Saturday 31 March 2012

डॉ सुब्रमण्यम स्वामी के अनुसार राहुल गाँधी इस देश के कभी प्रधानमंत्री नही बन सकते |

आज इंडिया टीवी पर आपकी अदालत प्रोग्राम मे सुब्रमण्यम स्वामी से सवाल जबाब देखा |

एक सवाल के जबाब मे सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि राहुल गाँधी कभी भी इस देश के प्रधानमंत्री नही बन सकते और अगर कभी कांग्रेस को बहुमत मिला और राहुल गाँधी के प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना हो जाये तो मै ठीक उसी तरह राहुल गाँधी के प्रधानमंत्री बनने के अरमानो पर पानी फेर दूँगा जिस तरह मैंने सोनिया गाँधी को प्रधानमंत्री बनने नही दिया |

लेकिन रजत शर्मा के पूछने के बाद भी स्वामी जी ये खुलासा नही किया कि आखिर राहुल गाँधी इस देश के प्रधानमंत्री क्यों नही बन सकते ?

मै बताता हूँ ..


भारत के सम्विधान के अनुसार कोई भी मानसिक बीमार व्यक्ति किसी भी संवैधानिक पद पर आसीन नही हो सकता |

एक जमाने मे स्वामी राजीव गाँधी और सोनिया गाँधी के बहुत ही करीबी पारिवारिक मित्र हुआ करते थे .. जब स्वामी अमेरिका मे थे तब राजीव गाँधी ने उनसे राहुल गाँधी के मानसिक बीमारी पर मदद करने की अपील की थी . और स्वामी के कहने पर फ्लोरिडा के जाने माने मेंटल सेनिटोरियम मे एक साल तक राहुल गाँधी का मानसिक उपचार हुआ था |

दिल्ली मे भी कई अस्पतालों मे राहुल गाँधी का मानसिक ईलाज हुआ है और स्वामी के पास राहुल गाँधी के बीमारी की पूरी फाइल है |

अभी हमने यूपी के चुनावो मे राहुल गाँधी की सारी हरकते देखी .. तो क्या ये सब हरकते कोई मानसिक रूप से स्वाथ्य इंसान कर सकता है ? कागज की पर्ची पर उनके ही पार्टियो के नेताओ के नाम लिखे थे और राहुल गाँधी उसे सपा का घोषणा पत्र पढ़ रहे थे फिर उसे गुस्से से फाड़ दिये |

मित्रों सम्विधान के अनुसार कोई भी पागल या दिवालिया व्यक्ति भारत का प्रधानमंत्री नही बन सकता .. और राहुल गाँधी मेडिकली पागल है |

हम भारतीयों की किरिपा कहाँ रुकी हुयी है ?

अब निर्मल बाबा की तरह मेरी भी "थर्ड आई" जागृत हो गयी है !!

कल मेरे दरबार मे एक भक्त आया

भक्त - जेपी बाबा , मै इतना कमाता हूँ लेकिन बरकत नही होती ..

जेपी बाबा - कहाँ से आएगी बेटा !! दिल्ली मे १० दुर्जन पथ पर एक डायन बैठी है !! हम सभी भारतीयों का खून चूसने के लिए ही वो भारत आयी है !!

भारत सरकार को भी पता है कि वो दस नम्बरी है इसलिए उसे दुर्जन पथ पर दस नम्बर का बगला एलाट किया है !

पहले उस डायन को भारत से भगाओ किरिपा अपने आप आनी शुरू हो जायेगी !! सारी किरिपा वही रुकी हुयी है !!

जब तक भारत मे कांग्रेस का राज रहेगा तब तक चीन और पाकिस्तान मे खुशियाँ मनाई जाएँगी

वाह चचा जान वाह !!
इस तरह का लम्पटपना क्या हमारे देश के प्रधानमंत्री को शोभा देता है ?
दूरी न रहे कोई तुम इतने करीब आओ ,, मै तुममे समां जाऊँ तुम मुझमे समां जाओ
आजा सनम मधुर चांदनी मे हम तुम मिले तो ..........
बैजयंती माला के साथ ... देखिये चचा जान की नजरें क्या घूर रही है !!
आज अगर ये चचा जान जिन्दा होते तो सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान करने के आरोप मे जेल मे होते
दम मरो दम !! मिट जाये हम
 
सच मे .. कांग्रेस इस देश को बेच कर ही दम लेगी |

मित्रों , १९६२ के चीन युद्ध मे भारत की बुरी तरह हार हुयी जिसमे चीन ने भारत के एक बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया था | उसके पहले १९४८ मे कश्मीर पर पाकिस्तानी सेना ने कबायलियों के साथ मिलकर कश्मीर के आधे से ज्यादा हिस्से पर कब्जा कर लिया और उसमे से अक्साई चिन एरिया चीन को उपहार मे दे दिया ..
आज़ादी के बाद भारत अब तक जितने भी युद्ध हारा है और अपने भूभाग को खोया है वो कांग्रेस के समय मे ही लड़े गए |

मित्रों, ये कांग्रेस भारत की अखंडता के प्रति कितनी घटिया और नीच सोच रखती है उसका मुजाहिरा संसद मे तब देखने को मिला जब चीन युद्ध मे करारी हार के बाद नेहरु संसद मे बयान दे रहे थे |

उस वक्त डॉ श्यामा प्रशाद मुखर्जी के सवाल का जबाब देते हुए नेहरु ने कहा कि चीन ने जिस भूभाग पर कब्जा कर लिया है वो बंजर है किसी काम की नही है इसलिए हमे उसका दुःख नही होना चाहिए ... इस पर डॉ मुखर्जी ने तुरंत खड़े होकर नेहरु से कहा कि नेहरु जी आपका सर भी बंजर है क्योकि वहाँ बाल नही है तो क्या आप अपना सर कलम करवा लेंगे ? इस जबाब पर नेहरु की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी थी |

फिर जब उस समय के नौजवान सांसद अटल बिहारी वाजपेयी ने रक्षामंत्री वी के कृष्ण मेनन [जिनके उपर सेना के लिए जीप खरीदने मे घोटाले का आरोप लगा था और वो सारी जीपे चीन की लड़ाई मे धोखा दे गयी और उन घटिया जीपों की वजह से हमारे पांच हज़ार सैनिक शहीद हुए थे ] उनका इस्थीपा माँगा तो नेहरु ने तुरंत खड़े होकर मेनन के पक्ष मे बोलने लगे और कहा कि युद्ध मे जीत और हार तो होती रहती है इसका मतलब ये नही है कि किसी का इस्थीपा लिया जाये |

असल मे वी के क्रिंष्ण मेनन नेहरु का सबसे खास राजदार था .. नेहरु के अवैध सम्बन्ध माउंटबेटन की पत्नी एडविना से थे .. [इसके बारे मे आप विस्तृत रूप से एडविना की सहेली ली कैथरीन की किताब "नेहरु एंड एडविना " मे पढ़ सकते है . इस किताब मे नेहरु के द्वारा उसकी खुद की हैंड राइटिंग्स मे लिखे कुल ३० सड़क छाप प्रेम पत्र भी प्रकाशित किये गए है .. इस किताब मे उस डॉ का भी जिक्र है जिसके पास लन्दन मे नेहरु अपनी यौन रोगों का ईलाज करवाते थे ]

आज़ादी के बाद जब एडविना लन्दन चली गयी तब नेहरु ने अपने इसी खास राजदार मेनन को बिना किसी योग्यता के ब्रिटेन मे भारत का उच्चायुक्त [हाई कमिश्नर ] बनाकर भेज दिया . और उस ज़माने मे नेहरु ट्रंककाल से एडविना से फोन पर घंटो बाते करते थे और उसका बिल इन्डियन हाई कमीशन चुकाती थी |

फिर जब ये मामला ब्रिटेन के कई अखबारों मे खूब उछला तो नेहरु ने कृष्ण मेनन को भारत वापस बुलाकर केंद्रीय केबिनेट रक्षामंत्री बना दिया जबकि उस समय मेनन संसद के किसी भी सदन का सदस्य तक नही था ..

असल मे मेनन नेहरु के सारे राज जनता था इसलिए वो नेहरु को पूरी जिंदगी ब्लैकमेल करता रहा और इस देश को लुटता रहा और इस देश को चीन की लड़ाई मे उसने ही हरवाया |

आज भी कुछ जानकर लोग गुजरात के एक नेता को जो आज गाँधी खानदान का काफी करीबी है और जिसकी जनाधार तक नही है उसके खुद के शहर मे कांग्रेस खत्म हो गयी है फिर भी वो आज गाँधी खानदान का सबसे बड़ा करीबी है ..उसके बारे मे भी यही चर्चा उठती है कि ये भी मेनन की तरह ब्लैकमेल करके ही आज इस देश को लूट रहा है ..

मित्रों , आजकल आप किसी भी चैनेल पर डिस्कशन मे सेना के पूर्व जनरलो का बयान देखिये ..सभी एक सुर मे यही बात कह रहे है कि आज देश मे वही हालात पैदा हो गए है जो १९६२ मे नेहरु ने किये थे .अपने करीबी लोगो को इस देश को लूटने देते रहे और दुश्मन ने हमला कर दिया |

हद तो तब हो गयी जब यूपीए के घटक और केन्द्र के सत्ता मे भागीदार तृणमूल कांग्रेस के सांसद अम्बिका बनर्जी ने प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री को करीब एक साल पहले पत्र लिखकर सेना के फ्रंटियर कोर मे पैराशूट, जूते , रायफल , कारतूस आदि की खरीदी पर हुए बड़े घोटाले और घटिया क्वालिटी के बारे मे बताया था .. लेकिन हमारे "ईमानदार " प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री किसी "अदृश्य " शक्ति के दबाव मे उस पत्र को कूडेदान मे डाल दिये ..

