Sunday 14 April 2013

आज एनडीटीवी पर रवीश कुमार के साथ हमलोग प्रोग्राम देखा "आखिर कब कटेगी चौरासी [84] मित्रो, दिल भर आया .. क्या सारी मीडिया, सारा न्यायतन्त्र, सारे एनजीओ, सारे नेता सारे मानवाधिकारवादी दोगले, सिर्फ गुजरात दंगे पीडितो को ही न्याय दिलाने के लिए अपनी छाती कूटेंगे ? कुछ तो सोचो मेरे हिन्दू मित्रो...आखिर कब तक सेकुलरवाद की घुट्टी पीकर गहरी नींद में सोते रहोगे ?





गुजरात दंगो के लिए सिर्फ दस साल के भीतर तीन तीन एसआईटी और पांच पांच आयोग और आठ विशेष अदालते बनाकर कुल २३० लोगो को सजा भी सुना दी गयी ..और सजा भी ऐसी की सिर्फ मोबाइल फोन के लोकेशन के आधार पर .. क्योकि मरने वाले मुस्लिम थे

और वही दूसरी तरह आज 29 साल बीतने के वावजूद भी दिल्ली के सीख विरोधी दंगो में सिर्फ एक आदमी को सजा हुई .. त्रिलोकचंद को .. उसे आठ केसों में हर केस में फांसी की सजा सुनाई गयी ..लेकिन कांग्रेस को ये डर सताने लगा की अगर त्रिलोकचंद अपना मुंह खोलेगा तो फिर बड़े बड़े लोग नप जायेंगे इसलिए दिल्ली की शीला सरकार ने राष्ट्रपति से अनुरोध करके उसकी सजा को उम्र कैद में तब्दील करवा दिया .. फिर जब त्रिलोकचंद ने अपना मुंह खोलने की धमकी दी तो दिल्ली की शीला सरकार ने राज्यपाल को एक अनुरोध भेजा की चूँकि त्रिलोकचंद का जेल में चालचलन बहुत अच्छा है इसलिए उसे माफ़ी देते हुए रिहा कर दिया जाये |

मित्रो सोचिये दोगली कांग्रेस दोगले लोगो को ही राज्यपाल बनाती है ..जिस राज्यपालों के दफ्तर में कई कई महीनों तक फ़ाइले धुल खाती है उसी राज्यपाल ने सिर्फ एक दिन के भीतर त्रिलोकचंद को माफ़ी देते हुए रिहा करने का आदेश दे दिया .. लेकिन जब हल्ला मचा तब जाकर अपने आदत के अनुसार कांग्रेस ने थूककर चाटते हुए अपना फैसला बदल लिया |

लेकिन दिल्ली की शीला सरकार मानवता के आधार पर समाजकल्याण फंड से 62 सिखों की हत्या में गुनाह साबित होने पर सजा पाए त्रिलोकचंद के परिवार को हर महीने तीस हजार रूपये देती है और उसके दोनों बच्चो की मुफ्त में पढाई भी हुई | सिर्फ इसलिए की त्रिलोकचंद अपना मुंह न खोले |

मित्रो, गुजरात दंगो पर जो अख़बार सबसे ज्यादा हल्ला मचाया है और आज भी मचाता है वो है टाइम्स ऑफ़ इंडिया .. विदेश की कम्पनी बोनेट एंड कोलमेन द्वारा संचालित ये अख़बार दिल्ली के दंगो के समय एक सम्पादकीय लिखा था ..जिसमे लिखा की "हिन्दुओ का गुस्सा आखिर कब तक भीतर उबाल मारेगा ? सिख कौम भारत की है ही नहीं बल्कि ये पाकिस्तान से आई है और दिल्ली पर हावी होती जा रही है ..इनका अक्ल ठिकाने लगाना जरूरी था"

कांग्रेसी सांसद के के बिरला का अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स ने भी अपने सम्पादकीय मे लिखा था कि "पाकिस्तान से आये सीख लोग भारत के हिन्दुओ से उनका हक छिनकर पूंजीपति हो गये है इस दंगे ने अब बराबर कर किया है जिसका हक था उसने अपना हक वापस ले लिया तो क्या गुनाह किया"

मित्रो, सोचिये ये सभी बाते कभी मीडिया में नही आई ये तो आज रवीश कुमार के प्रोग्राम में चितम्बरम को जूतियाने वाले पत्रकार और लेखक जनरैल सिंह और दंगो के दो पीड़ित और चश्मदीद गवाह भी थे तब ये बाते आज लोगो को पता चली |

वाह रे नीच और दोगली मीडिया .. आज तक गुजरात दंगे की उस महिला को सामने नही ला पाई जिसका पेट चीरकर बच्चे को बाहर निकला गया था क्योकि ये झूठी बात फैलाई गयी .. खुद दो दो आयोगों ने कहा है की ये बात कुछ लोगो के द्वारा सिर्फ सनसनी फ़ैलाने के लिए फैलाई गयी ..
लेकिन आज तक किसी भी मीडिया ने कांगेस विशेषकर राजीव गाँधी द्वारा प्रायोजित सीख विरोधी दंगो पर इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी नही बनाई


और तो और इस दंगे के तीन मुख्य आरोपी है एचकेएल भगत, जगदीश टाईटलर, और सज्जन कुमार .. कांग्रेस ने इन्हें इनके काम का खूब ईनाम दिया .. राजीव गाँधी ने एचकेएल भगत को 84 से लेकर 90 तक सुचना और प्रसारण मंत्री बनाया ताकि अखबारों को मैनेज किया जा सके | सज्जन कुमार और जगदीश टाईटलर को भी केबिनेट मंत्री बनाया गया ताकि इसी बहाने सिखों के जख्मो पर नमक छिड़का जा सके | जगदीश टाईटलर आज भी कांग्रेस सेवा दल का राष्ट्रिय अध्यक्ष है |

मित्रो आज सरकार बनाने के लिए 272 सांसद चाहिए जबकि राजीव गाँधी के पास उस समय 407 सांसद थे ... लेकिन उन्होंने कभी भी सिखों को न्याय दिलाने के लिए कुछ नही किया ..और उन्होंने दिल्ली के सीख विरोधी दंगो की कभी निंदा तक नही की और न ही उसके लिए कभी माफ़ी मांगी | उलटे 4 नवम्बर 1984 को दूरदर्शन पर उन्होंने कहा की "जब भी जंगल में कोई बड़ा बरगद का पेड़ गिरता है तो आसपास की जमीन हिलने लगती है और इससे छोटे छोटे पेड़ भी गीर जाते है " ये फुटेज आज भी दूरदर्शन की आर्काइव में मौजूद है |

और तो और संसद में एक उदाहरण देते हुए राजीव गाँधी के कहा था कि सोचिये आप किसी टैक्सी से जा रहे हो और अचानक पता चले की आपके टैक्सी का ड्राइवर सरदार है तो क्या आपकी रूह कांप नही जाएगी ?


खैर ... कहते है न की उपर वाला सब देखता है और उपर वाले की बेआवाज लाठी किसी को भी नही छोडती .और जब पाप का घडा भर जाता है तो उपर वाला उस पापी को ऐसा सजा देता है की रूह तक कांप जाती है .. सिखों के नरसंहार करने के लिए राजीव गाँधी को भले ही धरती की किसी भी अदालत में पेश तक नही होना पड़ा लेकिन उपर की अदालत में तो सबका हिसाब होता है ... भगवान ऐसी कुत्ते जैसी मौत किसी को न दे जैसी मौत राजीव गाँधी को मिली ..असल में राजीव गाँधी को सिखों के नरसंहार के लिए उपर वाले ने सजा दी .. उनके चीथड़े चीथड़े उड़े और ऐसे उड़े की कि कैनवास के जूतों के आधार पर माना गया की इस विस्फोट में राजीव गाँधी के चीथड़े उड़े है |

धन्य हो भगवान ..धन्य हो वाहे गुरु .. तुम्हारी जांच आयोग और तुम्हारी अदालत सर्वोच्च है ..तुम्हारे अदालतों से कोई पापी भले ही तो ४०७ सिटे क्यों न जीता हो वो भी बच नही सकता

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