Friday 11 November 2011

आखिर केंद्र की यूपीए सरकार किंगफिशर को दो हज़ार करोड की बेलआउट पैकेज क्यों दे रही है ?

आखिर केंद्र की यूपीए सरकार किंगफिशर को दो हज़ार करोड की बेलआउट पैकेज क्यों दे रही है ?


मित्रों ,, आज बढती महगाई से आम आदमी घुट घुट कट मर रहा है .. कांग्रेस सरकार जले पर नमक छिडकते हुए हर महीने पेट्रो प्रोडक्ट का दाम बढ़ा रही है .. वित् मंत्रालय आम आदमी के घर लेने के सपने को भी अब सपना ही बना दिया क्योकि बैंको ने होमलोन की दरों मे एक साल मे पांचवी बार इजाफा कर दिया .. हर रोज बुन्देलखण्ड और विधर्ब मे सैकडो किसान आत्महत्या करने को मजबूर है ..लेकिन कांग्रेस और केंद्र सरकार कोआम आदमी के  इन सब समस्याओ से कोई मतलब नहीं है ..उल्टे मनमोहन सिंह अहसान जताते हुए कह रहे है कि लोगो के पास बहुत पैसा आ गया है ..लोग अमीर हों गए है ... वैसे भी कांग्रेस की नजरो मे तो हम सब भारतवासी महामीर है ..क्योंकि कांग्रेस का कहना है कि जो भी २६ रूपये रोज कमाता है वो अमीर है ..


लेकिन आम आदमी के नाम पर सत्ता मे आने वाली कांग्रेस आम आदमी के आँसू देखकर नहीं पसीजी .. लेकिन जब विश्व का "दारू सम्राट " विजय माल्या की एक कंपनी किंगफिशर एयरलाइन्स जब घाटे मे आ जाती है तो कांग्रेस का दिल सिर्फ एक दिन मे ही पसीज जाता है और तुरंत चार चार घोषणाये हों जाती है ..

१- तेल कम्पनियो का ८७७ करोड रूपये बकाया होने के बावजूद भी किंगफिशर को एटीएफ [ air terbine fuel] एक साल तक क्रेडिट मे मिलेगा .. जिसमे गारंटर खुद केंद्र सरकार होगी ..यानि अगर किंगफिशर नहीं चूका पायेगी तो केंद्र सरकार चुकायेगी ..

२- किंगफिशर को घाटे से उबारने के लिए  सरकार दो हज़ार करोड का बेल आउट पैकेज देगी ..

३- कुछ सालो तक किंगफिशर को परिचालन संबंधित नियमों मे पूरी तरह छूट दी जायेगी ..जिससे वो खुद मुनाफे वाले रूट पर ज्यादा उड़न कर सके .

४- किंगफ़िशर को टैक्स मे छुट दी जायेगी ..

वाह रे कांग्रेस ...आखिर इतनी दरियादिली उस इंसान पर क्यों जो सैकडो कंपनियों का मलिक है और उसकी सिर्फ एक कंपनी ही घाटे मे है ..जबकि उसकी फ्लैगशिप कंपनी यूनाइटेड बैब्रेज भारी मुनाफा कमा रही है .. पूरी दुनिया के शराब निर्माण मे यूबी ग्रुप का आज ५३% योगदान है .. खुद विजय माल्या एक बहुत ही रंगीन मिजाज़ जिंदगी जीने के आदि है और उनका लकड़ा सिदार्थ माल्या रंगीनमिजाजी मे अपने बाप से भी दो कदम आगे है ..

इनके पास प्रशांत महासागर मे कई निजी द्वीप है ..खुद का निजी क्रूज शिप है और निजी जेट और याट कितने होंगे ये माल्या को भी नहीं मालूम होगा .. विजय माल्या हर साल दिसंबर मे "किंगफिशर कैलेंडर " बनवाते है ..जिसमे करोडो रूपये देकर बिना कपडे के देशी विदेशी माडलो से बेहद अश्लील मुद्राओ मे फोटो होते है ..फिर इन कैलेंडरो को सिर्फ चुनिन्दा लोगो को विजय माल्या अपने हस्ताक्षर के साथ भेजते है ..

                               फिर आज सारे देश मे मन मे ये सवाल उठाना लाजिमी है कि आखिर ऐसे इंसान पर कांग्रेस क्यों मेहरबान हों रही है ? एक तरफ किंगफिशर घाटे मे है और वही कंपनी के चेयरमेन के रूप मे विजय माल्या दो करोड रूपये हर महीने सेलरी के रूप मे ले रहे है ..और वही उनके लडके सिद्धार्थ माल्या कंपनी के निदेशक के रूप मे एक करोड रूपये हर महीने सेलरी और दूसरे भत्तो के रूप मे सिर्फ अपनी एक कम्पनी से ले रहे है ..

असल  मे किंगफिशर मे कांग्रेस के कई बड़े नेता का क़ानूनी और गैर क़ानूनी तौर पर निवेश है .. अब जब सिर्फ एक दिन मे ही किंगफिशर के शेयर १९% तक नीचे गिर गए तो कांग्रेस के नेताओ ने सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए किंगफिशर के लिए बेल आउट पैकेज की घोषणा का एलान कर दिया .

इससे एक बात तो सिद्ध हों गयी कि कांग्रेस को इस देश मे रोज भूख से मरते लाखो लोग ..तमाम समस्याओ से रोज जूझते लाखो लोग ..हर रोज हड्डीतोड़ परिश्रम करके किसी तरह अपने घर मे चूल्हा जलाने वाले लाखो लोग .. तमाम बीमारियो से पीड़ित लाखो लोग नज़र नहीं आते ..या आते भी है तो कांग्रेस को आम आदमी की समस्याओ से कोई लेना देना नहीं है .

लेकिन जब एक बेहद अमीर आदमी जो फ़ोर्ब्स के अनुसार भारत का ३२ वें क्रम का  अमीर है उसे छिक भी आ जाती है तो पूरी कांग्रेस और केंद्र सरकार उसके चरणों मे भारत का खजाना रख देती है ..
क्या कांग्रेस इन सवालो का जबाब इस देश को देगी ?

१- बेल आउट पैकेज सिर्फ किंगफिशर एयरलाइन्स को ही क्यों ?? पिछले दस साल मे घाटे मे चल रही एयर इंडिया को क्यों नहीं ? एयर इंडिया पिछले  चार महीने से अपने कर्मचारियों को सेलरी तक नहीं दी है ..

२- विजय माल्या एक सांसद है तो क्या उनके सियासी रसूख के चलते ही कांग्रेस उनके पैरों पर गिर पड़ी ?

३- सबको मालूम है कि दछिण भारत मे पहली बीजेपी की सरकार कर्नाटक मे बनी ..जो कांग्रेस के आँखों मे रेत के कण की तरह चुभ रही है ..माल्या कर्नाटक के है ..तो क्या कर्नाटक को लेकर माल्या और कांग्रेस मे कोई डील हुयी है ??

४- एक तरफ कांग्रेस तेल कंपनियों के घाटे का हवाला देकर रोज तेल की कीमते बढाती जा रही है..आम आदमी मर रहा है ..फिर किंगफिशर पर दरियादिली क्यों ?

     चलो ,, कांग्रेस के पास तो इन सवालों का जबाब देने की हिम्मत तो नहीं है ..लेकिन अब हमें बहुत ही गंभीरता से सोचना होगा कि चुनाव के पहले "कांग्रेस का हाथ ..आम आदमी के साथ " का नारा देने वाली कांग्रेस चुनाव के बाद " कांग्रेस का हाथ [थप्पड़ ]...आम आदमी का गाल " क्यों हों जाता है ?














Wednesday 9 November 2011

प्रधानमंत्री को उनकी औकात एक मिनट ने बता दी सी ए जी विनोद रॉय ने ...

प्रधानमंत्री को उनकी औकात एक मिनट ने बता दी सी ए जी विनोद रॉय ने ...
मित्रों कल एक बहुत ही सनसनीखेज खुलासा आर टी आई के द्वारा हुआ है ..


... आप लोगो को याद होगा कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संपादकों के साथ बैठक किया था ..जिसमें उन्होंने रोज नए घोटाले सामने लाने वाले सीएजी के रवैये की आलोचना की।

और कहा था कि आज से पहले कोई भी सी ए जी ने कभी प्रेस कांफ्रेस नहीं की. कोई सी ए जी इतना एक्टिव नहीं हुआ जितना आज के सी ए जी है ..

फिर तो इसके बाद बहुत ही ईमानदार और खुद्दार विनोद जी ने प्रधानमंत्री को एक बहुत ही कड़ी और थप्पड़ वाली भाषा मे एक पत्र लिखा .. और साथ मे भारत के संम्विधन कि एक किताब भी उनको भेजी और कहा कि आप पहले भारत का सम्विभन ठीक से पढ़ ले .. आप किसी के गुलाम हों सकते है लेकिन मै नही ..हों सकता है कि मेरे से पहले सीएजी को अपने कर्तब्यो का बोध ना हों .. आप पहले अपनी कमजोरियों को दूर करे फिर किसी भी संवैधानिक संस्था पर ऊँगली उठाये ..सच तो ये है कि आप आजाद भारत के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री साबित हुए है ..

अगर आपको अपने कर्तव्यों का बोध होता तो सुप्रीम कोर्ट आज बार बार नीतिगत निर्णय नहीं लेता .. आज जितने भी घोटाले के आरोपी जेल मे है वो आपकी सरकार की वजह से नहीं है बल्कि सुप्रीम कोर्ट और सुब्रमण्यम स्वामी की सक्रियता की वजह से है ..

इसके बाद ये सख्त चिट्ठी लिखी गई जिसे सूचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल करते हुए एनडीटीवी के संवाददाता सिद्धार्थ पांडे ने हासिल किया।

शायद आज तक प्रधानमंत्री को इतना सख्त और कड़ा पत्र लिखने की हिम्मत किसी ने नही किया हों ..लेकिन आज मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को इतना गिरा दिया है फिर हर कोई मंदिर मे टंगे घंटे की तरह वहाँ से गुजरने पर एक बार जरूर बजा देता है

http://khabar.ndtv.com/2011/11
/09001458/CAG-PM-letter-2G.htm
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घर के बहू के लक्छ्न ठीक नहीं लगते !!

घर की बहू कब कब कहा कहा जाती है
.....और उस का पता घर वालो को भी न हो

तो मान ही लेना चाहिए की बहू के लक्षण कुछ ठीक नहीं है .........http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/10656126.cms

'अन्ना के अनशन पर अमेरिकी टिप्पणी में गलत क्या है' ???


'अन्ना के अनशन पर अमेरिकी टिप्पणी में गलत क्या है' ???


अभी जब अन्ना अपने आंदोलन को लेकर अडिग है तो पुरे विश्व की निगाहे इस आन्दोलन पर है .. लेकिन पूरा विश्व कही ना कही आशंकित है कि क्या कांग्रेस की बेशरम , कातिल और तानाशाह सरकार क्या एक बार फिर अपने बर्बरता और निर्दयता को दिखाकर पुरे विश्व मे भारत की एक शांतिपूर्ण छबि पर दाग लगायेगी ?

आज कांग्रेस के लिए रामलीला मैदान की हैवानियत और बर्बरता एक पिकनिक के मजे जैसा हों सकता है लेकिन इस तानाशाही और बर्बर हरकत से पूरी दुनिया के बुद्धिजीवी और मानवतावादी लोग आज भी सहमे हुए है .. आज कांग्रेस  सत्ता मे मद मे चूर होकर अपनी आँखे बंद कर ली है लेकिन वो भूल जाती है की इमरजेंसी के बाद इंदिरा गाँधी का क्या ह्र्स्र हुआ था .

अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नूलैंड ने वाशिंगटन डीसी में संवाददाताओं से कहा था कि वह लोकतांत्रिक भारत से उम्मीद करती है कि वह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनकारियों के खिलाफ संयम बरेगा।

नूलैंड ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा था, "जैसाकि आप जानते हैं, हम दुनिया भर में शांतिपूर्ण, अहिंसक विरोध प्रदर्शन के अधिकार का समर्थन करते हैं।"

उनके इस बयान पर चितंबर भड़क गए और बोले की अमेरिका अपनी हदों को पार कर रहा है ..

इसमें गलत क्या है ? आज सब जानते है कि कांग्रेस को इस देश की जनता से कोई मतलब नहीं है .. आज जनता महगाई से आत्महत्या करने लगी है लेकिन सरकार सत्ता मे मद मे चूर है .. ऐसे मे अगर कोई देश कांग्रेस को उसका राजधर्म याद दिलाता है तो इसमें बुरा क्या है ?

अगर सीरिया , मिश्र , फिजी आदि देशो के कुछ होता है तो भारत सरकार भी तो अपनी चिंता जाहिर करती है ..
और अगर रामलीला मैदान की हैवानियत पुरे विश्व ने नहीं देखा होता तो अमेरिका को अन्ना के आन्दोलन की चिंता नहीं होती ..


 यदि कोई देश अपने नागरिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तो किसी भी दूसरे  राष्ट्र का यह धर्म बनता है कि वह उसे टोके।

यदि दुनिया के दूसरे देश ये  महसूस करते हैं और देखते हैं कि भारत की  जनता को विरोध प्रदर्शन के मानवीय अधिकारों, लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, तो प्रत्येक देश को अधिकार और कर्तव्य बनता है कि वह उस देश की सरकार से कहे कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।"


कितनी शर्मनाक बात है कि आज दिल्ली मे कश्मीर के अलगाववादी भारत के दो टुकड़े करने के लिए आन्दोलन कर सकते है .. बेशर्म मोरचा निकला जा सकता है .. अहमदाबाद मे कांग्रेस के लोग गाँधीनगर तक मार्च कर सकते है.. अहमदाबाद मे  एन एस यू आई के गुंडे जी टी यू विश्वविद्यालय मे तोड़फोड़ करते हुए कुलपति को मार मार कर अधमरा कर सकते है ..
लेकिन दिल्ली मे आप भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ नहीं उठा सकते ..

बालकृष्ण को ना ..... अदनान सामी को हाँ .. क्यों ? कांग्रेस इस देश को जबाब दे

बालकृष्ण को ना ..... अदनान सामी को हाँ .. क्यों ? कांग्रेस इस देश को जबाब दे

 
चितंबरम .. आचार्य बालकृष्ण अगर इस देश मे नहीं रह सकते तो अदनान सामी को भारत मे रहने की सिफारिश तुमने और दिग्विजय ने प्रधानमंत्री से क्यों किया ?
जबाब दो ...

और कांग्रेस सबसे पहले "हड्डी " इस देश की लालची मीडिया के सामने ही फेकती है . जिससे भौकने वाले कुत्ते हड्डी चबाने मे लगे रहे और कांग्रेस अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए इस देश के कानून की ऐसी तैसी करती रहे ..


अपने उल्‍टे-सीधे बयानों के लिए मशहूर दिग्गी राजा ने पिछले दिनों पाकिस्तानी गायक अदनान सामी को देश में रहने की मोहलत देने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृहमंत्री पी.चिदंबरम से सिफारिश करके एक बार फिर मुस्लिम कार्ड खेला है। दिग्विजय का यह कदम यूपी चुनावों के मद्देनजर मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने और अपने पाले में लाने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से प्रसिद्व गायक अदनान सामी के मामले में मिले थे और उन्होंने अदनान को भारत में रहने की अनुमति दिए जाने का आग्रह किया था। । दिग्विजय ने मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इस मामले में मदद का भरोसा दिया है। प्रधानमंत्री जरुर देंगे .. क्योंकि अदनान सामी कभी भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ कोई आवाज़ नहीं उठाते है . सिर्फ गैर क़ानूनी तरीके से भारत से पकिस्तान रूपये भेजते है ..
दिसंबर 2010 में प्रवर्तन निदेशालय ने अदनान सामी का संपत्ति जब्त कर ली थी। जिसे सामी ने भारतीय रिजर्व बैंक आफ इंडिया की बिना अनुमति के खरीदा था। सामी अपनी पत्नी से कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं।
अदनान सामी के खिलाफ भारत मे पांच फौजदारी के गुनाह दर्ज है ऐसे मे कानून ये कहता है की उसे तुरत भारत से बाहर भेज दिया जाये .. लेकिन हाय रे कांग्रेस की वोट बैंक की मजबूरी ..
और प्रधानमंत्री ने "दरियादिली " दिखाते हुए अदनान की फाइल पर "priority" का नोट लिखते हुए तुरंत चितंबरम के पास भेज दी .. और सिर्फ एक दिन मे ही चितंबरम ने अदनान सामी को भारत मे रहने की मंजूरी दे दी .
वाह यहाँ पांच दिन से अन्ना हजारे अनशन के जगह के लिए धक्के खा रहे है और सिर्फ एक दिन मे ही अदनान सामी की फाइल ओके कर दी जाती है .
दिग्विजय कांग्रेस आलाकमान के माउथ पीस बनकर ही बयानबाजी और कोई कदम उठाते हैं। इसी कड़ी में दिग्विजय सिंह ने गायक अदनान सामी की तरफदारी करके ये जता दिया है कि मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं।

हमेशा मीडिया केन्द्र सरकार की चापलूसी क्यों करती है ?