मूंगफली के तेल का भाव केन्द्र सरकार ने गुजरात सरकार को बदनाम करने के लिए बढाया है

मूगफली के तेल का दाम बढने की जिम्मेदार केन्द्र सरकार है |

मित्रों , गुजरात के कांग्रेस के नेता मूंगफली तेल [सिंग तेल ] का दाम बढने पर अपनी छाती कूटकर जो विलाप कर रहे है और उसका दोष गुजरात सरकार को दे रहे है वो एकदम झूठ है |

आज विधानसभा मे गुजरात सरकार ने केन्द्र सरकार को लिखे हुए चार पत्र जाहिर किये | जिसमे गुजरात सरकार ने केन्द्र सरकार से अपील किया था कि चूँकि इस साल मूंगफली की फसल ज्यादा नही हूयी है इसलिए मूंगफली के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दिया जाये |

लेकिन कांग्रेस ने बड़ी दोगली चाल चली ,, चूँकि दिसम्बर मे गुजरात मे चुनाव होने वाले है इसलिए केन्द्र सरकार ने एफसीआई के माध्यम से सौराष्ट्र मे किसानो से खूब सस्ते भाव पर मूंगफली खरीदकर अपने गोदामो मे भर लिया जिसमे केंद्रीय कृषि मंत्रालय की साईट के अनुसार कुल बीस हज़ार टन मूंगफली विदेशो के एक्सपोर्ट कर दिये गए |

दो दिन पहले ही महाराष्ट्र के विधानसभा मे वहाँ के मुख्यमंत्री ने भी केन्द्र सरकार को मूंगफली का भाव बढने का जबाबदार ठहराया था |

मित्रों , आप खुद सोचिये कि कांग्रेस गुजरात को बदनाम करने के लिए कितनी दोगली चाल चल रही है .. एक तरफ कपास की खूब उत्पादन होने के वावजूद भी कपास के निर्यात पर रोक लगा देती है जिससे किसानो को आधे दाम पर कपास बेचना पड़ रहा है ..

वहीँ दूसरी तरह मूंगफली की खूब कम उत्पादन होने के वावजूद भी उसके निर्यात पर रोक नही लगाती . ताकि आर्टिफिशियल तरीके से भाव बढाकर गुजरात सरकार को बदनाम किया जा सके |

जो गुजरात के कांग्रेस नेता मैडम के हुक्कम से गुजरात मे ओरल डायरिया करते है वही नेता सोने पर एक्साइज बढाने और सोने के गरीब कारीगरों पर ८% टैक्स लगाने और सोने के गहने के खरीद पर पैन कार्ड इत्यादि अनिवार्य करने . और गहने के जॉबवर्क पर १२% सर्विस टैक्स लगाने जैसे मुद्दे पर जिस पर पिछले एक हप्ते से गुजरात के सभी सोनी बाज़ार बंद है और गरीब कारीगरों को भूखे मरने की नौबत आ गयी है इस पर खामोश क्यों है ?

दोगलो की चाल अब जनता समझ चुकी है .. ये चोर को कहते है तू चोरी कर और साहूकार को कहते है तू जगता रह !!!

मीडिया और कांग्रेस की नीचता की हद

मिडिया और कांग्रेस के नीचता की हद हो गयी | संजीव भट्ट से किसी भी चैनल ने ये नही पूछा की तुम दस सालो तक खामोश क्यों रहे ? दस साल के बाद तुम्हे तुम्हारा फर्ज याद आया ?

किसी भी मीडिया ने और कांग्रेस ने संजीव भट्ट से ये नही पूछा कि तुम सार्वजनिक रूप से मीडिया मे क्यों ओरल डायरिया कर रहे हो ?

सारी नीच मीडिया कांग्रेस की फेकी हुयी हड्डी चबाकर उसे "सिहम" कह रही थी |

लेकिन वही नीच मीडिया सेनाप्रमुख को कटघरे मे खड़ा कर रही है .. और कांग्रेस उन्हें अनुसाशन मे रहने की चेतावनी दे रही है |

महाझूठा झूठवाडिया ने फिर ओरल डायरिया किया है की गुजरात सरकार गोवा की तरह गैस और डीजल पेट्रोल पर राहत क्यों नहीं दे रही है ..


झूठवाडिया पहले अपने केन्द्र सरकार को तो बोलो वो पेट्रो प्रोडक्ट पर वसूलने वाले अपने टैक्स खत्म कर दे ..


मित्रों एक खबर जो नही बताई जा रही है कि गोवा सरकार के आमदनी का सबसे बड़ा स्रोत केसिनो पर लगने वाले टैक्स है .. जिसमे विदेशी से ४०० रूपये और भारतीय से १२० रूपये सरकार प्रवेश शुल्क वसूलती है |

फिर केसिनो मे जितने वाली रकम पर सरकार ४५% विदेशियों से और २१ % भारतीयों से टैक्स वसूलती है |

झूठवाडिया पहले ये तो बताओ की कांग्रेस शाषित राज्यों मे कांग्रेस पेट्रो प्रोडक्ट पर वैट क्यों वसूल रही है ? क्या दिल्ली , महाराष्ट्र , हरियाणा , राजस्थान मे डीजल या पेट्रोल गुजरात से सस्ता है ?

पोती दादी को सीख दे और खुद मजे करे !!!

[राज्य पेट्रो प्रोडक्ट पर वैट कम करे ..केन्द्र नहीं करेगा !!]

इसके लिए सबसे पहले टैक्स स्ट्रक्चर को समझना होगा ..केंद्र राज्य आयोग के नियम के तहत कुछ टैक्स केंद्र सरकार लेती है और कुछ टैक्स राज्य सरकार ..

लेकिन गैस और पेट्रोल पर २१ % एक्साइज ,१३ इम्पोर्ट ड्यूटी ५% तेल के टेंकरों से पोर्ट टैक्स , १२% सैनवेट २% एडुकेशनल सेस तथा ७% रिफाइनरीज मार्जिन टैक्स तथा ४% डीलर कमीशन खुद केंद्र सरकार वसूलती है ..

इतना ही नही क्रूड का कोई भी बाई प्रोडक्ट फेका नही जाता बल्कि कई बाई प्रोडक्ट तो पेट्रोल से भी महंगे बेचे जाते है |

बेंजीन , टालूइन , कोलतार , केरोसिन , पॉलिएस्टर फाइबर आदि चीजे बेच कर केन्द्र सरकार पेट्रोल और डीजल की कई गुणा कीमत पहले ही वसूल लेती है ..

इसका सीधा गणित है :-

एक बैरल [९८६ लीटर ] क्रूड जो आज १०२ $ का है

इसमें कुल

२०९ लीटर केरोसिन
३ लीटर बेंजीन
१५८ लीटर पेट्रोल
१९० लीटर डीजल
२९ घन मीटर गैस
४० किलो कोलतार
२० लीटर एटीएफ्

मिलते है .. फिर आप सोचिये की कांग्रेस हमे कैसे मुर्ख बनाती है ?

अलग अलग राज्य सरकार २१ % -२८ % वैट वसूलते है ..

केवल गोवा को छोडकर जहां सिर्फ .८% ही वैट है |

अब केंद्र सरकार खुद अपने द्वारा वसूलने वाले टैक्स में कोई राहत क्यों नहीं दे रही है ?? वो राज्यों को क्यो सीख दे रही है ?? इसका जबाब है आज १८ राज्यों में कांग्रेस सत्ता से बहार है और चार राज्यो में वो गठबंधन से सरकार चला रही है .. इसलिए उसने राज्य सरकारों को बदनाम करने के लिए ये सलाह दी है .. अगर कांग्रेस को जनता की चिंता होती तो वो खुद केंद्र सरकार द्वारा वसूले जाने वाले टैक्स को खत्म कर देती ..

अब रही बात गुजरात की .. सब जानते है की यहाँ शराब बंदी है .. दूसरे राज्य जहा शराब बिकती है वहाँ राज्य सरकारे २३% आबकारी कर तथा खरबो रूपये लाइसेन्स फ़ीस के रूप में वसूलती है .. दिल्ली , यूपी महाराष्ट्र या राजस्तान का कुल टैक्स क्लेक्शन का ४०% आय सिर्फ शराब से आता है .. इसलिए यदि ये राज्य पेट्रो प्रोडक्ट पर वैट खत्म भी कर दे तो इनकी आय पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा .. लेकिन गुजरात में सरकार के पास आय का सिर्फ वैट ही एक साधन है इसलिए यदि गुजरात सरकार पेट्रो प्रोडक्ट पर वैट घटाए तो फिर राज्य के विकास के उपर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ..

जब गुजरात में शराब बंदी का कानून कांग्रेस के शासन में लागू हुआ था तो एक समझौता केन्द्र और गुजरात सरकार के बीच में हुआ था .. जिसके तहत गुजरात सरकार के कुल खर्च का २१% केंद्र सरकार देगी .बदले में गुजरात सरकार को शराब बंदी लागू करना होगा ..

जब तक गुजरात में कांग्रेस की सरकार थी तब तक तो केंद्र ने अपना वायदा निभाया .. लेकिन अब गुजरात की मोदी सरकार कांग्रेस की आंख में रेती के कण की तरह चुभ रही है , इसलिए केंद्र की कांग्रेस सरकार ने अब समझौते को आगे बढाने से इंकार कर दिया .. ताकि राज्य के सारे विकास के कम रुक जाये और मोदी सरकार को बदनाम करने का मौका मिल जाये ..

लेकिन कांग्रेस ये मानती है की विकास के फंड में से करीब पचास प्रतिशत कांग्रेस के नेता खा जाते है जो गुजरात में नहीं होने पाता .. इसलिए अब उसने गुजरात सरकार की आय को कम करने के लिए एक नया शगूफा छोड़ा है ..

