Wednesday 2 May 2012

कांग्रेस की हार की वजह पर बनी एंटनी समिति की रिपोर्ट मे राहुल गाँधी को क्लीन चिट् --- बिल्ली के गले मे मरले चूहे कभी घंटी बाँधने की हिम्मत नही कर सकते |


मित्रों, यूपी चुनाव जो भोदू युवराज उर्फ राहुल गाँधी का एक ड्रीम प्रोजेक्ट था और जिसकी कमान पूरी तरह से राहुल गाँधी के हाथ मे थी |सारे प्रत्याशीयों का चयन खुद राहुल गाँधी ने ही किया था |

इतना ही नही चुनाव का घोषणापत्र से लेकर एजेंडा सब कुछ राहुल गाँधी ने ही तय कर रखा था | राहुल गाँधी अपने गुरु घंटाल दिग्विजय सिंह को एक आवारा कुत्ते की तरह इधर उधर भौकने के लिए छोड़ दिये थे . जो पूरे यूपी खासकर कांग्रेस के लिए मक्का मदीना से भी बढकर आज़मगढ मे जाकर राहुल गाँधी जो कुछ उनके द्वारा बुलवाना चाहते थे वही दिग्विजय सिंह ओरल डायरिया की शक्ल मे बोलते थे |

फिर भी जब राहुल गाँधी को लगा की कांग्रेस मुस्लिम वोट बैंक मे सेंध लगाने मे पिछड रही है तब उन्होंने अपने खास मुस्लिम चेहरे कानून मंत्री सलमान खुर्शीद को मैदान मे उतरा | सलमान खुर्शोद तो दिग्विजय सिंह के भी बाप निकले .. उन्होंने पूरे यूपी मे मुस्लिम आरक्षण की गंदी राजनीती शुरू कर दी .. फिर वो भी कांग्रेस के मक्का आज़मगढ़ जाकर कहने लगे की बाटला हॉउस एनकाउण्टर की खबर सुनकर सोनिया गाँधी छाती पीट पीट कर दहाडे मार मार रोने लगी |

लेकिन ये सब घटिया नौटंकी के निर्देशक और पटकथा लेखक राहुल गाँधी ही थे .. उन्ही के ईशारे पर ये सब साम्प्रदायिकता और धर्म के आधार पर कांग्रेस की गंदी और नीच बयानबाजी की जा रही थी | क्योकि अगर राहुल गाँधी या सोनिया गाँधी सलमान खुर्शीद और दिग्विजय सिंह के बयानों से असहमत होते तो कांग्रेस हाईकमान तुरंत ही इस पर कोई बयान जारी करती .

मित्रों, मुझे ही नही पूरे देश को एंटनी की रिपोर्ट पर आशचर्य हो रहा है | एंटनी ने कांग्रेस के हार के सबसे बड़े कारण राहुल गाँधी को क्लीन चिट् कैसे दे दी ?

चलो माना की कोई नौकर अपने मलिक का दोष नही निकाल सकता लेकिन कम से कम एंटनी जैसे व्यक्ति से पूरे देश को ये उम्मीद नही थी की एंटनी भी कांग्रेस के गटर मे सड़ते हुए एक प्राणी से ज्यादा कुछ नही है |

राहुल गाँधी ने अपने चुनाव प्रचार के पहले ही दिन फूलपुर मे यूपी वालो को भिखारी और लाचार कहा | फिर भट्टा परसौल मे जाकर घटिया नौटंकी करने लगे | फिर एक पीआर एजेन्सी के कहने पर और भी ज्यादा घटिया नौटंकी करने लगे | लिंटास नामक पीआर एजेन्सी राहुल गाँधी से कहती की दाढ़ी बढाकर कुर्ते की बांहों को उपर खीचकर और आँखों मे थोडा मिर्ची डालकर लाल करके और रात को सोने के पहले खूब सारा तम्बाकू गले मे भरकर आवाज को फाडकर पब्लिक के बीच मे जाकर नकली गुस्सा दिखाओ .. तो राहुल गाँधी ने ये भी किया | बेचारे राहुल गाँधी ने मीडिया को करोडो रूपये देकर अपनी हर एक सभा का प्रसारण करवाया . और यही मात खा गए मीडिया वालो को अपने इतना नजदीक बैठा लिया था की मंच पर जो कागज सपा का घोषणा पत्र बताकर फाड़ने लगे वो कैमरे मे फोकस मे पूरा साफ आ गया और बेचारे राहुल गाँधी की ये घटिया नौटंकी बेनकाब हो गयी |

मुझे समझ मे नही आ रहा है की जब एंटनी के हार के जितने भी कारण बताए उसके मूल मे तो राहुल गाँधी ही है फिर उन्होंने राहुल गाँधी को क्लीन चिट् क्यों दिया ?

१- एंटनी ने लिखा की खराब प्रत्याशीयों का चयन हार का कारण बना | यूपी मे सभी सीटों के लिए प्रत्याशियों का चयन तो राहुल गाँधी ने खुद ही किया था |

२- चुनाव प्रचार एकदम निम्न स्तर का रहा | यूपी का चुनाव प्रचार की कमान तो राहुल गाँधी ने खुद अपने हाथ मे ही ले रखी थी |

३- मुस्लिम आरक्षण और बाटला हॉउस को जोरशोर से उठाना भी हार का एक बड़ा करण बना | लेकिन एंटनी जी ये सब तो खुद सोनिया और राहुल के ईशारे पर ही हुआ |

४- नेताओ की घटिया बयानबाजी हार की एक वजह बनी | फिर उसी समय पार्टी ने उन नेताओ पर कोई करवाई क्यों नही की ? असल मे कांग्रेस का कोई नेता वो बोलने की हिम्मत कर ही नही सकता जो राहुल गाँधी या सोनिया गाँधी को अच्छा न लगे .. सारे नेता नकली गांधियो का मन टटोलकर ही बोलते है |

मित्रों, हलाकि ये कांग्रेस का अंदरूनी मामला है और कांग्रेस इस तरह के चमचे और तलवे चाटने वाले समितियों की झूठी रिपोर्टो को पढकर एक भ्रम मे जीती रहे वही हमारे लिए अच्छा है |

ब्रिस्टन चर्चिल ने कहा था की अगर दुश्मन चमचो से घिरा हो तो फिर जीत के लिए सोचने की ही जरूरत नही है क्योकि इतिहास मे उन सभी लोगो का पतन हो गया जो चमचो और चाटुकारों की झूठी प्रशंसा मे जीते रहे |

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