ठ मुख्यमंत्री बताया जा चुका है।


यह सही है कि गुजरात दंगों के बाद से ही राज्य सरकार मुकदमेंबाजी में फंस गई है। अदालतों के चक्कर में कई बार ऐसा लगा कि मोदी अब गए या तब गए। किन्तु जो लोग मोदी के खिलाफ अदालतों में मुकदमेंबाजी शुरू किए हैं अंगुलियां उन पर भी उठ रही हैं। उनके खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल हैं कि उन्होंने मोदी के खिलाफ फर्जी शपथ पत्र का सहारा लिया। लेकिन मजे की बात तो यह है कि राज्य में कांग्रेस पार्टी के नेता तो मोदी के खिलाफ कुछ कर पाने में खुद को असमर्थ पाते हैं। वे तो पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट पर ही निर्भर हैं। यदि मोदी जाकिया जाफरी द्वारा दायर वाद से साफ निकल गए तो कांग्रेस के उन हसीन सपनों का क्या होगा जो उन्होंने देख रखा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जैसे ही मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा वैसे ही नरेन्द्र मोदी पर त्यागपत्र देने के लिए दबाव बढ़ेगा और यदि एक बार मोदी गए तो राज्य से भाजपा को धक्का देकर कांग्रेस सत्ता हथिया लेगी।

कांग्रेस को सिर्फ नैतिकता और सिद्धांत के द्वारा इस देश से नहीं खत्म किया जा सकता ::




सच मे अब भारत की दूसरी राजनितिक पार्टियो को कांग्रेस से नीचता , धूर्तता और कमीनापन सीखना ही होगा ..

मित्रों , जब जरूरत है कि बीजेपी चाइना गेट फिल्म के जगीरा डाकू का संदेश फिर से ध्यान से सुने और उस पर अमल भी करे ..

"मेरे से लड़ने के लिए तुम हिम्मत तो जुटा लोगे , लेकिन मेरे जैसा कमीनापन दिल कहाँ से लाओगे ?'

अपने इसी धूर्तता के दम पर ये नकली गांधियो ने हमे पैसठ साल मे मुर्ख बनाया है .

अभी ताजा मामला सलमान रश्दी के भारत आने से जुड़ा हुआ है ..

मशहूर लेखक सलमान रुश्दी को भारत आने से रोकने के लिए उनकी जान के खतरे की झूठी कहानी रची गई.

ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि रुश्दी की जान को खतरा था इस बात को लेकर मुंबई और राजस्थान पुलिस की राय मेल नहीं खा रही है. सूत्रों के मुताबिक राजस्थान की पुलिस ने जयपुर साहित्य सम्मेलन के आयोजकों को बताया था कि मुंबई के अंडरवर्लड डॉन ने रुश्दी की हत्या की सुपारी दी है लेकिन मुंबई पुलिस ने ऐसी किसी जानकारी के होने से इनकार किया है.
मित्रों , अशोक गहलोत ने दिल्ली मे चितंबरम और सलमान खुर्शिर्द के साथ मिलकर एक बहुत ही घिनौना और नीच खेल रचा .

इस चंडाल चौकड़ी ने राजस्थान पुलिस और मुंबई पुलिस के साथ मिलकर सलमान रश्दी को एक झूठा फैक्स भेजा कि आप यहाँ मत आइये क्योकि हमे ख़ुफ़िया सुचना मिली है कि अंडरवर्ल्ड के लोग मुंबई के लेकर जयपुर तक आपको मारने के लिए पहुच चुके है और सरकार आपकी सुरक्षा की कोई गारंटी नही लेगी .

मित्रों ये और भी शर्मनाक है की कोई सरकार किसी की सुरक्षा ही नहीं कर सके .फिर हम ऐसे कांग्रेस पार्टी को वोट ही क्यों दे जो एक आदमी की भी सुरक्षा नही कर सकती ?

जो कांग्रेस और सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह खुद हिंदू देवियो के अश्लील और नग्न पेंटिग बनाने वाले मकबूल फ़िदा हुसैन के भारत छोड़ देने पर अपनी छाती कुटते है .घडियाली आँसू भाते है ..अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देते है ...

वही कांग्रेस , वही सोनिया और वही मनमोहन सिंह सलमान रश्दी के मामले पर दोगली बाते क्यों करने लगते है ? सलमान रश्दी के मामले पर कांग्रेस और सोनिया गाँधी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहा चली जाती है ?

मै ना तो सलमान रश्दी को सही मानता हूँ और ना ही मकबूल फ़िदा हुसैन को ..किसी भी मशहूर इंसान को किसी भी धर्म का अपमान करने का कोई हक नहीं है .

लेकिन दोनों मामले अलग अलग क्यों देखा जाता है ?

एक तरफ मकबूल फ़िदा हुसैन एक कट्टरपंथी मुस्लिम था और उसने पूरी जिंदगी सिर्फ हिंदू देवी देवताओ का ही नग्न और अश्लील पेंटिंग बनाया ..उसने किसी भी दूसरे धर्म के प्रतीकों का कोई अपमान नही क्या ..

दूसरी तरफ खुद सलमान रश्दी मुस्लिम है और उन्होंने अपने ही धर्म के बारे मे कुछ बाते लिखी है .

तो फिर मकबूल फ़िदा हुसैन को लेकर कांग्रेस क्यों अपनी छाती कूटती है ? उनके लन्दन मे दफनाए जाने पर मनमोहन सिंह और सोनिया गाँधी दोनों ने इसे भारत के इतिहास का काला दिन बताया था ..

तो क्या कांग्रेस इन सवालों का जबाब देगी ?

१- तो क्या कांग्रेस यही चाहती है कि लोग हिंदू धर्म का अपमान करते रहे ?

२- कांग्रेस हिंदू देवियो के अश्लील पेंटिंग को सही मानती है ?
३- कांग्रेस ने अनुसार लोग हिंदू धर्म का अपमान करने के लिया आज़ाद है और कांग्रेस इनके उपर कोई करवाई नहीं करेगी ?


जागो हिन्दुओ जागो !! कोई भी पार्टी हमे हमारे घर पर भोजन नहीं देने आएगी फिर हम ऐसी पार्टी को वोट ही क्यों दे जिसका सबसे बड़ा एजेंडा हिन्दुओ को अपमानित करना है

आओ साथ मिलाकर इस जाति पाती के बंधन को तोड़ दे



मैँ सिर्फ  हिन्दू हूँ



न मैँ दलित हूँ न मैँ सवर्ण हूँ

न मैँ काला हूँ न गौरवर्ण हूँ

न तो यादव हूँ और न ही जाट हूँ

... न ही अमीर का पलंग और न ही गरीब की खाट हूँ

... मैँ ना तो लोधी ना ठाकुर न तो पंडित

ना ही स्वर्णकार

मैँ तो हिन्दूस्थानी हूँ जिसकी महिमा अपरम्पार

आओँ जाति वर्ण का भेद मिटा देँ

हर सनातनी को गले लगा लेँ

इस राजनीति से अपने राष्ट्र धर्म को बचा लेँ

हम क्या हैँ एक बार फिर दुनिया को दिखा देँ

मैँ ही सिख हू मैँ ही हिन्दू हूँ

मेरा धर्म है शुद्ध सनातन

मैँ ही जैन हूँ मैँ ही बोद्ध हूँ

मैँ ही विश्वगुरु भारत का के केन्द्र बिन्दू हूँ
मैँ सिर्फ  हिन्दू हूँ



अगर अहमद पटेल इतने ताकतवर है कि चीन और अमेरिका के कानून तक बदलवा सकते है तो फिर कश्मीर समस्या उनके लिए तो एक चुटकी का खेल होनी चाहिए ??



मित्रों जैसा कि हम सब जानते है कि कांग्रेस ने चमचो की एक पूरी श्रृखंला बनी होती है ..किसी बड़े नेता के कुछ छोटे नेता तलवे चाटते है फिर उन छोटे नेताओ के और छोटे नेता चमचागिरी करते है फिर उनके भी कुछ स्थानीय नेता चमचागिरी करते है और उनके फिर कुछ झोला छाप ले भागू नेता चमचागिरी करते है ..  

मतलब नीचे से लेकर तलवे चट्टुओ और चमचो की एक पूरी टीम होती है ..जिसके अनंतिम छोर पर मैडम सोनिया गाँधी अपना "चढावा पात्र " लेकर बैठी होती है , जहा कुछ गिने चुने और चमचागिरी मे पीएचडी किये हुए दलाल टाइप नेता ही पहुच सकते है ..

सब जानते है कि सोनिया गाँधी सिर्फ अहमद पटेल के कहने के अनुसार ही कोई काम करती है क्योकि अहमद पटेल सोनिया गाँधी के "राजनितिक सचिव" है ..[ भाई कोई पद का नाम देना ही पडेगा ]


अब गुजरात मे ही नहीं बल्कि पूरे भारत के कांग्रेसियो मे अहमद पटेल की चमचागिरी और चाटुकारिता करने मे कांग्रेसियो मे एक अंदरूनी प्रतिस्पर्धा शुरू हों चुकी है .. सब कांग्रेसी सोचते है कि मैडम तक तो नहीं पहुच सकते तो मैडम के चमचे की ही कशीदे पढ़ो ...   गुजरात मे चुनाव दिसम्बर मे होने है .. और अभी से सारे कांग्रेसी इस दुनिया के किसी भी देश मे जो कुछ भी हों रहा है उसका  श्रेय अहमद पटेल को देने लगे है ..