Friday 30 March 2012

रक्षामंत्री को टेट्रा ट्रक महाघोटाले मे इश्थिपा देने की जरूरत नहीं है क्योकि "मैडम" को उनका "मुंह दिखाई" एकदम समय समय पर मिलता रहा |

रक्षामंत्री को टेट्रा ट्रक महाघोटाले मे इश्थिपा देने की जरूरत नहीं है क्योकि "मैडम" को उनका "मुंह दिखाई" एकदम समय समय पर मिलता रहा |


मित्रों, दो दिन पहले कर्नाटक के पूर्व राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के ही नेता डॉ  के ह्नुम्न्थ्पा जो माने जाने मजदूर नेता भी है और टेट्रा बीएमइएल की कर्नाटक की फैक्ट्री जिसमे टेट्रा ट्रक बनते है उसमे लेबर यूनियन के प्रमुख भी है उन्होंने जब देखा कि जिस ट्रक को टेट्रा कम्पनी श्रीलंका और दूसरे देशो को सिर्फ ४० लाख मे बेचती है ठीक उसी ट्रक को रक्षामंत्रालय एक करोड रूपये मे खरीद रहा है |

फिर उन्होंने सारे दस्तावेजो के साथ सोनिया गाँधी , प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्रालय को कुल पांच पत्र लिखे | यहाँ पर सोनिया गाँधी से एक बड़ी "खूबसूरत गलती " हो गयी .. उनके ऑफिस से ह्नुम्न्थ्पा को सभी पत्रों के एक्नोलेज्मेंट मिलते रहे | लेकिन सोनिया गाँधी और प्रधानमंत्री ने इतने बड़े और गम्भीर मामले को दबाए रहे ..ये दो साल पहले की बात है |

ह्नुम्न्थ्पापा ने दो पत्र सेनाप्रमुख को भी लिखा था लेकिन नियमानुसार सेना प्रमुख किसी भी ऐसे सामान की खरीद जिसकी खरीद रक्षा मंत्रालय करता है उस पर कोई करवाई नही कर सकते .. सेना उन्ही मामलो पर सीधी करवाई कर सकती है जिन चीजों की खरीद सेना सीधे करती है | फिर सेना प्रमुख ने हनुम्प्था के पत्र को रक्षामंत्री को उचित करवाई करने के लिए फारवर्ड कर दिया |


फिर जब  सेना प्रमुख के मामले मे ये मामला भी उछला और सेना प्रमुख ने सारे नियम छोडकर सारे शिकायत सीधे सीबीआई को भेज दी क्योकि केन्द्र सरकार ने सेनाप्रमुख के आरोपों की सीबीआई जाँच की सिपारिश की है ..तब जाकर ये मामला खुला |

लेकिन जैसा कांग्रेस का सम्विधान है की गाँधी परिवार को बचाने के लिए पालेले खजेले सामने आ जाते है .. ठीक इस बार भी ऐसा हुआ .. केंद्रीय स्वाथ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद [ जिनके नाम मे ही पहले गुलाम है फिर आजाद . ]  अचानक सामने प्रकट होकर कहने लगे कि मैडम ने उन्हें ये पत्र उचित करवाई के लिए दिये थे |

मित्रों अब इस भ्रष्ट सोनिया गाँधी के झूठ को समझिए :-


१- सोनिया गाँधी के राजनितिक सचिव अहमद पटेल है जो सोनिया गाँधी के ऑफीस से सारे राजनितिक मामले को डील करते है तो फिर सोनिया गाँधी ने अपने पत्र अपने राजनितिक सचिव को न देकर स्वास्थ्य मंत्री को क्यों दिया ? स्वास्थ्य मंत्रालय का इस मामले से क्या लेना देना है ?

२- सोनिया गाँधी ने वो सारे पत्र सीधे प्रधानमंत्री या रक्षामंत्री को क्यों नही सौपे ?

३- सेना प्रमुख जिस रि. लेफ्टिनेंट जनरल पर आरोप लगा रहे है वो राहुल गाँधी के राजनितिक सचिव कनिष्क सिंह का एकदम सगा रिश्तेदार है ..फिर भी राहुल गाँधी या सोनिया गाँधी अब तक इस मामले पर चूप क्यों है ?

३- चलो अगर मान भी लेते है कि सोनिया गाँधी ने सच मे वो सारे पत्र गुलामनबी आजाद को दिये थे तो फिर एक ऐसे पत्र मे जिसमे सीधे सीधे बीस लाख करोड का घोटाला सामने आ रहा हो फिर भी सोनिया गाँधी ने बाद मे गुलाम नबी से करवाई के बारे मे क्यों नही पूछा ? क्यों दो साल तक सोनिया गाँधी चूप रही ?

४- पूरी दुनिया जिस ट्रक को ४० लाख मे खरीदती है अगर रक्षा मंत्रालय उसी ट्रक को एक करोड मे खरीदता है और ह्नुम्न्थ्पा के अनुसार उन्होंने सोनिया गाँधी को तीन देशो के इनवाईस भी साथ मे भेजे थे फिर भी सोनिया गाँधी और प्रधानमंत्री खामोश क्यों रहे ?

५- कांग्रेस के राज मे कुल आठ हज़ार टेट्रा ट्रक खरीदे गए और एक ट्रक के पीछे ६० लाख रूपये ज्यादा दिये गए तो आपलोग कुल रकम का अंदाज़ा लगा लीजिए कि आखिर सोनिया गाँधी क्यों खामोश रही ?

६- जो इंसान सोनिया गाँधी से उन्ही की सरकार की शिकायत कर रहा है उसी इंसान को कांग्रेस अपना राज्यसभा उमीदवार क्यों बनाना चाह रही थी ? क्या सोनिया गाँधी लालच देकर ह्नुम्न्थ्पा का मुंह बंद करवाना चाहती थी ?

मित्रों , हमारे देश के प्रधानमंत्री हो या रक्षामंत्री सब उपर से ही ईमानदारी का लबादा ओढ़े हुए है और ये दोनों अंदर से उतने ही घाघ है |

Thursday 29 March 2012

सच मे ये नीच कांग्रेस अपने स्विस बैंक के लिए इस देश को बेच कर ही दम लेगी

सच मे .. कांग्रेस इस देश को बेच कर ही दम लेगी |

मित्रों , १९६२ के चीन युद्ध मे भारत की बुरी तरह हार हुयी जिसमे चीन ने भारत के एक बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया था | उसके पहले १९४८ मे कश्मीर पर पाकिस्तानी सेना ने कबायलियों के साथ मिलकर कश्मीर के आधे से ज्यादा हिस्से पर कब्जा कर लिया और उसमे से अक्साई चिन एरिया चीन को उपहार मे दे दिया ..
आज़ादी के बाद भारत अब तक जितने भी युद्ध हारा है और अपने भूभाग को खोया है वो कांग्रेस के समय मे ही लड़े गए |

मित्रों, ये कांग्रेस भारत की अखंडता के प्रति कितनी घटिया और नीच सोच रखती है उसका मुजाहिरा संसद मे तब देखने को मिला जब चीन युद्ध मे करारी हार के बाद नेहरु संसद मे बयान दे रहे थे |

उस वक्त डॉ श्यामा प्रशाद मुखर्जी के सवाल का जबाब देते हुए नेहरु ने कहा कि चीन ने जिस भूभाग पर कब्जा कर लिया है वो बंजर है किसी काम की नही है इसलिए हमे उसका दुःख नही होना चाहिए ... इस पर डॉ मुखर्जी ने तुरंत खड़े होकर नेहरु से कहा कि नेहरु जी आपका सर भी बंजर है क्योकि वहाँ बाल नही है तो क्या आप अपना सर कलम करवा लेंगे ? इस जबाब पर नेहरु की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी थी |

फिर जब उस समय के नौजवान सांसद अटल बिहारी वाजपेयी ने रक्षामंत्री वी के कृष्ण मेनन [जिनके उपर सेना के लिए जीप खरीदने मे घोटाले का आरोप लगा था और वो सारी जीपे चीन की लड़ाई मे धोखा दे गयी और उन घटिया जीपों की वजह से हमारे पांच हज़ार सैनिक शहीद हुए थे ] उनका इस्थीपा माँगा तो नेहरु ने तुरंत खड़े होकर मेनन के पक्ष मे बोलने लगे और कहा कि युद्ध मे जीत और हार तो होती रहती है इसका मतलब ये नही है कि किसी का इस्थीपा लिया जाये |

असल मे वी के क्रिंष्ण मेनन नेहरु का सबसे खास राजदार था .. नेहरु के अवैध सम्बन्ध माउंटबेटन की पत्नी एडविना से थे .. [इसके बारे मे आप विस्तृत रूप से एडविना की सहेली ली कैथरीन की किताब "नेहरु एंड एडविना " मे पढ़ सकते है . इस किताब मे नेहरु के द्वारा उसकी खुद की हैंड राइटिंग्स मे लिखे कुल ३० सड़क छाप प्रेम पत्र भी प्रकाशित किये गए है .. इस किताब मे उस डॉ का भी जिक्र है जिसके पास लन्दन मे नेहरु अपनी यौन रोगों का ईलाज करवाते थे ]

आज़ादी के बाद जब एडविना लन्दन चली गयी तब नेहरु ने अपने इसी खास राजदार मेनन को बिना किसी योग्यता के ब्रिटेन मे भारत का उच्चायुक्त [हाई कमिश्नर ] बनाकर भेज दिया . और उस ज़माने मे नेहरु ट्रंककाल से एडविना से फोन पर घंटो बाते करते थे और उसका बिल इन्डियन हाई कमीशन चुकाती थी |

फिर जब ये मामला ब्रिटेन के कई अखबारों मे खूब उछला तो नेहरु ने कृष्ण मेनन को भारत वापस बुलाकर केंद्रीय केबिनेट रक्षामंत्री बना दिया जबकि उस समय मेनन संसद के किसी भी सदन का सदस्य तक नही था ..

असल मे मेनन नेहरु के सारे राज जनता था इसलिए वो नेहरु को पूरी जिंदगी ब्लैकमेल करता रहा और इस देश को लुटता रहा और इस देश को चीन की लड़ाई मे उसने ही हरवाया |

आज भी कुछ जानकर लोग गुजरात के एक नेता को जो आज गाँधी खानदान का काफी करीबी है और जिसकी जनाधार तक नही है उसके खुद के शहर मे कांग्रेस खत्म हो गयी है फिर भी वो आज गाँधी खानदान का सबसे बड़ा करीबी है ..उसके बारे मे भी यही चर्चा उठती है कि ये भी मेनन की तरह ब्लैकमेल करके ही आज इस देश को लूट रहा है ..

मित्रों , आजकल आप किसी भी चैनेल पर डिस्कशन मे सेना के पूर्व जनरलो का बयान देखिये ..सभी एक सुर मे यही बात कह रहे है कि आज देश मे वही हालात पैदा हो गए है जो १९६२ मे नेहरु ने किये थे .अपने करीबी लोगो को इस देश को लूटने देते रहे और दुश्मन ने हमला कर दिया |

हद तो तब हो गयी जब यूपीए के घटक और केन्द्र के सत्ता मे भागीदार तृणमूल कांग्रेस के सांसद अम्बिका बनर्जी ने प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री को करीब एक साल पहले पत्र लिखकर सेना के फ्रंटियर कोर मे पैराशूट, जूते , रायफल , कारतूस आदि की खरीदी पर हुए बड़े घोटाले और घटिया क्वालिटी के बारे मे बताया था .. लेकिन हमारे "ईमानदार " प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री किसी "अदृश्य " शक्ति के दबाव मे उस पत्र को कूडेदान मे डाल दिये ..