हमेशा मीडिया केन्द्र सरकार की चापलूसी क्यों करती है ?

अभी आप लोग देख ही रहे होंगे हर एक मीडिया चाहे वो प्रिंट मीडिया हों या टीवी सभी के सभी कांग्रेस और केंद्र सरकार के चमचे बन कर काम कर रहे है ..
...खासकर कांग्रेस ने चार प्रदेशों मे मीडिया मैनेजमेंट पर सभी हथकंडे जैसे साम ,दाम , दंड भेद . अपना रही है . ये प्रदेश है गुजरात , कर्णाटक , पंजाब , और यूपी ..
आइये पहले जाने की प्रिंट मीडिया केन्द्र सरकार की गुलाम क्यों बन जाती है
१- न्यूज़ प्रिंट पेपर का कोटा और बम्पर सब्सिडी :-
न्यूज़ प्रिंट पेपर [ अखबारी कागज ] कनाडा से इम्पोर्ट होता है . जो काफी खर्चीला होता है . लेकिन सरकार ने सभी प्रकाशन हॉउस को उनके सर्कुलेशन के हिसाब से एक कोटा देती है और काफी बम्पर सब्सिडी देती है ..
सारा खेल इसी सब्सिडी के लालच का ही होता है .. जायदातर अखबार वाले अपना सर्कुलेशन सरकार को झूठा बताकर अपना कोटा बढ़वा लेते है और सरप्लस पेपर को मार्केट मे मार्केट दामो पर बेच कर करोडो रूपये बिना हर्रे फिटकरी के कमा लेते है ..
इसलिए आज कांग्रेस ने उन सभी राज्यों खासकर गुजरात मे इसी खेल का सहारा लेकर कई अखबारों को अपना "मुखपत्र " बना दिया है ..
आज आप गुजरात के दो अखबार गुजरात समाचार और सन्देश पढ़ो तो ऐसा लगता है जैसे इसके संपादक खुद सोनिया गाँधी या अहमद पटेल है ..

दरअसल आज गुजरात कांग्रेस के लिए एक वाटरलू की लड़ाई बन गया है और कांग्रेस ये अच्छी तरह जानती है कि वो गुजरात मे ईमानदारी से कभी सत्ता मे नहीं आ सकती और इसलिए उसने मोदी सरकार के खिलाफ हर रोज एक अफवाह फ़ैलाने के लिए इस अखबारों का सहारा ले रही है ..
कल तक रोज यदुरप्पा के खिलाफ छापने वाला गुजरात समाचार आज तक कभी शीला दिछित के बारे मे एक बार भी नहीं छपा ..
और तो और हर रोज "नेटवर्क " मे गाँधी परिवार के चमचे गुनवंत शाह बे सिर पांव की बात लिखते है . जैसे उन्होंने १० अगस्त को लिखा है की सोनिया और राहुल गाँधी प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे मे लाने को तैयार थे लेकिन बीजेपी और शरद पवार ने सोनिया गाँधी को मना कर दिया .. क्या इस बकवास पर कोई भी इंसान विश्वास कर सकता है ?

२- सरकारी विज्ञापन : -
केंद्र सरकार अंपने एक बिभाग DAVP के द्वारा सभी मीडिया मे विघ्यापन देता है .. परन्तु इसके लिए कोई भी गाइडलाइन नहीं है ... केंद्र सरकार सिर्फ उन्ही अखबारों मे अपने अरबो रूपये के विज्ञापन देती है जो कांग्रेस की गुणगान करे .. गुजरात मे सबसे ज्यादा सरकारी एड गुजरात समाचार मे छपने का यही कारण है ..
३- सरकारी पुरस्कार और अलंकरण :-
सरकार अपने चमचे अखबारों के मालिक और संपादको को पद्म अलंकरण और कई पुरस्कार खैरात मे बंटती है .. गुजरात चुनावो मे कांग्रेस के लिए जी जान लगा देने के कारण ही चुनावो के तुरंत बाद गुजरात समाचार के मालिक शांति लाल शाह को पद्म श्री और कई अन्य पुरस्कारों से नवाजा गया .. गुनवंत शाह को भी प्रियंका गाँधी के बच्चो के पोतड़े बदलने के एवज मे कई पुरस्कार मिले है ..
कल तक राहुल गाँधी के भट्टा परसौल के बारे मे रोज छपने वाला गुजरात समाचार आज पुणे फायरिंग पर एकदम चूप क्यों है ?
किसी ने कहा था कि जब तोप निकलना हों नामाकुल तो एक अखबार निकालो ..लेकिन आज के अखबार सिर्फ अपना फयदा नुकसान मे ही रहते है .. उन्हें सच्चाई से कोई मतलब नहीं है सिर्फ उनकी जेबे भरनी चाहिए ..
[मै अपने अगले लेख मे ब्रोडकास्ट मीडिया के बारे मे लिखूंगा ..]

अफजल गुरु की फांसी की फाइल को सात साल बाद राष्ट्रपति के पास भेजने की असली वजह...

अफजल गुरु की फांसी की फाइल को सात साल बाद राष्ट्रपति के पास भेजने की असली वजह
मित्रों अभी २७ जुलाई को चितंबरम साहब के गृह मंत्रालय ने संसद पर हमलों का दोषी अफजल गुरु की दया अर्जी की फाइल सात सालो के बाद राष्ट्रपति के पास भेजी .. मै ही नहीं पूरा देश खुश हों गया की क्या कांग्रेस को भगवान ने सदबुद्धि दे दी ? क्या कांग्रेस अब वोट बैक की गन्दी राजनीती को छोड़कर सिर्फ देशहित की राजनीती करेगी ? लेकिन इसक...ी असली वजह बाद मे पता चली ..
दरअसल कांग्रेस का कोई हृदयपरिवर्तन नहीं हुआ .. असल मे राष्ट्रपति महोदया राजीव गाँधी हत्याकांड के तीन मुजरिमो की फांसी की सजा पर अपनी अंतिम मुहर लगा चुकी थी लेकिन सरकार इसको लेकर बहुत पेशोपेश मे थी .. सरकार और कांग्रेस दोनों इस बात से परेशान हों गए की देश के सामने बीजेपी ही नहीं सभी संगठन यही कहेंगे की राजीव गाँधी के मुजरिमों को इतनी जल्दी सिर्फ इसलिए फासी दी जा रही है क्योंकि वे हिंदू है ..
राष्ट्रपति ने मुरुगन, संथन एवं पेरारिवलन की दया याचिका ख़ारिज कर दी . तो कांग्रेस जो सात साल से अफजल की फाइल पर कुंडली मारकर बैठ गयी थी उसके पास अब अफजल की फाइल को राष्ट्रपति के पास भेजना राजनितिक मज़बूरी बन गयी थी .
राज्यसभा मे बीजेपी के सांसद प्रकाश जावडेकर ने सरकार से सवाल पूछा की क्या सरकार मुजरिमों को एक क्रम से फासी देती है ? क्या इस देश मे कोई ऐसा कानून है जो ये कहता है की राष्ट्रपति के पास क्रम से दया की फाइल भेजी जाये ?
इस गृह मंत्री ने जो जबाब दिया उससे कांग्रेस के झूठ की पोल खुल गयी . गृहमंत्री के कहा की सरकार अपने विवेक से किसी को भी फांसी पहले दे सकती है और दया याचिका मे भी कोई क्रम नहीं होता है ..
चलिए राजीव गाँधी के हत्या के मुजरिमो की फांसी की सजा ने एक काम तो नेक किया .. उनके बहने ही सही इस देश के संसद पर खुनी खेल करने वाले वो अब जल्द फांसी होगी .

अमेरिका मे सोनिया गाँधी की तीमारदारी का पुरस्कार मिला पुलक चटर्जी को : प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव होंगे


अमेरिका मे सोनिया गाँधी की तीमारदारी का पुरस्कार मिला पुलक चटर्जी को : प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव होंगे

अमेरिका मे सोनिया गाँधी की सेवा मे दिन रात एक करके लगे हुए विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक पुलक चटर्जी की सेवा से सोनिया गाँधी प्रसन्न हों गयी है . सोनिया गाँधी को हॉस्पिटल मे भर्ती करने से लेकर अमेरिका मे गाँधी परिवार की पूरी सेवा और चाटुकारी के लिए पुलक चटर्जी दिन रात एक किये हुए है .
...दरअसल वे अमेरिका के वर्ल्ड बैक की नौकरी मे खुश नहीं है और भारत मे बहुत ही मलाईदार और ताकतवर पोस्टिंग चाहते थे . लेकिन दिल्ली मे आजकल मलयाली लाबी और बिहारी लाबी के अधिकारियो के दबदबे से उनका काम नहीं हों पा रहा था .. फिर जब भारत की "महारानी " सोनिया गाँधी अमेरिका ओपरेसन के लिए गयी तो पुलक बाबू की तो लाटरी निकल गयी .. और उन्होंने युवराज राहुल गाँधी और "राष्ट्रीय दामाद " राबर्ट बढेरा से लेकर पुरे गाँधी परिवार का दिल जीत लिया फिर तो पुलक बाबू को मनचाहा पोस्टिंग के लिए बराक ओबामा भी चाहे तो नहीं रोक सकते .
अमेरिका से एक फोन आया और आनन फानन मे केबिनेट की बैठक बुलाई गई और पुलक चटर्जी के नाम पर केबिनेट ने रश्मि तौर पर मुहर लगा दी ..
अब दूसरे बाबू लोग सोच रहे है काश !! हमें भी महारानी साहिबा का सेवा करने का मौका मिलता

कांग्रेस द्वारा गुजरात सरकार के खिलाफ सोची समझी साजिश के तहत दुष्प्रचार फैलाया जा रहा है

कांग्रेस द्वारा गुजरात सरकार के खिलाफ सोची समझी साजिश के तहत दुष्प्रचार फैलाया जा रहा है


गुजरात कांग्रेस के नेता मोदी सरकार को किसान विरोधी होने का दुष्प्रचार कर रहे है और इस दुष्प्रचार मे एक बिका हुआ अखबार "कांग्रेस समाचार " भी कांग्रेस का खूब साथ दे रहा है
क्या गुजरात कांग्रेस के नेता इन मुद्दों का जबाब देंगे ?
१- डीज़ल का दाम केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने बढ़ाया .
...
२- पुरे भारत मे खाद की उपलब्धता की जिमेदारी क्रेद्र सरकार की होती है . जिसके लिए बकायदा एक अलग मंत्रालय "रसायन एवं उर्वरक मन्त्रालय" बना है . आज खाद किसानो को नहीं मिल रहा है . इसके लिए मोदी जिम्मेदार है या मनमोहन सिंह ?
३- केन्द्र सरकार की GOM ने खाद पर सब्सिडी खत्म करने की सिपारिश की है तो मोदी सरकार किसान विरोधी है या केंद्र सरकार ?
४- आज गुजरात कांग्रेस के नेता और गुजरात समाचार रोज अपनी छाती पीट कर अदानी के जमीन का मसला उठाते है . लेकिन किसी भी जमीन का अधिग्रहण केंद्र सरकार के कानून से ही होता है . केन्द्र की कांग्रेस सरकार भूमि अधिग्रहण कानूनों मे बदलाव क्यों नहीं करती ?
५- केंद्र की कांग्रेस सरकार ने केरोसिन सप्लाई मे गुजरात का कोटा आधा कर दिया है ताकि गुजरात सरकार को बदनाम और अलोकप्रिय साबित किया जा सके .
६- गुजरात के कांग्रेस के नेता कच्छ मे पर्यावरण का मामला उठते है लेकिन महारास्त्र के मामले पर चूप हों जाते है .. गुजरात कांग्रेस के नेता एक बार लवासा प्रोजेक्ट और रायगड का दौरा क्यों नहीं करते ?
मित्रों आप गुजरात समाचार बहिस्कार करना शुरू कर दो . ये अखबार केंद्र सरकार के द्वारा न्यूज़ प्रिंट पेपर पर मिलने वाली बम्पर सब्सिडी के लालच मे आज कांग्रेस समाचार बन गया है ..

कांग्रेस के सांसद सोनिया का सच सुनकर बेकाबू क्यों हों जाते है ??

कांग्रेस के सांसद सोनिया का सच सुनकर बेकाबू क्यों हों जाते है ??

क्या कांग्रेस के सांसद सोनिया गाँधी को "देवी" समझते है ? क्या सोनिया गाँधी के अन्दर कोई मानवीय कमजोरी नहीं है ? अगर कांग्रेस सोनिया को "देवी" समझती है तो फिर ये "देवीजी " आज बीमार क्यों पड़ गयी ?
...कलमाड़ी को "करप्सन किंग " किसने बनाया ? सोनिया ने

अभी आज संसद मे अरुण जेटली जी ने कई कागजात और कलमाड़ी से सम्बंधित पत्र जो जेटली जी ने सुचना के अधिकार के तहत हासिल किये थे वो सभी पेश किये .. जिसमे कलमाड़ी की आग खुद कांग्रेस सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गयी सूचना के ही आधार पर सोनिया के घर तक जाती है .. लेकिन सोनिया का नाम अरुण जेटली जी के जुबान पर आते ही जैसे कांग्रेस के सांसदों को हिस्टीरिया का दौरा पड़ गया . सब एक साथ हंगामा करने लगे .और बस एक ही बात बोल रहे थे की सोनिया जी का नाम मत लो .
अरे भाई क्यों ? अगर सोनिया कांग्रेस की मुखिया है और कांग्रेस भ्रष्टाचार कर रही है तो क्या सोनिया इसके लिए जबाबदार नहीं है ?
पहले तो सरकार कलमाड़ी और तीन पूर्व खेल मंत्रियो और सरकार और सोनिया गाँधी के बीच कोम्मंवेल्थ सम्बंधित जितने भी पत्र व्योहार हुए उनको देने से ही मना कर दिया . लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सरकार को मज़बूरी मे सभी दस्तावेज अरुण जेटली जी दो देने पड़े .. सभी के सभी दस्तावेज सीधे सीधे सोनिया गाँधी के उपर ही जाकर खत्म होते है .
दरअसल जुलाई २००७ मे कलमाड़ी मे प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव को और केबिनेट सचिव को एक पत्र लिखा था . जो एक धमकी की भाषा मे था . कलमाड़ी ने मणिशंकर अय्यर और प्रधानमंत्री कार्यालय की दखलअंदाजी की शिकायत करते हुए लिखा था कि मेरी [कलमाड़ी] की निउक्ति यूपीए की चीफ सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह के बीच हुए कई मीटिंग मे सहमति के बाद हुयी है . इसलिए मेरे किसी भी काम मे दखलंदाजी करने का अंजाम क्या हों सकता है आप समझ सकते है .
फिर इसके बाद कलमाड़ी के सोनिया गाँधी को भी खेल मंत्री के दखल की शिकायत की . जिसके बाद मणिशंकर अय्यर को खूब डाट पड़ी और उनका विभाग ही बदल दिया गया .
अब जिस सच्चाई को कांग्रेस छुपाने के लिए कलमाड़ी को एक बलि का बकरा बना कर और आयोजन समिति के सदस्यों को जेल भेजा . उसके समाने आते ही कांग्रेस के सांसदों को पागलपन का दौरा पड़ना स्वाभाविक है .
मै ये नहीं कहता की कलमाड़ी दोषी नहीं है बल्कि मै ये कहता हूँ की सिर्फ कलमाड़ी ही दोषी नहीं है .
सच मे सच्चाई बहुत कड़वी होती है .. लेकिन इस सच्चाई को देश को मानना ही पड़ेगा .

गुजरात के एक गांव की कमाई है 5 करोड़ रुपए

गुजरात के एक गांव की कमाई है 5 करोड़ रुपए
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आज गुजरात के दो अखबार गुजरात समाचार और सन्देश इन खबरों को क्यों नहीं छापते ?
...क्या गुजरात समाचार और सन्देश कांग्रेस के पाले हुए एजेंट है ?

