हमेशा मीडिया केन्द्र सरकार की चापलूसी क्यों करती है ?
अभी आप लोग देख ही रहे होंगे हर एक मीडिया चाहे वो प्रिंट मीडिया हों या टीवी सभी के सभी कांग्रेस और केंद्र सरकार के चमचे बन कर काम कर रहे है ..
...खासकर कांग्रेस ने चार प्रदेशों मे मीडिया मैनेजमेंट पर सभी हथकंडे जैसे साम ,दाम , दंड भेद . अपना रही है . ये प्रदेश है गुजरात , कर्णाटक , पंजाब , और यूपी ..
आइये पहले जाने की प्रिंट मीडिया केन्द्र सरकार की गुलाम क्यों बन जाती है
१- न्यूज़ प्रिंट पेपर का कोटा और बम्पर सब्सिडी :-
न्यूज़ प्रिंट पेपर [ अखबारी कागज ] कनाडा से इम्पोर्ट होता है . जो काफी खर्चीला होता है . लेकिन सरकार ने सभी प्रकाशन हॉउस को उनके सर्कुलेशन के हिसाब से एक कोटा देती है और काफी बम्पर सब्सिडी देती है ..
सारा खेल इसी सब्सिडी के लालच का ही होता है .. जायदातर अखबार वाले अपना सर्कुलेशन सरकार को झूठा बताकर अपना कोटा बढ़वा लेते है और सरप्लस पेपर को मार्केट मे मार्केट दामो पर बेच कर करोडो रूपये बिना हर्रे फिटकरी के कमा लेते है ..
इसलिए आज कांग्रेस ने उन सभी राज्यों खासकर गुजरात मे इसी खेल का सहारा लेकर कई अखबारों को अपना "मुखपत्र " बना दिया है ..
आज आप गुजरात के दो अखबार गुजरात समाचार और सन्देश पढ़ो तो ऐसा लगता है जैसे इसके संपादक खुद सोनिया गाँधी या अहमद पटेल है ..
दरअसल आज गुजरात कांग्रेस के लिए एक वाटरलू की लड़ाई बन गया है और कांग्रेस ये अच्छी तरह जानती है कि वो गुजरात मे ईमानदारी से कभी सत्ता मे नहीं आ सकती और इसलिए उसने मोदी सरकार के खिलाफ हर रोज एक अफवाह फ़ैलाने के लिए इस अखबारों का सहारा ले रही है ..
कल तक रोज यदुरप्पा के खिलाफ छापने वाला गुजरात समाचार आज तक कभी शीला दिछित के बारे मे एक बार भी नहीं छपा ..
और तो और हर रोज "नेटवर्क " मे गाँधी परिवार के चमचे गुनवंत शाह बे सिर पांव की बात लिखते है . जैसे उन्होंने १० अगस्त को लिखा है की सोनिया और राहुल गाँधी प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे मे लाने को तैयार थे लेकिन बीजेपी और शरद पवार ने सोनिया गाँधी को मना कर दिया .. क्या इस बकवास पर कोई भी इंसान विश्वास कर सकता है ?
२- सरकारी विज्ञापन : -
केंद्र सरकार अंपने एक बिभाग DAVP के द्वारा सभी मीडिया मे विघ्यापन देता है .. परन्तु इसके लिए कोई भी गाइडलाइन नहीं है ... केंद्र सरकार सिर्फ उन्ही अखबारों मे अपने अरबो रूपये के विज्ञापन देती है जो कांग्रेस की गुणगान करे .. गुजरात मे सबसे ज्यादा सरकारी एड गुजरात समाचार मे छपने का यही कारण है ..
३- सरकारी पुरस्कार और अलंकरण :-
सरकार अपने चमचे अखबारों के मालिक और संपादको को पद्म अलंकरण और कई पुरस्कार खैरात मे बंटती है .. गुजरात चुनावो मे कांग्रेस के लिए जी जान लगा देने के कारण ही चुनावो के तुरंत बाद गुजरात समाचार के मालिक शांति लाल शाह को पद्म श्री और कई अन्य पुरस्कारों से नवाजा गया .. गुनवंत शाह को भी प्रियंका गाँधी के बच्चो के पोतड़े बदलने के एवज मे कई पुरस्कार मिले है ..
कल तक राहुल गाँधी के भट्टा परसौल के बारे मे रोज छपने वाला गुजरात समाचार आज पुणे फायरिंग पर एकदम चूप क्यों है ?
किसी ने कहा था कि जब तोप निकलना हों नामाकुल तो एक अखबार निकालो ..लेकिन आज के अखबार सिर्फ अपना फयदा नुकसान मे ही रहते है .. उन्हें सच्चाई से कोई मतलब नहीं है सिर्फ उनकी जेबे भरनी चाहिए ..
[मै अपने अगले लेख मे ब्रोडकास्ट मीडिया के बारे मे लिखूंगा ..]
