Monday 25 June 2012

आरटीआई के जबाब मे मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार नितीश कुमार ने सन २०१० की इफ्तार पार्टी पर सरकारी खजाने से साठ लाख रूपये खर्च किये थे |



कुल 5000 लोग आये थे |

कुल चालीस बकरे मुख्यमंत्री के सरकारी आवास मे काटे गए थे |

मित्रों, ये है धर्मनिरपेक्षता की असली परिभाषा | एक मुख्यमंत्री सरकारी खजाने से मुसलमानों को इफ्तार पार्टी दे सकता है तब भी वो धर्मनिरपेक्ष कहलाता है |

सरकारी खजाने से इफ्तार पार्टी की शुरुआत इस देश मे सबसे पहले इंदिरा गाँधी ने की थी | अपने वोट बैंक के लिए और मुसलमानों को खुश करने के लिए उन्होंने सरकारी खजाने से पहली बार अपने निवास तीन मूर्ति भवन मे भव्य इफ्तार पार्टी दिया था | जिसमे हर इस्लामिक देशो के राजदूत और कई मुल्लो को बुलाया गया था |
इंदिरा गाँधी के इस इफ्तार पार्टी की चर्चा पूरे देश मे कई महीनों तक चली | मुस्लिम भी बोटी चबाकर खुश हो रहे थे .. और इंदिरा गाँधी का ये फार्मूला हीट हो गया |

फिर तो उसके बाद जो मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्यपाल इफ्तार पार्टी न दे वो साम्प्रदायिक कहलाने लगा |

रामविलास पासवान, लालू यादव, मुलायम सिंह यादव, सी के जफर शरीफ, अब्दुल गनी खान चौधरी, आजम खान, जैसे हजारों लोगो ने सरकारी पैसे से भव्य इफ्तार पार्टी का आयोजन किया |

और हमारे उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी हर साल सरकारी पैसे से अपने सरकारी निवास मे भव्य इफ्तार पार्टी करते है |

मजे की बात ये है की आजतक किसी भी मुल्ले या मुफ्ती ने इस पर कोई फतवा जारी नही किया . क्योकि इफ्तार पार्टी इस्लाम के अनुसार गलत है |

कुरान के अनुसार गरीबो को खाना खिलाकर तब रोजा खोलना चाहिए .. लेकिन सरकारी इफ्तार पार्टी मे तो सिक्यूरिटी गार्ड गरीबो को बाहर से ही लात मारकर भगा देता है |
और इफ्तार मे खाने की बर्बादी नही होनी चाहिए लेकिन इन पार्टियो मे बेशुमार खाने की बर्बादी होती है | और इफ्तार पार्टी करने वाले को अपनी कमाई से करना चाहिए .. लेकिन आम जनता के टैक्स के पैसे से सरकारी इफ्तार हराम है |

लेकिन मुल्ले इन सरकारी इफ्तार पार्टियो मे जाते है और बकरे और मुर्गे की टांग चबाकर फिर दो तीन मंत्रियो के साथ फोटो खिचवाकर खुश हो जाते है |

लेकिन क्या इस भारत देश मे जहां ८०% हिंदू है सरकारी पैसे से होली या दिवाली की पार्टी हिन्दुओ के लिए हो सकती है ?

बिलकुल नही .. क्योकि ये साम्प्रदायिक पार्टी होगी | हिंदू तो घोर साम्प्रदायिक और दंगाई होते है ये मै नही सोनिया गाँधी का बनाया हुआ साम्प्रदायिक हिंसा निवारण बिल कहता है |

और अगर कोई हिदुओ के लिए होली या दिवाली की पार्टी दे भी तो सबसे पहले हम हिन्दुओ मे से ही कई गद्दार दलाल जयचंद की औलादे सुप्रीम कोर्ट मे रिट दाखिल कर देंगी .. की ये तो घोर साम्प्रदायिक है .. समाज को तोड़ने वाला है .. लोगो को भडकाने वाला है .आदि आदि |

और फिर शाम को कुछ कुत्ते और कुतियाए हर टीवी चैनेल पर छाती कूटते नजर आएँगी |

जागो हिन्दुओ जागो ... कब तक इन जयचंदों की औलादों के हाथो अपने भविष्य और मुस्तकबिल को बर्बाद करते रहोगे ? तुम्हारी आने वाली पीढ़ियों की हालात पाकिस्तान के हिन्दुओ से भी बदतर होने वाली है |


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