मित्रो, आज ये ओबैसी कट्टर इस्लामवाद की बात करता है लेकिन इस पार्टी का जन्म ही इस्लाम के सिधान्तो के खिलाफ हुआ है | इस्लाम में व्यक्ति पूजा की मनाही है लेकिन हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान को खुश करने के लिए उनके एक चमचे मंत्री महमूद नवाज खान किलेदार ने 1927 में इस पार्टी की स्थापना की थी | इस पार्टी की स्थापना के पीछे एक ही मकसद था की निजाम को खुश किया जाये ..
फिर 1943 में इस पार्टी के चीफ नबाब बहादुर यार जंग ने लाहौर में अधिवेशन किया | इस अधिवेशन में ढ़ाका के नबाब सलिमुल्ला खान .. मशहूर कवि मोहमद इक़बाल, मोहम्मद अली जिन्ना, हैदराबाद के निजाम, जूनागढ के नबाब महावत खान बाबी आदि शामिल हुए .. और पहली बार हिंदुस्तान को बाटने और पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया |
फिर देश के बटवारे के पश्चात MIM चीफ कासिम रिजवी ने हैदराबाद को पाकिस्तान का हिस्सा बताया और निजाम के प्रधानमन्त्री मीर लायक अली ने हैदराबाद को पाकिस्तान में शामिल होने की घोषणा करते हुए हैदराबाद स्टेट के रहने वाले समस्त हिन्दुओ, जैनों, बौध आदि को 24 घंटे में हैदराबाद राज्य छोड़ने का आदेश दिया और न छोड़ने पर कत्लेआम करने का आदेश दिया | हैदराबाद में MIM के सदस्यों के द्वारा निजाम के देखरेख में हिन्दुओ का कत्लेआम शुरू हो गया और करीब तीन सौ हिन्दुओ को मारा गया |
हैदराबाद के हालत देखकर जवाहर लाल नेहरु ने हैदराबाद को पाकिस्तान में शामिल होने का समर्थन किया लेकिन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने तुरंत ही सेना भेजकर हैदाराबाद को भारत सरकार के कब्जे में ले लिया .. और हैदराबाद स्टेट के प्रधानमत्री मीर लायक अली और MIM चीफ कासिम रिजवी को जेल में डाल दिया गया .. बाद में पाकिस्तानी दूतावास ने एक साजिश रचकर मीर लायक अली को जेल से हिजड़े के वेश में जेल में फरार करवाकर पाकिस्तान भेजवा दिया |
लेकिन MIM चीफ कासिम रिजवी 1948 से 1957 तक जेल में रहा फिर पाकिस्तान चले जाने की शर्त पर उसे रिहा करके कराची भेज दिया गया |
मित्रो, जब तक सरदार पटेल गृहमंत्री रहे तब तक उनके आदेश पर MIM पर 1948 से 1957 तक प्रतिबन्ध रहा . इसके सभी प्रमुख लोगो को जेल में डाल दिया गया था | लेकिन 1957 में जब जवाहर लाल नेहरु दूसरी बार भारत के प्रधानमन्त्री बने तो उन्होंने देश को बाटने वाली इस पार्टी MIM पर से प्रतिबन्ध उठा लिया | और इसे एक राजनितिक दल की मान्यता दे दी .. शायद जवाहर लाल में अंदर मौजूद गयासुद्दीन गाजी का खून इसके लिए जिम्मेदार था |
प्रतिबन्ध उठने के बाद हैदराबाद में मुसलमानों ने MIM का बैठक बुलाया और एक कट्टर मुस्लिम अब्दुल वाहिद ओबैसी जिसके उपर कई कई आपराधिक केस दर्ज थे उसे MIM का चीफ बनाया गया | फिर बाद में वाहिद का बेटा सुल्तान सलाहुद्दीन ओबैसी ने MIM की कमान सम्भाली .. सलाहुद्दीन ओबैसी और इंदिरा गाँधी में बहुत ही ज्यादा निकटता थी | इस निकटता के पीछे भी बहुत रोचक कहानी है | इंदिरा गाँधी ने सलाहुद्दीन ओबैसी को हर तरह से मदद दिया उसे खूब पैसा भी दिया गया मकसद एक ही था की किसी भी कीमत पर आंध्रप्रदेश में तेजी से लोकप्रिय नेता के तौर पर उभर रहे फिल्म अभिनेता एनटी रामाराव को रोका जाये |
एन टी रामा राव को रोकने के लिए इंदिरा गाँधी ने बहुत ही गंदा खेल खेला जिसकी कीमत देश आज भी चूका रहा है | इंदिरा गाँधी ने MIM से गठ्बन्धन करने उसे तीन लोकसभा और आठ विधानसभा सीट पर जीत दिलाकर एक बड़ी राजनितिक ताकत दे दी |
2008 में सुल्तान सलाहुद्दीन ओबैसी के मरने के बाद उसका बड़ा बेटा असद्दुदीन ओबैसी MIM का चीफ बना .. और मजे की बात ये है की आज भी इस देशद्रोही और गद्दार ओबैसी खानदान की गाँधी खानदान से दोस्ती बदस्तूर जारी है और आज दोनों ओबैसी भाई राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी के अच्छे दोस्तों में शुमार किये जाते है |
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