Saturday 5 March 2016

कामरेड कन्हैया कुमार ...काश तुमने अपने लच्छेदार भाषण में पी. कुमार को भी याद किया होता !! लेकिन कैसे याद करोगे ? तुम्हारा भाषण तो दलाल शिरोमणि बरखा दत्त ने लिखा था






कन्हैया .. सच में ..मुझे जरुर विश्वास था की तुम पी राजन को भी याद करोगे ..फिर याद आया की तुम्हारे भाषण को तो बरखा दत्त ने लिखा है ..जो भारत की जानीमानी दलाल है ..इसलिए तुम अपने ही सन्गठन के छात्र नेता पी राजन को क्यों याद करोगे .. बल्कि तुम तो पी राजन के हत्यारे राहुल गाँधी और उनकी पार्टी के लिए आदर व्यक्त कर रहे थे ...
मित्रो, आप लोगो को शायद पी राजन याद नही होगा .. क्योकि हम भारतीयों की यादाश्त बहुत छोटी होती है .. हिस्ट्री चैनेल ने भारत के टॉप टेन क्राइम जिन्होंने भारत को हिला दिया था उसमे रंगा बिल्ला के बाद पी राजन केस को दुसरे स्थान पर रखा था ...
पी राजन केरल के कालीकट में 1975 में रीजनल इंजीनियरिंग कालेज में बीटेक का छात्र था ..जिसका वर्तमान में नाम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी है ..उस समय देश में कांग्रेस पार्टी ने आपातकाल लगाया था ..लोगो के सभी नागरिक अधिकार खत्म कर दिए गये थे ...देश में पुलिसराज कायम था ...पी राजन कम्युनिस्ट पार्टी के छात्र सन्गठन से जुड़ा हुआ था जिससे आज कन्हैया कुमार जुड़ा हुआ है ..
नक्सलियों से सम्बन्ध रखने के आरोप में केरल पुलिस ने पी राजन और उसके रूम पार्टनर सी जोसेफ को उठा लिया .. बाद में सी जोसेफ को नौ महीने जेल में रखने के बाद रिहा कर दिया था .. लेकिन पी राजन का कोई पता नही चला ..
पी राजन में पिता इचारा वेरियार अपने जवान बेटे को कई महीनों तक केरल के हर जेल में जाकर खोजे .. उन्होंने अपने बेटे का पता लगाने के लिए अपनी पूरी सम्पति तक बेच दी .. यहाँ तक की कम्युनिस्ट पार्टी भी उनकी कोई मदद नही की ...उन्होंने केरल के डीजी , मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी तक गुहार लगाई ..फिर उन्होंने भारत के राष्ट्रपति से गुहार लगाई .. राष्ट्रपति भवन ने केरल पुलिस पर सख्ती की ..लेकिन केरल पुलिस और केरल की कांग्रेस सरकार राष्ट्रपति भवन को भी गुमराह करती रही ..मजे की बात ये की उस समय केरल का गृहमंत्री के. करुणाकरन था जो इंदिरा गाँधी का बहुत ही करीबी था ..इचारा को इतना पता चला की उनके बेटे को केरल के गृहमंत्री के. करुनाकरन जो इमरजेंसी के बाद केरल के मुख्यमंत्री बन चुके थे और कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता बन चुके थे ,,उनके आदेश से गिरफ्तार किया गया था ... इचारा केरल के मुख्यमंत्री करुनाकरन से २२ बार मिले क्योकि उनके गृहमंत्री रहते उनके ही आदेश से उनके बेटे को गिरफ्तार किया गया था .. लेकिन करुनाकरन ने साफ साफ कहा की एक मर्डर के केस में पुलिस ने उनके बेटे को गिरफ्तार किया था ..लेकिन बाद में छोड़ दिया था ..
