Monday 22 July 2013

कांग्रेसियो के पिताजी क्वात्रोची के इतिहास पर एक नजर :-



--16 अप्रैल 1987
: स्वीडिश रेडियो ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया। घोटाले में मार्टिन आर्दबो, हिंदुजा ब्रदर्स और विन चड्ढा भी आरोपी हैं।

--22 अक्तूबर, 1999: सीबीआई ने क्वात्रोच्चि के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की।

--4 नवंबर, 1999: ट्रायल कोर्ट ने क्वात्रोच्चि के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया।

--20 दिसंबर, 2000: मलयेशिया में क्वात्रोच्चि गिरफ्तार। मलयेशिया की अदालत ने क्वात्रोच्चि को भारत को प्रत्यर्पित करने से इंकार किया, बाद में वहां से रिहा कर दिया गया।

--25 मई, 2001: स्पेशल जज ने क्वात्रोच्चि का मुकदमा बाकी आरोपियों से अलग किया।

--25 मई, 2003: लंदन में क्वात्रोच्चि के दो खातों में 10 लाख यूएस डॉलर और 30 लाख यूरो मिले।

--31 मार्च, 2004: मलयेशिया की अदालत ने क्वात्रोच्चि के प्रत्यर्पण का अनुरोध ठुकराया।

--25 अगस्त, 2005: सीबीआई ने अपनी वेबसाइट पर क्वात्रोच्चि की तस्वीर जारी की।

--22 दिसंबर, 2005: एडिशनल सॉलिसिटर जनरल क्वात्रोच्चि के खाते सील करने पर वार्ता के लिए लंदन में अफसरों से मिले।

--11 जनवरी, 2006
: सीबीआई ने ब्रिटिश अधिकारियों से कहा उसके पास कोई प्रमाण नहीं है, जिसके आधार पर ओतावियो क्वात्रोच्चि के दो बैंक खातों में जमा तीस लाख यूरो और 10 लाख अमेरिकी डॉलर की रकम का संबंध बोफोर्स तोप सौदे की दलाली से साबित करे।

--12 जनवरी, 2006: क्वात्रोच्चि के खातों को क्लीन चिट देने के सरकार के कदम के खिलाफ अधिवक्ता अजय अग्रवाल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई।

--13 जनवरी, 2006: केंद्र सरकार के कदम को चुनौती देने वाली अजय अग्रवाल की याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार। कोर्ट ने इस संबंध में सभी जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा करने का निर्देश दिया।

--15 जनवरी, 2006: क्वात्रोच्चि के दोनों खातों पर लगी रोक लंदन हाई कोर्ट ने हटाई। (भारत के सॉलिसिटर जनरल द्वारा ब्रिटेन के क्राउन प्रॉसीक्यूशन को क्वात्रोच्चि के खिलाफ सुबूत नहीं मिलने की जानकारी के बाद यह रोक हटाई।)

गौरतलब है की क्वात्रोची के बैंक खातो पर लगी रोक हटाने के लिए क्वात्रोची ने कोई मेहनत नही किया बल्कि भारत सरकार ने खुद अपने तत्कालीन कानून मंत्री हंसराज भरद्वाज को लन्दन भेज कर ब्रिटिश कोर्ट को बताया की क्वात्रोची एक संत महात्मा है उन्होंने कोई अपराध नही किया है इसलिए भारत सरकार दरखास्त करती है की माननीय क्वात्रोची जी के बैंक खातो पर लगी रोक हटाई जाये |

ये पूरी प्रक्रिया एकदम गुप्त रखी गयी थी ... जैसे ही क्वात्रोची के खातो से रोक हटी उसने एक मिनट के भीतर अपने तीनो बैंक खातो से बीस करोड़ डालर अपने बेटे के खाते में ट्रांसफर कर दिए ... जब भारत की सुप्रीमकोर्ट को पता चला तब उसने भारत सरकार को नोटिस दिया तब भारत सरकार ने कहा की उसके खातो में एक पाई भी नही है ..

बाद में लन्दन के अख़बार मिरर ने खुलासा किया की भारत सरकार के कानूनमंत्री खुद २० दिनों तक लन्दन में रुक क्र क्वात्रोची के खातो से रोक हटवाई थी


--16 जनवरी, 2006: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी कर क्वात्रोच्चि के खाते से लेन-देन नहीं होने के लिए जरूर कदम उठाने का निर्देश दिया।
सीबीआई मुझसे इटली में पूछताछ करे, गांधी परिवार के खिलाफ अभियान का शिकार हूं: क्वात्रोच्चि (फोन पर एक संवाद एजेंसी से कहा।)

--20 जनवरी, 2006: सरकार द्वारा क्वात्रोच्चि को क्लीन चिट दिये जाने के मामले में एनडीए प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से मिला और एक ज्ञापन सौंपा।