अभी आप लोग देख ही रहे होंगे हर एक मीडिया चाहे वो प्रिंट मीडिया हों या टीवी सभी के सभी कांग्रेस और केंद्र सरकार के चमचे बन कर काम कर रहे है ..
...खासकर कांग्रेस ने चार प्रदेशों मे मीडिया मैनेजमेंट पर सभी हथकंडे जैसे साम ,दाम , दंड भेद . अपना रही है . ये प्रदेश है गुजरात , कर्णाटक , पंजाब , और यूपी ..
आइये पहले जाने की प्रिंट मीडिया केन्द्र सरकार की गुलाम क्यों बन जाती है
१- न्यूज़ प्रिंट पेपर का कोटा और बम्पर सब्सिडी :-
न्यूज़ प्रिंट पेपर [ अखबारी कागज ] कनाडा से इम्पोर्ट होता है . जो काफी खर्चीला होता है . लेकिन सरकार ने सभी प्रकाशन हॉउस को उनके सर्कुलेशन के हिसाब से एक कोटा देती है और काफी बम्पर सब्सिडी देती है ..
सारा खेल इसी सब्सिडी के लालच का ही होता है .. जायदातर अखबार वाले अपना सर्कुलेशन सरकार को झूठा बताकर अपना कोटा बढ़वा लेते है और सरप्लस पेपर को मार्केट मे मार्केट दामो पर बेच कर करोडो रूपये बिना हर्रे फिटकरी के कमा लेते है ..
इसलिए आज कांग्रेस ने उन सभी राज्यों खासकर गुजरात मे इसी खेल का सहारा लेकर कई अखबारों को अपना "मुखपत्र " बना दिया है ..
आज आप गुजरात के दो अखबार गुजरात समाचार और सन्देश पढ़ो तो ऐसा लगता है जैसे इसके संपादक खुद सोनिया गाँधी या अहमद पटेल है ..
दरअसल आज गुजरात कांग्रेस के लिए एक वाटरलू की लड़ाई बन गया है और कांग्रेस ये अच्छी तरह जानती है कि वो गुजरात मे ईमानदारी से कभी सत्ता मे नहीं आ सकती और इसलिए उसने मोदी सरकार के खिलाफ हर रोज एक अफवाह फ़ैलाने के लिए इस अखबारों का सहारा ले रही है ..
कल तक रोज यदुरप्पा के खिलाफ छापने वाला गुजरात समाचार आज तक कभी शीला दिछित के बारे मे एक बार भी नहीं छपा ..
और तो और हर रोज "नेटवर्क " मे गाँधी परिवार के चमचे गुनवंत शाह बे सिर पांव की बात लिखते है . जैसे उन्होंने १० अगस्त को लिखा है की सोनिया और राहुल गाँधी प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे मे लाने को तैयार थे लेकिन बीजेपी और शरद पवार ने सोनिया गाँधी को मना कर दिया .. क्या इस बकवास पर कोई भी इंसान विश्वास कर सकता है ?
२- सरकारी विज्ञापन : -
केंद्र सरकार अंपने एक बिभाग DAVP के द्वारा सभी मीडिया मे विघ्यापन देता है .. परन्तु इसके लिए कोई भी गाइडलाइन नहीं है ... केंद्र सरकार सिर्फ उन्ही अखबारों मे अपने अरबो रूपये के विज्ञापन देती है जो कांग्रेस की गुणगान करे .. गुजरात मे सबसे ज्यादा सरकारी एड गुजरात समाचार मे छपने का यही कारण है ..
३- सरकारी पुरस्कार और अलंकरण :-
सरकार अपने चमचे अखबारों के मालिक और संपादको को पद्म अलंकरण और कई पुरस्कार खैरात मे बंटती है .. गुजरात चुनावो मे कांग्रेस के लिए जी जान लगा देने के कारण ही चुनावो के तुरंत बाद गुजरात समाचार के मालिक शांति लाल शाह को पद्म श्री और कई अन्य पुरस्कारों से नवाजा गया .. गुनवंत शाह को भी प्रियंका गाँधी के बच्चो के पोतड़े बदलने के एवज मे कई पुरस्कार मिले है ..
कल तक राहुल गाँधी के भट्टा परसौल के बारे मे रोज छपने वाला गुजरात समाचार आज पुणे फायरिंग पर एकदम चूप क्यों है ?
किसी ने कहा था कि जब तोप निकलना हों नामाकुल तो एक अखबार निकालो ..लेकिन आज के अखबार सिर्फ अपना फयदा नुकसान मे ही रहते है .. उन्हें सच्चाई से कोई मतलब नहीं है सिर्फ उनकी जेबे भरनी चाहिए ..
[मै अपने अगले लेख मे ब्रोडकास्ट मीडिया के बारे मे लिखूंगा ..]
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