Tuesday 20 March 2012

नीच कांग्रेस के अफवाह का पर्दाफास

कुछ मुर्ख लोग फेसबुक पर बाबा रामदेव के बारे में लिख रखे है कि उन्होंने किसी विदेशी कम्पनी "टेट्रा पैक " को अपने संस्था में पैकेजिंग का कम दिया हुआ है .. मित्रो ये पूरी तरह कांग्रेसियो के द्वारा झूठ फैलाई जा रही है । असल में पुरे विश्व में "टेट्रा पैक " के नाम की कोई भी कम्पनी नही है .. बल्कि टेट्रा पैक एक पैकेजिंग की टेक्नोलोजी है .. लैटिन भाषा में और केमिस्ट्री में १- मोनो ,, २- डाई ,,३- ट्राई ,, ४- टेट्रा , ५- पेंटा ,, ६- हेक्सा .. ७- हेप्टा .. ८- ओक्त्रा कहते है । अमेरिका में एक जूस बनाने वाली कम्पनी "ट्रोपिकाना" को अपने जूस लम्बे समय तक ताजा रखने के लिए एक ऐसी पैकेजिंग चाहिए जिसमे जूस कई दिनों तक खराब न हो और उन्हें इस्तेमाल करने में कोई परेशानी भी न हो । इसके लिए उन्होंने मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ तेच्नोलोजी में रिसर्च करने को कहा । फिर रिसर्च में पता चला की कई लेयर वाली पकेजिंग जिसमे कुल चार लेयर होती है . अलुमिनियम फोइल , पोलीथिन , मोटा कागज , फिर उपर से पोलीथिन से मिलाकर बनी डिब्बो में चीजे लम्बे समय तक खराब नही होती । चूँकि इसमें कुल चार लेयर होती है इसलिए इसे "टेट्रा पैक " कहा जाने लगा । आज भारत में पचासों कम्पनिया टेट्रा पैक बनाती है क्योकि भारत में दूध, जूस , घी , पनीर आदि चीजे अब टेट्रा पैक में ही बिकती है .. और भारत सरकार का आदेश भी है की पेरिशेबल चीजे जैसे जूस [ फ्रूटी ,] घी , आदि सिर्फ टेट्रा पैक में ही बेचीं जा सकती है । पतंजली संस्थान ने गुजरात की एक पैकेजिंग कम्पनी "पारेख पैकेजिंग लिमिटेड " जिसकी कई फेक्ट्रिया हिमाचल और उत्तराखंड में भी है उसे ही अपनी संस्थान में पैकेजिंग का कोंत्रेकट दिया हुआ है । असल में कांग्रेस का झूठ और अफवाह तंत्र बहुत मजबूत है और इसके पलेले चमचे मैडम के इशारे पर तुरंत सक्रीय हो जाते है

Sunday 18 March 2012

चुनावो के बाद सलमान रश्दी इस देश के लिए खतरा नहीं है ?

लेखक सलमान रश्दी दिल्ली आये और पत्ता तक नहीं हिला |

पांच राज्यों के  चुनाव के दौरान इनके जयपुर आगमन पर मानो राष्ट्रीय संकट घोषित हो गया था. असल मे सलमान रश्दी के जयपुर आने पर मुसलमानों से ज्यादा चिंता कांग्रेस को थी | हर काम मे वोट बैंक का गुणा भाग करने वाली कांग्रेस ने सोचा कि सलमान रश्दी के आने से उसे मुस्लिम वोट का नुकसान होगा | इतना ही नही सलमान रश्दी को विडियो कांफ्रेसिंग से भी सम्बोधित नही करने दिया गया | और जिन चार लेखकों ने सैटेनिक वेर्सेज़ के कुछ अंश पढे थे उनको गिरफ्तार कर लिया गया |

उस समय कांग्रेस ने बहाना बनाया कि सलमान रश्दी के भारत आने से इस देश मे दंगे भडक जायेंगे .. कानून व्यवस्था चरमरा जायेगी |

मतलब सुनामी के बाद दूसरा सबसे बड़ा खतरा जयपुर में सलमान रश्दी के आगमन को ही मान लिया गया था,

लेकिन वही सलमान रश्दी पिछले दो दिन से दिल्ली है और वो आज अपने जन्म स्थान भी जायेंगे , फिर तो इस देश मे कोई भी दंगा नहीं भडका ?

सच मे कांग्रेस जैसी नीच पार्टी इस दुनिया मे दूसरी कोई भी नही होगी |

ये टाइम मेग्जिन भी राहुल गाँधी की तुलना मोदी जी से क्यों कर रहा है ?










ये टाइम मैग्जीन किस भोदू युवराज से नरेंद्र मोदी की तुलना कर रहा है ?

मित्रों , अभी अपने ताजा अंक मे टाइम ने नरेंद्र मोदी जी की तुलना राहुल गाँधी से की है और लिखा है कि नरेंद्र मोदी अगर मुकाबले मे आ जाये तो राहुल गाँधी प्रधानमंत्री नही बन सकते है |

नरेंद्र भाई और राहुल की तुलना हास्यास्पद है मोदी जी ने अपनी प्रशासनिक योग्यता को प्रमाणित किया है , देश के विकास के लिए उनके पास स्पष्ट सोच है वे संकीर्ण बातो से उपर उठकर भारत के भविष्य का सपना देखते है उन्होने पिछले 10 सालो से गुजरात का सर्वांगींण विकास करके साबित कर दिया है की वे देश के नेतृत्व  के लिए सबसे योग्य नेता है |

वही राहुल पिछले 10 सालो मे जनता को प्रभावित करने मे असफल रहे है | वे कॉंग्रेस के धूर्त और घाघ नेताओ के चंगुल मे फंसकर वोट बैंक की राजनीति मे उलझ गये है | राष्ट्र की ज्वलंत समस्याओ के बारे मे उनकी सोच स्पष्ट नही है , वे केवल लिखा हुआ भाषण पद सकते है | वे सोचते है की नेहरू गाँधी खानदानका करिश्मा ही उनको प्रधानमंत्री बनाने के लिए काफ़ी है | राहुल जी को यह समझ्न चाहिए की अब जनता की युवा शक्ति को बेवकूफ़ नही बना सकते यह बात बिहार और यू पी की जनता ने उनको बता दी है |


राहुल गाँधी की सबसे बड़ी योग्यता ये है कि उनके नाम मे "गाँधी " पैदा होते ही जुड़ गया इसके आलावा आज पूरे देश को राहुल गाँधी मे कोई योग्यता नजर नही आती | केम्ब्रिज युनिवर्सिटी ने उनकी एमफिल की डिग्री को फर्जी करार दिया है .. और एमफिल करने से पहले राहुल गाँधी ने अपनी मास्टर डिग्री कब कहा और किस संस्थान से ली है ये किसी को नही पता |

पिछले आठ सालो मे संसद मे सिर्फ तीन सवाल उन्होंने पूछे है | और अपनी सांसद विकास निधि का १०% भी वो विकास कामो पर खर्च नही कर पाए | जो इंसान अपने निर्वाचन छेत्र का विकास नही कर सका वो पूरे देश का विकास कैसे करेगा ? यही कारण है कि यूपी के चुनावो मे राहुल गाँधी अपनी परंपरागत जिले रायबरेली और अमेठी मे एक सीट नही जीत पाए |

वही दूसरी तरफ नरेंद्र भाई एक बहुत ही गरीब और पिछड़े जाति मे पैदा हुए और बचपन मे हर कदम पर संघर्ष किया | पिता जी वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे और मोदी जी भी उनके कामो मे हाथ बटाते थे | जब १९६२ मे चीन युद्ध हुआ तब मोदी जी १२ साल के थे और मेहसाना रेलवे स्टेशन पर सैनिको को पानी और चाय पिलाकर उनकी सेवा करते थे | इस काम के लिए उनको रेलवे से एक प्रशस्ति पत्र भी मिला |
इस तरह संघर्ष करते हुए उन्होंने एमए तक पढाई की |

फिर जब इंदिरा गाँधी ने इमरजेंसी लगाया तब मोदी जी को गिरफ्तार कर लिया गया था और वो पूरे १७ महीने जेल मे रहे और उस समय के जेलर ने लिखा है कि मोदी जी जेल मे खूब किताबे पढते थे |

मोदी जी को अब तक जितनी भी जिम्मेदारीयां दी गयी है वो उन्होंने बखूबी निभाई है चाहे संघ मे प्रचारक की जिम्मेदारी हों या बीजेपी मे संगठन की | जब उनको गुजरात बीजेपी का महामंत्री बनाया गया था तब उन्होंने अपने कुशल लीडरशिप और संगठन के दम पर पहली बार गुजरात मे बीजेपी को पूर्ण बहुमत दिलाई थी | और केशुभाई पटेल मुख्यमंत्री बने .. लेकिन कुछ समय के बाद बीजेपी के ही एक सांसद शंकर सिंह वाघेला जो कांग्रेस के एक एजेंट बन गए थे उनको कांग्रेस ने केशूभाई पटेल के पीठ मे छुरा भोकने के लिए राजी कर लिया था और शंकर सिंह वाघेला ने ४० विधायको के साथ केशूभाई के खिलाफ बगावत करवा दी | हलाकि बाद मे सुरेश मेहता को मुख्यमंत्री बनाकर इस बगावत को शांत कर दिया गया |

फिर नरेन्द्र मोदी जी बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री और गुजरात राज्य के मुख्य सगठन प्रभारी बना दिये गए . और अगले चुनाव मे गुजरात मे बीजेपी ने फिर से पूर्ण बहुमत हासिल किया और केशूभाई पटेल मुख्यमंत्री बने |

लेकिन जब गुजरात मे भयानक भूकम्प आया तो गुजरात मे पूरी तरह से अव्यवस्था फ़ैल गयी . इसलिए पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया |
मुख्यमंत्री बनते ही मोदी जी ने स्थिति को पूरी तरह से नियंत्रण मे ले लिया और रात दिन भूकम्प प्रभावित छेत्रो का दौरा करते रहे |

सूरत मे आयी भयंकर बाढ़ के समय भी मोदी जी पूरे चार दिनों तक बोट पर पूरे सूरत मे राहत कार्यों का जायजा लेते रहे |

मित्रों , टाइम मैग्जीन ने ये भी लिखा है जिसकी चर्चा गुजरात के लोग अक्सर करते है कि मोदी जी के सगे भाई गुजरात सरकार के एक विभाग मे क्लर्क है और आजतक उन्होंने मुख्यमंत्री ऑफिस का दरवाजा तक नही देखा होगा | उनके एक भाई राशन की दुकान चलाते है .. उनके दोनों भाइयो के पास अपना खुद का कोई वाहन तक नही है और वो लोग सिटी बस मे सफर करते है | मोदी जी सिर्फ अपने माँ से ही मिलते है |