--23 जनवरी, 2006: क्वात्रोच्चि के खातों के तार स्विट्जरलैंड से जुड़े या नहीं इसकी जांच के लिए सीबीआई ने वहां जाने के लिए गृहमंत्रालय से अनुमति देने की गुजारिश की।

--6 फरवरी, 2007: क्वात्रोच्चि को अर्जेंटीना के इगुआजो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया।

--23 फरवरी, 2007: क्वात्रोच्चि को अर्जेंटीना सरकार ने जमानत दी।

--26 फरवरी, 2007: सीबीआई को जब तक गिरफ्तारी की खबर मिली, अर्जेंटीना सरकार उसे रिहा भी कर चुकी थी।

--8 मार्च, 2007: सीबीआई ने क्वात्रोच्चि मामले में सुप्रीम कोर्ट में सफाई पेश करते हुए कहा कि उस पर लगाए गए आरोप निराधार है और उसने कोर्ट से कोई सूचना नहीं छुपाई थी।
सीबीआई ने कहा कि क्वात्रोच्चि की 23 फरवरी को हुई जमानत के बारे में उसे पहले से कोई जानकारी नहीं थी। ब्यूरो को इस बात की जानकारी 26 फरवरी को मिली थी।

--23 मार्च, 2007: अर्जेंटीना के कोर्ट में क्वात्रोच्चि ने अपने भारत प्रत्यर्पण का पुरजोर विरोध किया।

--13 अप्रैल, 2007: क्वात्रोच्चि के प्रत्यर्पण के मामले में सीबीआई ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। रिपोर्ट में सीबीआई ने क्वात्रोच्चि की सही पहचान का दावा किया।

--8 जून, 2007: अदालत ने क्वात्रोच्चि की अर्जेंटीना में गिरफ्तारी से संबंधित मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा।

--9 जून, 2007: अर्जेंटीना की एक अदालत ने क्वात्रोच्चि को भारत प्रत्यर्पित करने के आग्रह को अस्वीकार कर दिया। सीबीआई की क्वात्रोच्चि का भारत लाने की मुहिम को बड़ा झटका लगा।

--12 जून, 2007: क्वात्रोच्चि मामले में सीबीआई को एक और झटका लगा जब अर्जेंटीना की अदालत ने अभियोजन पक्ष को ओतावियो क्वात्राकी को मुकदमे का खर्च अदा करने का आदेश दिया।

--15 अगस्त, 2007: 6 फरवरी को अर्जेंटीना में गिरफ्तार क्वात्रोच्चि इटली रवाना, सीबीआई फिर प्रत्यर्पण कराने में विफल रही।

--18 अगस्त, 2007: क्वात्रोच्चि के प्रत्यर्पण के लिए किए गए सरकार और सीबीआई के प्रयासों से संबंधित सारे दस्तावेज पेश कराने हेतु वकील अजय अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर किया।

--3 नवंबर, 2007: अधिवक्ता अजय अग्रवाल द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने कोर्ट में कहा कि जब भी कोर्ट क्वात्राकी के बारे में आदेश देता है, हमें विदेशी अदालतों में मुंह की खानी पड़ती है। ऐसी स्थिति में बेहतर होगा कि कोर्ट कोई आदेश न दे क्योंकि उनका पालन करवाना असंभव है।

--28 अप्रैल, 2009: क्वात्रोच्चि का नाम वांछित लोगों की सीबीआई की सूची से हटाया गया। इसके साथ ही सीबीआई के अनुरोध के बाद इंटरपोल ने क्वात्रोच्चि का नाम रेड कॉर्नर नोटिस से हटा दिया।

--26 अगस्त, 2010: सीबीआई ने सीएमएम कोर्ट में अर्जी देकर कहा था कि क्वात्रोच्चि के खिलाफ कोई भी सबूत मौजूद नहीं हैं। लिहाजा उनके खिलाफ चल रहे मामले की सुनवाई बंद कर देनी चाहिए। अदालत ने अर्जी पर सुनवाई के लिए 28 अगस्त की तारीख तय की है। जबकि तीस हजारी अदालत स्थित मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कावेरी बावेजा की अदालत में अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने एक बार फिर से अर्जी देकर कहा है कि मामला बंद नहीं करना चाहिए।

--4 जनवरी, 2011: बोफोर्स दलाली मामले में इटली के व्यापारी ओतावियो क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामला बंद करने के लिए दबाव बनाते हुए सीबीआई ने दिल्ली की एक अदालत में कहा कि इनकम टैक्स अपीली ट्रिब्युनल के आदेश में कुछ भी नया नहीं है। तीस हजारी कोर्ट के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विनोद यादव की अदालत में सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पीपी मल्होत्रा ने कहा कि मामले में केस बंद करने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है।

No comments: