बीजेपी के मुख्यमंत्री ने कोल ब्लोक के मामले मे
नीलामी के खिलाफ पत्र लिखा . लेकिन ये आधा सच है | पत्र मे ये लिखा कि राज्य सरकार
के बिजलीघरों को बिना नीलामी कोयला देना चाहिए | किसी भी बीजेपी के मुख्यमंत्री ने
ये नही लिखा कि निजी कम्पनियों को भी बिना नीलामी के कोयला देना चाहिए |
मजे की बात ये है कि जिस राज्य मे एक चम्मच भी कोयला नही
होता उस राज्य राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की बात कांग्रेस ने
मान ली | लेकिन राजस्थान सरकार की सरकारी बिजली कम्पनियो को कोयला देने के बजाय
निजी कम्पनियों को दे दिया |
लेकिन सबसे बड़ी बात ये है की अगर कांग्रेस की केन्द्र सरकार
बीजेपी के मुख्यमंत्रियों के पत्रों से चलती है और प्रधानमंत्री सिर्फ बीजेपी के
मुख्यमन्त्रियो के पत्रों पर ही निर्णय लेते है क्योकि प्रधानमंत्री के पास खुद की
अपनी कोई बुद्धि नही है?
तो मित्रों उसी केन्द्र सरकार को मोदी ने पोटा कानून की
मंजूरी के लिए पांच पत्र लिखे | गुजरात के केरोसिन कोटे मे ३२% कमी करने के खिलाफ
तीन पत्र लिखे, गुजरात प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अर्जुन मोधवाडिया ने एक बार मोदी जी
और केबिनेट मंत्री आनंदी बेन पटेल को लेकर बहुत ही शर्मनाक और अश्लील बाते कही थी
उस बारे मे मोदी जी ने सोनिया को पत्र लिखा | लेकिन तब केन्द्र सरकार एक
मुख्यमंत्री के पत्र को मान्यता क्यों नही दी ?
मित्रों, आखिरी निर्णय लेने वाले खुद तत्कालीन कोयला मंत्री
ही थे और उस समय कोयला मंत्रालय का कार्यभार भी खुद प्रधानमंत्री के पास था फिर इस
मामले मे बीजेपी दोषी कैसे हुई ?
सीएजी ने अपने कई लाख पन्ने के रिपोर्ट मे एक लाइन भी
बीजेपी के बारे मे नही लिखा है | बल्कि उसने कहा की बीजेपी के दो मुख्यमंत्री
सिर्फ अपने राज्य के सरकारी फायदे के लिए पत्र लिखे थे न की निजी | अगर राजस्थान
या छत्तीसगढ़ की सरकारी बिजली कम्पनी को कोयला सस्ता मिलता तो इसमें उनका निजी
फायदा नही होता |
लेकिन ये कांग्रेस का दलाल केजरीवाल और उसकी गैंग बार बार
बीजेपी का नाम् लेकर जनता को गुमराह कर रही है |
केजरीवाल जी, अगर किसी के पत्नी को बच्चा न हो रहा हो तो आप
उसे पड़ोसी को दोष देंगे या उसके पति को ?
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