टाइम ने लिखा है कि आज जब भारत के सभी राजनेता भारत को लूटने के व्यस्त है और हर एक राजनेता के भाई भतीजे सत्ता की मलाई चाट रहे है ऐसे मे मोदी जी का ये कार्य एक उदाहरण है और पूरे विश्व के नेताओ को मोदी जी से ये सीख लेनी चाहिए |

मित्रों , कुछ समय पूर्व गुजरात मोदी जाति समाज के अध्यक्ष ने कहा था कि वो एक बार मोदी जी से मोदी समाज भवन के निर्माण के लिए मिलने गए थे . लेकिन मोदी जी ने कहा कि वो ऐसी किसी भी जातिवादी कार्यों को पसंद नही करते |

आज राहुल गाँधी ने इस देश या अपनी खुद की पार्टी के लिए ऐसा क्या किया है कि उनको लोग याद करे ? हर समय अहमद पटेल जैसे दलाल चमचो और दिग्विजय सिंह जैसे देशद्रोही लोगो से घिरे रहने वाले राहुल गाँधी को हर राज्यों मे ठुकराया गया है |

बिहार मे राहुल गाँधी ने खूब नौटकीं की और सिर्फ ४ सीटें आई | इसके पहले गुजरात मे भी राहुल गाँधी ने खूब नौटकीं की थी ..और अभी हाल मे यूपी मे तो राहुल गाँधी ने नौटकींबाजी की पराकाष्टा कर दी थी और जिसके कारण उन्हें करारी हार का मुंह देखना पड़ा |

अब इस देश की जनता जागृत हों चुकी है और उसे मीडिया और न्यू मीडिया के माध्यम से सच्चाई का पता चल जाता है इसलिए अब इस देश मे हर एक नौटकींबाज़ नेता का हाल राहुल गाँधी जैसा ही होगा |

Saturday 17 March 2012

क्या हम आजाद है ?: कांग्रेस बजट से गुजरात को बर्वाद करना चाहती है

क्या हम आजाद है ?: कांग्रेस बजट से गुजरात को बर्वाद करना चाहती है: गुजरात को बर्बाद करने की दिशा मे एक बड़ा कदम है कांग्रेस का केंद्रीय बजट मित्रों , केन्द्र की कांग्रेस सरकार के आंख मे गुजरात की मोदी सरकार...

कांग्रेस बजट से गुजरात को बर्वाद करना चाहती है

गुजरात को बर्बाद करने की दिशा मे एक बड़ा कदम है कांग्रेस का केंद्रीय बजट

मित्रों , केन्द्र की कांग्रेस सरकार के आंख मे गुजरात की मोदी सरकार एक रेती के कण की तरह चुभ रही है | आप अगर केंद्रीय बजट को पूरा पढेंगे तो आपको एकदम स्पष्ट दिखाई देगा कि ये बजट सिर्फ और सिर्फ गुजरात को बर्बाद करने के इरादे से टारगेटेड बजट है |

१- गुजरात का राजकोट शहर पूरे विश्व मे ज्वेलरी निर्माण के लिए प्रसिद्ध है .. केन्द्र सरकार ने इस बजट मे सुनारो को बुरी तरह प्रताड़ित किया है | सोने मे इम्पोर्ट डयूटी दोगुनी कर दी गयी है .और महीने मे दो लाख से ज्यादा बेचने वाले सुनारो को अब टीडीएस भरना पडेगा | जिसका सीधा असर आम आदमी को होगा |क्योकि भारत मे गहने विलासिता नही माने जाते बल्कि गहने हमारी भारतीय संस्क्रती और हिंदुत्व मे मूल मंत्रो मे है | भारतीय संस्कृति मे शादी मे गहने का बहुत महत्व है |

आज तक किसी भी सरकार ने गहनों को टारगेट नही किया लेकिन चूँकि सोनिया गाँधी विदेशी मूल की है और उनके सलाहकार अहमद पटेल मुस्लिम है इसलिए सोनिया गाँधी ने जानबूझकर हिंदू महिलाओ के गहने खरीदने के सपने तो तोड़ दिया है |

३- इस बार इमिटेशन ज्वेलरी पर भी टैक्स लगा दिया गया है जो सौराष्ट्र का कुटीर उद्योग है |

गुजरात विश्व का ओटो हब बनने की दिशा मे था लेकिन अब .........
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

मित्रों , आज अमेरिका के डेट्रायट से भी ज्यादा तेजी से गुजरात ऑटोमोबाइल हब बनता जा रहा है | टाटा मोटर्स , डेमलर क्रिसलर, जीएम , ह्युंडई, मारुति , होंडा मोटर्स , होंडा स्कुटर, हीरो , अशोक लेलेंड , एएमडब्लू, बीएमडब्ल्यू , प्युजो , रिनोल्ट , फोर्ड मोटर्स , लैंडरोवर्स .. मतलब विश्व के  सभी ओटो दिग्गज या तो आज गुजरात मे है या उनका काम अभी चल रहा है |

किसी बड़े ऑटोमोबाइल कम्पनी के आने से उसके साथ उस कम्पनी मे विभिन्न पुर्जे सप्लाई करने वाली भी हजारों कंपनिया भी निवेश करती है |

लेकिन इस बार केन्द्र सरकार ने ऑटोमोबाइल सेक्टर को बुरी तरह झटका दिया है .

१- लग्जरी कारों पर एक्साइज २६% कर दिया गया है

२- सेडोन कारों पर एक्साइज २२% कर दिया गया है
३- छोटी कारों पर एक्साईज १२% कर दिया गया है
४- डीजल कार और डीजल इंजन पर अलग से ८% टैक्स लगा दिया गया है |

मित्रों , इसका सीधा असर राजकोट और कच्छ के तमाम छोटे छोटे ऑटोमोटिव कम्पोनेंट बनाने वाली कम्पनियों पर होगा .

सूरत के टेक्सटाइल सेक्टर को भी नही छोड़ा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

सूरत का टेक्सटाइल उद्योग ऐसा सेक्टर है जिसमे सबसे ज्यादा गरीब लोगो को रोजगार मिला हुआ है .. लेकिन कांग्रेस की केन्द्र सरकार ने इसे भी बर्बाद करने की पूरी योजना बनाई है

१- आर्टिफिशियल फाइबर्स पर १२% टैक्स थोप दिया |
२- कोटन पर ६% एक्साइज कर थोप दिया |
३- लुम्स मशीनों के आयात पर ७% डयूटी लगा दी गयी |
४- डाईज और पिगमेंट को विशिष्ट श्रेणी के केमिकल से हटा दिया गया जिससे अब डाई और पिगमेंट पर १२% आयात कर देना होगा |
५- साल मे पचास लाख से ज्यादा टर्नओवर करने वाली छोटी लुम्स को भी अब एक्साइज देना पडेगा . जो पहले एक करोड थी |

फार्मा उद्योग
~~~~~~

गुजरात पूरे भारत मे सबसे बड़ा फार्मा हब था . लेकिन केन्द्र सरकार की एक्साइज पॉलिसी ने इस उद्योग को बुरी तरह बर्बाद कर दिया है | भूकम्प के बाद वाजपेयी सरकार ने कच्छ को १० साल तक एक्साइज फ्री ज़ोन घोषित किया गया था .लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे आगे बढाने से मना कर दिया | केन्द्र सरकार कुछ पहाड़ी राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश और उतराखण्ड को एक्साइज फ्री घोषित कर दी है जिससे गुजरात को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है |

सूरत का हीरा उद्योग
~~~~~~~~~~

कांग्रेस शुरू से ही सूरत के हीरा उद्योग को बर्बाद करने पर तुली हुई है क्योकि इस उद्योग मे सबसे ज्यादा सौराष्ट्र मूल मे लोग लगे हुए है और सौराष्ट्र मे लोग कांग्रेस से बहुत घृणा करते है |
हीरा उद्योग मे हीरे की घिसाई और पोलिसिंग मे लाखो लोगो को रोजगार मिला हुआ है और पूरे विश्व से हीरे घिसाई और पालिश के लिए सूरत ही आते है जिस पर सरकार आयात कर वसूलती है और फिर जब घिसाई मे बाद हीरे विदेश भेजे जाते है तो सरकार फिर टैक्स वसूलती है | इस बार हीरा उद्योग को कुछ राहत मिलने की उम्मीद थी लेकिन कांग्रेस ने उनका भी गला घोट दिया |

असल मे कांग्रेस अब ये बात अच्छी तरह समझ चुकी है कि उसे आने वाले कई सालो तक गुजरात की सत्ता नसीब नही होने वाली है इसलिए वो गुजरात और गुजरात सरकार को बदनाम करने के लिए ये सब गंदी चाल चल रही है |

कांग्रेस करे तो लीला ... दूसरे करे तो पाप ?

क्या उद्योगों को जमीन सिर्फ गुजरात मे ही दी जाती है ?

मित्रों , गुजरात के आर्थिक विकास से कांग्रेस किस कदर कोमा मे चली गयी है कि जब उसे उसका असली चेहरा दिखा दिया जाये तो उनकी बोलती बंद हों जाती है |

एक कहावत है कि " चाय से ज्यादा गर्म केतली होती है " | कुछ यही हाल गुजरात कांग्रेस के नेताओ का है | गुजरात कांग्रेस के नेता कई बार कुछ ऐसी हरकते करते है जिससे खुद उनके हाईकमांड से लात खानी पडती है |

दो दिन पहले विधानसभा मे अर्जुन मोधवाडिया ने राज्य सरकार से गुजरात मे कुछ उद्योगों जैसे टाटा , पियुजो , डेमलर , जीएम , ह्युंडई, मारुति को दी गयी जमीनों के कीमतों और जन्त्री कर के बारे मे सवाल पूछा था |

लेकिन जब गुजरात की जमीन महसूल मंत्री आनंदी बेन पटेल ने अर्जुन भाई को जबाब दिया फिर तो उनकी बोलती ही बंद हों गयी ..

गुजरात मे उद्योगों को दी जाने वाली जमीनों के बारे मे मंत्री जी का विधानसभा मे जबाब
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

आखिर कांग्रेस गुजरात की जनता को मुर्ख क्यों समझ रही है ? महाराष्ट्र मे यदि कांग्रेस सरकार पुणे और चिंचवाड़ मे उद्योगों को जमीन देती है तो गुजरात सरकार कम पैसे लेकर भी राज्य मे रोजगार बढाने के लिए क्या उद्योगों को जमीन नही दे सकती ?