१- जब चीन ने १२ गुजराती व्यापारियो को छोड़ा तो गुजरात कांग्रेस के सभी नेता कहने लगे कि अहमद पटेल मे दबाव मे चीन अपने कानून बदलने पर मजबूर हों गया .. वाह रे अहमद पटेल चीन जैसी ताकत को भी आप ने उसका कानून ही बदलवा दिया !!


२- जब बेल्जियम ने दुनिया के सबसे बड़े हीरे का केन्द्र एंटवर्प जाने के लिए गुजरात के व्यापारियो को वीजा ओन अराइवल की सुविधा दी तब भी गुजरात कांग्रेस ने नेता कहने लगे कि अहमद पटेल ने अपने ताकत का इस्तेमाल करके बेल्जियम को अपना कानून बदलने पर मजबूर कर दिया ..


३- जब कतर ने राजा ने नरेंद्र मोदी से कई बैठके करके दहेज मे दुनिया का सबसे बड़ा एलएनजी टर्मिनल बनाया तो भी गुजरात कांग्रेस के नेता कहते है कि अहमद पटेल ने अपनी ताकत से कतर के शेख को गुजरात आने पर मजबूर कर दिया ..


४- जब मलेशिया की सबसे बड़ी सरकारी कम्पनी पेट्रोनास ने दहेज मे दुनिया का सबसे बड़ा यूरिया प्लांट लगाया तो गुजरात कांग्रेस ने नेता कहने लगे की अहमद पटेल ने मलेशिया के प्रधनमंत्री को फोन करके हुक्म दिया कि कल ही तुम्हे गुजरात मे निवेश करना है नही तो .....


५- जब अमेरिका ने एच -१ और दूसरे श्रेणी के कई वीजा मे गुजरात का कोटा दोगुना कर दिया तब भी गुजरात कांग्रेस के नेताओ ने कहा कि अहमद भाई ने बराक ओबामा को फोन कर बोल दिया कि वीजा का कोटा बढनी चाहिए नहीं तो ....... फिर तो बराक को पसीने छूट गए !!


६- वाजपेयी जी ने दिल्ली मुंबई फ्रेट कोरिडोर और गोल्डन क्वाडीलेटरल योजना के तहत जब नेशनल हाइवे संख्या -८ को सिक्स लेन और सुपरफास्ट रफ्तार से वाहनों के चलने के लिए कई हज़ार करोड रूपये का बजट रखा था और वाजपेयी के समय से ही काम शुरू हों गया करीब ७०% काम वाजपेयी जी के समय मे पूरा हों भी चूका था ..फिर भी गुजरात कांग्रेस के नेता अपने विज्ञापनों मे इसे अहमद पटेल के प्रयासों से हुआ बताते है ..


७- नरेंद्र मोदी जी ने जब गुजरात के आठ पोर्ट पिपावाव ,मुंडा, कंदला ,हजीरा , दहेज , सिक्का , धोलेरा , घोघा  और उनके आस पास के छेत्रो मे बड़े बड़े उद्योग लगाने के लिए गुजरात कोस्टल एरिया डेवलपमेंट एक्ट कानून बनाया और इन छेत्रो मे उद्योगों को कई आकर्षित पैकेज देकर लगवाया तो उसे भी गुजरात कांग्रेस के नेता अहमद पटेल के प्रयासों से हुआ बताते है .



मित्रों , मै सोचता हूँ अब अहमद भाई पटेल इतने ताकतवर है जो अमेरिका , चीन , बेल्जियम जैसे देशो के कानून बदलवा सकते है तो फिर अहमद भाई के लिए कश्मीर समस्या क्या है ? फिर भारत को सेना की जरूरत ही क्या है ? जब भी कभी युद्ध हों तो अहमद पटेल को सीमा पर तैनात कर देना चाहिए ..अहमद भाई एक फूंक मारेंगे तो पूरी पाकिस्तान की सेना ही उड़ जायेगी ...


लेकिन अगर गुजरात मे कांग्रेस सत्ता पर नहीं है फिर भी अहमद पटेल के प्रयासों से ही गुजरात का विकास हों रहा है तो फिर गुजरात के जनता ले लिए अच्छा है कि जिंदगी भर कांग्रेस गुजरात मे विपक्ष मे ही रहे ताकि अहमद पटेल के प्रयासों से ऐसा ही विकास होता रहे ..


अगर अहमद पटेल ही गुजरात का सारा विकास कर रहे है तो फिर कांग्रेस क्यों गुजरात मे सत्ता पर आने के लिए कुत्ते जैसी मेहनत कर रही है ?

कांग्रेस के नेताओ अगर बाबा रामदेव को तुम बिजनसमैन कहते हों तो फिर महात्मा गाँधी को क्या कहोगे ? जो खादी स्टोर के माध्यम से चीजे बेचा करते थे ?


मित्रों , बाबा रामदेव के ट्रस्ट पतंजली योग पीठ ने देश मे स्वदेशी और अच्छी चीजों को बढ़ावा देने के उदेश्य से पूरे भारत मे "स्वदेशी स्टोर " खोलने और इनके माध्यम से देश मे सस्ते मूल्य पर शुद्ध एफएमसीजी प्रोडक्ट लोगो को मुहौया करने की योजना बनाई है |

बाबा रामदेव के इस कदम से बाजार मे हमलोगों को लूट रही एम एन सी कंपनियों मे खलबली मच गयी है क्योकि बाबा ने पहले ही कई अच्छे प्रोडक्ट बिना किसी एड के पहले ही सफलता पूर्वक बाज़ार मे ला चुके है ..

लेकिन आजकल कई मीडिया वाले और कांग्रेस के लोग बाबा रामदेव को ना जाने क्या क्या शब्दावली से नवाज रहे है ..लेकिन कांग्रेस के लोग महात्मा गाँधी के बारे मे क्या कहेंगे ?

महात्मा गाँधी ने भी इसी परिकल्पना पर काम किया था और खादी एवं ग्रामोद्योग के माध्यम से देश भर मे खादी स्टोर खोले थे जहां पर हर तरह की चीजे आज भी बिकती है तो क्या मीडिया और कांग्रेस महात्मा गाँधी को व्यापारी कहेगी ?

महात्मा गाँधी नवजीवन प्रेस के माध्यम से किताबे छपकर बेचा करते थे तो क्या कांग्रेस उन्हें व्यापारी कहेगी ?

बाबा रामदेव की परिकल्पना
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मैंने इस बारे मे बाबा जी के मिडिया सलाहकार श्री वेद प्रकाश वैदिक जी से आज बात की थी | बाबा जी की परिकल्पना जानकर बहुत आनंद हुआ | बाबा जी पूरे देश मे कुटीर उद्योग के माध्यम से सहकारिता के तर्ज पर लोगो से चीजे बनवाएंगे और उन लोगो को बेचने के लिए अपने स्टोर पर उनको जगह भी देंगे जिससे देश मे रोजगार बढ़ेगा |

बाबा जी पूरे देश मे बेरोजगारों को पतंजली की फ्रेंचाइजी देकर उनको रोजगार देंने जा रहे है |
सबसे अच्छी बात ये है कि पतंजली से सारे उत्पाद एकदम शुद्ध और मिलावट रहित होंगे |

क्या कांग्रेस इन सवालों का जबाब देगी ?

१- क्या बाबा रामदेव का अपना कोई परिवार है जिसके लिए बाबा रामदेव पैसा कमाने की सोच रहे है ?

२- बाबा रामदेव जी ने जो अपने पैसे से दो सौ करोड मे पतंजली विश्वविद्यालय और तीन सौ करोड की लागत से विशाल आवासीय सुविधा के साथ विश्व का सबसे बड़ा योग केन्द्र बनवाया है उसका खर्च क्या सरकार दी है ? बाबा ने इन्ही सब उत्पादों को बेचकर ही ये सब बनाया है |

३- सब जानते है कि किसी भी ट्रस्ट का पदेन सह अध्यक्ष उस जिले का कलेक्टर होता है जिस जिले मे कोई ट्रस्ट का रजिस्टेशन होता है | पतंजली ट्रस्ट के अध्यक्ष हरिद्वार के कलेक्टर है जिनके हस्ताक्षर के बिना बाबा एक रूपये भी खर्च नही कर सकते | इसके आलावा बाबा के सभी ट्रस्टो के आय और व्यय का आडिट सरकार करवाती है |

४- राजीव गाँधी मेमोरियल ट्रस्ट जिसकी मुखिया सोनिया गाँधी है इस ट्रस्ट के पास भारत मे कुल बीस हज़ार एकड जमीन है | जिसमे वीर भूमि , शक्ति स्थल , शांतिवन .और तमिलनाडु मे श्रीपेरंबदूर मे बना राजीव गाँधी का स्मारक है | ये कुल आठ हज़ार एकड मे है जिनकी कीमत आज कई लाख अरब रूपये होगी |

इस ट्रस्ट का आजतक कोई आडिट नही हुआ है क्योकि इसका रजिस्ट्रेशन एक चेरिटी ट्रस्ट के रूप मे हुआ है जो सिर्फ इस नकली गाँधी खानदान के लिए चेरिटी करता है |

राजीव गाँधी फाउंडेशन की भी मुखिया सोनिया गाँधी है | ये भी एक चेरिटी ट्रस्ट है इसको २००६ मे मनमोहन सरकार ने दो सौ करोड रूपये दिये थे जिस पर संसद मे काफी हंगामा हुआ क्योकि कोई भी सरकार किसी निजी ट्रस्ट को इसका आजतक आडिट न हुआ हों उसको सरकारी पैसे नही दे सकती | बाद मे मनमोहन सरकार ने पैसा वापस ले लिया था |

इस ट्रस्ट को बिना किसी नियम कायदे के राजस्थान सरकार ने गुणगांव और फरीदाबाद मे दो सौ एकड जमीन सिर्फ १ रूपये मे दिया है | महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई मे कोहिनूर मिल की दो एकड और पूना मे चालीस एकड जमीन मुफ्त मे इस ट्रस्ट को दिया है |

इन मामले पर कांग्रेस क्यों नही कुछ बोलती ?

