मित्रो, बाबुभाई बोखिरिया 1998 से 2002 तक गुजरात के खान, खनन व खनिज, कृषि, मत्स्यउद्योग मंत्री थे .. फिर कांग्रेस के नेता अर्जुन भाई ने साजिश करने उनके उपर खनिज रायल्टी में हेराफेरी का आरोप लगाकर सीबीआई के द्वारा उन्हें तब गिरफ्तार करवा दिया जब वो लन्दन से अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उतरे थे .. उन्हें घर भी नही जाने दिया गया था और सीबीआई उन्हें बगवदर थाने लेकर गयी थी |
मित्रो, सोचिये इसी कांग्रेस के राज में देशद्रोही ओबैसी के खिलाफ सैकड़ो मामले दर्ज हुए .. कोर्ट ने उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया लेकिन वो आराम से लन्दन से आया और हवाईअड्डे से सीधे अपने हजारो समर्थको के साथ घर चला गया था ..
मित्रो, लाइम स्टोन की रायल्टी के केस में बाबुभाई को पहले पोरबन्दर कोर्ट फिर गुजरात हाईकोर्ट और फिर अंत में सुप्रीमकोर्ट ने बरी कर दिया | क्योकि बाबुभाई की कम्पनी ने खनिज की पूरी रायल्टी भरी हुई थी इसलिए सुप्रीमकोर्ट ने कहा की बाबुभाई को राजनितिक रंजिश की वजह से झूठे फंसाया गया है |
लेकिन बाबुभाई से अपनी करारी हार से तिलमिलाए अर्जुन भाई मोधवाडिया हर रोज पर्दे के पीछे नई नई साजिशे रच रहे है | जब बाबुभाई जीते तो अर्जुन भाई ने ये सोचा की बाबुभाई मंत्री न बने इसलिए उन्होंने एक पालतू आदमी से राष्ट्रपति को पत्र लिखवाया की उसकी जान को बाबुभाई से खतरा है और उन्हें मंत्री बनने से रोका जाये | और अर्जुन भाई ने उस पत्र को गुजरात के अखबारों में भी छपवाया |
लेकिन नरेंद्र मोदी जी ने अर्जुन भाई के नौटकी की कोई परवाह नही की और बाबुभाई को केबिनेट मंत्री बना दिया | लेकिन अर्जुन भाई तब और तिलमिला गये जब नरेद्र मोदी जी ने बाबुभाई को कृषि, सिंचाई, मत्स्य उद्योग, सहकारिता, पशुपालन, जलसम्पत्ति, गौ सम्वर्धन, बांध विकास आदि महत्वपूर्ण विभाग दे दिए | इससे अर्जुन भाई को लगा की अब वो पूरी जिन्दगी पोरबन्दर में बाबुभाई से जीत नही सकते क्योकि बाबुभाई मंत्री बनते ही ताबड़तोड़ कई प्रोजेक्ट का एलान कर दिया | और अपना मोबाईल नम्बर पोरबन्दर के हर गाँव में लोगो को दे दिया की कोई भी काम हो आप मुझे कभी भी फोन कर सकते है | आज बाबुभाई को कोई भी फोन करे तो वो तुरंत ही उसपर एक्शन लेते है |
मित्रो, इतना ही नही बाबुभाई को एक पुराने मर्डर केस में फिर से फंसाने की कोशिश कांग्रेसी कर रहे है | पोरबन्दर में अक्तूबर 2005 में कांग्रेस नेता और लाइम स्टोन कारोबारी मोणुभाई मोढवाडिया का मर्डर उनके घर के सामने हो गया था | इस केस में पुलिस ने भीमा दुला, लछमन दुला, मेरमण माले को गिरफ्तार किया | मृतक की तलाशी में पुलिस को एक पत्र मिला जिसमे लिखा था की मेरी जान को मेरे कारोबारी प्रतिद्वंदीयो भीमा दुला और बाबुभाई से खतरा है | लेकिन पुलिस जाँच में ये पाया गया की ये पत्र किसी ने बाद में डाला था | इसलिए चार्जशीट में बाबुभाई बोखिरिया का नाम नही डाला गया |
पोरबन्दर फास्टट्रेक कोर्ट और राजकोट की एपेक्स कोर्ट ने भी इस मामले में बाबुभाई को निर्दोष पाया | यहाँ तक की गुजरात हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी इस केस की सीबीआई जाँच की मांग ठुकरा दी |
हाईकोर्ट ने कहा की यदि किसी मृतक के जेब से पत्र निकले की उसकी जाँच को किसी से खतरा है और यदि उसके खिलाफ कोई सुबूत न हो तो उसके खिलाफ केस नही चलाया जा सकता | कोर्ट में ये भी सवाल उठा की यदि किसी मृतक की जेब से पत्र निकले की उसकी जान को प्रधानमन्त्री से खतरा है तो क्या प्रधानमन्त्री के खिलाफ बिना किसी सुबूत के सिर्फ एक पत्र के आधार पर मुकदमा चलाया जा सकता है ?
मित्रो, गुजरात हाईकोर्ट मोणुभाई मर्डर केस में बाबुभाई के खिलाफ केस चलाने की अर्जी को ठुकरा दिया .. हलांकि आज भी सुप्रीम कोर्ट में ये मामला लम्बित है की क्या किसी मृतक की जेब में मिले पत्र के आधार पर किसी के खिलाफ हत्या जैसी संगीन केस में केस चलाया जा सकता है या नही .. इसी तरह से दुसरे कई मामलो में सुप्रीमकोर्ट ने कहा है की मृतक की जेब में मिले पत्र में यदि किसी का नाम हो और उसके खिलाफ कोई अन्य सुबूत न हो तो उसके खिलाफ केस नही चलाया जा सकता है |
यहाँ तक की एक केस में एक व्यक्ति ने मरने के पहले जो बयान दिया जिसमे उसने जो नाम दिया वो व्यक्ति विदेश में था ..उस केस के बाद सुप्रीमकोर्ट में सवाल उठा की क्या मरते समय भी कोई व्यक्ति झूठ बोल सकता है ? इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने पाया की उस व्यक्ति ने मरते समय भी अपने विरोधी को फंसाने की कोशिस की क्योकि उसने जिस व्यक्ति का नाम गोली चलाने वाले के तौर पर लिया वो विदेश में था | बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ने सभी राज्यों के हाईकोर्ट और निचली अदालतों को कहा की किसी भी व्यक्ति के मरते समय दिए गये बयान [डाइंग डिक्लेरेशन] पर आँख मुदकर विश्वास न करे | सभी पहलुओ की जाँच करने के बाद ही कोई फैसला दे |
मित्रो, अब बाबुभाई के खिलाफ इस केस में भी फिर से फंसाने की कोशिस के लिए अर्जुन भाई के इशारे पर कुछ लोगो ने पहले निचली कोर्ट में अर्जी दी जिसे कोर्ट द्वारा ठुकराने के बाद गुजरात हाईकोर्ट में अर्जी दी है | लेकिन हाईकोर्ट ने कहा है की वो बिना बाबुभाई का पक्ष जाने कोई भी निर्णय नही करेगा |ये लोग तब क्यों खामोश थे जब बाबुभाई मंत्री नही थे ?
लेकिन सत्य को कोई दबा नही सकता .. सत्य थोड़े समय के लिए परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नही |