उन्होंने बहुत कोशिसे की लेकिन उन्हें अपने बेटे का कोई पता नही चला ..कालीकट पुलिस ने उनसे कहा की हमने तो उसे उसी रात छोड़ दिया था ..थक कर इचारा ने केरल हाईकोर्ट में habeas corpus की अर्जी की ...हाईकोर्ट ने पुलिस से सारे दस्तावेज मंगाए ..और केरल पुलिस के डीजी को सख्त आदेश दिया की वो पी राजन के बारे में हाईकोर्ट को जानकारी दे ... हाईकोर्ट ने इस मामले पर बेहद कठोर रुख अपनाया और हर रोज सुनवाई का आदेश दिया ..हाईकोर्ट में केरल पुलिस ने खुलासा किया की उसे गिरफ्तार किया गया लेकिन किसी मजिस्ट्रेट के सामने पेश नही किया था ..लेकिन उसका क्या हुआ ये केरल पुलिस खुलासा नही कर रही थी ..बाद में हाईकोर्ट में पी राजन के रूममेट ने बयान दिया की केरल पुलिस की क्राइम ब्रांच के डीआईजी जयराम पडीकक्ल ने उसे इतना टार्चर किया की वो मर गया और उसकी लाश को जंगल में ले जाकर जला दी ..
तुरंत की केरल पुलिस के क्राइम ब्रांच में आठ अधिकारी जिसमे डीआईजी भी शामिल थे उन्हें हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया .. हाईकोर्ट ने केरल के उस समय के गृहमंत्री करुणाकरन जो मुख्यमंत्री बन चुके थे उन
पर बेहद सख्त टिप्पड़ी किया और कहा की उन्हें ये पता था की पी राजन मर चूका है फिर भी उन्होंने एक बूढ़े पिता को २२ बार अपने ऑफिस में धक्के खिलाने के बाद भी उन्हें उसके उपर दया नही आई ... हाईकोर्ट की इस सख्त टिप्पड़ी से केरल के मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्थिपा देना पड़ा क्योकि केरल में उनके खिलाफ काफी घृणा फैलने लगी थी ...
पी राजन केस में कुल आठ पुलिस कर्मियों को जिसमे क्राइम ब्रांच के आईजी, डीआईजी डीएसपी और कांस्टेबल भी थे उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गयी ..जो हाईकोर्ट ने बरकरार रखी ..
इस केस में सबसे दुखद और घृणित बात ये है की केरल के तात्कालिन नेता प्रतिपक्ष ई.एम. एस . नम्बूदरीपाद जो खुद कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेता थे उन्होंने पी राजन केस में बूढ़े लाचार पिता की कोई मदद नही की .. ये पूरी लड़ाई पी राजन के पिता इचारा ने अकेले ही लड़ी थी .. बाद में पता चला की कम्युनिस्टो और कांग्रेसियो ने पी राजन की लाश का सौदा कर लिया था की इस मामले को विपक्ष यानी कम्युनिस्ट नही उठाएंगे .. बदले में कम्यूनिस्ट पर कई केस हटा लिए जायेंगे ...
इचारा जी के इस संघर्ष पर एक मलयालम फिल्म "पीरावी" बनी जिसे कांस फिल्म फेस्टिवल में सम्मानित भी किया गया था .. उनके संघर्ष पर एक दूसरी फिल्म "इद्द्दुकी गोल्ड" भी बनी थी जो काफी हिट रही ...
सोचिये .. ये वामपंथी कितने बड़े दोगले होते है .. जिस कांग्रेस ने कन्हैया कुमार के पार्टी के सदस्य की हत्या की ..और जिसकी वजह से एक पूरा परिवार बिखर गया ..उसी पार्टी की गोद में बैठकर कन्हैया कुमार मानवता की बात कर रहा है .. शर्म से डूब मरो कन्हैया ...