असल मे अर्जुन भाई का सवाल पांच दिन पहले विधानसभा अध्यक्ष के पास गया था .जिसके जबाब के लिए राज्य सरकार ने जबरदस्त तैयारी के साथ उनका जबाब दिया ..

गुजरात सरकार ने केरल सरकार , महाराष्ट्र सरकार , हरियाणा और तमिलनाडु सरकार से उनके राज्य मे उद्योगों को दी गयी जमीनों का ब्यौरा और उन राज्यों मे उद्योग के लिए जमीन आवंटन की नीति का पूरा ब्योरा आरटीआई से मंगा लिया | और खुद गुजरात मे जब कांग्रेस की सरकार थी तब कांग्रेस ने उद्योगों को किस भाव मे जमीन दी थी उसके भी सारे कागजात मंगा लिए |

और जब मंत्री जी ने अर्जुन भाई से कहा कि आप ये सारे कागजात एक बार पढ़ लीजिए ..

१- हरियाणा की कांग्रेस सरकार सोनिया गाँधी परिवार के तीन ट्रस्टो को जिसमे सिर्फ तीन लोग सोनिया , राहुल और प्रियंका ही ट्रस्टी है पांच सौ एकड जमीन मुफ्त मे दी | इसका खुलासा आईबीऍन ७ ने भी कुछ महीने पहले किया था |

२- गुजरात मे जब कांग्रेस सरकार थी तब अंकलेश्वर से वापी के बीच एक इण्डस्ट्रीज ज़ोन बनाया गया था . इस ज़ोन मे हर कम्पनी को १ रूपये के टोकन पर जमीन दी गयी थी |

३- महारास्त्र सरकार की इंडस्ट्रीज पॉलिसी के अनुसार हर ऐसे उद्योग को जिसमे २०० करोड का निवेश और २५० लोगो को रोजगार मिलता हों उन्हें १ रूपये टोकन पर जमीन देती है .. और वहा सिर्फ मुख्यमंत्री भी कोई भी फैसला ले सकता है |

जबकि गुजरात की इंडस्ट्रीज पॉलिसी के अनुसार ऐसे इंडस्ट्री जिसमे १००० करोड का निवेश हों और कम से कम २५०० लोगो को रोजगार मिलता हों ऐसे ही कम्पनी को सब्सीडी पर जमीन मिलती है |

गुजरात मे बीस सदस्सीय कमेटी इस बारे मे फैसला लेती है . मुख्यमंत्री इस कमेटी मे शामिल ही नही है |

महारास्त्र और हरियाणा सरकार ऐसी जमीनों पर जन्त्री [स्टैम्प डयूटी ] भी नही लेती .जबकि गुजरात सरकार जमीनों को सब्सिडी पर देती है लेकिन स्टैम्प ड्यटी बाज़ार के अनुसार ही वसूलती है |

सानंद मे टाटा मोटर्स से ८० करोड रूपये स्टैम्प डयूटी ली गयी है |

४- तमिलनाडु मे ह्युदई मोटर्स को मुफ्त मे जमीन दी गयी है |

५- खुद केन्द्र सरकार के द्वारा शासित प्रदेश जैसे दमन मे केन्द्र सरकार उद्योगों को १ रूपये टोकन पर जमीन देती है और इतना ही नही दमन मे लगी हर एक फैक्ट्री को बीस सालो तक एक्साइज और सीएसटी नही देनी पडती |
आज पूरे दमन मे एक इंच जमीन खाली नही है ..

६- राबर्ट वढेरा ने जैसे ही डीएलएफ के ३०% शेयर लिए और इसके बोर्ड ऑफ डाईरेक्टर मे शामिल हुए सारे कांग्रेस शासित राज्यों मे डीएलएफ को मुफ्त मे जमीन देने की होड मच गयी है |

हरियाणा की कांग्रेस सरकार ने बीस हज़ार एकड , राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पांच सौ एकड , महारास्त्र सरकार ने मुंबई ,पूना सहित कई शहरों मे दो हज़ार एकड जमीन डीएलएफ को दी है ..

मित्रों असल मे कांग्रेस जैसी नीच राजनितिक दल पूरे विश्व के किसी भी देश मे नही होगी |

ये अगर कुछ करे तो लीला ..और दूसरे करे तो पाप ?

केन्द्र सरकार ने २ जी मामले मे सुप्रीम कोर्ट मे हर सुनवाई मे कहा कि हर सरकार के पास नीतिगत फैसले लेने का संवैधानिक अधिकार है | सरकार जनहित मे कोई भी फैसला ले सकती है और इस पर कोई भी सवाल नही उठा सकता | सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि सरकार जनहित मे कोई भी फैसला ले सकती है लेकिन २ जी मे क्या जनहित है ? तो केन्द्र सरकार चूप हों गयी |

फिर गुजरात मे कांग्रेस के लिए सरकार की क्या अलग परिभाषा हों जाती है ?

Thursday 15 March 2012

कांग्रेसी चमचो की वजह से भारत मे छेत्रिय दलों का उदय हुआ

क्या आप जानते है कि भारत मे पहला क्षेत्रिय दल तेलगु देशम कैसे बना ?

मित्रों , भारत मे सबसे पहले क्षेत्रिय दल एन टी रामाराव ने तेलगु देशम के नाम से बनाया था |

लेकिन इसके बनाने के पीछे बहुत ही रोचक कहानी है |

सन् 1982 में आंध्र प्रदेश ही नही बल्कि पूरे देश की राजनीति में निर्णायक बदलाव हुआ था. उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी थी .और राजीव गाँधी किसी काम से हैदराबाद गए हुए थे . और आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्‍यमंत्री टी. अनैया राजीव गांधी की चप्पल अपने हाथो मे उठाये हुए थे  और उसी समय एक अखबार के कैमरामैन ने उनका फोटो ले लिया . और ये घटना और यह इतिहास में दर्ज हो गया.

कांग्रेसी मुख्यमंत्री द्वारा  राजीव गांधी की खुशामद करने के उस प्रयास ने एक फिल्मी हस्ती एनटी रामाराव को तेलुगु गर्व को  हासिल करने के लिए एक आंदोलन और एक पार्टी शुरू करने के लिए प्रेरित किया.

एन टी रामाराव ने इस घटना को तेलगु स्वाभिमान से जोड़ दिया और पूरे आंध्रप्रदेश मे घूम घूम कर लोगो के स्वाभिमान को ललकारा ..एन टी रामाराव खुद तेलगु फिल्मो के सबसे बड़े स्टार थे और उन्होंने धार्मिक फिल्मो मे राम , विष्णु , कार्तिकेय आदि रोल बहुत किये थे ..इसलिए तेलगु लोग उन्हें भगवान समझते थे |

पूरे दुनिया के इतिहास की ये पहली और अब तक की अंतिम घटना थी जब कोई पार्टी अपने गठन के सिर्फ १० महीने के भीतर ही किसी राज्य मे पूर्ण बहुमत हासिल करके सरकार बना ले ...
राव और उनकी तेलुगु देशम पार्टी ने 1983 के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत भी हासिल कर लिया.

क्या सच में इन आठ सालों में किराया नहीं बढा ?



Rail_rail Budgetकांग्रेस ने कहा  कि पिछले आठ सालो से रेल किराया नही बढाया .असल मे लालू यादव के साथ मिलकर कांग्रेस ने इस देश को मुर्ख बनाया था .लालू के बाद जब ममता बनर्जी रेलमंत्री बनी तब उन्होंने लालू के कार्यकाल का स्वेत पत्र जारी किया था जिसमे कई चौकाने वाले खुलासे थे |
१- सभी ट्रेनों मे तत्काल कोटा १०% से बढाकर ६०% कर दिया गया .जिससे मजबूरी मे लोगो को तत्काल टिकट लेना पढा .और असली किराये से १२३४% ज्यादा रेल ने वसूला |
२- तत्काल मे ये नियम बना दिया गया कि यात्री को जहां से ट्रेन चलती है और जहां तक चलती है वहा का ही टिकट मिलेगा .. इससे रेल ने लोगो को खूब लुटा
३- तत्काल फ़ीस ३५० रूपये कर दी गयी जो पहले ५० थी फिर १५० हुयी फिर सीधे ३५० हों गयी |
४- तत्काल टिकट कैसल करवाने पर रेल कोई भी रिफंड नहीं देती है . जबकि ग्राहक कानूनों के अनुसार अगर कोई सेवा नहीं ली है तो कोई फ़ीस नही लेनी चाहिए .
५- चुपके से यात्रियो पर सेफ्टी सरचार्ज थोप दिया गया जो जनरल मे १० स्लीपर मे २० एसी मे ४० रूपये है .
६- लालू ने २०० ट्रेनों को कागजो मे सुपरफास्ट का दर्जा दे दिया . लेकिन उनके स्टापेज मे कोई बदलाव नही किया .. इससे सिर्फ एक ट्रेन से ही एक महीने मे ५० करोड रूपये ज्यादा वसूले गए
७- मालभाडा मे लालू ने एक नियम बनाया था कि किसी भी वैगन का फूललोड का ही भाडा वसूला जायेगा .. और वो भी ६८ टन का लेकिन मजे की बात ये है की एक वैगन की अधिकतम छमता सिर्फ ६४ टन ही होती है और रेल ६० टन से ज्यादा एक वैगन मे लोड नही कर सकती |
८- रिजर्वेशन चार्ज पहले पूरे भारत मे आप कही से भी कही का टिकट लो तो समान होता था लेकिन लालू से इसमें भी लुटा ..
अगर आप अहमदाबाद से दिल्ली की रिर्टन टिकट ले और आप दोनों टिकट का अमाउंट देखे तो आपको माजरा समझ मे आ जायेगा .. स्लीपर मे २० एसी मे ४० और राजधानी मे ६० रूपये ज्यादा वसूले जाते है ..
असल मे कांग्रेस लालू के कंधे पर बंदूक रखकर पूरे देश को कई सालो तक मुर्ख बनाया .लेकिन जब जनता को लालू और कांग्रेस का दोगलापन समझ मे आने लगा तो जनता ने लालू और कांग्रेस को महामूर्ख बना दिया |

खुशियाँ मत मनाओ ... नई ट्रेनों और नई परियोजनाओ का एलान सिर्फ कागजो पर ही होता है ..

खुशियाँ मत मनाओ ... नई ट्रेनों और नई परियोजनाओ का एलान सिर्फ कागजो पर ही होता है ..