गुजरात में राजकोट से 22 किलोमीटर दूर एक गांव की सालाना कमाई है करीब पांच करोड़ रुपए। इस गांव के ज्यादा लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन खेती ही है। कपास और मूंगफली प्रमुख फसलें हैं। गांव में 350 परिवार हैं जिनके कुल सदस्यों की संख्या है करीब 1800।
...छोटे-मोटे शहरों की लाइफस्टाइल को मात देने वाले राजसमढियाला गांव की कई ऐसी खासियत हैं जिसके बाद शहर में रहने वाले भी इनके सामने पानी भरते नजर आएं। 2003 में ही इस गांव की सारी सड़कें कंक्रीट की बन गईं। 350 परिवारों के गांव में करीब 30 कारें हैं तो, 400 मोटरसाइकिल।
गांव में अब कोई परिवार गरीबी रेखा के नीचे नहीं है। इस गांव की गरीबी रेखा भी सरकारी गरीबी रेखा से इतना ऊपर है कि वो अमीर है। सरकारी गरीबी रेखा साल के साढ़े बारह हजार कमाने वालों की है। जबकि, राजकोट के इस गांव में एक लाख से कम कमाने वाला परिवार गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है। कुछ समय पहले ही गरीबी रेखा से ऊपर आए गुलाब गिरि अपनी महिंद्रा जीप से खेतों पर जाते हैं। गुलाब गिरि हरिजन हैं। गुलाब गिरि की कमाई खेती से एक लाख से कम हो रही थी तो, उन्हें गांव में ही जनरल स्टोर खोलने में मदद की गई।
गांव के विकास की इतनी मजबूत बुनियाद और उस पर बुलंद इमारत बनाई आजीवन गांव के सरपंच रहे स्वर्गीय देवसिंह ककड़िया को। दस साल पहले गांव के खेतों में पानी की बड़ी दिक्कत थी तो, ककड़िया ने एक आंदोलन सा चलाया और गांव के आसपास 45 छोटे-छोटे चेक डैम बनाए। अब चेक डैम के पानी से आसपास के करीब 25 गांवों के खेत में भी फसल हरी-भरी है।
राजसमढियाला गांव को गुजरात के पहले निर्मल ग्राम का पुरस्कार तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के हाथों मिला था। ये पुरस्कार स्वच्छता के लिए मिलता है। गांव के विकास की कहानी इतनी मजबूत है कि तेजी से तरक्की करते शहर फरीदाबाद से आया विशंभर यहीं बस गया है। वो, गांव के एक व्यक्ति का जेसीबी चलाता है। महीने के छे हजार तनख्वाह मिलती है जो, पूरी की पूरी बच जाती है।
इतना ही नहीं है इस गांव के लोग ताला भी नहीं लगाते। लेकिन, इधर कुछ फेरी वालों की हरकतों की वजह से कुछ लोग ताला लगाने की शुरूआत कर रहे हैं। गांव का अपना गेस्ट हाउस है। पंचायत भवन खुला हुआ था। राशन की दुकान में तेल के ड्रम खुले में रखे थे।
गुजरात देश का सबसे ज्यादा तेजी से शहरी होता राज्य है। दरअसल गुजरात के गांव वाले सिर्फ शहरी रहन-सहन ही नहीं अपना रहे। कई साल पहले से उन्होंने इसके लिए अपनी कमाई भी बढ़ाने का काम शुरू कर दिया था। अब राजसमढियाला गांव के नई पीढ़ी के कई लोग राजकोट फैक्ट्री लगा रहे हैं। शहरों में घर खरीद चुके हैं। साफ है गांव-शहर के बीच विकास का संतुलन इससे बेहतर और क्या हो सकता है। लेकिन, गांव में व्यापार, खेती का माहौल ऐसा है कि गांव में ज्यादा पढ़े-लिखे लोग कम ही मिलते हैं। गांव में स्कूल भी दसवीं तक का ही है। ऊंची पढ़ाई के लिए कम ही लोग बाहर जाते हैं क्योंकि, कमाई तुरंत ही शुरू हो जाती है।

लोकतांत्रिक तरीके से तो कांग्रेस मोदी को इस जन्म मे नहीं हटा सकती ::: अब तो बस कुटिल चाल का ही सहारा है कांग्रेस के पास

लोकतांत्रिक तरीके से तो कांग्रेस मोदी को इस जन्म मे नहीं हटा सकती ::: अब तो बस कुटिल चाल का ही सहारा है कांग्रेस के पास..

गुजरात में लोकायुक्त : लेकिन कांग्रेस सात साल से आर ए मेहता ही को क्यों बनाना चाहती है ?

मित्रों गुजरात मे लोकायुक्त का कानून बीजेपी ने ही पास करवाया था . और लोकायुक्त के नियुक्ति की एक क़ानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया है , जिसके तहत राज्य सरकार विपक्ष के नेता , चीफ जस्टिस और केबिनेट [मुख्यमंत्री] की सहमति से राज्यपाल लोकायुक्त की नियुक्ति करते है .
... अतीत मे नरेंद्र मोदी ने सात बार विपक्ष के नेता को लोकायुक्त की चयन प्रक्रिया के लिए बुलाया जिनमे वो सिर्फ तीन बार आये . लेकिन कांग्रेस सिर्फ जस्टिस आर ए मेहता के नाम पर अडी हुयी है . और फिर बाद मे वही हुआ जो कांग्रेस चाहती थी यानि कांग्रेस के ईशारे पर गुजरात की राज्यपाल जो कभी कांग्रेस की नेता थी और आज भी वो राजभवन को कांग्रेस का कार्यालय बना दी है , उन्होंने बिना केबिनेट और मुख्यमंत्री की सहमति से आर ए मेहता को लोकायुक्त पद पर नियुक्ति का वारंट जारी कर दिया ..
आइये जरा आर ए मेहता के बारे मे जान ले
मित्रों जब अन्ना हजारे ने मोदी की खूब तारीफ की थी तब मोदी और हिंदुत्व विरोधी लोग जल भून गए थे और उन लोगो ने अन्ना को गुजरात बुलाया था . जिंसमे मल्लिका साराभाई , मुकुल सिन्हा , तीस्ता जावेद सेतलवाड , जकिया जाफरी , अग्निवेश , शबनम हाश्मी और पूर्व जस्टिस आर ए मेहता भी थे . अन्ना हजारे को तीन दिन आर ए मेहता के बंगले मे ही ठहराया गया था . और अन्ना को मोदी के बारे मे खूब पट्टी पढाई गयी .
आर ए मेहता मूलतः कांग्रेसी है और कांगेस के नेताओ से उनकी खूब दोस्ती है . ये खुलेआम कई बार गुजरात सरकार और मोदी जी के लिए कई बार बयानबाजी कर चुके है .

असल मे गुजरात मे कांग्रेस के नेता सत्ता के बिना तड़प रहे है जैसे कोई खटमल खून चूसने के लिए तडपता है और कांग्रेस ये बात बहुत अच्छी तरह समझ चुकी है की वो लोकतान्त्रिक तरीके से चुनाव के द्वारा इस जन्म मे तो मोदी को कभी हरा नहीं सकती , इसलिए उसने अब बहुत ही घिनौना खेल खेलना शुरू कर दिया है .
मै गुजरात कांग्रेस के नेताओ से निम्न सवाल पूछता हूँ
१- आखिर सिर्फ और सिर्फ आर ए मेहता ही क्यों ? कांग्रेस का आर ए मेहता मे क्या स्वार्थ है ?
२- दिल्ली के लोकायुक्त ने दिल्ली सरकार के तीन मंत्री और खुद शीला दिछित को हटाने की सिपारिश की है इस पर कांग्रेस क्यों नहीं कोई कदम उठती है ?
३- गुजरात कांग्रेस के नेता बार बार सी ए जी के द्वारा कुछ आपतियो को एक बड़े भ्रष्टाचार के तौर पर प्रचारित कर रहे है लेकिन महाराष्ट्र , आंध्र और दिल्ली सरकार पर खामोश क्यों है ? सी ए जी तो इस सरकारों पर भी आपत्ति उठा चुकी है ?

असल मे गुजरात में राज्यपाल के द्वारा कांग्रेस के आदमी को लोकायुक्त के पद पर नियुक्ति आगामी चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस की ओर से चला गया ऐसा गन्दा और कुटिल राजनीतिक दांव है जिसका इस्तेमाल वह 2012 में होनेवाले चुनाव में करना चाहती है. .
राज्य में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को घेरने के लिए करीब एक लाख करोड़ के झूठे और फर्जी घोटालों की लिस्ट तैयार की गई है और हो सकता है इसमें से चुनाव से पहले कुछ घोटालों की जांच लोकायुक्त शुरू कर दें.

कांग्रेस की असली मंसा अपने पसंद के लोकायुक्त से मोदी को किसी ना किसी झूठे मामले मे फंसाकर मोदी को बदनाम करना है लेकिन कांग्रेस अपनी चालबाजी मे कभी कामयाब नहीं हों पायेगी . क्योकि सुप्रीम कोर्ट ने ठीक इसी तरह के एक मामले सी वी सी की नियुक्ति को लेकर मनमोहन सिंह को फटकार लगा चुकी है .
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले मे साफ साफ कहा है की किसी भी संवैधानिक पद पर नियुक्ति पूरी की पूरी संवैधानिक प्रक्रीया के द्वारा ही हों सकती है .

कांग्रेस का धमाका हेल्प लाईन !!

कांग्रेस का धमाका हेल्प लाईन !!

नमस्कार, गृह मंत्रालय के बम धमाका हेल्प लाइन में आपका स्वागत है... अभी ताजे-ताजे हुए धमाकों की जानकारी के लिए एक दबाएं। -धमाकों पर गृह मंत्री के प्री रेकॉर्डेड सदाबहार बयानों के लिए 2 दबाएं। -धमाकों पर प्रधानमंत्री की निंदा और कड़े कदम उठाने के बयानों के लिए 3 दबाएं। -धमाकों पर प्रधानमंत्री के और ज्यादा कड़े कदमों के बयान के लिए 4 दबाएं। -किसी ने धमाकों की जिम्मेदारी ली या नहीं ये जानने के लिए 5 दबाएं। -धमाकों पर दिग्विजय सिंह के RSS का हाथ है वाले बयान के लिए 6 दबाएं। -गलती से अगर कोइ आतंकी पकड़ा गया है और उसे कोंग्रेस सरकारी दामाद बनाने जा रही है तो उसका नाम जानने के लिए 7 दबाएं। -आतंकी का कोइ धर्म नहीं होता जैसे बयानों के लिए 8 दबाएं। -अगर आपका कोइ अपना इन धमाकों में मारा गया है तो गांधी जी की रामधुन सुनाने के लिए 9 दबाएं। -पिछले मेनू है ही नहीं, इसलिए ये मेनू फिर से सुनने के लिए 0 दबाएं। -और अगर आप खुद धमाके का शिकार हुए हैं, और अभी तक जिन्दा हैं तो अपना गला दबाएं। कॉल करके लिए धन्याबाद !!!!


और अगले धमाके का इंतजार कीजिये !!!!

क्या साम्प्रदायिक सद्भावना के खातिर राहुल गाँधी खतना करवाएँगे ???



क्या साम्प्रदायिक सद्भावना के खातिर राहुल गाँधी खतना करवाएँगे ???


मित्रों , अभी मोदी जी के उपवास मे एक प्रचार के भूखे मौलवी ने मोदी जी को टोपी पहनाने की कोशिश की जिसे मोदी जी ने सम्मान पूर्वक इंकार कर दिया ..

इस मौलवी को सोनिया गाँधी के राजकीय सचिव अहमद पटेल ने साजिशन मोदी जी को जालीदार टोपी पहनने के लिए भेजा था | 
मित्रों , असल मे कांग्रेस मोदी जी की छवि को हिन्दुओ मे खराब करना चाहती थी | कांग्रेस ने ये सोचा था कि भरी सभा मे ऐसे मंच पर जिस पर पूरी दुनिया की मीडिया के कैमरे है ऐसे मे मोदी तो मौलवी के टोपी पहनाने पर उसको मना नही कर पाएंगे | फिर मोदी के जालीटोपी पहने हुए फोटो को लेकर कांग्रेस हिन्दुओ के बीच मोदी की छवि को नकारात्मक ढंग से पेश करती और इस काम मे मीडिया कांग्रेस का पूरा साथ देती |

अगर मोदी जी टोपी पहन लेते जैसा कि कांग्रेस को विश्वास था तो पूरी मीडिया  ये बहस छेड देती कि क्या यही है मोदी का हिंदुत्व या मोदी तो वोट के लिए कुछ भी कर सकता है और इस तरह से हिन्दुओ को मोदी से दूर करने की पूरी साजिश रची गयी थी |

इस मौलवी ने बीजेपी के एक अल्पसंख्यक सेल के पदाधिकारी से कहा कि वो मोदी जी को शाल भेट करना चाहता है, लेकिन ये जालीटोपी अपनी जेब मे छुपा लिया था और जैसे ही मंच पर गया तो इसने शाल के बजाय अपने जेब से टोपी निकालकर मोदी जी को पहनने की कोशिस किया |
मित्रों, भारत मे कौन ऐसा माई का लाल है जिसने वोट बैंक के लिए मंच पर किसी टोपी पहनते फ्राड मुल्ले का हाथ पकड़ लिया हो ?
अब इस बात को लेकर कांग्रेस के फेके टुकड़े पर मीडिया ने अपनी खूब छाती पिटी ..खूब बिधवा प्रलाप किया .
... लेकिन क्या भारत का संविधान किसी भी धर्म के गुरु को किसी दूसरे धर्म के इंसान को जबरजस्ती अपना प्रतिक चिन्ह पहनाने की इजाजत देता है ? बिलकुल नहीं ! क्या मोदी जी ने अपने कुछ नागरिक और संवैधानिक अधिकार नहीं है ?

 
पहले मै भारत की नीच ,बिकाऊ और कुत्ती मीडिया से कुछ सवाल करना चाहता हूँ :-



१- अभी राजस्थान के भरतपुर मे भयंकर दंगे हों रहे है .. वहा मरने वाले सभी ८ मुस्लिम है और २३ घायलों मे २० मुस्लिम है .. आज मीडिया इस पर चुप्पी क्यों साध रखी है ? क्या कांग्रेस ने मीडिया को खासकर स्टार न्यूज को बोटी फेक दिया ? और उस बोटी को दीपक रंगरसिया बैठ कर चबा रहा है !!
सोचिये अगर ये दंगा गुजरात या किसी बीजेपी शासित राज्य मे होता और सिर्फ मुसलमान मरे हों तो क्या मीडिया खासकर स्टार न्यूज़ ऐसे ही चूप रहता ?

 
२- स्टार न्यूज़ की एक उभरती पत्रकार शईमा सहर ने स्टार न्यूज़ के मैनेजमेंट पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाये . पुलिस जाँच और अल्पसंख्यक आयोग की जाँच मे ये आरोप सही पाए गए . लेकिन आज तक सरकार ने दोषियो पर कोई करवाई नहीं की और उल्टे सईमा को नौकरी से निकाल दिया गया और स्टार न्यूज़ और सरकार के दबाव मे किसी भी चैनेल ने सईमा को नौकरी नहीं दिया . उसका पूरा कैरियर और जीवन स्टार न्यूज़ और सरकार ने बर्बाद कर दिया .
दूसरों के गिरेबान मे दाग खोजने वाले और माफ़ी की मांग करने वाला स्टार न्यूज़ खुद अपने गंदे और बदबूदार गिरेबान को नहीं देखता ?


 
३- आज तक के हिमाचल प्रदेश के ब्यूरो चीफ भूपेंद्र नारायण सिंह उर्फ भुप्पी सिंह ने एक फर्जी स्टिंग सीडी बनाकर मुख्यमंत्री प्रेम प्रकाश धूमल को ब्लैकमेल करने की कोशिश मे गिरफ्तार हुए .
आजतक ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया .. भुप्पी सिंह की पत्नी अपने बच्चों के साथ धूमल साहब से मिलकर अपने पति की गलती मानते हुए उन्हें माफ़ करने की अपील की . धूमल साहब ने भुप्पी सिंह को माफ़ कर दिया . लेकिन कोई भी मीडिया हाउस उन्हें अपने यहाँ नौकरी देने को तैयार नहीं था . फिर धूमल साहब की ही सिपारिश पर एक बड़े उद्योपति ने भुप्पी सिंह को अपने निजी जेट का पाइलट बना दिया [ भुप्पी सिंह के पास कामर्सियल पाइलट लाइसेंस था ]
धूमल साहब की इस दरियादिली का किसी भी मीडिया ने नहीं दिखाया .



