Wednesday 14 November 2012

आयरलैंड में अस्पताल में भारतीय डाक्टर महिला की मौत :::: मिसकैरेज होने पर अस्पताल ने कैथोलिक देश होने से ओबोर्शन करने से मना किया | अस्पताल ने कहा -- हमारे लिए किसी की जान से ज्यादा कीमती कैथोलिक ईसाई धर्म के सिधांत है |



क्या भारत के सेकुलर कुत्ते और सेकुलर सूअर इस खबर पर भी अपनी छाती कूटने दिल्ली और भारत में कई जगहों पर स्थित मुख्य कैथोलिक केन्द्रों पर जायेंगे ?

भारत की नीच और ईसाई चर्चो के पैसे से पोषित हरामी मीडिया इस खबर पर खामोश क्यों है ?

 31 साल की डा.सविता हलप्पनवार को 14 हफ्तों की प्रेग्नेंसी थी। मिसकैरेज के चलते उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। इन हालात में सविता को भयंकर दर्द का सामना करना पड़ रहा था। डॉक्टर भी मान चुके थे कि बेबी को बचाया नहीं जा सकेगा, लेकिन फिर भी उन्होंने सविता का अबॉर्शन नहीं किया। डॉक्टरों का कहना था कि 'कैथलिक' धर्म इसकी इजाजत नहीं देता। उनके मुताबिक जब तक गर्भ में पल रहे भ्रूण की धड़कनें बंद नहीं हो जातीं, तब तक ऐसा नहीं किया जा सकता।
सविता पुरे तीन दिनों तक भयंकर दर्द से चिल्लाती रही .. उन्होंने डाक्टरों से कहा की उन्हें ही मौत का इंजेक्शन दे दे क्योकि उनसे भयंकर दर्द सहा नही जा रहा है |
उनके पति ने आयरलैंड के स्वास्थमंत्री से भी सम्पर्क किया जो खुद एक महिला है और उन्होंने भी कहा की हम अपने धर्म से बहुत प्यार करते है और जब तक बच्चे की धडकन बंद नही हो जाती तब तक अबोर्शन करने की इजाजत नही दी जा सकती |

अंत में तीन दिनों तक भयंकर दर्द से तडपते हुए सविता की मौत हो गयी | रस्सो के मुताबिक भारत के राजदूत ने अस्पताल आकर दुःख मनाया फिर बाहर निकलकर सैपेन्न पीकर वापस चले गये |

लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये की भारत सरकार इस मामले पर खामोश क्यों है ?

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