जी हाँ ये सत्य है .. पिछले आठ सालो से सभी रेलमंत्रियो ने इस देश को मुर्ख ही बनाया है ..और सारे एलान सिर्फ कागजो पर ही हुए है |


एक मित्र ने आर टी आई से पिछले आठ सालो मे रेल बजट मे एलान और हकीकत की जानकारी मांगी थी ..

...
आप सच्चाई सुनकर कांग्रेस मे मुंह पर थूक देंगे |

१- एक साल पहले संसद मे रेल मंत्री ने सिकंदराबाद और विशाखापट्टनम के बीच हप्ते मे तीन दिन एसी दुरंतो एक्सप्रेस की घोषणा की थी .. रेलमंत्रालय के कागजो मे ये ट्रेन चल रही है .लेकिन असलियत मे नही चल रही है ..


२- तीन साल पहले संसद मे दिल्ली लुधियाना शताब्दी रोज चलाने की घोषणा की थी .जो आजतक सिर्फ हप्ते मे सिर्फ तीन दिन ही चलती है


३- तिरुवनंतपुरम - चेन्नई दुरंतो एक्सप्रेस आज तक नही चली


४- चार साल पहले रेलमंत्री ने रेलबजट मे मनमाड --कुर्ला टर्मिनस के बीच राज्य रानी एक्सप्रेस की घोषणा की थी .जो आजतक नही चल रही है |


५- पिछले साल बजट मे जयपुर -दिल्ली डबल डेकर ट्रेन की घोषणा हुयी थी ..जो आजतक नही चल रही है


६- दो साल पहले जयपुर -आगरा शताब्दी ट्रेन की घोषणा हुयी थी ..जो आजतक नही चल रही है


७- तीन साल पहले अजमेर निजामुद्दीन सुपरफास्ट की घोषणा हुयी थी ..जो आजतक नही चल रही है |


८- पिछले रेल बजट मे ३३ ट्रेनों के रूट बढाने की घोषणा हुयी थी ..लेकिन सिर्फ १३ के रूट लम्बे किये गए |


९- पिछले साल रेलबजट मे २२ ट्रेन की फ्रीक्वेंसी बढाने की घोषणा हुयी थी लेकिन सिर्फ १२ ट्रेनों के ही फ्रिक्वेंसी बढ़ी |


