Wednesday 9 November 2011

'अन्ना के अनशन पर अमेरिकी टिप्पणी में गलत क्या है' ???


'अन्ना के अनशन पर अमेरिकी टिप्पणी में गलत क्या है' ???


अभी जब अन्ना अपने आंदोलन को लेकर अडिग है तो पुरे विश्व की निगाहे इस आन्दोलन पर है .. लेकिन पूरा विश्व कही ना कही आशंकित है कि क्या कांग्रेस की बेशरम , कातिल और तानाशाह सरकार क्या एक बार फिर अपने बर्बरता और निर्दयता को दिखाकर पुरे विश्व मे भारत की एक शांतिपूर्ण छबि पर दाग लगायेगी ?

आज कांग्रेस के लिए रामलीला मैदान की हैवानियत और बर्बरता एक पिकनिक के मजे जैसा हों सकता है लेकिन इस तानाशाही और बर्बर हरकत से पूरी दुनिया के बुद्धिजीवी और मानवतावादी लोग आज भी सहमे हुए है .. आज कांग्रेस  सत्ता मे मद मे चूर होकर अपनी आँखे बंद कर ली है लेकिन वो भूल जाती है की इमरजेंसी के बाद इंदिरा गाँधी का क्या ह्र्स्र हुआ था .

अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नूलैंड ने वाशिंगटन डीसी में संवाददाताओं से कहा था कि वह लोकतांत्रिक भारत से उम्मीद करती है कि वह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनकारियों के खिलाफ संयम बरेगा।

नूलैंड ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा था, "जैसाकि आप जानते हैं, हम दुनिया भर में शांतिपूर्ण, अहिंसक विरोध प्रदर्शन के अधिकार का समर्थन करते हैं।"

उनके इस बयान पर चितंबर भड़क गए और बोले की अमेरिका अपनी हदों को पार कर रहा है ..

इसमें गलत क्या है ? आज सब जानते है कि कांग्रेस को इस देश की जनता से कोई मतलब नहीं है .. आज जनता महगाई से आत्महत्या करने लगी है लेकिन सरकार सत्ता मे मद मे चूर है .. ऐसे मे अगर कोई देश कांग्रेस को उसका राजधर्म याद दिलाता है तो इसमें बुरा क्या है ?

अगर सीरिया , मिश्र , फिजी आदि देशो के कुछ होता है तो भारत सरकार भी तो अपनी चिंता जाहिर करती है ..
और अगर रामलीला मैदान की हैवानियत पुरे विश्व ने नहीं देखा होता तो अमेरिका को अन्ना के आन्दोलन की चिंता नहीं होती ..


 यदि कोई देश अपने नागरिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तो किसी भी दूसरे  राष्ट्र का यह धर्म बनता है कि वह उसे टोके।

यदि दुनिया के दूसरे देश ये  महसूस करते हैं और देखते हैं कि भारत की  जनता को विरोध प्रदर्शन के मानवीय अधिकारों, लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, तो प्रत्येक देश को अधिकार और कर्तव्य बनता है कि वह उस देश की सरकार से कहे कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।"


कितनी शर्मनाक बात है कि आज दिल्ली मे कश्मीर के अलगाववादी भारत के दो टुकड़े करने के लिए आन्दोलन कर सकते है .. बेशर्म मोरचा निकला जा सकता है .. अहमदाबाद मे कांग्रेस के लोग गाँधीनगर तक मार्च कर सकते है.. अहमदाबाद मे  एन एस यू आई के गुंडे जी टी यू विश्वविद्यालय मे तोड़फोड़ करते हुए कुलपति को मार मार कर अधमरा कर सकते है ..
लेकिन दिल्ली मे आप भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ नहीं उठा सकते ..

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