५- क्या इस देश मे पैसा कमाना फिर उस पैसे को किसी अच्छे काम मे लगाना अपराध है ? क्या बाबा रामदेव इस पैसे को अपने निजी उपयोग मे लेते है ? बिलकुल नही |

जिनको भी शक हों कि  बाबा रामदेव इस सब कमाई को कहाँ खर्च करते है वो एकबार हरिद्वार मे पतंजली योग पीठ मे जरूर जाये | फिर सोचे कि क्या ये सब निर्माण फ्री मे हुआ होगा ?

७- आज कांग्रेस के नेता और खासकर दिग्विजय सिंह लोगो को सन्यासी की परिभाषा बताते है तो फिर वे सतपाल महाराज के गले मे पत्थर बांधकर समुद्र मे क्यों नही फेक देते ?
सतपाल महाराज के तीन मेडिकल कॉलेज चार फिजियोथैरेपी कॉलेज और कई दूसरे कोलेज है ये कांग्रेस के बड़े नेता है और केन्द्र मे रेल मंत्री भी रहे है आजकल यूपी मे कांग्रेस का खूब प्रचार कर रहे है | तो ये कौन से सन्यासी है ? इन्होने तो आजतक आम आदमी के लिए कुछ नही किया ?

असल मे कांग्रेस पिछले दो साल से बाबा रामदेव और आचार्य बाल कृष्ण के पीछे अपनी पूरी जाँच एजेंसियों से सब कुछ जाँच करवा लिया और मिला कुछ भी नही इसलिए अब कांग्रेस अपना मानसिक संतुलन खो चुकी है |

मीडिया मे बाबा की आलोचना के पीछे बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ और कांग्रेस दोनों की मिलीभगत है क्योकि बाबा रामदेव से दोनों बहुत डरती है इसका नमूना लोगो ने तब देख लिया जब राहुल गाँधी से एक प्रत्रकार ने कालेधन पर सवाल पूछ लिया तो उन्हें बाबा रामदेव दिखने लगे |

यूपी मे जिस तरह से बाबा ने कांग्रेस के खिलाफ जमकर प्रचार किया उससे कांग्रेस की हालत बहुत खराब हुयी है इसलिए कांग्रेसी और बाबा का नाम सुनते ही कुत्ते की तरह भौकने लगते है |

Wednesday 18 April 2012

मित्रों ये नज्म अली सरदार जाफरी ने १९४८ मे ही देश के हालात से तंग आकर लिखी थी ..सोचिये अगर वो आज जिन्दा होते तो क्या लिखते ?



कौन आज़ाद हुआ ?


किसके माथे से सियाही छुटी ?
मेरे सीने मे दर्द है महकुमी का
मादरे हिंद के चेहरे पे उदासी है वही
कौन आज़ाद हुआ ?


खंजर आज़ाद है सीने मे उतरने के लिए
वर्दी आज़ाद है वेगुनाहो पर जुल्मो सितम के लिए
मौत आज़ाद है लाशो पर गुजरने के लिए
कौन आज़ाद हुआ ?


काले बाज़ार मे बदशक्ल चुदैलों की तरह
कीमते काली दुकानों पर खड़ी रहती है
हर खरीदार की जेबो को कतरने के लिए
कौन आज़ाद हुआ ?


कारखानों मे लगा रहता है
साँस लेती हुयी लाशो का हुजूम
बीच मे उनके फिरा करती है बेकारी भी
अपने खूंखार दहन खोले हुए
कौन आज़ाद हुआ ?




रोटियाँ चकलो की कहवाये है
जिनको सरमाये के द्ल्लालो ने
नफाखोरी के झरोखों मे सजा रखा है
बालियाँ धान की गेंहूँ के सुनहरे गोशे
मिस्रो यूनान के मजबूर गुलामो की तरह
अजबनी देश के बाजारों मे बिक जाते है
और बदबख्त किसानो की तडपती हुयी रूह
अपने अल्फाज मे मुंह ढांप के सो जाती है


कौन आजाद हुआ ?

































Monday 16 April 2012

सोनिया गाँधी शुक्र है की इस देश के युवा कीबोर्ड पर अपना गुस्सा निकाल रहे है .. अब उनके हाथ से कीबोर्ड मत छीनो ..

यूपी चुनाव मे जिस तरह से सोशल मीडिया ने भोदू युवराज को समाज के सामने नंगा किया और उसकी नीच और घटिया नौटंकी की हकीकत इस देश के सामने नेट के द्वारा लोगो को बताया ..अब ये सरकार इस वैकल्पिक मीडिया से डर गयी है |
सरकार अब ये सोच रही है की वो करोडो रूपये देकर तो कुत्ते जैसे भौकने वाले मीडिया का मुंह बंद करवा देती है लेकिन वो इस वैकल्पिक मीडिया जो वेब मैग्जीन , फेसबुक आदि के द्वारा उभर रही है उसका मुंह कैसे बंद करवाए ?

असल मे यूपी हार की समीक्षा के लिए जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली कमेटी ने जो रिपोर्ट सोनिया गाँधी के सौपी है उसमे कांग्रेस की हार के लिए एक बड़ा कारण सोशल मीडिया को बताया गया है |http://www.jagran.com/news/national-9144574.html
जयराम रमेश ने अपनी रिपोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया पे कांग्रेस के खिलाफ बहुत ही ज्यादा लोग अपने तन, मन और धन से सक्रिय है और कांग्रेस अपने पालेले कुत्तों से सहारे उनका मुकाबला नही कर पायेगी |

फिर अंत मे वही होना था जो हमेशा मे कांग्रेस की नीति रही है यानी डंडे और पावर के दम पर लोगो की आवाज को ही खामोश कर दो |

लेकिन कांग्रेस एक बहुत बड़ी गलती करने जा रही है .. इस देश के युवाओ की अगर स्वत्रंत आवाज दबाने की कोशिश की गयी तो फिर सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को भागकर इटली मे शरण लेना पडेगा |

Sunday 15 April 2012

सुबह निर्मल बाबा का बखान और शाम को उनकी ही बखिया उधेड़ने वाली भारतीय मीडिया के लिए कुत्ता , कमीना , और नीच जैसे शब्द भी कुछ नही है

कौन कहता है, कि- बुद्धिजीवी बनिया नहीं बन सकता ? निर्मल बाबा के बारे में न्यूज़ चैनल्स पर खुलासे देख रहा था ! अजीब मुश्किलों का सामना करना पड़ा - मेरे दिमाग को ! सुबह यही चैनल्स उनका समागम (पैसे लेकर) दिखाते थे और अब शाम को उनकी धज्जियां उड़ाते ! एहसानफ़रामोशी का इस से ताज़ा नमूना देखने को नहीं मिला-लिहाजा ताज्जुब हुआ ! सुबह और शाम की सोच में इतना बड़ा फर्क ? या फिर सुबह नींद की अंगडाई में अंतार्त्मा भूल गयी कुछ कहना- और शाम को भड़ासिए अंदाज़ में शुरू ! बाज़ार में चीज़ें बिकती हैं - पर रंग भी इतनी तेज़ी से बदलती हैं, गुमान तक ना था ! 

दिल्ली की वादियों में ही रहकर , दूर-दृष्टी रख, पूरे हिन्दुस्तान का हाल बयां करने वाले हमारे चमत्कारी पत्रकारों को निर्मल बाबा के चमत्कार में खोट नज़र आया- सुबह नहीं, शाम को ! निर्मल बाबा को भी समझ आया- कि - उनसे भी बड़े चमत्कारी बाबा न्यूज़ चैनल्स में बैठे हैं, ! ऐसे बाबा- जो सुबह किसी का मुंह चमचमाता हुआ दिखा दें और रात होते-होते मुंह पर कालिख पोत दें ! निर्मल बाबा ने कोई साधना नहीं कि- पर स्वयंभू बन बैठे ! गुरु घंटाल पत्रकारों की शरण में जाते तो सिद्ध हो जाते कि किसको कैसे साधना है ! गुरु के बिना उपासना का परिणाम बुरा होता है ! 

चमत्कारी (गुरु) पत्रकारों के बिना साधना का परिणाम , आज निर्मल बाबा को भोगना पड़ रहा है !

बुजुर्गों का कहना है

हर बात बिकती है- हर नशा बिकता है
वो "सच" है- जो दिखता है
सुबह कुछ -तो-शाम को कुछ कहने वाला चाहिए
तजुर्बा नहीं - सिर्फ "दूर-दृष्टी" चाहिए
ज़बान चाहिए और अंदाजेबयां का हुनर चाहिए
इस लफ्फाजी के लिए एक अदद न्यूज़ चैनल्स चाहिए
चमत्कारी पत्रकारों ने दिखा दिया अपना चमत्कार

चुप क्यों हैं निर्मल बाबा- कुछ तो कहिये
अंत में निर्मल बाबा कह दिए-------
हर खरीदार को बाज़ार में बिकता पाया
हम क्या पायेंगे- किसी ने यहाँ क्या पाया

Saturday 14 April 2012

सोनिया गाँधी के काली कमाई का एजेंट है कृपाशंकर सिंह :- ये सोनिया गाँधी के काली कमाई को मुंबई मे ठिकाने लगता है .

सोनिया गाँधी के काली कमाई का एजेंट है कृपाशंकर सिंह :-

सोनिया गाँधी का करीबी  जिसे कांग्रेस आजतक पार्टी से निकालने की हिम्मत नही कर पा रही है वो कृपाशंकर सिंह चार सौ जिन्दा कारतूस घर मे रखता था |

ये नीच कांग्रेसी आखिर चार सौ कारतूसो का क्या करता ? ये सब चुनाव के समय के कांग्रेस की दंगे भडकाने की चाल तो नही है ?


मित्रों , कृपाशंकर सिंह के खिलाफ कई केस दर्ज थे लेकिन राज्य सरकार उनके उपर कोई करवाई नही कर रही थी लेकिन आज जिस तरह मे बाम्बे हाई कोर्ट ने कड़ा कदम उठाया है और कृपा शंकर सिंह को इस्तीफ़ा देना पड़ा तो उम्मीद है कि सोनिया गाँधी की काली कमाई को मुंबई और मुंबई के रास्ते विदेश भेजने वाले इस दलाल पर कोई करवाई होगी |

कौन है ये कृपाशंकर सिंह --
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ये मूल रूप से यूपी के जौनपुर का रहने वाला है लेकिन मुंबई मे इसने पहले ठेले पर घूम घूम कर सब्जी बेचीं | फिर ये बीच समुद्र से जहाजों मे से तेल चोरी करने वाले गिरोह मे शामिल हों गया और तेल चोरी से इसने खूब पैसे कमाए | फिर जब चोरी से दौलत आई तो इसे राजनीती का चस्का लगा और जैसा कि सारे चोर कांग्रेस मे शामिल होते है इसने भी कांग्रेस आई करी ज्वाइन| बाद मे ये सोनिया गाँधी की नजर मे आ गया और महाराष्ट्र का गृहराज्य मंत्री भी बना |

इसके उपर लगे आरोप
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1-इसके उपर सबसे पहला आरोप ये लगा की इसने चुनाव आयोग और सरकार को अपनी झूठी शैक्षिक योग्यता बताई ..

इसने अपने आप को बीएससी बताया था लेकिन एक आर टी आई के जवाब मे जौनपुर का जय हिंद कॉलेज बताया की ये 10 फेल है
आप इस लिकं को पढे
http://m.mumbaimirror.com/index.aspx?Page=article&sectname=News+-+City&sectid=2&contentid=201110192011101903261664aa541982

2- मधु कोड़ा का पैसा मुंबई मे इन्वेस्ट करने का आरोप
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इसके लडके की शादी झारखंड के कांग्रेस नेता और मधु कोड़ा सरकार मे मंत्री रहे कमलेश सिंह की लड़की से हुयी है .. इसके लडके के चार अलग अलग बैंक खातों मे झारखण्ड से कुल दो सौ (200 )करोड रूपये ट्रान्सफर हुए |

जिसकी ई डी ने जाँच भी की लेकिन सोनिया गाँधी के दबाव मे इसको क्लीन चिट् मिल गयी |
आप इस लिंक को पढे
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/7523834.cms

3- 2 जी घोटाले मे शाहिद बलवा की कम्पनी से पैसा लिया और उसे राबर्ट वढेरा की कम्पनी को कर्ज के तौर पर दिया
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आपको जानकर आश्चर्य होगा की राबर्ट वढेरा ने कृपाशंकर सिंह से पांच सौ करोड रूपये बतौर कर्ज लिए .. जी हाँ ये सच है | असल मे 2 जी के खेल मे इसने घोटाले के पैसो को इधर उधर करने मे बड़ी भूमिका निभाई |

4- इसके और इसकी पत्नी के नाम दो दो पैन कार्ड है
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कानूनन कोई भी दो पैन कार्ड नही रख सकता लेकिन कृपाशंकर सिंह और उनकी पत्नी मालती देवी के नाम पर दो - दो पेन कार्ड नंबर हैं ! इसके अलावा बांद्रा में जिस जगह पर उनका घर है , वह प्लॉट पर पिछड़ी जाती के लिए आरक्षित था। कृपाशंकर सिंह के लिए आरक्षण बदला गया।

5- आय से कई गुणा सम्पति
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आज मुंबई हाई कोर्ट ने कहा कि कृपाशंकर सिंह और उनके पूरे परिवार की कुल आय से कई हज़ार गुणा संपत्ति इनके पास कैसे आई ? जबकि कोर्ट ने अभी तक सिर्फ इसकी घोषित सम्पति ही देखी है .इसलिए कोर्ट ने कहा की इसने अघोषित संपत्ति भी बनाई होगी और उसके जाँच के आदेश दिये |

आखिर ये सोनिया का कृपापात्र क्यों रहा ?

सब जानते है की देश के किसी भी हवाई अड्डों पर राबर्ट वढेरा और उसके सामान की कोई भी जाँच नही होती इसके आड़ मे राबर्ट मुंबई मे जितनी भी काली कमाई इन्वेस्ट किया है वो सब इसके घर पर रखी जाती है फिर उसे राबर्ट विदेश मे जमा कर देता है | असल मे कृपाशंकर सिंह के उपर पहले भी कई गम्भीर आरोप लगते रहे लेकिन सोनिया गाँधी ने हमेशा ही इसको बचाया |

लेकिन अब जब कोर्ट ने सख्ती दिखाई है तो देखना है कि ये भ्रष्ट नेता अब कैसे बचता है |

हमे मुंबई के आर टी आई एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक संजय तिवारी जी का भी शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने इस भ्रष्ट नेता के खिलाफ कई सालो से मोर्चा खोल रखा है और इसके खिलाफ केस भी लड़े और जीते ..


इस नीच ने कई बार संजय तिवारी पर जानलेवा हमला भी करवाया लेकिन संजय तिवारी डरे नही और डटे रहे | संजय तिवारी ने एक स्टिंग भी किया था जब कृपाशंकर का एक आदमी उनको दो सौ करोड देने का लालच दे रहा था
Science graduate or Class 12 failed? Kripa gets numbers wrong, News - City - Mumbai Mirror
m.mumbaimirror.com

भारतीय मीडिया :: विश्व की सबसे नीच और दोगली मीडिया है

मित्रों अगर दो आदमी किसी कुत्ते को अपने पास बुलाने की कोशिश करे .एक आदमी के पास रोटी का एक टुकड़ा हो और दूसरे आदमी का हाथ खाली हो तो कुत्ता किस आदमी के पास जायेगा ?

जाहिर है कुत्ता हमेशा उसी आदमी के पास जाता है जो उसे रोटी का टुकड़ा लेकर बुलाए .....ठीक यही उदाहरण भारतीय मीडिया पर लागू होती है . एक सर्वे में भारतीय मीडिया को पुरे विश्व में सबसे भ्रष्ट और लालची बताया गया है ..क्योंकि आज लगभग सभी भारतीय मीडिया एक कॉर्पोरेट हॉउस की तरह चल रही है और स्टाक एक्सचेंज में लिस्टेड हो चुकी है . तो जाहिर है उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात सिर्फ और सिर्फ मुनाफा कमाना हो गया है .. नैतिकता , सच्चाई ,निरभिकता , और ‌प्रजाहित आज भारतीय मीडिया के लिए महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि कैसे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जाये ये महत्वपूर्ण है चाहे इसके लिए पत्रकारिता के सारे सिद्धांत की क़ुरबानी ही क्यों न देनी पड़े 

मित्रों , निर्मल बाबा जैसा महाठग जब तक इन चैनेलो के आगे हड्डी फेकता रहा तब तक ये उसके बारे मे कुछ नही बोली .. फिर जब वेब मीडिया पर निर्मल बाबा के खिलाफ एक जोरदार अभियान चला तब जाकर सबसे पहले न्यूज़ एक्सप्रेस ने निर्मल बाबा के खिलाफ कार्यक्रम दिखाने की शुरुआत की .. फिर जाकर उसके बाद कुछ और चनेलो ने निर्मल बाबा की पोल खोलनी शुरू की ..