Saturday 20 February 2016

रविश कुमार ..आपके अंदर जमीर होती तो आप बरखा दत्त की दलाली का टेप सुनकर ही ब्लैकआउट करते ...वैसे अब सच में भारतीय मीडिया के लिए ब्लैकआउट करने का वक्त है..

विश कुमार ...सच में ये भारतीय मीडिया के लिए ब्लैकआउट करने का वक्त है..

रविश कुमार आपको जेएनयु मुद्दे पर सरकार की करवाई से बहुत पीड़ा पहुंची है..क्योकि आपके अनुसार सरकार लोगो की आवाज दबा रही है ..अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला कर रही है ...आपके अनुसार पाकिस्तान जिंदाबाद ..भारत तेरे टुकड़े होंगे ..भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी ..अफजल जिंदाबाद ..आदि नारे देश के लोगो की अभिव्यक्ति है |
रविश कुमार .. आपने उस वक्त ब्लैकआउट क्यों नही किया था जब कमलेश तिवारी ने अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी के हक को इस्तेमाल करते हुए कुछ सच मगर कड़वी बाते की थी ? उसे फांसी देने के लिए भारत के बीस शहरों में दंगाई मुस्लिमो की भारी भीड़ ने जमकर दंगे किये .. यूपी की विधानसभा में उसे फांसी देने की मांग उठी ..उसके सर पर करोड़ो का ईनाम रखा गया .. और आपके ही टीवी चैनेलो पर कितने लोगो ने उसे मौत की सजा देने की वकालत की ... रविश कुमार ..भारत में ईशनिंदा कानून नही है .. फिर भी कई मुस्लिम सांसदों और विधायको ने उसे फांसी देने की मांग करते हुए हर टीवी चैनेलो पर चिल्लाते थे ...तब आपके मुंह से एक बार भी ये क्यों नही निकला की कमलेश तिवारी को भी अभिव्यक्ति की आज़ादी है .. और उसके उपर एनएसए लगाना सरकारी आतंकवाद है ...
रविश कुमार .. आपको ज्यादा पीड़ा दुसरे चैनलों पर जेएनयु मुद्दे पर कवरेज पर हो रही है ... आप सिर्फ एक बार अपने आर्काइव से 2003, 2007 और 2012 में गुजरात विधानसभा में आपके चैनेल एनडीटीवी पर किये गये कवरेज को निकालकर देख लीजियेगा ... और अगर आपको लगे की ये सच में पत्रकारिता है तो मै आपसे माफ़ी मांग लूँगा ...
आपके उस वक्त के चीफ एडिटर विनोद दुआ गुजरात चुनाव के कवरेज पर आये थे .. दिल्ली से फ्लाईट से बड़ोदरा उतरे ..फिर एक इनोवा से अहमदाबाद आये ..ड्राइवर मुस्लिम था .. विनोद दुआ ने उससे पूछा आपको गुजरात में डर नही लगता ? और फिर वो ड्राइवर नकली आंसू रोने लगा ..विनोद दुआ उससे ऐसे ऐसे सवाल पूछ रहे थे जैसे हिन्दू सबसे बड़ा आतंकी और गुंडा है ..फिर उन्होंने कहा आप ये जो आलिशान एक्सप्रेस हाइवे देख रहे है उसे केंद्र के पैसे पर बनाया गया है .. हद है पत्रकारिता की ... बाद में उस ड्राइवर ने बताया की ये पूरा प्रीस्क्रिप्टेड था .. उसे रोने की एक्टिंग करने को कहा गया था ...
2012 की गुजरात विधानसभा चुनाव में आप खुद कवरेज के लिए आये थे ...आपने साबरमती रिवरफ्रंट को नही दिखाया .. आपने गुजरात में हुई इंडस्ट्रियल ग्रोथ को नही दिखाया ...आपने दिखाया भी तो क्या ? एक झोपडपट्टी ..कहावत है की सयाने कौवे की नजर हमेशा टट्टी पर होती है .. तो आप वही सयाने कौवे थे ...|
रविश जी .. आपको सबसे ज्यादा पीड़ा इस बात का है की उमर खालिद और कन्हैया को देशद्रोह का दोषी ठहराने वाले ये मीडिया के एंकर और कुछ जमात के लोग कौन है ? 

रविश जी .. यही पीड़ा हमे भी तब होती थी जब नरेंद्र मोदी को बिना किसी जाँच के आप जैसे पत्रकारों ने दंगाई और अछूत घोषित कर दिया था ...नरेंद्र मोदी को आपके स्टूडियो में बैठकर शबनम हाश्मी, राणा अय्यूब, आशीष खेतान, जैसे लोगो ने क्या क्या कहा है वो आप एक बार याद करिये ... आपके स्टूडियो में कितनी बार तुरंत फैसला हो जाता था आप उसे क्यों भूल गये ?
रविश जी ... अंत में एक बार अपने दिल पर हाथ रखकर सोचियेगा की आप जिसे रिपोर्ट करते है वो बरखा दत्त जो आज एनडीटीवी की चीफ ग्रुप एडिटर है ..क्या उसे पत्रकार कहा जा सकता है ? क्या आपने बरखा और निरा रादिया का टेप नही सुना ? उस टेपो को सुप्रीम कोर्ट ने जांच में सही पाया है .. रतन टाटा ने जब उस टेप के प्रसारण पर रोक लगाने की अर्जी की थी तब उन्होंने कहा था की हाँ ये टेप असली है .. लेकिन इससे मेरी निजता का हनन होता है .. एक बातचीत में बरखा दत्त निरा से कहती है की तेरे उपर रतन बुरी तरह फ़िदा है यही वक्त है ....सब काम निकाल ले ..तो नीरा राडिया बेशर्मी से कहती है हा ..यार कल वो तेल अबीब में था लेकिन मेरे से बात किये बिना रह ही नही पा रहा था .. एक टेप में बरखा दत्त कहती है मुकेश अंबानी की चिंता मत करो
..उसे मै मैनेज कर लुंगी .. एक टेप में वो मंत्रियों के नाम फाइनल करती है ..


कमाल की बात है रविश कुमार .. आपने एक बार भी बरखा दत्त पर कोई प्राइम टाइम नही किया ...
और अंत में .. आपको याद होगा की जब अन्ना आन्दोलन चल रहा था तब बरखा दत्त कवरेज के लिए इण्डिया गेट गयी थी .. वहां जेएनयु के विभाग इन्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मॉस क्म्न्युनिकेशन के एक दलित छात्र ने बरखा दत्त के खिलाफ नारेबाजी की थी .. उसने नारा लगाया था दलाल बरखा वापस जाओ .. बाद में एनडीटीवी के इशारे पर उस दलित छात्र का पूरा कैरियर चौपट कर दिया गया |

रविश जी लिखना तो बहुत चाहता था .. लेकिन लोग बड़े बड़े लेख नही पढ़ते ..उब जाते है