इससे ज्यादा इस श्वेतपत्र की कोई अहमियत नही है |
आखिर सरकार कालेधन रखने वालो का नाम क्यों नही सार्वजनिक करती ?
क्योकि पहला नाम राजीव गाँधी ,का है जिसमे ऑपरेटिंग पर्सन का नाम राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी लिखा है ..
दूसरा नाम राष्ट्रिय दामाद राबर्ट वढेरा का है |
मित्रों, ये सरकार इस देश से झूठ बोल रही है की ये एक ऐसे समझौते से बंधी है जिसमे ये स्विस सरकार के द्वारा दिये गए लिस्ट को सार्वजनिक नही कर सकती |
स्विस सरकार ने ऐसी ही लिस्ट अमेरिका, पाकिस्तान, फ्रांस , चीन, रूस और जर्मनी को भी दिए , लेकिन उन देशो ने तो अपनी लिस्ट सार्वजनिक कर दी .फिर भारत सरकार क्यों नही कर रही है ?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कालेधन के मामले पर राष्ट्रपति आसिफअली जरदारी को बचाने की कोशिश किये और नतीजा हमारे सामने है .. वो आज अदालत के चक्कर लगा रहे है ..
अगर सरकार ने ऐसे किसी एग्रीमेंट पर दस्तखत किये है तो वो एग्रीमेंट देश के सामने क्यों नही दिखाए जाते ?
चीन ने दस लोगो को स्विस बैंक मे गैरक़ानूनी ढंग से पैसे भेजने के आरोप मे फांसी दे दी .. और भारत सरकार उनका नाम भी जाहिर करने से डर रही है ?
सोचिये अगर किसी बीजेपी या दूसरे पार्टी के नेताओ का नाम होता तो क्या सरकार अब तक चूप रहती ? आखिर केन्द्र सरकार क्यों चूप है ? क्योकि सोनिया गाँधी, राजीव गाँधी के काले चेहरे इस देश के सामने बेनकाब हो जायेंगे |
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