Thursday 24 January 2013

गडकरी बिलकुल ठीक कह रहे है .. पंचतन्त्र में भी कहा गया है "सठे साठयम समाचरेत' यानी दुष्टों के साथ दुष्टता ही करनी चाहिए .. लातो के भुत बातो से नही मानते

गडकरी जी ने आज कांग्रेस को कांग्रेस की ही भाषा मे उनको उत्तर दे रहे है. याद करे सोनिया ने मोदी को "मौत का सौदागर " कह कर इस प्रकार की भाषा के प्रयोग की शुरुवात की थी. ....

महाभारत के अनुसार कौरव सेना ने जब अनुचित ढंग से अभिमन्यु का वध किया था ,उसके बाद कौरवों के सेनापतियों को जो कुछ झेलना पड़ा , उसी प्रकार .अब कांग्रेसी भी उसी प्रकार की भाषा और बर्ताव के लिये तैयार रहे जो वे अब तक विरोधी पार्टियों के नेताओ के साथ करते आये है....

अटल जी की सरकार पुरे सात सालो तक रही .. उस समय एक भी विपक्ष के नेताओ के उपर कोई बदले की करवाई नही हुई.. यहाँ तक की राहुल गाँधी बोस्टन एयरपोर्ट पर ड्रग्स के साथ पकड़े गये तब रात को दो बजे सोनिया गाँधी नटवर सिंह के साथ वाजपेयी जी के घर मदद के लिए गये थे .. ये बात खुद नटवर सिंह और सुब्रमनियम स्वामी जी ने कई बार सार्वजनिक मंच से कही है ... मित्रो, महानता दिखाते हुए अटल जी ने जार्ज बुश को हॉटलाइन पर फोन करके राहुल गाँधी को छोड़ने की विनती की .. हलांकि एफबीआई राहुल गाँधी को छोड़ने के पक्ष में नही थी .. चूँकि अमेरिकी जाँच एजेंसियां स्वत्रंत होती है इसलिए एफबीआई ने पहले तो जार्ज बुश के आदेश को ठुकरा दिया फिर जार्ज बुश ने दबाव डालकर राहुल गाँधी को बचा लिया |

मित्रो, अब समय आ गया है की बीजेपी सज्जनता और महानता छोडकर दुष्टों के साथ दुष्टों जैसा ही वर्ताव करे .. क्योकि कांग्रेस एक सांप की तरह है जैसे ही मौका पाते है डस लेते है

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