४- चार साल पहले एक मुस्लिम युवक जो एक प्रतिष्ठित कंपनी के इंजीनियर था उसने मोदी को जान से मार देने का एक मेल किया . उसे तुरंत गिरफ्तार कर अहमदाबाद लाया गया . वो युवक कांग्रेस के एक नेता और पूर्व राज्यपाल का पोता था . लेकिन मोदी जी ने खुद अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए उसके उपर दर्ज मुकदमा वापस ले लिया और उसे अपने निवास मे बुलाकर उसके साथ खाना खाया . और इतना ही नहीं उसकी कम्पनी उसे वापस नौकरी पर लेने के लिए तैयार नहीं थी लेकिन मोदी जी ने खुद उस कम्पनी के निदेशक को फोन कर उसे नौकरी पर वापस रखने की अपील की .
मीडिया ने मोदी जी के इस गुण को नहीं बताया . ना बताना चाहती है .


अब कुछ सवाल कांग्रेस के नेताओ से :-


१- याद करो कांग्रेस वालो जब इंदिरा गाँधी के घर मे एक प्रसंग मे श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य सबको तिलक लगा रहे थे लेकिन तत्कालीन केबिनेट रेल मंत्री अब्दुल रहमान अंतुले ने शंकराचार्य का हाथ पकड लिया और कहा की इस्लाम मे तिलक हराम है वो नहीं लगवाएंगे .. तब तुम्हारी सम्भावना कहा थी ??


२- क्या किसी समारोह मे कोई मौलवी राहुल गाँधी का खतना करना चाहे तो राहुल गाँधी सद्भावना की खातिर खतना करवाएंगे ??


३- अभी जब अन्ना का अनसन चल रहा था तो जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी ने मुसलमानों को अन्ना के आन्दोलन से दूर रहने का फ़तवा दिया . उन्होंने कहा की वहा "वंदेमातरम" गया जाता है और भारत माता की जय के नारे लगाये जाते है .
जब इस पर एक पत्रकार ने कांग्रेस के प्रवक्ता रशीद अल्वी की टिप्पणी ली तो उन्होंने कहा की बुखारी ठीक कह रहे है इस्लाम मे अल्लाह के सिवा किसी की भी इबादत नहीं की जा सकती चाहे वो अपना राष्ट्रगान या अपना देश ही क्यों ना हों .


तब कांग्रेस की सद्भावना कहा थी ? तब इस देश का नीच मीडिया कहाँ था ?
अब मेरा कुछ सवाल उस मौलवी से जो कांग्रेस के नेता और केबिनेट मंत्री दिनशा पटेल और अहमद पटेल के सिखाए हुए चाल के तहत मोदी को टोपी पहनाने ध्रष्टता किया था [ मौलवी दिनशा पटेल के छेत्र खेडा जिले के ठासरा का रहने वाला है ]



१- मौलवी !! अगर मै तुम्हे भगवा वस्त्र पहनाऊ तो क्या तुम पहनोगे ?


२- यदि उस मौलवी मे जरा भी सद्भावना होती तो उन्हें नरेंद्र मोदी के धर्म के अनुकूल प्रतिक चिन्ह भेंट में करना चाहिए था ,उन्हें चाहिए था कि वे भगवत गीता मोदी को भेंट करते ,उन्हें चाहिए था कि वे भारत माता की फोटो उन्हें भेंट करते


३- क्या मिडिया उस मौलवी के फोन का काल डिटेल इस देश की जनता को दिखाएगी ?
मुस्लिम टोपी नहीं पहन कर और विनम्र भाव से टोपी को अस्वीकार कर मोदी ने छद्म धर्मनिरपेक्षता को पुरे देश के सामने करारा चांटा मारा है !! मोदी ने इमाम के हाथो हरा दुपट्टा पहन कर यह संकेत दे दिया है की वे गुजरात और देश में मुस्लिम वर्ग को हराभरा ,खुश हाल देखना पसंद करते हैं .

राजबाला का सबसे बड़ा गुनाह ::: क्योंकि वो राजबाला थी कोई जकिया जाफरी या जाहिरा शेख नहीं !!









राजबाला का सबसे बड़ा गुनाह ::: क्योंकि वो राजबाला थी कोई जकिया जाफरी या जाहिरा शेख नहीं !!

मित्रों क्या आपने कभी सोचा कि अगर रामलीला मैदान मे कोई मुस्लिम धर्म गुरु सभा करता तो भी क्या वहा कांग्रेस रात तो दो बजे महिलाओ और बच्चो को घेर कर लाठियो और गोलियों से भुनती ?
... बेचारी राजबाला १२४ दिनों तक कोमा मे रहने के बाद जिंदगी की जंग हार गयी . डॉक्टरों ने सरकार को तीन बार पत्र लिखा था उन्हें अमेरिका के पेंसिल्वेनिया मेडिकल इंस्टीट्यूट भेजना चाहिए .. लेकिन आम आदमी का दंभ भरने वाली कांग्रेस कितनी निर्दयी है की उसने अमेरिका तो दूर भारत मे भी उसका इलाज ठीक से नहीं करवाया .
एक तरफ सोनिया गाँधी को सरकार एक खास एयर एम्बुलेंस मे रातो रात अमेरिका इलाज के लिए भेजती है और सोनिया के लिए २५ लाख रूपये प्रतिदिन वाला सेवेन स्टार सुइट बुक करवाती है इस सुइट मे से हडसन नदी , स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी , और अटलांटिक महासागर का दिलकश नज़ारा साफ साफ दिखता है ..
सच कहा गया है जिसे अय्याशी की लत लग चुकी हों उसे बीमारी मे भी अय्याशी करने की आदत नहीं जायेगी ..

उनकी मौत के रिपोर्ट के लिए उनके परिजनों को धरने पर बैठना पड़ा . फिर जब टीम अन्ना से कई सदस्य अस्पताल पहुचे उसके बाद डॉक्टरों ने उनकी मौत की रिपोर्ट उनके परिजनों को सौपी .

इस घटना के दो सबसे बड़े शर्मनाक पहलु है ..पहला राजबाला को लेकर मिडिया का दोगला रवैया और दूसरा सरकार और कांग्रेस का दोगलापन .
राजबाला १२४ दिनों तक दिल्ली के एक अस्पताल मे जिंदगी और मौत का संघर्ष कर रही थी लेकिन इस बीच कांग्रेस का एक भी नेता और सरकार का एक भी मंत्री उनका हाल चाल लेने नहीं पंहुचा ..

 
क्या राजबाला की जगह कोई मुस्लिम महिला होती तो भी क्या कांग्रेस इतनी नीच रवैया दिखाती ?
एक तरफ भरतपुर मे हिंसा पर उतारू भीड़ पर पुलिस को मज़बूरी मे गोली चलानी पड़ी जिससे दो मुस्लमान मरे .. फिर आनन फानन मे कांग्रेस ने वहाँ के एसपी और डीएम पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया ..तो फिर राजबाला के हत्या के लिए चितंबरम और दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियो पर हत्या का मुकदमा क्यों नहीं सरकार दर्ज करने का आदेश देती है ?


क्या सिर्फ इसलिए कि राजबाला हिंदू है और कांग्रेस हिन्दुओ से अति घृणा करती है ?
इस घटना को लेकर मीडिया ने भी अपने दोगलेपन का फिर एक उदाहरण पेश किया . जब राजबाला का अंतिम सस्कार मे बाबा रामदेव और सुषमा स्वराज पहुचे तो मीडिया खासकर एनडीटीवी बार बार दिखा रहा था कि राजबाला के अंतिम संस्कार मे भी सियासत ।
जबकि ये दोगला चैनेल जिसके उपर भष्टाचार के कई आरोप है जिसके मलिक प्रणव रॉय के उपर सीबीआई मे तीन केस दर्ज है जो कांग्रेस के फेके टुकडो पर पलता है वो गुजरात दंगे के १० साल बाद भी उसको बार बार कुरेदता है तो क्या ये सियासत नहीं है ?

4 जून को हुए हादसे के बाद कितने पत्रकारों ने उसकी हालत जानने का प्रयास किया ? कितने चैनल में यह खबर दिखाई गयी कि पुलिस बर्बरता की शिकार एक निरीह महिला को अस्पताल में सही इलाज भी मिल पा रहा है या नहीं ? क्या किसी ने गुड़गांव में उसके घर जाकर परिजनों से कोई प्रतिक्रिया मांगी ?
जब एक मुस्लिम लड़की पर तेजाब फेका जाता है तो कांग्रेस सरकार उसका अमेरिका मे प्लास्टिक सर्जरी करवाती है इसमें मुझे या किसी को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जब किसी हिंदू पीड़ित की बारी आती है फिर कांग्रेस की संवेदनाये क्यों मर जाती है ?


अभी ताजा उदाहरण एक हिंदू दलित महिला भंवरी देवी का है . भारत के इतिहास मे पहली बार हुआ है कि एक मंत्री पर बलात्कार , अपहरण , हत्या जैसे संगीन आरोप मे एफ आई आर दर्ज होता है लेकिन ना तो मंत्री इस्थीपा देता है और ना कांग्रेस उस मंत्री से इस्थीपा लेती है अगर उस भंवरी देवी की जगह कोई मुस्लिम महिला होती तो भी क्या कांग्रेस चूप रहती ?
क्या कांग्रेस का चूप रहना यह सिद्ध नहीं करता की कांग्रेस हिंदू महिलाओ के उपर होने वाले अत्याचार का समर्थन करती है ?

मित्रों ..इस कांग्रेस के इस रवैये ने ये साफ कर दिया है कि कांग्रेस को हिन्दुओ के दुःख दर्द से कोई मतलब नहीं है अब भी अगर हम हिंदू कांग्रेस को वोट देंगे तो फिर आज राजबाला है कल हमारे घर की माँ और बहने भी कांग्रेस की लाठियो से घायल होकर एक जिन्दा लाश की तरह पड़ी रहेंगी

अब वक्त आ गया है कि हम सब हिंदू अपनी जाति , भाषा , प्रान्त भुलाकर संगठित होकर इस देश से कांग्रेस का सफाया कर दे . नहीं तो हमें राजबाला की तरह तडप तडप कर मरने के लिए तैयार रहना पड़ेगा

कांग्रेस और चर्च तथा अरब देशो के फेके हुए टुकड़े पर पलने वाली मीडिया के हेडलाइन का विरोधाभास ::::: आखिर नीचता और लालच की एक हद होती है >>



कांग्रेस और चर्च तथा अरब देशो के फेके हुए टुकड़े पर पलने वाली मीडिया  के हेडलाइन का विरोधाभास :::::  आखिर नीचता और लालच की एक हद होती है >>


जरा आपलोग हमारे देश की नीच और कुत्ती मीडिया की  हेडलाइन का विरोधाभास सुनिए :


१- शिव सेना  या बीजेपी अगर पुणे मे मारे गए किसानो के पक्ष मे कोंग्रेसी सरकार की बख़ियाँ उधेड़ते है
तो मीडिया  मे हेडलाइन होती है “अब इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है“

वही रौल विंची भट्टा पारसौल मे नौटंकी करने जाता है तो उसे बार बार केन्द्रित किया जाता है और हेडलाइन होती है

“आज राहुल गांधी ने पीड़ित किसानो का हाल चाल पूछा और मृतको के प्रति संवेदना व्यक्त की…
और माया सरकार पर जमकर बरसे” ऐसी महा हरामखोर मीडिया है हमारी .

सभी चर्च द्वारा पोषित और देश द्रोहीयों कश्मीरी अलगाववादियों के समर्थित इन चेनलों का यही हाल है भाई …. बीजेपी के नेताओ को राजनीति से प्रेरित करना, अपने डिबेट कार्यक्रमों मे बीजेपी का एक नेता और मुक़ाबले मे 2-3 कोंग्रेसी + उनके सहयोगी वामपंथि कुत्तो से लडवाकर मुद्दो को गुमराह करना, लक्ष्य होता है बीजेपी को अराष्ट्र पार्टी के रूप मे चित्रित करना, ताकि हर युवा के मुख से यही निकले बीजेपी एक नकारा पार्टी है सांप्रदायिक पार्टी है ।

इनके लिए कॉंग्रेस ने अगर 10 किलो का भ्रष्टाचार किया तो उसके सामने बीजेपी का 30 ग्राम का भ्रष्टाचार 20 किलो का हो जाएगा ….


२- अगर १० महीने से डियूटी से अनुपस्थित और हिरासत मे दो मौत के अभियुक्त तथा जबरन फर्जी एफिडेविट बनाने के आरोपी संजीव भट्ट को पुलिस गिरफ्तार करती है तो नीच मिडिया की हेडलाईन होती है " मोदी का बदला " या " यही है मोदी की असली सद्भावना "

लेकिन अगर कांग्रेस शासित राज्यों मे किरण बेदी का प्रोमोशन सरकार रोक दे या बाबा रामदेव और आचार्य बल्क्रिशन के पीछे बदले के लिए पूरी सीबीआई लगा दे या महाराष्ट्र मे पांच पुलिस अधिकारियो को गिरफ्तार कार लिया जाये या केन्द्र सरकार "नोट फार वोट " मे उल्टे बीजेपी के सांसदों को गिरफ्तार कर ले तो फिर इस नीच मीडिया की सनसनी खेज हेडलाईन क्यों नहीं होती ?


३- आज बाबा रामदेव के सम्पति के पीछे पूरी मीडिया पड़ी है जो उन्होंने योग या दवाओ से अर्जित की है .. इसमें कोई अपराध नहीं है ..

लेकिन आज की नीच मीडिया राबर्ट वढेरा के साम्राज्य के पीछे क्यों नहीं पड़ती ? उसने सिर्फ १० साल मे खरबो की सम्पति कैसे बनाई ? उसने कौन सा जादू किया ?

मीडिया सोनिया से क्यों डरती है ? क्या उसे अपनी बोटी और हड्डी खोने का डर है ?


४- यदुरप्पा के पीछे पूरी मीडिया कई महीनो तक जैसे एक सोचा समझा आन्दोलन चलाया .. वो धार और वो मीडिया का पैनापन शीला दिछित और अशोक गहलोत के भ्रष्टाचार पर खामोश क्यों हों जाता है ??

५- गुजरात दंगो के १० साल बीत जाने के बाद भी मीडिया जाकिया जाफरी , जाहिरा शेख , और दूसरे मुस्लिम पीडितो के लिए बहुत सद्भावना दिखाती है .. वो सद्भावना राजबाला के लिए क्यों नहीं ???


६- गुजरात दंगो के लिए आज मिडिया मोदी के लिए जिन शब्दों का उपयोग करती है वही शब्द और वही धार वो कांग्रेस के लिए सिख्ख विरोधी दंगे और भागलपुर दंगे और मुंबई दंगे के लिए क्यों नहीं इस्तेमाल करती ?

७- अभी भरतपुर दंगे के लिए गहलोत को मिडिया "मुसलमानों का कातिल " क्यों नहीं कहती ?


आज की इस मीडिया के प्रमुख कार्य है :  


   1. आरएसएस को सिम्मी के कतार मे खड़ा करना

   2. भगवा मे आतंकवाद ढूँढना, डिग्गी के बयानो को जानबूझकर हवा देना ताकि हिंदुओं की वाणी उसी मे बहकर हिन हो जाये….

   3. हिन्दू संस्कृति मे दोष ढूँढना, अमरनाथ यात्रा को ढोंघ करार देना – फर्जी विज्ञानी को बुलाकर के अमरनाथ यात्रा का वैज्ञानिक बिन्दु देखना ताकि हिन्दू यह समझे की यह एक ढोंग है.

   4. लंदन मे 4 लोग मारे तो उसे रोज दवाई की तरह दर्शकों को पिलानाऔर ठीक उसी समय मे मुरादाबाद मे भगवान शिव की यात्रा मे शामिल 4-5 हिन्दू मरे दंगो मे तो उसे बिलकुल भी नहीं बताना

   5. केरल मे सत्ताधारी पार्टी के जिहादी युवक पाकिस्तानी पर्चे बांटे तो बड़ी बात नहीं है, लेकिन सुब्रमण्यम स्वामी के बयान बड़ी बात है…..

   6. मुहम्मद के डेन्मार्क मे बने कार्टून का गुस्सा यहाँ के मुस्लिम कोल्हापुर और हुबली मे सरकारी संपत्ति और मुर्दे हिंदुओं पर हाथ साफ करें तो इस मीडिया की हेडलाइन होती है“इनका गुस्सा जायज है किसी के धर्म की भावनाओ के साथ खिलवाड़ उचित नहीं है “वही एक सांस्कृतिक आतंकवादी एम एफ हुसेन बहुसंख्यक (?) हिंदुओं के देवी देवताओ के नग्न चित्र बनाए और उसके प्रतिकृया मे बहुसंख्यक हिंदुओं के देश मे मुट्ठी भर संगठन विरोध करें तोमीडिया उन पर तोगड़िया टेग लगाकर हुसेन के प्रति अपनी हमदर्दी बताती है….

   7. गोवा मे मंदिर की मूर्तियों पर पैशाब करके “ईसा की ताकत बताना” और मूर्तियाँ ईसाई तोड़े तो कोई बात नहीं….

      केरल के मुस्लिम बहुल इलाकों मे मिशनरी के गुजरने मात्र से मौत मिले तो मीडिया मे कोई हेडलाइन / बात नहीं …..क्योंकि दोनों “मित्र समुंह″ का टकराव है

   8. लेकिन एक मर्द हिन्दू उड़ीसा मे ईसाई मिशनरियों को उनके कुकृत्य पर जिंदा जलाए …..तो इस मीडिया की हेडलाइन होती है”देश मे हिन्दू कट्टरपंथ बढ़ रहा है“

   9. हमेशा इन्हे व्यवस्था परिवर्तन करने निकले स्वामी रामदेव मे एक चोर, पाखंडी नजर आता है
  10. हर रोज कम से कम 4-5 खबरे ऐसी होती है जहां कोई पुजारी किसी मंदिर मे बलात्कार करता है, कोई हिन्दू संत ढोंगी निकलता है, आसाराम हत्यारा निकलता है आरएसएस के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन होता है, ऐसी मीडिया जिसे सिर्फ हिन्दू के अंदर ही बलात्कारी, पाखंडी, चोर नजर आता हो वो कैसे लोगो को जगाएगी ? जब कोई देश की मीडिया किसी निजी संस्थानो के हाथो मे हो तो उससे किसी भी तरह की आशा रखना व्यर्थ है ….. वह तो सिर्फ अपने आकाओ के कहने पर अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए बहुसंख्यकों को बरगलाएगी…. ताकि हिन्दू ये खबरे पढ़ पढ़ कर के अपने आप को हीन समझने लगे और मिशनरियों के लिए धर्म परिवर्तन के लिए पहली सीढी तैयार हो जाये ….

११- यदि कोई मुस्लिम या ईसाई कोई हिंदू विरोधी किताब लिखे तो वो "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" और यदि कोई हिंदू लिखे तो अपराध

महानगरो मे “हिन्दू नास्तिको” (नपुंसको) की तादात बढ़ रही है गले मे क्रॉस शोभायमान है…. वाणी मे आधुनिक कंपनीतंत्र से प्रेरित सेकुलरवाद- -


अब तो यह कहने मे भी शर्म आती है की जागो हिंदुओं जागो । क्योंकि एक भाषण मात्र से ही यदा कडा सिर्फ एक हिन्दू की आँख खुलती है लेकिन बाकी जागते हुए भी अंदर सोये रहते है … जयचंदी का जिन कहीं न कहीं उनमे हिलोरे लेता है ….

इस बात का आप कभी घमंड न करें की आपकी संख्या 8० % हैं….. इसमे से आधे तो सेकुलर की औलादे हैबाकी वे जो मौन विरोध करतेहै लेकिन वोट नहीं देते है क्योंकि उन्हे अपना व्यापारिक समय प्यारा है ….

और जिस तरह से इस देश मे मुस्लिम जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है उस हिसाब से २०६० तक हिंदू इस देश मे अल्पसंख्यक हों जायेंगे ..

जागो हिंदू जागो अपने वोट की कीमत समझो !! अपने जाति और छेत्र को भूल कर एक नई सुबह के लिए तैयार हों जाओ ..

 मीडिया को समझो बंधु    मीडिया  को … हमारे देश की मीडिया दुनिया की  की सबसे बड़ी नीच मिडिया है !!

आखिर इस देश की नीच मीडिया संजीव भट्ट की पूरी सच्चाई इस देश को क्यों नहीं बताती ??



आखिर इस देश की नीच मीडिया संजीव भट्ट की पूरी सच्चाई इस देश को क्यों नहीं बताती ??


अगर ये सच मे "कर्मठ" और "ईमानदार" पुलिस अधिकारी है तो फिर ये गुजरात दंगो के दस साल बाद क्यों बोले ?

अगर  इनको लगता था कि गुजरात सरकार दंगे करवा रही है तो उसी समय इन्होने अपना इस्थीपा क्यों नही दे दिया ? या उसी समय उन्होंने अपना मुंह क्यों नही खोला ?

मित्रों कांग्रेस और विदेशी ताकतों के फेके टुकड़े पर पलने वाली भांड मिडिया आखिर संजीव भट्ट के बारे मे इस देश के सामने सिर्फ आधी सच्चाई ही क्यों दिखा रही है ?
...
असल मे संजीव भट्ट एक "विसिल ब्लोव्वर " नहीं बल्कि कांग्रेस के हाथो खेलने वाले एक "खिलौना " भर है .. जैसे कोई बच्चा किसी खिलौने से सिर्फ कुछ दिन खेलकर उसे कूड़ेदान मे फेक देता है ठीक वही हाल कांग्रेस संजीव भट्ट का भी करने वाली है .. एक बार अमर सिंह से पूछ लो कांग्रेस क्या है ?
लेकिन मीडिया जिस तरह से संजीव भट्ट को एक "नायक " दिखा रही है वो एक झूठ है .

 
मै आपको संजीव भट्ट के बारे मे सच बताता हूँ :-


१- जब ये जनाब १९९६ मे बनासकाठा के एसपी थे तब इन्होने सिपाही पद की भर्ती मे बड़ा घोटाला किया था . इनके खिलाफ बड़े गंभीर आरोप लगे ..इन्होने भर्ती की पूरी प्रक्रिया को नकार दिया था और ना ही उमीदवारों के रिकार्ड रखे थे .


२-ये जनाब २००१ में राजस्तान [पाली ]का एक वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित जो अपनी कार से अहमदाबाद आ रहा था उससे चेकिंग के नाम पर पैसे की मांग की थी जब उसने मना किया तो इन्होने उसके कर में ५०० ग्राम हेरोइन बरामद बताकर उसे नार्कोटिक्स की गंभीर धाराओं में जेल में डाल दिया .. असल में उस वकील के पास उस वक्त कोई सुबूत नहीं था जिससे पता चले की वो एक वकील है ..
बाद में पाली बार एसोसियेसन की अपील पर राजस्थान हाई कोर्ट ने क्राईम ब्रांच से अपने अंडर जाँच करवाई तो संजीव भट्ट को दोषी पाया गया .. जिसके खिलाफ संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अपील किया जो आज भी चल रहा है..
लेकिन भारत सरकार के मानवाधिकार आगोग ने अपनी जाचं में संजीव भट्ट को दोषी पाते हुए गुजरात सरकार को सुमेर सिंह राजपुरोहित को एक लाख रूपये हर्जाना अदा करके का हुक्कम दिया जो गुजरात सरकार के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खाते से अदा किया गया .. ये सारी घटनाये गुजरात दंगे से पहले की है .. ....


३-अहमदाबाद के पास अडालज में नर्मदा केनाल के करीब २००० वार की सरकारी जमीन पर कब्जा करके बैठे है .. जब ये बात मीडिया में आई तो उन्होंने बताया की उन्होंने सुरम्य सोसाइटी में १००० वार का प्लाट ख़रीदा है जो उनकी माँ के नाम है ..
उन्होंने उस प्लाट की बाउंड्री करवा कर उनमे दो कमरे भी बनवा दिए लेकिन जब प्लाट को नापा गया तो वो २००० वार का निकला . असल में इन्होने केनाल की तरफ सरकारी जमीन को भी अपने कब्ज्जे में ले लिया ..
जब पत्रकारों ने उनसे पूछा की आपने अपने सम्पति डिक्लेरेशन में इस प्लाट का जिक्र क्यों नहीं किया तो वो चूप हो गए ..
और मोदी सरकार पर उलटे ये आरोप लगाने लगे की उनको बदनाम किया जा रहा है ..
४- 1990 में जब संजीव भट्ट जी जाम नगर में डीएसपी थे तो पुलिस की पिटाई से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई , संजीव भट्ट समेत छ अन्य पुलिस वाले आरोपी बनाए गए | ये केस आज भी जाम खंभालिया कोर्ट मे चल रहा है ..
५- ये जनाब लगातार १० महीने तक डियूटी से अनुपस्थित रहे ..और सरकार की किसी भी नोटिस का ठीक से जबाब नहीं दिया
६- इनके उपर एक कांस्टेबल के डी पंथ ने बहुत ही गंभीर आरोप लगाये है .. इन्होने मोदी के उपर लगाये गए आरोपों को और मजबूत करने के इरादे से पंथ का अपहरण करके गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोधवाडिया के बंगले पर ले गये और फिर वहा पर उससे जबरजस्ती कई फर्जी कागजो पर साइन करवाया .
७- इनके उपर गुजरात के सहायक अटार्नी जनरल का ई मेल हैक करके कई गोपनीय सुचनाये चुराने का केस दर्ज है ..जिसमे आई टी एक्ट भी लगाया गया है
८- इन्होने मोदी के उपर जिस मीटिंग मे मुसलमानों के उपर हमलेका आदेश देने का आरोप लगाया है तत्कालीन डीजीपी श्री के चक्रवर्ती ने कहा की संजीव भट्ट उस बैठक में शामिल ही नहीं थे जिसका जिक्र संजीव भट्ट ने एफिडेविट में किया है |
९- आखिर इनके एफिडेविट को सुप्रीम कोर्ट ने लेने से ही मना क्यों कर दिया ?

मित्रों , अब मै इस देश की मीडिया जो कांग्रेस के हाथो बिक चुकी है क्या मेरे इन सवालों का जबाब देगी ?
१-आखिर मिडिया संजीव भट्ट या उनके पत्नी से ये क्यों नहीं पूछता कि आखिर इन्होने गुजरात दंगे के १० साल के बाद क्यों अचानक अपना फर्ज याद आया ?


२-आखिर ये १० साल तक चूप क्यों थे ?? क्या इनका जमीर १० साल के बाद जगा जब रिटायरमेंट के बाद केद्र मे कांग्रेस के द्वारा बड़ा पद मिलने का लालच दिया गया ?


३-और एक चौकाने वाला खुलासा हुआ है कि सादिक हुसैन शेख नामक जिस नोटरी से तीस्ता ने गुजरात दंगों के फ र्जी हलफनामे बनवाये, उसी नोटरी से संजीव भट्ट साहब ने भी अपना हलफनामा बनवाया आखिर क्यों ??


४- आज की तारीख मे कांग्रेस के द्वारा पंजाब मे १०० से ज्यादा पुलिस कर्मी आतंकवाद ने दौरन मानवाधिकारों के हनन और फर्जी एन्काउंटर के आरोप मे कई सालो से जेल मे बंद है और १२ पुलिस अधिकारी आत्महत्या तक कर चुके है .. जिसमे सबसे दुखद वाकया तरन तारन के युवा और कर्तव्यनिष्ठ एस एस पी श्री अजित सिंह संधू द्वारा चालीस मुकदमे से तंग आकर ट्रेन से आगे कूदकर आत्महत्या करना रहा है . फिर कांग्रेस किस मुंह से मोदी पर आरोप लगा रही है ?


असल मे संजीव भट्ट आज गुजरात कांग्रेस के नेताओ की वजह से जेल मे है ..

जी हाँ मित्रों ये सच है .. मेरे बहुत से मित्र गुजरात कांग्रेस मे कई बड़े पदों पर पदाधिकारी है उन्होंने मुझे कई चौकाने वाले खुलासे किये ..
असल मे संजीव भट्ट बहुत ही महत्वाकांक्षी व्यक्ति है .. उन्हें रिटायरमेंट के बाद केन्द्र सरकार मे कोई बड़ी नियुक्ति का लालच कांग्रेस के नेताओ ने दिया ..फिर ये पूरा खेल खेला गया ..
उनकी बेटी का एमबीबीएस मे दाखिला मुंबई के डीवाई पाटिल मेडिकल कॉलेज मे महाराष्ट्र के  मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोटे के द्वारा कैसे हो गया ? जबकि संजीव भट्ट महाराष्ट्र मे मूल निवासी भी नही है ?


 कांग्रेस ये मान कर चल रही थी कि सुप्रीम कोर्ट मोदी पर एफ आई आर दर्ज करने का आदेश जरुर देगी और फिर मोदी को इस्थीपा देना पड़ेगा जिससे गुजरात मे बीजेपी कमजोर हों जायेगी .. कांग्रेस के नेताओ ने तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दिन पुरे गुजरात मे बाँटने के लिए कई कुंतल मिठाई तक इक्कठा कर लिया था . लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तब सब मुंह छिपाने लगे .

भारतीय मीडिया :: तुम हमे बोटी दो !! हम तुम्हारे लिए भौकेंगे !!

भारतीय मीडिया :: तुम हमे बोटी दो !! हम तुम्हारे लिए भौकेंगे !!

मित्रों आखिर मिडिया इस बात को क्यों नहीं बता रहा है कि संजीव भट्ट मामले की सुनवाई के दौरान अदालत मे उनके उपर क्या टिप्पणियाँ कर रहा है ? और उनके वकील की किन किन सवालों पर बोलती बंद हों जा रही है ? और अगर संजीव भट्ट निर्दोष है तो फिर नयायपालिका उन्हें आखिर अब तक जमानत क्यों नहीं दिया ?
...
१- अदालत मे सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्त एफिडेविट जाँच अधिकारी ने अपना बयान दर्ज करवाया की संजीव भट्ट ने जो एफिडेविट सुप्रीम कोर्ट मे दिया था वो जाँच मे फर्जी पाया गया .
२- जज साहब के सामने संजीव भट्ट की पूरी गुनाहित हिस्ट्री सुबूतो के साथ पेश की गयी . जिसमे सुमेर सिंह राजपुरोहित नार्कोटिक्स केस , जामनगर मे हिरासत मे पीट पीट कर हत्या केस , पोरबंदर के कमलानगर थाने मे दर्ज एक व्यक्ति को पूछताछ के दौरान बिजली के करंट देकर आजीवन लकवाग्रस्त बना देने का केस , आदि गवाहों से साथ पेश किये गए . जिन्हें देखकर तो जज साहब भी चौक गए .


३- पोरबंदर के जिस व्यक्ति को संजीव भट्ट ने बिजली के करंट दिए थे वो खुद अदालत मे अपना बयान दर्ज करवाने का अपील किया . ये मामला १० साल पहले का है .

४- एक बार जब जज साहब ने टिप्पणी किया कि सबकी याददाश्त आमतौर पर उम्र के साथ कमजोर होती जाती है लेकिन आशचर्य है कि संजीव भट्ट की यादाश्त उम्र बढ़ने के साथ और मजबूत होती जा रही है .. इस पर तो पूरा अदालत हँसी से भर गया .


५- उनके वकील ने दलील दिया कि संजीव भट्ट जब साबरमती जेल के सुपरिटेंडेंट थे तब हरेन पंड्या के हत्यारों ने उनसे कई खुलासे किये थे . इसलिए मोदी सरकार उनको प्रताड़ित कर रही है .
लेकिन ८ साल के बाद अब क्यों संजीव भट्ट को वो खुलासे याद आ रहे है ? उसी समय उन्होंने ये खुलासे क्यों नही किये ?


६- जिस कैदी के हवाले संजीव भट्ट के खुलासे करने का दावा कर रहे है उसने साफ इंकार कर दिया उसने मिडिया मे कहा कि उसने कभी संजीव भट्ट को कोई बात नहीं बताई थी .


७- के डी पंथ ने भरी अदालत मे अपना बयान दिया की संजीव भट्ट जबरजस्ती उसको अर्जुन मोधवाडिया के बंगले पर ले गए थे और वहा कई कागजों पर दस्तखत करवाए गए .
उसने साफ साफ कहा कि वो एक मामूली कांस्टेबल है और संजीव भट्ट एक सीनियर आईपीएस है इसलिए वो एकदम डर गया था . उसने अपने पछ मे कई सुबूत पेश किये .. इस बात पर पहले तो संजीव भट्ट के वकील पहली सुनवाई मे इंकार कर रहे थे लेकिन सुबूतो के सामने आने के बाद उन्होंने दलील दिया कि पंथ संजीव भट्ट के साथ अपनी मर्जी से गया था .