लेकिन निर्मलजीत सिंह नरुला को तो निर्मल बाबा इसी मीडिया ने ही बनाया ?

.मित्रों अभी ताजा उदाहरण बाबा रामदेव का है .. आज गली गली में बहुत से ऐसे खोजी पत्रकार पैदा हो गए है जिनसे तो विकिलिक्स के असंजे भी शर्मा जाये .. कोई बालकृष्ण के गांव पहुच जाता है कोई बाबा रामदेव की कंपनी खोज रहा है .. जबकि कुछ दिनों पहले तक इस देश की सारी मीडिया बाबा रामदेव के आगे पीछे घुमती रहती थी .. रामदेव को स्वामी रामदेव बनाने में इस देश की मीडिया का भी बहुत योगदान है ये बात खुद बाबा रामदेव ने कही है क्योंकि योग को घर घर पहुचने का काम मीडिया ने किया है

.लेकिन आज यही मीडिया बाबा के पीछे खोजी पत्रकारिता क्यों कर रही है ? क्योंकि सरकार ने १३०० करोड़ का बजट भारत निर्माण के विज्ञापन के लिए निर्धारित किया है पहली बात तो कांग्रेस बार बार नैतिकता की बात करती है तो क्या सरकारी पैसे से किसी राजनितिक पार्टी का प्रचार नहीं हो सकता ..मैंने प्रधानमंत्री कर्यालय को पत्र लिखकर इस बाबत पूछा तो वहा से जबाब मिला की ये सरकार और सरकार की योजनाओ का प्रचार है ना की किसी पार्टी का .मैंने फिर पूछा पूछा की अगर ये सरकार का प्रचार है तो इसमें सोनिया गाँधी को क्यों दिखाया जाता है ?

 सोनिया गाँधी किस संवैधानिक पद पर है ?? तो प्रधानमंत्री कार्यालय ने मेरे बार बार रीमाईनडर भेजने के बावजूद चुप्पी साध ली है ..सरकार की ओर से सारे मीडिया को चेतावनी दे दी गई है की वो अब रामलीला मैदान की हैवातियत की फुटेज को ना दिखाए और अन्ना और बाबा रामदेव के बारे में नकारात्मक छबी ही दिखाए , नहीं तो उन्हें अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा . और करोडो रूपये के सरकारी विज्ञापन से भी हाथ धोना पड़ेगा .. 

एक बात मै और बता दूँ की इस देश के सभी मीडिया हाउसों ने विदेशी निवेश के नियमों की और शेयर ट्रान्सफर के नियमों की खुल कर धज्जिय उड़ाई है इसलिए सरकार के हुकम को हर एक मिडिया घराने को मानना जरुरी हो जाता है क्योंकि जो खुद दागदार हो वो दूसरे की कमियां नहीं बता सकता ..चलते चलते अब  मित्रो द्वारा सुनाई गयी खबर भी निचे लिख रहा  हूँ  दिग्विजय के बयानों से प्रभावित हो कर भारत सरकार का ऐलान,अब दिग्विजय के जन्म दिवस, अंतर्राष्ट्रीय मुर्खता दिवस मनाया जायेगा.अन्ना हजारे की दिग्विजय को पुणे के पागलखाने में दाखिले की नसीहत के बाद, पागलखाने के पागल अनशन पर बैठ गए.. ज्ञात हो की इससे पहले गधे भी इसी बात को लेकर अनशन पर बैठे थे..

राजबाला का सबसे बड़ा गुनाह :::क्योकि वो राजबाला थी .कोई जकिया जाफरी या जाहिरा शेख नही ....












 







क्योंकि वो राजबाला थी कोई जकिया जाफरी या जाहिरा शेख नहीं !! 

क्या आपने कभी सोचा कि अगर रामलीला मैदान मे कोई मुस्लिम धर्म गुरु सभा करता तो भी क्या वहा कांग्रेस रात तो दो बजे महिलाओ और बच्चो को घेर कर लाठियो और गोलियों से भूनती ? बेचारी राजबाला १२४ दिनों तक कोमा मे रहने के बाद जिंदगी की जंग हार गयी . डॉक्टरों ने सरकार को तीन बार पत्र लिखा था उन्हें अमेरिका के पेंसिल्वेनिया मेडिकल इंस्टीट्यूट भेजना चाहिए .. लेकिन आम आदमी का दंभ भरने वाली कांग्रेस कितनी निर्दयी है की उसने अमेरिका तो दूर भारत मे भी उसका इलाज ठीक से नहीं करवाया .

एक तरफ सोनिया गाँधी को सरकार एक खास एयर एम्बुलेंस मे रातो रात अमेरिका इलाज के लिए भेजती है और सोनिया के लिए 20 लाख रूपये प्रतिदिन वाला सेवेन स्टार सुइट बुक करवाती है इस सुइट मे से हडसन नदी , स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी , और अटलांटिक महासागर का दिलकश नज़ारा साफ साफ दिखता है ..सच कहा गया है जिसे अय्याशी की लत लग चुकी हों उसे बीमारी मे भी अय्याशी करने की आदत नहीं जायेगी ..जबकी राजबाला की मौत की रिपोर्ट के लिए उनके परिजनों को धरने पर बैठना पड़ा .

इस घटना के दो सबसे बड़े शर्मनाक पहलु है ..पहला राजबाला को लेकर मिडिया का दोगला रवैया और दूसरा सरकार और कांग्रेस का दोगलापन . राजबाला १२४ दिनों तक दिल्ली के एक अस्पताल मे जिंदगी और मौत का संघर्ष कर रही थी लेकिन इस बीच कांग्रेस का एक भी नेता और सरकार का एक भी मंत्री उनका हाल चाल लेने नहीं पंहुचा .. क्या राजबाला की जगह कोई मुस्लिम महिला होती तो भी क्या कांग्रेस इतनी नीच रवैया दिखाती ? एक तरफ भरतपुर मे हिंसा पर उतारू भीड़ पर पुलिस को मज़बूरी मे गोली चलानी पड़ी जिससे दो मुस्लमान मरे .. फिर आनन फानन मे कांग्रेस ने वहाँ के एसपी और डीएम पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया ..तो फिर राजबाला के हत्या के लिए चितंबरम और दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियो पर हत्या का मुकदमा क्यों नहीं सरकार दर्ज करने का आदेश देती है ? क्या सिर्फ इसलिए कि राजबाला हिंदू है और कांग्रेस हिन्दुओ से अति घृणा करती है ?

इस घटना को लेकर मीडिया ने भी अपने दोगलेपन का फिर एक उदाहरण पेश किया . जब राजबाला का अंतिम सस्कार मे बाबा रामदेव और सुषमा स्वराज पहुचे तो मीडिया खासकर एनडीटीवी बार बार दिखा रहा था कि राजबाला के अंतिम संस्कार मे भी सियासत । जबकि ये दोगला चैनेल जिसके उपर भष्टाचार के कई आरोप है जिसके मलिक प्रणव रॉय के उपर सीबीआई मे तीन केस दर्ज है जो कांग्रेस के फेके टुकडो पर पलता है वो गुजरात दंगे के १० साल बाद भी उसको बार बार कुरेदता है तो क्या ये सियासत नहीं है ?

4 जून को हुए हादसे के बाद कितने पत्रकारों ने उसकी हालत जानने का प्रयास किया ? कितने चैनल में यह खबर दिखाई गयी कि पुलिस बर्बरता की शिकार एक निरीह महिला को अस्पताल में सही इलाज भी मिल पा रहा है या नहीं ? क्या किसी ने गुड़गांव में उसके घर जाकर परिजनों से कोई प्रतिक्रिया मांगी ? जब एक मुस्लिम लड़की पर तेजाब फेका जाता है तो कांग्रेस सरकार उसका अमेरिका मे प्लास्टिक सर्जरी करवाती है इसमें मुझे या किसी को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जब किसी हिंदू पीड़ित की बारी आती है फिर कांग्रेस की संवेदनाये क्यों मर जाती है ? अभी ताजा उदाहरण एक हिंदू दलित महिला भंवरी देवी का है . भारत के इतिहास मे पहली बार हुआ है कि एक मंत्री पर बलात्कार , अपहरण , हत्या जैसे संगीन आरोप मे एफ आई आर दर्ज होता है लेकिन ना तो मंत्री इस्तीफ़ा देता है और ना कांग्रेस उस मंत्री से इस्तीफा लेती है अगर उस भंवरी देवी की जगह कोई मुस्लिम महिला होती तो भी क्या कांग्रेस चूप रहती ?

क्या कांग्रेस का चूप रहना यह सिद्ध नहीं करता की कांग्रेस हिंदू महिलाओ के उपर होने वाले अत्याचार का समर्थन करती है ? वैसे भी कांग्रेस एक बिल ला रही है जिसमे हिन्दू महीला के साथ किया बलात्कार अपराध नहीं होगा. कांग्रेस के इस रवैये ने ये साफ कर दिया है कि कांग्रेस को हिन्दुओ के दुःख दर्द से कोई मतलब नहीं है आज राजबाला है कल हमारे घर की माँ और बहने भी कांग्रेस की लाठियो से घायल होकर एक जिन्दा लाश की तरह पड़ी रहेंगी अब वक्त आ गया है कि हम सब हिंदू अपनी जाति , भाषा , प्रान्त भुलाकर संगठित होकर इस देश से कांग्रेस का सफाया कर दे . नहीं तो हमें राजबाला की तरह तडप तडप कर मरने के लिए तैयार रहना पड़ेगा

नीच कांग्रेस अब गुजरात को भी जातिवाद के जहर में धकेलना चाह रही है ..