परीयोजनाओ के हाल

~~~~~~~~~~

१- तीन साल पहले आंध्रप्रदेश के काजीपेट मे रेल कोच फ्रेक्ट्री की घोषणा हुयी थी .. लेकिन आज तक एक ईंट तक नही लगा |


२- पांच साल पहले केरल के चेरथला मे रेल कोच फेक्ट्री को घोषणा हुयी थी ..आजतक वहा कुत्ते घूम रहे है ..


३- यूपी मे रायबरेली मे रेल कोच फेक्ट्री का आजतक काम नहीं शुरू हुआ ..


४- पिछले साल ममता बनर्जी ने रेलवे के खुद के पावर प्लांट की घोषणा करके खूब वाहवाही बटोरी थी ..जिसमे बंगाल मे आद्रा , महाराष्ट्र मे थार्कुली , बिहार के नबीनगर मे रेल के थर्मल प्लांट की घोषणा हुयी थी ...लेकिन आजतक कुछ नही हुआ |


५- २००५ के रेल बजट मे बिहार के मधेपुरा मे इलेक्ट्रिक इंजन का कारखाना और मारहोवर मे डीजल इंजन के कारखाना लगाने की घोषणा हुयी थी | लेकिन आज तक कुछ नही हुआ |


६- केरल के पल्लक्क्ड मे रेल कोच फेक्ट्री की घोषणा २००५ के बजट मे हुयी थी लेकिन आज तक कुछ नही हुआ |


७- तीन साल पहले ५८४ रेलवेस्टेशन को "वर्ल्ड क्लास " बनाने की घोषणा हुयी थी .. लेकिन आज भी सभी "थर्ड क्लास " ही है |


८- पिछले साल ममता बनर्जी ने हवाईअड्डे के जैसे बीस रेलवे स्टेशनों पर लगेज ट्रोली रखने की घोषणा की थी ..लेकिन आज तक कुछ नही हुआ |


मित्रों , हमे इस नीच कांग्रेस की हकीकत जानने और लोगो को बनाने की अब सख्त जरूरत है ..क्योकि ये सिर्फ हमे मुर्ख समझते है |


इतना ही नही देश के बीस रेल डिविजन के डीआरएम ने रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि अब हमारे पास इससे ज्यादा ट्रेन चलाने की छमता ही नही है ..या तो आप रेल का इन्फ्रास्ट्रक्चर बढाइये या फिर कोई भी नई ट्रेन की घोषणा ही मत करिये |

Tuesday 13 March 2012

कांग्रेसियो याद रखो ..कांग्रेस मे तुम्हारी मेहनत की कोई कद्र नही है ... वही मुख्यमंत्री थोपा जायेगा जो सोनिया गाँधी के तलवे चाटने वाले मीटर मे सबसे ज्यादा अंक पायेगा |


कांग्रेसियो याद रखो ..कांग्रेस मे तुम्हारी मेहनत की कोई कद्र नही है ... वही मुख्यमंत्री थोपा जायेगा जो सोनिया गाँधी के तलवे चाटने वाले मीटर मे सबसे ज्यादा अंक पायेगा |


मित्रों , आज सुबह जैसे ही ये खबर मीडिया मे आयी कि सोनिया गाँधी ने विजय बहुगुणा को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री मनोनीत किया है तो पूरा भारत इस खबर से चौक उठा ..

उत्तराखंड मे हरीश रावत ने बहुत ही मेहनत किया था और कडाके की ठंड मे ७८ साल की उम्र के वावजूद पूरे उत्तराखंड मे गांव गांव घुमे थे | और सबसे बड़ी बात ये है कि हरीश रावत जन्म से ही कांग्रेस है .

वही दूसरी तरफ विजय बहुगुणा और उनकी बहन रीता बहुगुणा दोनों ने कई बार पार्टी बदली है ..इसके पिता स्व. हेमवती नन्दन बहुगुणा जो यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री रहे है  कांग्रेस के कट्टर दुश्मन थे और इलाहाबाद मे उनसे डर से नेहरु ने कभी इलाहाबाद से चुनाव नही लड़ा बल्कि बगल मे फूलपुर से नेहरु लड़ते थे .. लेकिन जब राजीव गाँधी ने अमिताभ बच्चन को राजनीती मे लाए तो उन्हें हेमवती जी के खिलाफ इलाहाबाद से लडाए तब ये भाई बहन चिल्ला चिल्लाकर राजीव गाँधी मुर्दाबाद और राजीव गाँधी को बोफोर्स घोटाले का आरोपी है के नारे लगाते थे |

लेकिन जब हेमवती जी ने सुना कि अमिताभ के सामने उनकी जमानत तक जप्त हों गयी तो उन्हें दिल का दौरा पड़ा था और कुछ दिनों के बाद उनकी निधन हों गयी ..
 उस समय ये दोनों भाई बहन की जोड़ी पूरे यूपी मे रो रोकर कहते थे कि राजीव और अमिताभ बच्चन उनके पिता के कातिल है |
विजय बहुगुणा बाद मे इलाहबाद और मुंबई हाईकोर्ट ने जज भी रहे

लेकिन समय बदला ,, फिर वक्त की नजाकत देखकर इनलोगो ने  कांग्रेस मे शामिल हों लिए और जब यूपी से अलग होकर उत्तराखंड बना तो रीता बहुगुणा इलाहाबाद मे ही रही और विजय बहुगुणा अपने पैतृक नगर टिहरी गढवाल चले गए |

उत्तराखंड के चुनावो मे विजय बहुगुणा ने अपने शहर तक मे कोई प्रचार नही किया था .. लेकिन जब कांग्रेस को सिर्फ एक सीट ज्यादा मिलने की वजह से राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए आमन्त्रित किया तो विजय बहुगुणा ने अपनी बहन रीता बहुगुणा से साथ मिलकर सोनिया के दरबार मे जबर्जस्त लोबिंग किया |

कहा तो यहाँ तक जा रहा है कि विजय बहुगुणा ने अहमद पटेल और राबर्ट बढेरा के दरबार मे खूब चढावा भिजवा दिया था और साथ ही राबर्ट से वादा किया कि आपको उत्तराखंड को लुंटने मे कोई प्रोब्लम नहीं आने दिया जायेगा ..इसी वजह से कांग्रेस ने जमीन से जुड़े नेता पर लात मारकर चमचे को मुख्यमंत्री बना दिया |

Sunday 11 March 2012

गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष का नाम अर्जुन झूठवाडिया हों चूका है क्योकि ये सिर्फ झूठ बोलते है

गुजरात कांग्रेस ने नेताओ खासकर अर्जुन मोधवाडिया के झूठ का पर्दाफाश :-

झूठ #१ -- गुजरात के हर निवासी के सर पर बारह सौ का कर्ज है
------------------------------------------------------------------

हा हा हा हा !! लगता है कांग्रेसियो को अर्थशास्त्र और संवैधानिक प्रक्रिया या तो मालूम नहीं है या ये जानबूझकर जनता को बरगलाते है ..
इकोनॉमिकस मे कई तरह की अर्थव्यवस्थाओ का जिक्र है ..आज़ादी के बाद भारत ने "घाटे की अर्थव्यवस्था" को अपनाया .. किसी भी राज्य सरकार या केंद्र सरकार का किसी भी वित्तीय वर्ष का कुल खर्च उसके कुल आय से ज्यादा होता है .फिर सरकारों को अपने बजट मे नयी योजनाओ के लिए भी पैसा चाहिए ..इसलिए सरकारे एक घाटे का बजट पेश करती है ..फिर सदन एक लेखानुदान प्रस्ताव मंजूर करता है ..ये प्रक्रिया इस देश मे पिछले ६३ सालो से चल रही है .. अगर अर्जुन मोधवाडिया के बातों को सच माने तो केंद्र सरकार के घाटे के बजट ने अनुसार इस देश के हर एक नागरिक के माथे चालीस हज़ार रूपये का कर्ज उसके पैदा होते ही उसके उपर हों जाता है ....और इसकी कांग्रेस की राजस्थान और दिल्ली मे भी यही हाल है ..
इसलिए मित्रों ये एक अफवाह शंकर सिंह वाघेला और अर्जुन मोधवादिया फैला रहे है ..

झूठ # २- गुजरात के योजनाओ के लिए पैसा केन्द्र की कांग्रेस सरकार भेजती है ..
--------------------------------------------------------------------------------

तो क्या केंद्र सरकार को पैसा सोनिया गाँधी के बाप इटली से भेजते है ????
क्या केंद्र सरकार को पैसा सोनिया गाँधी के बाप इटली से देते है ? आखिर कांग्रेस के लोग बार बार किसी भी योजना को केन्द्र सरकार की बता कर और केंद्र के द्वारा दिए गए पैसे से बता कर क्या साबित करना चाहते है ?? केंद्र सरकार के पास पैसा आता कहा से है ? गुजरात से केंद्र सरकार को सबसे ज्यादा आयकर , एक्साइज , सर्विस टैक्स . पोर्ट टैक्स , कस्टम , के रूप मे जाता है ..यदि गुजरात से १०० रूपये केन्द्र मे जाता है तो केन्द्र उसके सामने सिर्फ ७२ पैसे ही गुजरात भेजती है ..सबसे कम टैक्स कश्मीर से आता है और केन्द्र सरकार सबसे ज्यादा फंड कश्मीर को देती है .. सभी राज्य अपने राज्य के लिए योजना आयोग को नई योजनाये बना कर भेजते है और फिर केन्द्र उस योजना की फंडिंग करती है ..ये प्रक्रिया इस देश के संविधान मे लिखी है ..और पिछले ६३ साल से ये देश इसी तरह चल रहा है ...कांग्रेस गुजरात को पैसे देकर गुजरात के उपर कोई एहसान नहीं कर रही है ..बल्कि गुजरात का हक है ..आप एक बार केन्द्र राज्य आयोग और योजना आयोग के बारे मे पहले अच्छी तरह पढ़ ले ..फिर आप ऐसी बहकी बाते करे ..इस देश मे कुल १०४ तरह के टैक्स वसूले जाते है जिसमे ८७ तो केन्द्र सरकार वसूलती है ..
इस देश के लिए हर एक राज्य का एक साल के कुल योजनाओ जिसमे नई और चालू दोनों योजनाओ की हर साल समीछा बैठक होती है .फिर उस राज्य का कुल अनुदान मंजूर होता है ..ये हमारे संविधान मे लिखा है ..संविधान मे कई सौ पन्ने सिर्फ केंद्र राज्य संबंधो पर है ..
केन्द्र की यूपीए सरकार गुजरात या किसी भी दूसरे राज्य के साथ कोई अहसान नहीं कर रही है ..केन्द्र से पैसा मिलना हर राज्य का हक है .. इस देश मे ६३ साल मे से कुल आठ साल राज नहीं था तो क्या उस समय अभी राज्य भूखो मरते थे ??


झूठ #३ :- गुजरात मे एक लाख करोड का भ्रस्टाचार मोदी ने किया है
....................................................................................
अर्जुन भाई और शंकर भाई आप को किसी ने मोदी सरकार के खिलाफ एफ आई आर करने से रोका है ?? आप लोग बार बार कहते हों कि कैग ने गुजरात सरकार के उपर एक लाख करोड का भ्रष्टाचार बताया है ..तो आप को ये भी मालूम होना चाहिए कि कैग के रिपोर्ट के आधार पर कोई भी इंसान किसी भी थाने मे भ्रस्टाचार निरोधक कानून के तहत रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है .क्योकि कैग एक संवैघानिक संस्था है ..आज ए राजा अगर जेल मे है तो सिर्फ कैग के रिपोर्ट की वजह से ही है ...कैग के रिपोर्ट पर केन्द्र किसी भी सरकार को बर्खास्त कर सकती है ..मधु कोड़ा की सरकार कैग की रिपोर्ट से ही गयी ..तो फिर कांग्रेस मोदी सरकार पर मेहरबानी क्यों कर रही है ?
क्योकि कैग ने कोई भार्स्ताचार की बात नहीं की है ..हाँ जब भी कैग आडिट करती है तो अगर किसी चीज पर कैग संतुस्ट नहीं हों तो वो क्युरी और शो काज नोटिस उस राज्य सरकार को भेजती है .फिर राज्य सरकार को उसका स्पस्टीकरण देना होता है ..
गुजरात मे कुछ परियोजनाये जैसे साबरमती रिवर फ्रंट बहुत सालो से चल रही है ..इसलिए इनका बजट बढ़ जाता है ..कैग ने इसी बात पर राज्य सरकार से जबाब माँगा था ..जो उसे बाद मे मिल गया ..
मै फिर कहता हूँ कि अगर गुजरात मे भ्रष्टाचार और जंगल राज्य है तो क्या केंद्र सरकार के हाथो मे दही जमा है ?? वो चाहे तो एक मिनट मे बर्खस्त कर सकती है ..लेकिन कांग्रेस की हिम्मत क्यों नहीं हों रही है ?? पहले तो एक छिक पर कांग्रेस राज्य सरकारों को बर्खास्त किया करती थी ..


झूठ #४ ..अदानी को मोदी ने गुजरात लूटने के लिए दे दिया है
-----------------------------------------------------------
मित्रों , आप लोग मेरे फोटो मे जाकर देखिये .गौतम अदानी के साथ राबर्ट वढेरा के कम से कम १० फोटो मैंने डाल रखे है .. रावर्ट वढेरा कई बार मुंद्रा पावर और मुंद्रा पोर्ट का विसिट आखिर क्यों करता है ? आखिर अदानी जो बिजली तीन रूपये मे बनाएगा वही बिजली हरियाणा की कांग्रेस सरकार आठ रूपये मे क्यों खरीदने के सम्झाओता पर दस्तखत किया ?? आखिर राबर्ट वढेरा अहमदबाद अदानी से मिलने बार बार क्यों आता है ?? मुंद्रा से हरियाणा तक जो हाई टेंसन के खंभे लग रहे है तो गुजरात सरकार जिस भी किसान के खेत मे खंभे लग रहे है उसे बाजार भाव से पाच गुना मुवावजा देने के लिए आदनी से करार किया है ..लेकिन राजस्थान और हरियाणा मे कांग्रेसी सरकारे किसानो को एक पैसा भी मुवावजा नहीं दे रही है ...
अगर राबर्ट वढेरा की बिजनस प्रोफाइल देखे तो फिर रावर्ट और अदानी दूर दूर तक कही सामान नहीं है ..फिर भी बार बार इनके बीच मीटिंग का क्या रहस्य है ??
किसी भी पोर्ट के बारे मे कर या छूट जहाजरानी मंत्रालय के हाथ मे होता है ना की राज्य सरकार के हाथ मे ..फिर अदानी के मुंद्रा पोर्ट को केन्द्र की कांग्रेस सरकार छूट क्यों देती है ??

कांग्रेस क्या इस देश की जनता को मुर्ख समझती है ?



मित्रों , रामलीला मैदान मे कांग्रेस के ईशारे पर हुयी हैवानियत और बर्बरता परसुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस के सभी प्रवक्ता कैसे नीच तिवारी और कई केंद्रीय मंत्री अब ये कह रहे है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर और गृह मंत्रालय पर कोई सवाल नही उठाया बल्कि दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाया है |

मित्रों सच मे अगर किसी कांग्रेसी के गले मे जूते की माला पहनकर , बाल मुंडवाकर . गदहे पर बैठाकर और जूता मारते हुए बाज़ार मे घुमाया जाये तो शाम को घर आकर कांग्रेसी अपनी बीबी से बोलेगा ..आज तो मेरी बेइज्जती बस होते होते बच गयी .. उन लोगो ने मेरे पिछवाड़े लाल मिर्ची नहीं घुसेड़ी बस गदहे पर घुमाया |

फैज ने एक बार लिखा था जो शायद इन्ही कांग्रेसो पर था

"एक हम है जो शर्मोहया से शर्मशार हुए जाते है ... शर्म मगर उनको क्यों आती नही "

तो क्या ये नीच कांग्रेस इन सवालों का जबाब देगी ?

१- क्या पुलिस सरकार का अंग नहीं है ? क्या दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन नही आता है ?

२- क्या कांग्रेस और केन्द्र सरकार यही कहना कह रही है कि अब सरकार का पुलिस पर कोई नियंत्रण नही है ? पुलिस अपनी मनमर्जी से काम करती है ? अगर ऐसा है तो ये बहुत खतरनाक है |

३- सुप्रीम कोर्ट ने कई जगह सरकार और लोकतंत्र पर गम्भीर टिप्पड़ीयाँ की है खुद कांग्रेसी चैनल स्टार न्यूज़ ने कल ये दिखाया |

कांग्रेस ने जब गाँधी जी के समाधि पर कुत्तों को चढाया था तब क्या बापू का अपमान नही हुआ था ?

सुषमा स्वराज जी के राजघाट पर देश भक्ति के गीत पर नृत्य करने पर कांग्रेसियों और ख़ास कर दिग्विजय सिंह ने बहुत हल्ला मचाया था और भाजपा को नचनियों... की पार्टी तक कह डाला था |

मुझे उसी समय राजघाट की एक घटना स्मरण हो आई ... बात 2 मार्च 2006 की है जब जार्ज बुश भारत यात्रा पर था और दिल्ली में उसने राजघाट पर गाँधी की समाधि पर फूल चडाने जाना चढाने जाना था उसके वहां पहुचने से लघभग 2 घंटे पहले अमेरिका ख़ुफ़िया एजेंसियों ने बम निरोधक दस्ते के खोजी कुत्तों के पुरे राज घाट को खाली करा कर वहां तलाशी अभियान शुरू कर दिया हद तो तब हो गयी जब खोजी कुत्ते गाँधी समाधी को सूंघ सूंघ कर उसकी तलाशी लेते रहे और वहां मोजूद कांग्रेसी और भारतीय अधिकारी आपस में ठहाके लगाते रहे | उस दिन मुझे पहली बार लगा था की किसी भी दिन ये कांग्रेसी अपनी माँ बहिन को बेच कर विदेश भाग सकते है क्योकि जिस गांधी के दम पर ये आज तक राज करते आये है उस गाँधी को इन्होने कुत्तों के लिए छोड़ दिया और साथ ही विश्व भर में भारत के तथाकथित राष्ट्रपिता का अपमान करा कर भारत की नाक कटवा दी ||
इतना ही नही इन स्निफर कुत्तों को गाँधी जी के समाधि पर चढाकर भी सूंघाया गया |

आज जब इस घटना का स्मरण हुआ तो सोचा की आप सब को इस घटना के विषय में बता दूँ ||

खुद सोचिये जो कांग्रेस गांधी की ना हो सकी वो आपकी ,मेरी या आम गरीब जनता की क्या होगी ??