८- सरकारी वकील ने दलील दिया कि अगर राज्य सरकार की मंशा संजीव भट्ट को प्रताडित करने की होती तो अब तक सरकार संजीव भट्ट के उपर चलने वाले सभी मुकदमो को फास्ट ट्रेक कोर्ट मे भेज देती .. हिरासत मे हुयी मौत के केस मे मोदी सरकार ने संजीव भट्ट के पछ मे इस मामले को फास्ट ट्रेक कोर्ट मे ना भेजने की दलील दिया था .


मित्रों , मीडिया मे कुछ मोदिफोबिया से पीड़ित लोग कांग्रेस के द्वारा खरीदी हुई मीडिया मे बार बार मोदी सरकार को इस मामले मे दोषी बता रहे है .. जबकि इस देश मे सबको मालूम है की कार्यपालिका , व्यथापिका और नयायपालिका ये तीनों अपने आप मे स्वतंत्र है .. कोई भी राज्य सरकार कभी सुप्रीम कोर्ट को तो नहीं प्रभावित कर सकती ? आज पूरी कांग्रेस और केंद्र सरकार संजीव भट्ट के साथ खड़ी है , खुद संजीव भट्ट एक सीनियर आईपीएस है अदालत मे चितंबरम के भेजे हुए आईबी और एन आई ए के अधिकारी भी थे .


मित्रों अगर संजीव भट्ट निर्दोष होते तो इतने काबिल वकीलों के फ़ौज और केंद्र सरकार की पूरी मदद मे वावजूद वो पाच दिन से जेल मे क्यों है ?
अदालत के बाहर उनके कई रिश्तेदार आपस मे बाते कर रहे थे कि जब पिछले एक साल से उनके घर कई कांग्रेसी नेताओ खासकर अहमद पटेल का जब खूब आना जाना शुरू हुआ तभी उनके रिशेदार चिंतित हों गए थे . कई रिश्तेदारों ने उनको समझाने की कोशिश भी की ..लेकिन आज नतीजा सबके सामने है .
असल मे अब कांग्रेस ये बात अच्छी तरह समझ चुकी है कि वो अब अपने दम पर इस जन्म मे गुजरात मे कभी सत्ता मे नहीं आ सकती और कांग्रेस ने नेता पिछले बीस साल से सत्ता के लिए तड़प रहे है जैसे एक ड्रेकुला खून पीने के लिए तडपता है इसलिए कांग्रेस ने संजीव भट्ट के सहारे और मीडिया को मैनेज करके गुजरात की सत्ता पाने का एक गंदा खेल खेला . जिसमे बेचारे संजीव भट्ट बलि का बकरा बन ग

अब तक जो काम कांग्रेस न्यूज़ चैनेलों को पैसा देकर कराती थी ,,, अब वो मुफ्त मे कानून का डंडा मारकर करवाएगी ..

अब तक जो काम कांग्रेस न्यूज़ चैनेलों को पैसा देकर कराती थी ,,, अब वो मुफ्त मे कानून का डंडा मारकर करवाएगी ..
अब तक अगर हम सिर्फ अन्ना के आन्दोलन को छोडकर देखे तो सारे चैनल कांग्रेस के पछ मे भौकते नजर आयेंगे .. लेकिन इसके लिए काग्रेस को करोडो रूपये इस पैसे के भूखे चैनेलो को खिलाना पड़ता था .इससे मुक्ति पाने के लिए अब केंद्र की कांग्रेस सरकार एक ऐसा काला आध्यादेश की घोषणा कर दी की अब कांग्रेस के ही पैसे से पोषित टीवी चैनल अपनी कमाई खतरे मे देख अब होंहल्ल्ला मचाने लगे है ..
इससे पहले कांग्रेस ने देखा की इंटरनेट पर कांग्रेस विरोधी लोग काफी सक्रीय है और न्यू मीडिया [वेब पोर्टल , फेसबुक ,ट्विटर आदि ] को कांग्रेस सरकार ने सिकंजे मे ले लिया ..अब यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी साईट पर कांग्रेस के खिलाफ लिखेगा तो उसे अपराध माना जायेगा ..
सरकार द्वारा इस कानून मे सबसे चौकाने वाला बात ये है कि अब टीवी चैनेलो के न्यूज़ कंटेंट सरकार बनाएगी ..कोई भी चैनेल अपनी मर्जी से कोई भी समाचार या प्रोग्राम नहीं दिखा सकेगा ..
पहले न्यूज़ चैनेल खोलने के लिए लाइसेंस फ़ीस २ करोड थी जो अब बढ़ाकर २० करोड रूपये कर दिया गया है ..यानि अब अगर किसी को न्यूज़ चैनल खोलना है तो कांग्रेस के किसी नेता को पार्टनर बनाना पड़ेगा ..क्योकि इतना पैसा तो सिर्फ कांग्रेस के नेता ही खर्च कर सकते है .
न्यूज़ चैनेलो की सैटेलाइट अपलिंकिंग फ़ीस मे भी सरकार ने ३००% तक वृद्धि कर दी ..और क्षेत्रिय चैनेलो को मिलाने वाली रियायत के लिए एक कमिटी का गठन करने का एलान कर दिया ..
यानि अब सरकार द्वारा गठित कमिटी बताएगी कि किस चैनेल को रियायत दी जाये और किसको नहीं ..ताकि सारे चैनेल रियायत पाने के चक्कर मे सरकार के पक्ष मे दिन रात भोके ..
सरकार ने कांग्रेस के हित मे जो न्यूज़ चनेलो के लिए कोड ऑफ कंडक्ट बनाये है यदि उनका कोई भी चैनेल पांच बार उलंघन करेगा तो उसका चैनेल हमेशा के लिए बंद कर दिया जायेगा ..
इतना ही नहीं यदि सरकार किसी भी रिपोर्टर या संपादक को चैनेल से निकालने या सजा देने को कहेगी तो चैनेल के मालिकों को सरकार कि बात माननी पड़ेगी .
लेकिन सबसे बड़े ताज्जुब की बात ये है कि सरकार ने मनोरंजन चैनेलों के लिए नियम मे और छूट देने जा रही है ..मनोरंजन चैनेल इतनी अश्लीलता दिखाते जा रहे है और उनका स्तर इतना गिरता जा रहा है इससे कांग्रेस और सरकार को कोई चिंता नहीं है .
सरकार ने ये जितने भी नियम कायदे न्यूज़ चैनेलो के लिए बनाये है ये विश्व के किसी भी देश मे नहीं है .. इतना ही नहीं पाकिस्तान मे भी मीडिया भारत से ज्यादा आज़ाद है .पाकिस्तान का जियो टीवी इसका जीता जगता उदाहरण है .
क्या देश सच मे आपातकाल के रास्ते पर चल पड़ा है ?? क्या इस देश मे अब सिर्फ कांग्रेस की गुंडागर्दी चलेगी ?

राहुल गाँधी का यूपी मे जाने पर गुस्सा आना स्वाभाविक है !!

राहुल गाँधी का यूपी मे जाने पर गुस्सा आना स्वाभाविक है !!
राहुल ने कहा की उसको UP में आते ही बहुत गुस्सा आता हैं !! तो राहुल बाबा किसी खम्भे से मार मार अपना सर क्यों नहीं फोड लेते ?? २० साल से यूपी और गुजरात की जनता आपको लात मार कर सत्ता से दूर रक्खी है तो आपका यूपी मे गुस्सा आना स्वाभाविक है .. आपके खानदान ने यूपी मे ५५ साल एक छत्र राज किया .किसी ने सपने मे भी नहीं सोचा था कि गाँधी खानदान के युव...राज राहुल गाँधी को यूपी की सत्ता पाने के लिए नाक और ना जाने क्या क्या रगड़ना पड़ेगा ..
अगर किसी इंसानी खून पीने वाले ड्रेकुला या परजीवी को कई सालो तक खून ना मिले तो उसकी क्या हाल होगी ? ठीक यही आज राहुल और सोनिया गाँधी को यूपी और गुजरात मे आने पर होता है . यूपी से सोनिया और राहुल दोनों संसद के लिए चुन कर दिल्ली आते है तो वही गुजरात से सोनिया गाँधी के सबसे करीबी और उनके राजनितिक सचिव अहमद पटेल आते है . दोनों राज्यों मे २० सालो से कांग्रेस सत्ता से मिलों दूर है और करीब पचास सालो के बाद भी शायद कांग्रेस यूपी और गुजरात मे सत्ता पर काबिज नहीं होने वाली . इसलिए राहुल बाबा को यूपी मे गुस्सा आता है .
लेकिन शायद राहुल गाँधी ये भूल गए कि बुलंद इमारत हमेशा बुलंद बुनियाद पर ही बन सकती है . कांग्रेस ने ५५ सालो तक यूपी मे एक छत्र राज किया तो फिर राहुल बाबा को कांग्रेस पर गुस्सा कयों नहीं आता ? आखिर कांग्रेस ने इतने सालो तक यूपी मे क्या किया ?
लेकिन राहुल बाबा को इन बातों पर गुस्सा कयों नहीं आता ??
१- जब एक निरीह महिला राजबाला को कांग्रेस के आदेश पर दो बजे रात को लाठियो से मार मार कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है फिर वो निरीह महिला १२३ दिन तक कोमा मे रहने के बाद मर जाती है .लेकिन कोई भी सरकारी नुमाइंदा उसका हाल चाल लेने नहीं जाता . तब राहुल बाबा का गुस्सा कहा था ?
२- इनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामा देती है कि शहरो मे ३२ रूपये और गाँवो मे २६ रूपये प्रतिदिन कमाने वाला व्यक्ति अमीर माना जायेगा .तब कांग्रेस के इस गंदे मजाक पर राहुल गाँधी को गुस्सा कयों नहीं आता ?
३- जब केन्द्र की सरकार के आखोँ के सामने एक लाख छिहत्तर करोड का घोटाला होता है और कांग्रेस दो सालो तक आरोपियों को बचाती है और कपिल सिब्बल कहते है कि एक रूपये का भी घोटाला नहीं हुआ .फिर जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने हाथ मे जाँच लिया तब भंडाफोड हुआ तब राहुल गाँधी का गुस्सा कहा था ?
४- जब कोम्मंवेल्थ खेलो के लिए कलमाड़ी को लूट के लिए सरकार ने पूरी छूट दे दी ..पूरी मीडिया और तीन पूर्व खेल मंत्री प्रधानमंत्री को बार बार चेताते है फिर भी बारह हज़ार करोड रूपये लूटने मे कलमाड़ी सफल हों जाते है ..तब राहुल गाँधी को गुस्सा क्यों नहीं आता ?
५- इस देश की जनता महगाई के बोझ तले मरे जा रही है फिर भी इनकी सरकार ने पिछले एक साल मे १४ बार डीज़ल और पेट्रोल का दाम बढ़ा दिया ..तक राहुल गाँधी को गुस्सा क्यों नहीं आता ??
६- गोवा मे कांग्रेस ने खनिजों की खुली लूट मचा रखी है . सुप्रीम कोर्ट ने भी गोवा की कांग्रेस सरकार को फटकार लगाई फिर भी गोवा मे लूट जारी है ..तब राहुल बाबा को गुस्सा क्यों नहीं आता ?
७- एक तरफ सोनिया गाँधी कहती है कि वो इस देश की बहू है और इसी देश मे मरेंगी .. और इस देश के स्वास्थ्य मंत्री संसद मे कहते है कि भारत मेडीकल छेत्र मे दुनिया मे सबसे आगे है .. फिर भी सोनिया गाँधी अपना ईलाज करवाने अमेरिका क्यों जाती है ?? तब राहुल गाँधी को गुस्सा नहीं आता ?
८- भारत सरकार राबर्ट वढेरा को चुपचाप एक अधदेश लाकर भारत के किसी भी हवाई अड्डे पर सुरक्षा जाँच से मुक्त रखने का आदेश कर देती है जबकि राबर्ट वढेरा किसी भी पद पर नहीं है . फिर इस बात पर तीनों सेना के प्रमुख भी अपनी नाराजगी जताते है क्योकि तीनों सेना के प्रमुखों को हवाई अड्डों पर सुरक्षा जाँच की प्रक्रिया से गुजरना होता है ..तब राहुल गाँधी को गुस्सा नहीं आता है ??
९- जो राबर्ट वढेरा २० साल पहले मुरादाबाद मे एक बर्तन की दुकान चलाता था आज उसके पास करीब साठ हज़ार करोड की घोषित संपत्ति है ,, वो भारत की रियल एस्टेट की सबसे बड़ी कम्पनी डीएलएफ मे २३% हिस्सदारी खरीद लेता है और फिर डीएलएफ को प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र , हरियाणा, और राजस्थान की कांग्रेस सरकारों मे कोड़ियो के भाव जमीन देने की होड मच जाती है . तब राहुल गाँधी को गुस्सा नहीं आता ??
१० - केंद्र की कांग्रेस सरकार सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट मे एक हलफनामा देती है . जिसमे कहा जाता है कि भारत सरकार का ये मानना है कि इस धरती पर कभी भगवान रामचद्र पैदा ही नहीं हुए .. भारत सरकार भगवान रामचद्र के अस्तित्व को नहीं मानती . भगवान राम ने कभी समुद्र पर पुल बनाया हों ऐसा भारत सरकार नहीं मानती ..करोडो हिन्दुओ की भावनाओ के साथ जब कांग्रेस बलात्कार करती है तब राहुल गाँधी को गुस्सा क्यों नहीं आता ?
राहुल बाबा अपने गुस्से पर काबू रखो और सोचो कि आज कांग्रेस की ये हालत क्यों है ? आज क्यों २० राज्यों मे कांग्रेस सत्ता से बाहर है ? और सिर्फ दिल्ली और राजस्थान मे ही कांग्रेस अकेले सत्ता पर है बाकी जगहों पर उसे किसी ना किसी पार्टी से गठबंधन करना पड़ा है .. राहुल बाबा गुस्सा सिर्फ आपको ही नहीं आता हम सब भारतीयों को भी आता है ..और अभी हिसार मे जो आपकी पार्टी को जमानत जप्त करवानी पड़ी वो उसी गुस्से का नतीजा है ..आगे आगे देखिये हमारा गुस्सा कहा कहा निकलता है ..

कांग्रेस जान बूझकर रेल के छेत्र मे गुजरात के साथ अन्याय कर रही है

गुजरात कांग्रेस ने नेताओ को केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा रेलवे प्रोजेक्ट को लेकर हों रहा सौतेलापन क्यों नहीं दिखता ??

किसी भी राज्य को विकसित होने के लिए वहा रेल नेटवर्क का फैलाव बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ..
लेकिन आप को जान कर शायद ये विश्वास ना हों कि गुजरात रेलवे के मामले मे आज भारत का सबसे पिछड़ा राज्य है .. आज भी गुजरात के पाच जिला मुख्यालय रेलवे से जुड़े नहीं है ..
एनडीए सरकार ने... गुजरात मे कुल पांच बड़े रेलवे अस्पताल की मंजूरी दी थी .. जो बडोदा , अहमदाबाद , राजकोट , सूरत , और भावनगर मे बनने थे .. इसके लिए शर्त ये थी कि जमीन राज्य सरकार उपलब्ध करवाएगी .. और इन अस्पतालों मे पचास फीसदी बेड सामान्य प्रजा और पचास फीसदी रेल कमर्चारियो के लिए होंगे .. इस अस्पतालों का मैनेजमेंट रेलवे करेगा ..

लेकिन ममता बनर्जी ने इस पुरे प्रोजेक्ट को बंगाल ट्रांसफर कर दिया ..

आज अगर ट्रेन से अहमदाबाद से राजकोट जाना हों तो किराया तो सिर्फ ५२ रूपये है लेकिन समय करीब दस घंटे एक्सप्रेस ट्रेन मे लगते है क्योकि पूरी लाईन सिंगल है .. और बस का किराया ३५० रूपये है लेकिन सिर्फ तीन घंटे लगते है ..
आज पुरे सौराष्ट्र मे रेल का कोई विकास नहीं है .. पुरे दिन मे सिर्फ दो ही ट्रेन चलती है .. मजबूर होकर लोग बस मे सफर करते है ..

मुझे सबसे आशचर्य होता है कि क्या अर्जुन मोधवाडिया की आखे खराब है ? वो खुद पोरबंदर से है और पोरबंदर रेलवे स्टेशन पर सिर्फ एक ही टिकट खिडकी है .. अर्जुन मोधवाडिया तो अपनी मर्सिडीज से मोदी के बनवाये एक्सप्रेस वे से सिर्फ पांच घंटे मे अहमदाबाद से पोरबंदर पहुच जाते है लेकिन बेचारी पोरबंदर की गरीब प्रजा को रेल से आने मे करीब चौदह घंटे लगते है ..