मित्रों, अभी पटेल समाज के अग्रणी मनसुख भाई बीजेपी से राज्यसभा सांसद चुने जाने के बाद पटेल समुदाय सूरत में उनका अभिनन्दन करने जा रहा है .. जिसमे मोदी जी भाई भाग लेने वाले है |

लेकिन कांग्रेस के सीने पर सांप लोटने लगा है .. कांग्रेस ने सूरत में सभी पटेलो के घर एक पर्ची बंटवा रही है जिसमे जातिवाद फ़ैलाने की जहर भरी बाते लिखी हुयी है ..

केशुभाई पटेल के पीठ में छुरा तो कांग्रेस ने भोका था
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आज कांग्रेस को केशुभाई की याद आ रही है .लेकिन जब केशुभाई गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब इसी कांग्रेस के इशारे पर गद्दार शंकर सिंह वाघेला ने उनके खिलाफ बगावत कर दिया था .. और ३० विधायको को कांग्रेस नेता और तबके गुजरात प्रदेश के प्रभारी कमलनाथ के निजी विमान से खजुराहो में कमलनाथ के ही होटल में रखवाया था |

फिर बाद में शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस से समर्थन लेकर कुछ महीनों के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री भी बने .. और यही नीच कांग्रेस जो आज बार बार केशुभाई से झूठी हमदर्दी दिखा रही है उसने राष्ट्रपति से मिलाकर केशुभाई पटेल के कार्यकाल में हुए सभी कामो को जांचने की मांग की थी .. और तबके गुजरात कांग्रेस के नेता केशुभाई पटेल को दुनिया का सबसे भ्रष्ट इंसान कहते थे |

उस समय एक अखबार ने एक लेख लिखा था जिसमे शंकर सिंह वाघेला की तुलना दुनिया के अब तक के सबसे बड़े गद्दार ब्रूटस से किया था . और लिखा था कि जब जूलियस सीजर के पीठ में दुश्मन छुरा भोक रहे थे तब जूलियस सीजर के मुंह से अंतिम शब्द "ब्रूटस क्या तुम भी ?" ठीक यही शब्द केशुभाई ने भी शकर सिंह वाघेला को रातोंरात पलटी मरने पर खा होगा |

मै गुजरात के सबसे अग्रेसर और मेहनती , जमीन से जुड़े हुए और काफी ईमानदार और मिलनसार पटेल समुदाय से अपील करता हूँ कि वो कांग्रेस के दोगलेपन को पहचाने .. आज कांग्रेस सत्ता पाने के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकती है .. आज जो कांग्रेस बार बार केशुबापा केशुबापा की रत लगा रही है ये सिर्फ सत्ता पाने के लिए की जा रही एक घटिया नौटंकी है |

तब कांग्रेस को केशुबापा के अपमान की चिंता क्यों नही हुयी जब कांग्रेस ने समर्थन देकर शंकर सिंह वाघेला को मुख्यमंत्री बना दिया था ?

सोचो मेरे पटेल मित्रों और इसे अपने समुदाय के दूसरे लोगो को भी बताओ |

किसी भी देश या प्रदेश का भला जातिवाद के जहर से नही हो सकता ..

Thursday 12 April 2012

राहुल गाँधी की सिर्फ एक घटिया नौटंकी के पीछे अब तक एक करोड बीस लाख रूपये खर्च हों चुके है !!! अभी आगे और खर्च होंगे .



मित्रों , राहुल गाँधी बार बार मीडिया की बिकाऊ टीम कैमरों के साथ लेकर रोज कोई न कोई घटिया नौटंकी करते रहते है ..लेकिन उनकी इस घटिया नौटंकी का खामियाजा इस देश के खजाने को ही भुगतना पड़ता है ..

आप लोगो को याद होगा कि पिछले साल ये मुर्ख शिरोमणी अपने आप को सादगी पसंद दिखाने के लिए दिल्ली से अमृतसर तक शताब्दी एक्सप्रेस मे यात्रा किया था .. लेकिन इसके कोच पर किसी ने पत्थर फेक दिया था .. फिर इसका पालतू चितंबरम ने सीबीआई और आई बी को इसकी जाँच करने का जिम्मा दिया ..

एक सामाजिक कार्यकर्त्ता मयंक शर्मा ने गृह मंत्रालय से आर टी आई करके पूछा कि इस जाँच के पीछे सरकार ने अब तक कितने रूपये खर्च कर चुकी है ? और क्या जाँच पूरी ही चुकी है ?

जबाब आया अब तक सरकार एक करोड बीस लाख रूपये इस जाँच पर खर्च कर चुकी है और जाँच अभी भी चल रही है ..यानि अभी और रूपये खर्च होंगे ..

मित्रों सोचिये इस मुर्ख की घटिया नौटंकी का खामियाजा पुरे देश को कैसे भुगतना पड़ता है ..

दरअसल कोच पर पत्थर बाजी खुद राहुल गाँधी की ही चाल रही होगी ..क्योंकि उन्होंने सोचा होगा कि जब वो एक बार ट्रेन मे सफर करंगे और फिर जब प्लेन मे सफर करेंगे तो फिर मीडिया और जनता उनसे सवाल करेगी कि अब कहा गया राहुल गाँधी का आम आदमी ...इसलिए राहुल गाँधी ने अपने किसी खास आदमी से ट्रेन पर पत्थर फेकवाया और फिर उनके प्लान के अनुसार गृह मंत्रालय ने कह दिया कि सरकार अब राहुल गाँधी को ट्रेन से यात्रा करने का परमिसन नहीं देगी ..क्योकि राहुल गाँधी आतंकवादियो के निशाने पर है .. लेकिन क्या आज तक किसी आतंकवादी ने पत्थर से किसी पर हमला किया है ?

केंद्र सरकार ने सेना की छह एकड़ जमीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को एलाट किया

इसमें गलत क्या है ? अगर हम किसी को पाले और वो हमारी खूब सेवा करे तो फिर उनको "बकसीस" देना हमारा फर्ज है !!!

अगर हमें किसी होटल मे खाना पसंद आता है तो हम बैयेरे के साथ साथ रसोइये को भी "टिप" देते है !!

फिर अगर केन्द्र की कांग्रेस सरकार राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनके काम से खुश होकर उन्हें सेना की छह एकड जमीन आलिशान बंगला बनाने के लिए दे रही है तो इसमें गलत क्या है ? अरे भाई सेना और ये देश गया भाड़ मे ... प्रतिभा पाटिल के हाथो के स्वादिष्ट आमलेट और कुरकुरे करारे पराठे इंदिरा गाँधी आज भी उपर बहुत मिस करती है !!!!

आखिर आपलोग कांग्रेस को क्यों कोसते है ? कांग्रेस इतनी भी नीच नही है कि एहसानो का बदला न दे ..... बल्कि कांग्रेस के विचार तो इतने उच्च है कि सेना की जमीन भी राष्ट्रपति को एलाट कर देती है ..
 सैनिको का क्या ? वो तो जिंदगी भर सड़क के किनारे टेंट मे अपनी जिंदगी गुजार देते है ..

लेकिन हमारी कांग्रेसी राष्ट्रपति जो इतने नाजो ओ खास से भारत की महामहिम है और जिन्होंने सिर्फ ३०० करोड रूपये विदेश यात्रा पर खर्च किये ... सिर्फ इसलिए क्योकि सोनिया गाँधी ने तो १८५९ करोड रूपये अपनी निजी विदेश यात्रा पर सरकारी खजाने से खर्च किये ...

भाई कांग्रेस का सिद्धांत बहुत अच्छा है .. ये सबको साथ लेकर चलने मे यकीन रखती है .. सब इस देश को लूट रहे है तो फिर हमारी राष्ट्रपति महोदया का भी तो हक बनता है ..

सच है ..

भारत के विनाश का सपना बुना ..

देश को लुटा कई गुणा ..

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/12634979.cms

Wednesday 11 April 2012

सिर्फ़ नेहरु - गांधी खानदान के नाम से सारा देश चलेगा ? क्या कांग्रेस ये समझती है कि इस देश के लिए भगत सिंह , रानी लछमी बाई , नेताजी सुभाष चन्द्र बोस , सरदार पटेल जैसे लोगो ने कुछ नही किया ?


टोटल 252 Government Schemes and Projects, नकली गाँधी खानदान के नाम पर है |

कुल 28 Sports/Tournaments/Trophies, इस नकली गाँधी खानदान के नाम पर है

19 Stadium, 5 Airports/ ३ Ports,

98 Universities/ Education Institutes,

51 Awards , 15 Scholarship / Fellowship,

15 National Parks/ Sanctuaries/ Museums,

39 Hospitals/ Medical Institutions,

37 Institutions / Chairs / Festivals,

... 21Roads/ Buildings/places ye sab par Nehru-Gandhi family ke name par chal rahe hey.

