Saturday 26 January 2013

जब तक देश में मोहम्मद इरफ़ान शेख जैसे दलाल पत्रकार इस पेशे में रहेंगे तब तक हम मीडिया को चौथा स्तम्भ नहीं मान सकते | क्या कोई पत्रकार चाटुकारिता की पराकाष्ठा भी पार कर सकता है ? क्या किसी ने दामिनी काण्ड पर राहुल गाँधी को बोलते देखा ? जब देश का युवा कड़ाके की ठंड में दिल्ली की सडको पर था तब ये भोदू युवराज उर्फ़ राहुल गाँधी कहाँ थे ? ये चाटुकार पत्रकार ने कहा की राहुल गाँधी को इस घटना ने बहुत ही विचलित कर दिया था |


मित्रो, पत्रकार मोहम्मद इरफ़ान शेख ने एक किताब लिखी "राहुल -एक करिश्मा" | हा हा हा भाई राहुल गाँधी में ऐसी कौन सा करिश्मा है जो इन चाटुकार पत्रकार को दिखता है लेकिन देशवासियों को नही दिखता ?

मित्रो, सोचिये देश के गृहमंत्री कितने व्यस्त रहते होंगे .. लेकिन उन्होंने इस किताब का विमोचन किया | चूँकि मामला राहुल गाँधी के करिश्मे से जुड़े किताब का विमोचन से था और इसी बहाने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को राहुल गाँधी के गुणगान करने और चाटुकारिता करने का मौका मिलता इसलिए शिंदे ने तुरंत ही इस किताब के विमोचन के लिए हाँ कर दी |
और हुआ भी ऐसा ही .शिंदे ने राहुल भक्ति खूब की | उन्होंने  कहा कि राहुल गांधी से बड़ी उम्मीदें हैं, वे एक नयी सोच को दिशा देंगे और युवाओं को राजनीति की मुख्यधारा से जोड़ेंगे। हा हा हा फिर पिछले १० सालो से राहुल गाँधी क्या किये ?क्या हाल हुआ यूपी, बिहार, पंजाब और गुजरात में?
सबसे बड़ा दावा तो इस किताब के लेखक मो इरफान शेख ने दावा किया है | शायद लेखक महोदय को भी पंकज पचौरी जैसे कोई बड़ा पद चाहिए | अब जानते है की एनडीटीवी में रहते हुए पंकज पचौरी ने कांग्रेस और नकली गाँधी खानदान की चमचागिरी करने में सारे विश्व रिकार्ड तोड़ दिए थे | पंकज पचौरी की स्वामिभक्ति से खुश होकर मालकिन ने उन्हें देश के सबसे ताकतवर पदों में से एक प्रधानमंत्री का मीडिया सलाहकार नियुक्त कर दिया | और पंकज पचौरी को लालबत्ती वाली सरकारी कार, आठ स्टाफ, लुटियंस जोन ने एक बंगला और बीस लाख रूपये महीने की सेलेरी मिलने लगी | मजे की बात ये कि प्रधानमन्त्री से भी ज्यादा सेलरी प्रधानमन्त्री के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी की है |

अपनी किताब "राहुल एक करिश्मा" में लेखक मो. इरफ़ान शेख ने दावा किया है कि दामिनी निर्भय मामले ने राहुल गांधी को बहुत विचलित किया और कांग्रेस संगठन की जिम्मेदारी लेने के पीछे इस घटना का बहुत बड़ा हाथ है। इरफान के मुताबिक जब देश के युवा आंदोलन कर रहे थे तो राहुल लगातार घटनाक्रम पर नज़र रखे हुए थे और यही वजह है कि उन्होंने अपनी मां सोनिया गांधी से रात को जा कर बात की और राजनीति में बड़ी जिम्मेदारी उठाने का फैसला लिया।

मित्रो, ये दोगले और चाटुकार पत्रकार आखिर अपने पेशे यानी पत्रकारिता के साथ न्याय कैसे करेंगे ?

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