यही हालत भावनगर का है .जहां से शक्ति सिंह गोहिल है .. आज भी भावनगर से बरोड़ा अगर रेल से जाना हों तो करीब चौदह घंटे लगते है ..लेकिन बस से सिर्फ ४ घंटे ..जी हा सिर्फ चार घंटे ..

जबकि आज रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी खुद गुजराती है वे कच्छ के मूल निवासी है .. इसके पहले नारन राठवा रेल राज्य मंत्री भी गुजरात से थे ..और भरत सिंह सोलंकी भी ..

आज पुरे गुजरात मे रेल का कोई भी कारखाना नहीं है .. एनडीए सरकार ने जो रेल कोच फैक्ट्री बरोड़ा मे और रेल मे पहिये बनाने की फैक्ट्री राजकोट मे स्वीकृत की थी वो लालू यादव अपने छेत्र छपरा ले गए .. किसी भी कांग्रेसी नेता ने इस पर कोई सवाल नहीं उठाया ..

असल मे कांग्रेस ये कभी नहीं चाहती की गुजरात का विकास हों .. क्योकि उसे हर हाल मे मोदी को कमजोर करना है .. इसके लिए वो गुजरात से साथ सौतेला वर्ताव करती है ..

गुजरात कांग्रेस ने नेताओ को केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा रेलवे प्रोजेक्ट को लेकर हों रहा सौतेलापन क्यों नहीं दिखता ??

गुजरात कांग्रेस ने नेताओ को केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा रेलवे प्रोजेक्ट को लेकर हों रहा सौतेलापन क्यों नहीं दिखता ??

किसी भी राज्य को विकसित होने के लिए वहा रेल नेटवर्क का फैलाव बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ..
लेकिन आप को जान कर शायद ये विश्वास ना हों कि गुजरात रेलवे के मामले मे आज भारत का सबसे पिछड़ा राज्य है .. आज भी गुजरात के पाच जिला मुख्यालय रेलवे से जुड़े नहीं है ..
एनडीए सरकार ने... गुजरात मे कुल पांच बड़े रेलवे अस्पताल की मंजूरी दी थी .. जो बडोदा , अहमदाबाद , राजकोट , सूरत , और भावनगर मे बनने थे .. इसके लिए शर्त ये थी कि जमीन राज्य सरकार उपलब्ध करवाएगी .. और इन अस्पतालों मे पचास फीसदी बेड सामान्य प्रजा और पचास फीसदी रेल कमर्चारियो के लिए होंगे .. इस अस्पतालों का मैनेजमेंट रेलवे करेगा ..

लेकिन ममता बनर्जी ने इस पुरे प्रोजेक्ट को बंगाल ट्रांसफर कर दिया ..

आज अगर ट्रेन से अहमदाबाद से राजकोट जाना हों तो किराया तो सिर्फ ५२ रूपये है लेकिन समय करीब दस घंटे एक्सप्रेस ट्रेन मे लगते है क्योकि पूरी लाईन सिंगल है .. और बस का किराया ३५० रूपये है लेकिन सिर्फ तीन घंटे लगते है ..
आज पुरे सौराष्ट्र मे रेल का कोई विकास नहीं है .. पुरे दिन मे सिर्फ दो ही ट्रेन चलती है .. मजबूर होकर लोग बस मे सफर करते है ..

मुझे सबसे आशचर्य होता है कि क्या अर्जुन मोधवाडिया की आखे खराब है ? वो खुद पोरबंदर से है और पोरबंदर रेलवे स्टेशन पर सिर्फ एक ही टिकट खिडकी है .. अर्जुन मोधवाडिया तो अपनी मर्सिडीज से मोदी के बनवाये एक्सप्रेस वे से सिर्फ पांच घंटे मे अहमदाबाद से पोरबंदर पहुच जाते है लेकिन बेचारी पोरबंदर की गरीब प्रजा को रेल से आने मे करीब चौदह घंटे लगते है ..

यही हालत भावनगर का है .जहां से शक्ति सिंह गोहिल है .. आज भी भावनगर से बरोड़ा अगर रेल से जाना हों तो करीब चौदह घंटे लगते है ..लेकिन बस से सिर्फ ४ घंटे ..जी हा सिर्फ चार घंटे ..

जबकि आज रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी खुद गुजराती है वे कच्छ के मूल निवासी है .. इसके पहले नारन राठवा रेल राज्य मंत्री भी गुजरात से थे ..और भरत सिंह सोलंकी भी ..

आज पुरे गुजरात मे रेल का कोई भी कारखाना नहीं है .. एनडीए सरकार ने जो रेल कोच फैक्ट्री बरोड़ा मे और रेल मे पहिये बनाने की फैक्ट्री राजकोट मे स्वीकृत की थी वो लालू यादव अपने छेत्र छपरा ले गए .. किसी भी कांग्रेसी नेता ने इस पर कोई सवाल नहीं उठाया ..

असल मे कांग्रेस ये कभी नहीं चाहती की गुजरात का विकास हों .. क्योकि उसे हर हाल मे मोदी को कमजोर करना है .. इसके लिए वो गुजरात से साथ सौतेला वर्ताव करती है

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री खंडूरी ने सोनिया गाँधी को उनकी औकात बता दी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री मेजर जनरल [रिटायर्ड] बी सी खंडूरी का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र से बुखार आ गया ..

आज सोनिया गाँधी को उतराखण्ड मे ऋषिकेश से कर्ण प्रयाग तक बनी रेल लाइन का उद्घाटन करना था .. सभी बड़े बड़े अखबारों मे कांग्रेस ने इसके लिए विघ्यापन दिए थे .. और आज सुबह सोनिया गाँधी अपने घर से एअरपोर्ट के तरफ निकल भी चूँकि थी .. लेकिन तभी प्रधानमंत्री ने उन्हें वापस बुला लिया .....

हुआ ये कि खंडूरी ने फेक्स भेजकर और फोन कर राष्ट्रपति और प्रधनमंत्री से ये पूछा कि आखिर रेल परियोजना का उद्घाटन सोनिया गाँधी किस हैसियत से करेंगी ? उन्होंने प्रोटोकाल का हवाला देकर पूछा कि सोनिया गाँधी संविधान से अनुसार सिर्फ एक सांसद है फिर ये प्रोटोकॉल के अनुसार जब किसी भी समारोह मे रेल मंत्री और दूसरे अन्य कई केबिनेट मंत्री मौजूद हों तो उन्हें उद्घाटन करने को कोई हक नहीं है ..

फिर उन्होंने नीचे लिखा कि सोनिया गाँधी को उत्तराखड सरकार किसी भी हाल मे उद्घटन करने नहीं देगी ..चाहे इसके लिए पुलिस करवाई ही क्यों ना करनी पड़े .. क्योकि उतराखंड की सरकार भारत मे संविधान का मजाक बनते नहीं देख सकती ..

फिर क्या था !!! सोनिया गाँधी अपना मुहं लेकर वापस अपने घर चली गयी .. और कांग्रेस ने बोला कि सोनिया गाँधी को बुखार आ गया है .. फिर उत्तराखंड सरकार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस मे सोनिया गाँधी के बुखार का कारण जग जाहिर कर दिया ..

Saturday 21 May 2011

टाइम मैगजीन ने ए राजा को दुनिया का दूसरा भ्रष्ट राजनेता घोषित किया !! सोनिया और मनमोहन उदास !!

टाइम मैगजीन ने ए राजा को दुनिया का दूसरा भ्रष्ट राजनेता घोषित किया !! सोनिया और मनमोहन उदास !!

आज कल सोनिया गाँधी मंद मोहन सिंह बहुत उदास और गुस्से में है .. तीन चार दिन से उन्होंने कुछ भी नहीं खाया .. फिर उनके चमचे और राहुल बाबा भागे भागे मम्मी के पास गए .. मम्मी ने बोला देखो बेटा ये अमेरिका वाले कितने मुर्ख और नालायक है . इन्होने मेरे मेहनत पर पानी फेर दिया .. फिर मंद मोहन सिंह बोले राहुल बाबा अब वक़्त आ गया है हमे अमेरिका के साथ सारे राजनितिक और कुटनीतिक सम्बन्ध तोड़ लेने चाहिए .. इन लोगो ने राजा को विश्व के दुसरे भ्रष्ट राजनेता का ख़िताब देकर कांग्रेस का अपमान किया है .. विश्व के दुसरे भ्रष्ट नेता का ख़िताब तो मुझे और सोनिया जी को मिलना चाहिए ..

फिर अब हम क्या करे ? राहुल बाबा बोले !! मै कुछ तथ्य लेकर अपनी एक हाई लेवल टीम को अभी अमेरिका रवाना करती हूँ .. सोनिया जी ने तुरंत अहमद पटेल को आदेश दिया ..
अहमद पटेल जी निम्न बाते लिखकर आप तुरंत अमेरिका जाइये और टाइम मैगजीन को बोलिए कि मुझे और मनमोहन सिंह जी की क्षमता और प्रतिभा को कम ना आंके ..

1 - यदि मै [सोनिया ] और मनमोहन जी अपनी आंखे बंद करके ना रखते तो क्या राजा इतना बड़ा घोटाला कर पाते ?

2 - इस घोटाले की मास्टर माईंड तो हम ही है राजा तो एक प्यादा है ..

3 - सुब्रमण्यम स्वामी जी ने 2 साल पहले ही प्रधानमंत्री कार्यालय को चिठ्ठी लिखकर इस घोटाले की जानकारी दी थी तो हमने ही सब कुछ जानते हुए उस चिठ्ठी को फेक दिया तो राजा दोषी कैसे हुआ ?

4 - एक बहुत की ईमानदार और काबिल मंत्री दयानिधि मारन जो इस घोटाले को नहीं होने दिए उन्हें हटाकर हमने ही प्यादा "राजा " को मंत्री बनाया ..तो फिर ताज राजा को क्यों ?

5 - जब कैग ने घोटाले पर सरकार का धयान आकर्षित किया तो हमारे ही ईशारे पर सरकार ने कैग की रिपोर्ट को झूठा करार दिया तो ताज राजा को क्यों ?

6 - इस घोटाले से सबसे बड़े और अहम् गवाह सादिक बाचा को हमने की मौत के घाट उतार दिया तो ताज राजा को क्यों ?

7 - विपक्ष के इतने हंगामे और संसद को ठप करने के वावजूद हमने 1 साल तक कोई जाँच नहीं की तो फिर ताज हमें क्यों नहीं मिला ?
8 - हमारे संविधान में साफ साफ लिखा है कि प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का मुखिया है, किसी भी मंत्री के क्रिया कलापों का जिम्मेदार प्रधानमंत्री होता है .. तो ताज का हक़दार राजा कैसे हुआ ?

9 - जब PAC के रिपोर्ट ने भी प्रधानमंत्री को दोषी माना है तो ताज का हक़दार कौन है ?

10 - एक लाख छिहत्तर करोड़ का घोटाला क्या बिना सोनिया और प्रधानमंत्री को हिस्सा दिए हो सकता है ?

11 - इस घोटाले में सिर्फ संचार मंत्रालय की ही भूमिका नहीं है .. तमाम फर्जी कंपनियों को मंजूरी तो कम्पनी मंत्रालय देती है तो फिर राजा को ताज क्यों मिल रहा है ?

12 - ये बात सबको मालूम है की स्पेक्ट्रम बटवारे की फाइल पर अंतिम दस्तखत तो प्रधानमंत्री ही करते है और किया भी तो क्या मनमोहन सिंह नाबालिक है की बिना पढ़े ही दस्तखत कर दिए ?
तो भ्रष्ट राजनेता का ताज का असली हक़दार कौन हुआ ?

13 - स्पेक्ट्रम बटवारे की फाइल 6 महीने तक प्रधानमंत्री कार्यालय में पड़ी रही [ इस बीच मोल भाव चल रहा था ] तो क्या प्रधानमंत्री जी इतने समय तक पता नहीं चला सके की सच क्या है ?

अहमद पटेल जी उपर लिखी सारे तथ्य लेकर तुरंत अमेरिका रवाना हो गए .. जहा वे टाइम के संपादको को मिलकर सोनिया जी औए मनमोहन सिंह की असलियत बताएँगे ताकि जो दुनिया के दुसरे भ्रष्ट राजनेता के ताज देने में जो अमेरिका वालों ने बेईमानी की है वो ठीक हो सके ..

अरे भाई जिस ताज के हक़दार सोनिया जी और मनमोहन सिंह सम्मिलित रूप से है वो ताज किसी और को क्यों दी गई ? क्यों अमेरिका वालों ने हमारे महान नेताओ का अपमान किया है ?

Tuesday 17 May 2011

रिश्तों के आईने में 'हिंदू विरोधी' मीडिया

रिश्तों के आईने में 'हिंदू विरोधी' मीडिया

by Jitendra Pratap Singh on Wednesday, April 27, 2011 at 6:37pm

रिश्तों के आईने में 'हिंदू विरोधी' मीडिया

by Jitendra Pratap Singh

यह बात साबित हो चुकी है कि मीडिया का एक खास वर्ग हिन्दुत्व का विरोधी है, इस वर्ग के लिये भाजपा-संघ के बारे में नकारात्मक प्रचार करना, हिन्दू धर्म, हिन्दू देवताओं, हिन्दू रीति-रिवाजों, हिन्दू साधु-सन्तों सभी की आलो...चना करना एक “धर्म" के समान है। इसका कारण हैं, कम्युनिस्ट-चर्चपरस्त-मुस्लिमपरस्त-तथ...ाकथित सेकुलरिज़्म परस्त लोगों की आपसी रिश्तेदारी, सत्ता और मीडिया पर पकड़ और उनके द्वारा एक “गैंग" बना लिया जाना। यदि कोई समूह या व्यक्ति इस गैंग के सदस्य बन जायें, प्रिय पात्र बन जायें तब उनके और उनकी बिरादरी के खिलाफ़ कोई खबर आसानी से नहीं छपती। जबकि हिन्दुत्व पर ये सब लोग मिलजुलकर हमला बोलते हैं। ठीक वैसे ही  जैसे जब किसी गली का कोई एक कुत्ता भोकने लगता है तो गली के सारे के सारे कुत्ते एक साथ भोकने लगते है ...

इन रिश्तेदारियों पर एक नज़र डालिये। आप खुद ही समझ जायेंगे कि कैसे और क्यों “मीडिया का अधिकांश हिस्सा हिन्दुओं और हिन्दुत्व का विरोधी है। किस तरह इन लोगों ने एक 'नापाक गठजोड़' तैयार कर लिया है। किस तरह ये सब लोग मिलकर सत्ता संस्थान के शिखर के करीब रहते हैं। किस तरह से इन प्रभावशाली (?) लोगों का सरकारी नीतियों में दखल होता है।

पेश हैं रिश्ते ही रिश्ते........

(दीवारों पर लिखा होता है वैसे वाले नहीं, ये हैं असली रिश्ते)

-सुज़ाना अरुंधती रॉय, प्रणव रॉय (NDTV) की भांजी हैं।

-प्रणव रॉय “काउंसिल ऑन फ़ॉरेन रिलेशन्स" के इंटरनेशनल सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं।

-इसी बोर्ड के एक अन्य सदस्य हैं मुकेश अम्बानी।

-प्रणव रॉय की पत्नी हैं राधिका रॉय।

-राधिका रॉय, बृन्दा करात की बहन हैं।

-बृन्दा करात, प्रकाश करात (CPI) की पत्नी हैं।

-प्रकाश करात चेन्नै के “डिबेटिंग क्लब" के सदस्य थे।

-एन राम, पी चिदम्बरम और मैथिली शिवरामन भी इस ग्रुप के सदस्य थे।

-इस ग्रुप ने एक पत्रिका शुरु की थी “रैडिकल रीव्यू"।

-CPI(M) के एक वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी की पत्नी हैं सीमा चिश्ती।

-सीमा चिश्ती इंडियन एक्सप्रेस की “रेजिडेण्ट एडीटर" हैं।

-बरखा दत्त NDTV में काम करती हैं।

-बरखा दत्त की माँ हैं प्रभा दत्त।

-प्रभा दत्त हिन्दुस्तान टाइम्स की मुख्य रिपोर्टर थीं।

-राजदीप सरदेसाई पहले NDTV में थे, अब CNN-IBN के हैं।

-राजदीप सरदेसाई की पत्नी हैं सागरिका घोष।

-सागरिका घोष के पिता हैं दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक भास्कर घोष।

-सागरिका घोष की आंटी रूमा पॉल हैं।

-रूमा पॉल उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं।

-सागरिका घोष की दूसरी आंटी अरुंधती घोष हैं।
-अरुंधती घोष संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि हैं।
-CNN-IBN का “ग्लोबल बिजनेस नेटवर्क" (GBN) से व्यावसायिक समझौता है।
-GBN टर्नर इंटरनेशनल और नेटवर्क-18 की एक कम्पनी है।
-NDTV भारत का एकमात्र चैनल है जो “अधिकृत रूप से" पाकिस्तान में दिखाया जाता है।
-दिलीप डिसूज़ा PIPFD (Pakistan-India Peoples’ Forum for Peace and Democracy) के सदस्य हैं।
-दिलीप डिसूज़ा के पिता हैं जोसेफ़ बेन डिसूज़ा।
-जोसेफ़ बेन डिसूज़ा महाराष्ट्र सरकार के पूर्व सचिव रह चुके हैं।

-तीस्ता सीतलवाड भी PIPFD की सदस्य हैं।

-तीस्ता सीतलवाड के पति हैं जावेद आनन्द।

-जावेद आनन्द एक कम्पनी सबरंग कम्युनिकेशन और एक संस्था “मुस्लिम फ़ॉर सेकुलर डेमोक्रेसी" चलाते हैं।

-इस संस्था के प्रवक्ता हैं जावेद अख्तर।

-जावेद अख्तर की पत्नी हैं शबाना आज़मी।

-करण थापर ITV के मालिक हैं।

-ITV बीबीसी के लिये कार्यक्रमों का भी निर्माण करती है।

-करण थापर के पिता थे जनरल प्राणनाथ थापर (1962 का चीन युद्ध इन्हीं के नेतृत्व में हारा गया था)।

-करण थापर बेनज़ीर भुट्टो और ज़रदारी के बहुत अच्छे मित्र हैं।

-करण थापर के मामा की शादी नयनतारा सहगल से हुई है।
-नयनतारा सहगल, विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी हैं।
-विजयलक्ष्मी पंडित, जवाहरलाल नेहरू की बहन हैं।

-मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आन्दोलन की मुख्य प्रवक्ता और कार्यकर्ता हैं।
-नबाआं को मदद मिलती है पैट्रिक मेकुल्ली से जो कि “इंटरनेशनल रिवर्स नेटवर्क (IRN)” संगठन में हैं।
-अंगना चटर्जी IRN की बोर्ड सदस्य हैं।

-अंगना चटर्जी PROXSA (Progressive South Asian Exchange Network) की भी सदस्य हैं।

-PROXSA संस्था, FOIL (Friends of Indian Leftist) से पैसा पाती है।

-अंगना चटर्जी के पति हैं रिचर्ड शेपायरो।

-FOIL के सह-संस्थापक हैं अमेरिकी वामपंथी बिजू मैथ्यू।

-राहुल बोस (अभिनेता) खालिद अंसारी के रिश्ते में हैं।

-खालिद अंसारी “मिड-डे" पब्लिकेशन के अध्यक्ष हैं।

-खालिद अंसारी एमसी मीडिया लिमिटेड के भी अध्यक्ष हैं।

-खालिद अंसारी, अब्दुल हमीद अंसारी के पिता हैं।

-अब्दुल हमीद अंसारी कांग्रेसी हैं।

-एवेंजेलिस्ट ईसाई और हिन्दुओं के खास आलोचक जॉन दयाल मिड-डे के दिल्ली संस्करण के प्रभारी हैं।

-नरसिम्हन राम (यानी एन राम) दक्षिण के प्रसिद्ध अखबार “द हिन्दू" के मुख्य सम्पादक हैं।

-एन राम की पहली पत्नी का नाम है सूसन।

-सूसन एक आयरिश हैं जो भारत में ऑक्सफ़ोर्ड पब्लिकेशन की इंचार्ज हैं।

-विद्या राम, एन राम की पुत्री हैं, वे भी एक पत्रकार हैं।

-एन राम की हालिया पत्नी मरियम हैं।

-त्रिचूर में आयोजित कैथोलिक बिशपों की एक मीटिंग में एन राम, जेनिफ़र अरुल और केएम रॉय ने भाग लिया है।

-जेनिफ़र अरुल, NDTV की दक्षिण भारत की प्रभारी हैं।

-जबकि केएम रॉय “द हिन्दू" के संवाददाता हैं।

-केएम रॉय “मंगलम पब्लिकेशन" के सम्पादक मंडल सदस्य भी हैं।

-मंगलम ग्रुप पब्लिकेशन एमसी वर्गीज़ ने शुरु किया है।

-केएम रॉय को “ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन लाइफ़टाइम अवार्ड" से सम्मानित किया गया है।
-“ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन" के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं जॉन दयाल।

-जॉन दयाल “ऑल इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल" (AICC) के सचिव भी हैं।

-AICC के अध्यक्ष हैं डॉ जोसेफ़ डिसूज़ा।

-जोसेफ़ डिसूज़ा ने “दलित फ़्रीडम नेटवर्क" की स्थापना की है।

-दलित फ़्रीडम नेटवर्क की सहयोगी संस्था है “ऑपरेशन मोबिलाइज़ेशन इंडिया" (OM India)।

-OM India के दक्षिण भारत प्रभारी हैं कुमार स्वामी।

-कुमार स्वामी कर्नाटक राज्य के मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी हैं।

-OM India के उत्तर भारत प्रभारी हैं मोजेस परमार।

-OM India का लक्ष्य दुनिया के उन हिस्सों में चर्च को मजबूत करना है, जहाँ वे अब तक नहीं पहुँचे हैं।

-OMCC दलित फ़्रीडम नेटवर्क (DFN) के साथ काम करती है।

-DFN के सलाहकार मण्डल में विलियम आर्मस्ट्रांग शामिल हैं।

-विलियम आर्मस्ट्रांग, कोलोरेडो (अमेरिका) के पूर्व सीनेटर हैं और वर्तमान में कोलोरेडो क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेण्ट हैं। यह यूनिवर्सिटी विश्व भर में ईसा के प्रचार हेतु मुख्य रणनीतिकारों में शुमार की जाती है।

-DFN के सलाहकार मंडल में उदित राज भी शामिल हैं।

-उदित राज के जोसेफ़ पिट्स के अच्छे मित्र भी हैं।

-जोसेफ़ पिट्स ने ही नरेन्द्र मोदी को वीज़ा न देने के लिये कोंडोलीज़ा राइस से कहा था।

-जोसेफ़ पिट्स “कश्मीर फ़ोरम" के संस्थापक भी हैं।

-उदित राज भारत सरकार के नेशनल इंटीग्रेशन काउंसिल (राष्ट्रीय एकता परिषद) के सदस्य भी हैं।

-उदित राज कश्मीर पर बनी एक अन्तर्राष्ट्रीय समिति के सदस्य भी हैं।

-सुहासिनी हैदर, सुब्रह्मण्यम स्वामी की पुत्री हैं।

-सुहासिनी हैदर, सलमान हैदर की पुत्रवधू हैं।

-सलमान हैदर, भारत के पूर्व विदेश सचिव रह चुके हैं, चीन में राजदूत भी रह चुके हैं।

-रामोजी ग्रुप के मुखिया हैं रामोजी राव।

-रामोजी राव “ईनाडु" (सर्वाधिक खपत वाला तेलुगू अखबार) के संस्थापक हैं।

-रामोजी राव ईटीवी के भी मालिक हैं।

-रामोजी राव चन्द्रबाबू नायडू के परम मित्रों में से हैं।

-डेक्कन क्रॉनिकल के चेयरमैन हैं टी वेंकटरमन रेड्डी।

-रेड्डी साहब कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य हैं।

-एमजे अकबर डेक्कन क्रॉनिकल और एशियन एज के सम्पादक हैं।
-एमजे अकबर कांग्रेस विधायक भी रह चुके हैं।

-एमजे अकबर की पत्नी हैं मल्लिका जोसेफ़।

-मल्लिका जोसेफ़, टाइम्स ऑफ़ इंडिया में कार्यरत हैं।

-वाय सेमुअल राजशेखर रेड्डी आंध्र-प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

-सेमुअल रेड्डी के पिता राजा रेड्डी ने पुलिवेन्दुला में एक डिग्री कालेज व एक पोलीटेक्नीक कालेज की स्थापना की।

-सेमुअल रेड्डी ने कहा है कि आंध्रा लोयोला कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उक्त दोनों कॉलेज लोयोला समूह को दान में दे दिये।
-सेमुअल रेड्डी की बेटी हैं शर्मिला।

-शर्मिला की शादी हुई है “अनिल कुमार" से। अनिल कुमार भी एक धर्म-परिवर्तित ईसाई हैं जिन्होंने “अनिल वर्ल्ड एवेंजेलिज़्म" नामक संस्था शुरु की और वे एक सक्रिय एवेंजेलिस्ट (कट्टर ईसाई धर्म प्रचारक) हैं।
-सेमुअल रेड्डी के पुत्र जगन रेड्डी युवा कांग्रेस नेता हैं।

-जगन रेड्डी “जगति पब्लिकेशन प्रा. लि.” के चेयरमैन हैं।

-भूमना करुणाकरा रेड्डी, सेमुअल रेड्डी की करीबी हैं।

-करुणाकरा रेड्डी, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की चेयरमैन हैं।

-चन्द्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि “लैंको समूह" को जगति पब्लिकेशन्स में निवेश करने हेतु दबाव डाला गया था।
-लैंको कम्पनी समूह, एल श्रीधर का है।
-एल श्रीधर, एल राजगोपाल के भाई हैं।

-एल राजगोपाल, पी उपेन्द्र के दामाद हैं।

-पी उपेन्द्र केन्द्र में कांग्रेस के मंत्री रह चुके हैं।

-सन टीवी चैनल समूह के मालिक हैं कलानिधि मारन
-कलानिधि मारन एक तमिल दैनिक “दिनाकरन" के भी मालिक हैं।

-कलानिधि के भाई हैं दयानिधि मारन।

-दयानिधि मारन केन्द्र में संचार मंत्री थे।

-कलानिधि मारन के पिता थे मुरासोली मारन।

-मुरासोली मारन के चाचा हैं एम करुणानिधि (तमिलनाडु के मुख्यमंत्री)।
-करुणानिधि ने "कैलाग्नार टीवी" का उदघाटन किया।

-कैलाग्नार टीवी के मालिक हैं एम के अझागिरी।

-एम के अझागिरी, करुणानिधि के पुत्र हैं।

-करुणानिधि के एक और पुत्र हैं एम के स्टालिन।

-स्टालिन का नामकरण रूस के नेता के नाम पर किया गया।

-कनिमोझि, करुणानिधि की पुत्री हैं, और केन्द्र में राज्यमंत्री हैं।

-कनिमोझी, “द हिन्दू" अखबार में सह-सम्पादक भी हैं।

-कनिमोझी के दूसरे पति जी अरविन्दन सिंगापुर के एक जाने-माने व्यक्ति हैं।

-स्टार विजय एक तमिल चैनल है।

-विजय टीवी को स्टार टीवी ने खरीद लिया है।
-स्टार टीवी के मालिक हैं रूपर्ट मर्डोक।

-Act Now for Harmony and Democracy (अनहद) की संस्थापक और ट्रस्टी हैं शबनम हाशमी।

-शबनम हाशमी, गौहर रज़ा की पत्नी हैं।

-“अनहद" के एक और संस्थापक हैं के एम पणिक्कर।

-के एम पणिक्कर एक मार्क्सवादी इतिहासकार हैं, जो कई साल तक ICHR में काबिज रहे।
-पणिक्कर को पद्मभूषण भी मिला।
-हर्ष मन्दर भी “अनहद" के संस्थापक हैं।

-हर्ष मन्दर एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं।

-हर्ष मन्दर, अजीत जोगी के खास मित्र हैं।

-अजीत जोगी, सोनिया गाँधी के खास हैं क्योंकि वे ईसाई हैं और इन्हीं की अगुआई में छत्तीसगढ़ में जोर-शोर से धर्म-परिवर्तन करवाया गया और बाद में दिलीपसिंह जूदेव ने परिवर्तित आदिवासियों की हिन्दू धर्म में वापसी करवाई।

-कमला भसीन भी “अनहद" की संस्थापक सदस्य हैं।

-फ़िल्मकार सईद अख्तर मिर्ज़ा “अनहद" के ट्रस्टी हैं।

-मलयालम दैनिक “मातृभूमि" के मालिक हैं एमपी वीरेन्द्रकुमार

-वीरेन्द्रकुमार जद(से) के सांसद हैं (केरल से)
-केरल में देवेगौड़ा की पार्टी लेफ़्ट फ़्रण्ट की साझीदार है।

-शशि थरूर पूर्व राजनैयिक हैं।

-चन्द्रन थरूर, शशि थरूर के पिता हैं, जो कोलकाता की आनन्दबाज़ार पत्रिका में संवाददाता थे।

-चन्द्रन थरूर ने 1959 में द स्टेट्समैन की अध्यक्षता की।

-शशि थरूर के दो जुड़वाँ लड़के ईशान और कनिष्क हैं, ईशान हांगकांग में “टाइम्स" पत्रिका के लिये काम करते हैं।
-कनिष्क लन्दन में “ओपन डेमोक्रेसी" नामक संस्था के लिये काम करते हैं।

-शशि थरूर की बहन शोभा थरूर की बेटी रागिनी (अमेरिकी पत्रिका) “इंडिया करंट्स" की सम्पादक हैं।
-परमेश्वर थरूर, शशि थरूर के चाचा हैं और वे “रीडर्स डाइजेस्ट" के भारत संस्करण के संस्थापक सदस्य हैं।

-शोभना भरतिया हिन्दुस्तान टाइम्स समूह की अध्यक्ष हैं।

-शोभना भरतिया केके बिरला की पुत्री और जीड़ी बिरला की पोती हैं

-शोभना राज्यसभा की सदस्या भी हैं जिन्हें सोनिया ने नामांकित किया था।

-शोभना को 2005 में पद्मश्री भी मिल चुकी है।

-शोभना भरतिया सिंधिया परिवार की भी नज़दीकी मित्र हैं।

-करण थापर भी हिन्दुस्तान टाइम्स में कालम लिखते हैं।

-पत्रकार एन राम की भतीजी की शादी दयानिधि मारन से हुई है।

*न्यूज़ 24 की चेयरमेन है अनुराधा प्रसाद

*अनुराधा प्रसाद कांग्रेस नेता और राहुल बाबा के तलवे चट्टू चमचे राजीव शुक्ल की पत्नी है

*राजीव शुक्ल राजनीती में आने से पहले इ -टीवी हिंदी में झोला छाप पत्रकार थे
*राजीव शुक्ल ने राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी को मीडिया में किसी भी तरह लाने के लिए पत्रकारिता के सारे मूल्यों और सिधान्तो को ताक पर रख दिया

*कई बार तो वे राहुल गाँधी के जूठे प्लेट उठाते और उनके जूते साफ करते भी देखे गए

*उसके इनाम में राहुल गाँधी ने उन्हें राज्य सभा का सदस्य और BCCI का वाइस प्रेसिडेंट बना दिया

*कुछ दिन पहले राहुल गाँधी के काफिले से एक आदमी घायल हो गया था
*राहुल गाँधी ने 100 नंबर पर कॉल करके अम्बुलेंस बुला लिया
*न्यूज़ 24 ने इसे "राहुल गाँधी की महानता " के तौर पर दो दिन तक दिखाया

*प्रभु चावला पहले आज तक में थे

*प्रभु चावला के बेटे के नाम है अंकुर चावला

*अंकुर चावला दिल्ली में सत्ता न जाना माना दलाल है

*नीरा राडिया टेप में प्रभु चावला का भी नाम आया
*आज तक ने प्रभु चावला को निकाल दिया
*अभी प्रभु चावला इ टीवी में है

दोस्तों ये हमारे देश के मीडिया की बहुत ही गन्दी और भयावह सच्चाई है
आज मीडिया और मीडिया के लोग " कुत्ते " है
रोटी फेको तो दम हिलाकर आ जायेंगे .
अगर है गलत हूँ तो कृपया नेट पर नीरा राडिया का टेप सुने ..
फिर सोचे की आज की बरखाये ,, राजदीप ,, प्रभु चावला ..वीर संघवी पत्रकार है कि कुत्ते ???

शर्म है आज की इस घटिया और गन्दी मीडिया पर........