इस देश के कुल बीस जगह इस नकली गांधियो के स्मारक कई हज़ार एकड जमीन पर बने है ..

पूरे देश मे कुल २०२१ मूर्तियाँ इन नकली गांधियो की लगी है |

दिल्ली मे कुल चार बड़े सरकारी बंगले जैसे तीन मूर्ति भवन , २ सफदर जंग रोड , इनके लिए मुजियम बना दिये गए है |

मित्रों, ये एक कांग्रेस की गहरी साजिश है ..ताकि हमारी आने वाली पीढिया सभी देशभक्तों , क्रांतिकारीयों और स्वतंत्रता सेनानियों को भूल जाये और इस लुटेरी , महाभ्रष्ट और सत्ता के प्यासे नकली गाँधी खानदान को ही याद रखे |||


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‘सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण अधिनियम-२०११’ की आग में जलेगा देश। कांग्रेस काटेगी वोटों की फसल। बहुसंख्यकों पर होगा अत्याचार।


    कां ग्रेस की नीतियां अब देशवासियों की समझ से परे जाने लगी हैं। संविधान की शपथ लेकर उसकी रक्षा और उसका पालन कराने की बात कहने वाली यूपीए सरकार संविधान विरुद्ध ही कार्य कर रही है। उसने देश को एकसूत्र में फिरोने की जगह दो फाड़ करने की तैयारी की है। वोट बैंक की घृणित राजनीति के फेर में कांग्रेस और उसके नेताओं का आचरण संदिग्ध हो गया है। हाल के घटनाक्रमों को देखकर तो ऐसा ही लगता है कि कांग्रेस फिर से देश बांट कर रहेगी या फिर देश को सांप्रदायिक आग में जलने के लिए धकेलकर ही दम लेगी। सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने ‘सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक-२०११’ तैयार किया है। लम्बे समय से सब ओर से इस विधेयक का विरोध हो रहा है। लगभग सभी विद्वान इसे ‘देश तोड़क विधेयक’ बता रहे हैं। इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ माना जा रहा है। इसे कानूनी जामा पहनाना देश के बहुसंख्यकों को दोयम दर्जे का साबित करने का प्रयास है। इसके बावजूद कांग्रेस की सलाहकार परिषद ने बीते बुधवार को इसे संसद में पारित कराने के लिए सरकार के पास भेज दिया।

    ‘समानांतर सरकार’ नहीं चलने देंगे। सोनिया की एन ए सी  को क्या अधिकार है विधेयक तैयार करने का। यह काम तो संसद का है। इस तरह के बहानों से लोकपाल बिल का विरोध करने वाले सभी कांग्रेसी इस विधेयक को पारित कराने के लिए जी जान से जुट जाएंगे। वह इसलिए कि इस विधेयक को उनकी तथाकथित महान नेता सोनिया गांधी के नेतृत्व में तैयार कराया गया है, किसी अन्ना या रामदेव के नेतृत्व में नहीं। इसलिए भी वे पूरी ताकत झोंक देंगे ताकि इस विधेयक के नाम से वे अल्पसंख्यकों के ‘वोटों की फसल’ काट सकें। अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के सुझाव मानने से तो उनकी ‘लूट’ बंद हो जाती। जबकि यह विधेयक उन्हें भारत को और लूटने में मददगार साबित होगा। कांग्रेस की यह ‘दादागिरी’ कि हम पांच साल के लिए चुनकर आए हैं हम जो चाहे करेंगे। इससे देश का मतदाता स्वयं को अपमानित महसूस कर रहा है। 


 अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलन में बड़ी भारी संख्या में शामिल होकर उसने कांग्रेस को बताने का प्रयास किया कि उसकी नीतियां देश के खिलाफ हो रही हैं। वक्त है कांग्रेस पटरी पर आ जाए, लेकिन सत्ता के मद में चूर कांग्रेस आमजन की आवाज कहां सुनती है। आप खुद तय कर सकते हैं कि यह विधेयक देश में सांस्कृतिक एकता के लिए कितना घातक है। फिर आप तय कीजिए क्या ऐसे किसी कानून की देश को जरूरत है? क्या ओछी मानसिकता वाली कांग्रेस की देश को अब जरूरत है? क्या यूपीए सरकार की नीतियां और उसका आचरण देखकर नहीं लगता कि शासन व्यवस्था में ‘देशबंधु’ कम ‘देशशत्रु’ अधिक बैठे हैं? क्या कांग्रेस नीत यूपीए सरकार को पांच साल तक सत्ता में बने रहने का अधिकार है? क्या इस तरह देश में कभी चैन-अमन कायम हो सकेगा? क्या इससे ‘बहुसंख्यक’ अपने को कुंठित महसूस नहीं करेगा?

    ‘सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक-२०११’ कहता है…

    1- ‘बहुसंख्यक’ हत्यारे, हिंसक और दंगाई प्रवृति के होते हैं। (विकीलीक्स के खुलासे में सामने आया था कि देश के बहुसंख्यकों को लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी की इस तरह की मानसिकता है।) जबकि ‘अल्पसंख्यक’ तो दूध के दुले हैं। वे तो करुणा के सागर होते हैं। अल्पसंख्यक समुदायक के तो सब लोग अब तक संत ही निकले हैं।

    2- दंगो और सांप्रदायिक हिंसा के दौरान यौन अपराधों को तभी दंडनीय मानने की बात कही गई है अगर वह अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों के साथ हो। यानी अगर किसी बहुसंख्यक समुदाय की महिला के साथ दंगे के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति बलात्कार करता है तो ये दंडनीय नहीं होगा।

    3- यदि दंगे में कोई अल्पसंख्यक घृणा व वैमनस्य फैलता है तो यह अपराध नहीं माना जायेगा, लेकिन अगर कोई बहुसंख्यक ऐसा करता है तो उसे कठोर सजा दी जायेगी। (बहुसंख्यकों को इस तरह के झूठे आरोपों में फंसाना आसान होगा। यानी उनका मरना तय है।)

    4- इस अधिनियम में केवल अल्पसंख्यक समूहों की रक्षा की ही बात की गई है। सांप्रदायिक हिंसा में बहुसंख्यक पिटते हैं तो पिटते रहें, मरते हैं तो मरते रहें। क्या यह माना जा सकता है कि सांप्रदायिक हिंसा में सिर्फ अल्पसंख्यक ही मरते हैं?

    5- इस देश तोड़क कानून के तहत सिर्फ और सिर्फ बहुसंख्यकों के ही खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। अप्ल्संख्यक कानून के दायरे से बाहर होंगे।

    6- सांप्रदायिक दंगो की समस्त जवाबदारी बहुसंख्यकों की ही होगी, क्योंकि बहुसंख्यकों की प्रवृति हमेशा से दंगे भडकाने की होती है। वे आक्रामक प्रवृति के होते हैं।

    ७- दंगो के दौरान होने वाले जान और माल के नुकसान पर मुआवजे के हक़दार सिर्फ अल्पसंख्यक ही होंगे। किसी बहुसंख्यक का भले ही दंगों में पूरा परिवार और संपत्ति नष्ट हो जाए उसे किसी तरह का मुआवजा नहीं मिलेगा। वह भीख मांग कर जीवन काट सकता है। हो सकता है सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का दोषी सिद्ध कर उसके लिए जेल की कोठरी में व्यवस्था कर दी जाए।

    ८- कांग्रेस की चालाकी और भी हैं। इस कानून के तहत अगर किसी भी राज्य में दंगा भड़कता है (चाहे वह कांग्रेस के निर्देश पर भड़का हो।) और अल्पसंख्यकों को कोई नुकसान होता है तो केंद्र सरकार उस राज्य के सरकार को तुरंत बर्खास्त कर सकती है। मतलब कांग्रेस को अब चुनाव जीतने की भी जरूरत नहीं है। बस कोई छोटा सा दंगा कराओ और वहां की भाजपा या अन्य सरकार को बर्खास्त कर स्वयं कब्जा कर लो।

    सोनिया गांधी के नेतृत्व में इन ‘देशप्रेमियों’ ने ‘सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक-२०११’ को तैयार किया है-

    १. सैयद शहबुदीन

    २. हर्ष मंदर

    ३. अनु आगा

    ४. माजा दारूवाला

    ५. अबुसलेह शरिफ्फ़

    ६. असगर अली इंजिनियर

    ७. नाजमी वजीरी

    ८. पी आई जोसे

    ९. तीस्ता जावेद सेतलवाड

    १०. एच .एस फुल्का

    ११. जॉन दयाल

    १२. जस्टिस होस्बेट सुरेश

    १३. कमल फारुखी

    १४. मंज़ूर आलम

    १५. मौलाना निअज़ फारुखी

    १६. राम पुनियानी

    १७. रूपरेखा वर्मा

    १८. समर सिंह

    १९. सौमया उमा

    २०. शबनम हाश्मी

    २१. सिस्टर मारी स्कारिया

    २२. सुखदो थोरात

    २३. सैयद शहाबुद्दीन

    २४. फरह नकवी

Tuesday 10 April 2012

नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट् मिलने से इस देश के कई लोग जो इस्लामिक देशो से चंदे से अपनी दुकान चला रहे थे उनके सीने पर सांप लोट गया .. उन्हें अपने चंदे की टेंशन है ..

नरेंद्र मोदी को क्‍लीन चिट कईयों के लिए बड़ा झटका



गुजरात दंगे के गुलबर्ग मामले में मंगलवार को विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्‍लीन चिट दे दी। लंबी जांच के बाद एसआईटी ने पाया कि गुलबर्ग नरसंहार में मोदी की कोई भूमिका नहीं थी। 'पुराने गुजरातवासियों' के लिए यह खबर जैसी भी हो लेकिन 'वाइबरेंट गुजरात' में रह रहे लोगों के लिए इससे बड़ी खुशी इस समय कोई नहीं। बात अगर झ...टके की कहें तो इस खबर ने उन नेताओं को बड़ा झटका दिया है, जो 2002 के बाद से अब तक मोदी के खिलाफ राजनीति करते आ रहे हैं, यही नहीं मीडिया के उस वर्ग को भी झटका है, जो तब से लेकर आज तक यही चिल्‍लाते आ रहे थे कि मोदी ने दंगे भड़काये।

2002 में गुजरात दंगे भड़के जिसके तुरंत बाद मोदी ने संवेदनशील इलाकों को नियंत्रित करने के लिए सेना बुला ली। फिर सर्किट हाउस से दूरदर्शन पर प्रसारित एक अपील जारी की, जिसमें लोगों से शांति व्‍यवस्‍था बनाये रखने का आग्रह किया गया। लेकिन लोगों को यह गवारा नहीं था। लोगों ने अपने चैनल पलटे और वो निजी न्‍यूज़ चैनल लगा दिये जो चिल्‍ला-चिल्‍ला कर मोदी पर पत्‍थर बरसा रहे थे।

यह तो तब की घटना थी, जब बहुत ज्‍यादा चैनल नहीं थे। दंगे खत्‍म हो गये उसके बाद पिछले 10 साल से जब-जब गुजरात दंगों की बात आती है, तब तब टीवी चैनल अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए ऐसी दलील देते हैं, मानों वही जज हों और वही वकील और दुनिया बेवकूफ। आप खुद देख सकते हैं, जिस समय आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने मोदी पर दंगे में भूमिका होने के आरोप लगाये थे, उस समय देश के लगभग सभी टीवी चैनल 24X7 यही चिल्‍लाते रहे कि दंगों के पीछे मोदी का हाथ है। आज जब मोदी को क्‍लीन चिट मिल गई, तो सभी चैनलों ने महज एक ब्रेकिंग न्‍यूज दिखाकर अपनी औपचारिकताएं पूरी कर लीं।

मैं पूछना चाहूंगा कि टीवी चैनल अब क्‍यों‍ नहीं चिल्‍ला-चिल्‍ला कर कहते, "इस वक्‍त की सबसे बड़ी खबर- नरेंद्र मोदी को मिली क्‍लीन चिट, हम आपको दिखाएंगे इस पर विशेष रिपोर्ट।"

अब बात अगर क्‍लीन चिट मिलने से खुशी और नखुशी की करें तो गुजरात में जिन लोगों की सोच आज भी 10 साल पुरानी है, वो लोग इस खबर को सुनकर जरूर दुखी हुए होंगे। उन्‍हें लगा होगा कि जिस व्‍यक्ति को हमने इतने दिनों तक कठघरे में खड़ा रखा उसे क्‍लीन चिट कैसे मिल गई। वहीं दूसरी सोच वाले व्‍यक्ति वो हैं जो "वाइबरेंट गुजरात" में रह रहे हैं। वे लोग जो चाहते हैं कि गुजरात तेजी से आगे बढ़े। इस खबर के बाद यही लोग सबसे ज्‍यादा खुश हैं, क्‍योंकि गुजरात की और ज्‍यादा तरक्‍की होगी यह विश्‍वास अब और भी ज्‍यादा पक्‍का हो गया है।

कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी मंजूर नही ... २ जी घोटाले पर प्रेसिडेंशियल रिफरेंस लेने का केबिनेट मे प्रस्ताव पास हुआ ..



मित्रों , ये कांग्रेस अब इस देश के न्यायपालिका पर भी बिलकुल विश्वास नही करती | कांग्रेस के लिए असली तीर्थ स्थान या असली सुप्रीम कोर्ट १० जनपथ है |

आज के पहले भारत के ६५ साल के इतिहास मे कभी भी किसी भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रेसिडेंशियल रिफरेंस नही माँगा | सभी सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को स्वीकार किया है |

फिर दो बार ऐसा हुआ है जब किसी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बदला हो | राजीव गाँधी के समय मे जब शाहबानो केस मे सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओ को भी गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया तब राजीव गाँधी मुस्लिम वोट बैंक के तुष्टीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूरे ४८ घंटे लगातार संसद चलवाकर एक नया कानून बनाकर बदल दिया था |

लेकिन चूंकि आज कांग्रेस के पास राज्यसभा मे बहुमत ही नही है और लोकसभा मे भी उसे ९८ दूसरे दलों के समर्थन से बहुमत है इसलिए कांग्रेस अब एक बहुत ही घटिया खेल खेल रही है जो इस देश के सम्विधान के लिए आत्मघाती कदम होगा |

मित्रों, हमारे देश का ढांचा तीन चीजों पर टीका है ..न्यायपालिका , कार्यपालिका , और व्यव्थापिका , लेकिन आज कांग्रेस अपने फायदे के लिए नयायपालिका को तहस नहस करने पर तुली है |

प्रेसिडेंशियल रिफरेंस क्या होता है ?
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चूँकि भारत सरकार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानना ही पड़ता है .और अगर सरकार इससे संतुष्ट न हो या सरकार को कोई संदेह हो तो वो राष्ट्रपति के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से अपने आदेश को बदलने या उसमे संशोधन करने की मांग करती है |


आखिर कांग्रेस को २ जी मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान्य क्यों नही है
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आज कांग्रेस एकदम घटिया तर्क ये दे रही है की २ जी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भारत मे विदेशी निवेश को धक्का लगेगा | ये एकदम कुतर्क और देश को बरगलाने वाली बात है |

मित्रों, ये विदेशी कम्पनीयों को सिर्फ अपना मुनाफा प्यारा होता है ..अगर किसी धंधे मे इनको मोटा मुनाफा मिल रहा हो तो कोई इनको कितना भी लात मारे ये बुरा नही मानेंगे |
उदाहरण के लिए मोरार जी भाई देसाई जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने पहला काम ये किया की कोका कोला सहित सभी विदेशी कम्पनियों को लात मारकर खदेड दिया था .. लेकिन जैसे ही इंदिरा गाँधी प्रधानमंत्री बनी सारी कंपनियां दूम हिलाते हुए फिर भारत आ गयी |

चीन ने गूगल और एप्पल को बहुत परेशान किया और गूगल ने कहा कि वो चीन के दबाव मे नही झुकेगी ..लेकिन जैसे ही बैलेंसशीट कमजोर हुयी गूगल चीनी सरकार के आगे एकदम झुक गयी |

मित्रों जब कपिल सिब्बल ने सोशल नेटवर्किंग साईट और गूगल पर सिकंजा कसना चाहा तो पहले ये कम्पनियाँ बड़ी बड़ी आज़ादी की बाते कर रही थी .लेकिन बाद मे सिब्बल के आगे सब झुक गयी


फिर इसकी असली वजह क्या हो सकती है ?
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सुब्रमण्यम स्वामी जिन्होंने इस महाघोटाले को उजागर किया है और इस घोटाले के तह तक गए है

उन्होंने कई बार मीडिया मे और कोर्ट मे कहा है की इस २ जी के एक लाख छिहत्तर हज़ार करोड की लूट मे कुल ३०% सोनिया गाँधी ने खाए है और वो बीमारी के बहाने बार बार उसे विदेश के ठिकाने लगाकर आती है | आजतक सोनिया गाँधी ने इस महाघोटाले पर कुछ नही बोला है और इतना ही नही ए राजा को पूरे एक साल तक बचाया गया |

सुब्रमण्यम स्वामी के आरोप पर आजतक सोनिया गाँधी ने खंडन नही किया है और न ही उन्हें कोई लीगल नोटिस भेजा है ..

तो फिर क्या सोनिया गाँधी के दबाव मे सरकार ये सब कर रही है ?
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जी हाँ ,, क्योकि कंपनियों ने जिस काम के लिए पैसे दिये है और अगर काम नही हुआ तो फिर पैसे तो वापस करने पडेंगे | और २ जी मे तो दो कम्पनियाँ दाउद इब्राहीम की है और चार कम्पनियों मे अंडरवर्ल्ड के दूसरे खूंखार लोगो का पैसा लगा है .. वैसे मे ये लोग अपना घूस मे तौर
पर दिया गया पैसा वसूलने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है .. इसीलिए सोनिया गाँधी के दबाव मे केन्द्र सरकार चाह रही है कि कुछ भी करके किसी भी तरह २ जी के लाईसेंस बचा लिए जाये ताकि मैडम ने जो पैसा खाया है वो पैसा मैडम को वापस न करना पड़े |