Saturday, 27 October 2012

मीडिया के दोगलेपन और झूठे और प्रोपेगेंडा का नंगा सच --- आपकी आंखे खुल जाएँगी की ये नीच मीडिया पैसे लेकर कैसे किसी झूठे बात को फैलाती है |



मित्रो २७ अक्तूबर को टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अहमदाबाद एडिशन में मुख्य पेज पर एक कवर स्टोरी छपी है "बिटर ट्विर ट्रुथ फॉर नरेंद्र मोदी" | इसमें इसने बताया है की मोदी के ट्विटर पर फेक फलोवर है | जबकि आज खुद  ट्विटर ने उस एप्स को गलत बताया जिसके आधार पर ये बात कही गयी है | लेकिन इस एप्स पर जाकर यदि हम किसी के भी फलोवेर को चेक करे तो सबके बारे में फेक फलोवर आते है तो फिर ये टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने सिर्फ मोदी जी को ही क्यों टार्गेट किया ? यदि आप टाइम्स ऑफ़ इंडिया के फलोवर को देखेंगे तो उसमे भी ४४% फेक फलोवर है फिर इस अख़बार ने अपने बारे में क्यों नही लिखा ?

मित्रो, असल में बेनेट एंड कोलमेन ग्रुप जिसका फंडिंग इटली, साइप्रस से होता है और जिसमे ८३% निवेशक विदेशी है इसलिए ये अख़बार कट्टर हिन्दू विरोधी है | आजतक इस अख़बार ने कभी किसी कांग्रेसी नेता या किसी मुस्लिम नेता के बारे में कुछ नही छापा | नितिन गडकरी पर हर रोज ये कुछ न कुछ छाप रहा है .. लेकिन इसने कभी राबर्ट बढेरा पर कोई स्टोरी नही छापी |

इसके  गुजरात का चीफ मनोज मित्ता पर गुजरात दंगो के जाँच के लिए बनी एसआईटी ने कड़ी टिप्पड़ी की है ... ये वही मनोज मित्ता है जिसने संजीव् भट्ट और तीस्ता जावेद को कई झूठे एफिडेविट बनाने में मदद किया था | जब कोर्ट ने तीस्ता के झूठे एफिडेविट की जाँच करवाई तब इसका नाम सामने आया और इसने कोर्ट में लिखित माफ़ी मांग ली | संजीव भट्ट का जो तीन एफिडेविट सुप्रीमकोर्ट ने फर्जी पाया वो भी इसने बनाया था |

मित्रो, ये मनोज और इसका अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया कितना नीच सोच रखता है ये इसी बात से पता चलता है कि जब गुजरात ने गुटका पर बैन लगाया तब इसने इसके खिलाफ कई हप्ते तक अभियान चलाया |
 ये गुटके की फैक्ट्री में काम करने वालो के बड़े बड़े फोटो छापकर कहता था की क्या ये बेरोजगार नही हो जायेगे ? इसने यहाँ तक लिखा की मोदी गरीब विरोधी मानसिकता रखता है इसलिए मोदी ने गुटके पर बैन लगाया |

मित्रो, इस फोटो को देखीये और ट्विटर की असली कहानी समझिये










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