Thursday, 3 May 2012

बालिकाओ के प्रिय "नेहरु अंकल" के कारनामे ..



१. नेहरु ने गांधीजी से जिद की थी के '' बापू प्रधानमंती तो है ही बनुगा ''...भले ही इस देश के हज़ार टुकड़े हो जाये ..और इस तरह से सरदार पटेल जैसे काबिल , योग्य और ईमानदार को दरकिनार करके इस मुत्सदी, लम्पट और चरित्रहीन और राजनीतिक रूप से अयोग्य नेहरु को प्रधानमंत्री बना दिया गया | 

जो कांग्रेस हमे लोकत्रंत की बात करके हमे मुर्ख बनाती है .. सोचिये जब नेहरु और सरदार पटेल मे प्रधानमंत्री के लिए वोटिंग हुई तब नेहरु को सिर्फ दो वोट मिले थे जिसमे एक उनके खुद के थे . और सरदार पटेल को कुल ३३ वोट मिले थे .फिर ये नेहरु गांधी जी के सामने अड् गया की कुछ भी हो मै ही प्रधानमंत्री बनूंगा .. और फिर नेहरु प्रधानमंत्री बन गया |

२. भारत को आजादी मिलते ही इस नेहरु ने १९५० तक अपने देश की सैन्य कमान इंग्लैंड के हाथो में सौप के राखी थी. 

३ इस नेहरु को यह भी नहीं मालुम था की जिस तर्ज पर देश आजाद हुआ है ..उसी तर्ज पर देश के ऊपर देश के ऊपर आक्रमण भी हो सकता है.....और इसी के चलते इसने सैन्य शक्ति नजर अंदाज़ किया और नतीजा १९४७ में कश्मीर में कबैलियो का हमला १९६२ पाकिस्तान और १९६५ में चीन द्वारा हमला... और भारत की बुरी तरह हार ..

४. चीन के साथ लड़ते समय हमरे जवानो के पास रक्षा हेलमेट , बर्फ पर चलने के लिए खास जूते , ठण्ड में पहने के लिए जाकेट, गोला बारूद या कोई भी अत्याधुनिक हथियार नहीं था..........और सबसे दुखद बात यह है की कश्मीर में हमारे जवानो के पास लड़ने के लिए पुराने ज़माने की अंग्रेजो वाली घोडा छाप बंदूके थी......जो हिमालयकी -५ डिग्री तापमान में जम गयी और एन मौके पे उसमे से एक भी गोली नहीं निकल पायी ..और इस मोके का फायदा उठाकर चीन के सैन्य ने एक एक जवान को चुन चुन के मारा और इसमें हमरे जान माल की बहुत उची किमात चुकानी पड़ी......और भारत में कश्मीर का बहुत बड़ा हिस्सा चीन के हाथो में चला गया....

५. और एक मजे के बात है........इस नेहरु को '' शांति '' बहुत प्रिय थी . इसे हमेशा "शांति " चाहिए थी ....और आये दिन वोह विश्व में शांतिदूत बनने के स्वप्न भी देखा करता था...और जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तब ये '' shanti ( दूत ) अफ्रीका के दौरे पर थे और दुसरे की समस्या ये सुलझा रहे थे....अपने घर में आग लगी थी और ये चले थे गांव का मामला निपटने ....

६. इस नेहरु ने समाजवाद का मॉडल अपनाया था और इसका मानना था की सरकार कभी मुनाफा नहीं कमा सकती इस लिए उसने सभी रास्ट्रीय उद्योगों को बाबुशाही के हवाले कर दिया था ..और .नतीजा हम आज भी भुगत रहे है......जो सरकारी कंपनी बाबु लोगो के चलते घटा करती है ..वाही कम्पनी या निजी बनाने के बाद जबरदस्त मुनाफा कमाती है.....नतीजा आपको माल्लुम है.....तात्पर्य यह है की उसकी मूर्खो भरी नीतियों के कारन एक नया अध्याय पैदा हुआ लैसंस राज का...जिसमे निजी कंपनी ओ को उसने कसके लगाम लगा लगी थी और उसने देश क वाही १० वि सदी में धकेल दिया था...सीमेंट , लोहा और अन्य उप्यौगी वास्तु ओ में भी इस नेहरु ने ''कोटा सिस्टम '' दाल के रखा था जिसका नतीजा था काला बाजारी और भ्रष्टाचार........ आप अपने बुजर्गो से कभी पूछियेगा इस कांग्रेस ने इस देश मे सीमेंट खरीदने के लिए भी सरकारी परमिट अनिवार्य कर दिया था |

आज की इसी कांग्रेस की सरकार नेहरु के आर्थिक नीतियो की सबसे बड़ी दुश्मन है ..

7.और एक गलती सुनिए.....अंग्रेज बड़े होसियार थे....और दूरदर्शी भी...उन्होंने अपने कर्नल मेक्मेहून को चीन भेजा चीन से युद्ध करने के लिए.....और चीन का एक बड़ा प्रदेश जो के तिबेट के नाम से जाना जाता है...वोह जित लिया....और बदले में चीन से लिखवा लिया की तिबेट भारत की अंग्रेज सरकार के नियन्त्रण में रहेगा.......
ताकि तिबेट भारत और चीन के बिच में बफर स्टेट का काम करेगा और चीन कभी भी भारत के ऊपर आक्रमण करने की कोशिश नहीं करेगा.........और वोह लाइन आज भी मेक्मेहून लाइन के नाम से जानी जाती है....

पर इस नेहरु ने वोह भी हिंदी -चीनी भाई भाई के नाते चीन के हवाले कर दिया............और नतीजा हम आज भी भुगत रहे है और कल भी भुगतेंगे,,,,,,,

८- इस नेहरु के समय मे चीन का राष्ट्रपति चाऊ एन लाइ भारत के दौरे पर आया था ..इसने उसकी खूब खातिरदारी की .. उसके सामने इसने भारतीय लड़कियों से कई नाच करवाए ..
फिर ये नेहरु उसे कानपूर मे भारत की उस समय की सबसे बड़ी आर्डिनेंस फैक्ट्री जिसे अंग्रेजो ने बनाया था वहाँ ले गया और चाऊ एन लाइ ये देखकर चौक गया की हथियारों की फैक्ट्री मे जुट के बोरे और जूते बन रहे है .. जब चाऊ एन लाइ ने इस बाबत नेहरु से पूछा तो उसने कहा कि मै शांति का पुजारी हूँ ..मुझे हथियारों और गोला बारूद से सख्त नफरत है और भारत के उपर न कोई देश आक्रमण करेगा और न ही भारत किसी देश के उपर आक्रमण करेगा तो फिर हमे गोला बारूद की क्या जरूरत है ..

मित्रों , फिर चाऊ एन लाइ अपना आगे का दौरा रद्द करके तुरंत चीन वापस चला गया ..उसे मालूम हो चूका था की नेहरु ने भारत की सेना को अंदर से एकदम खोखला और कमजोर कर दिया है ..

सोचिये मित्रों ,, इन सब सच्चाइयो के बाद भी आज कांग्रेस हमारे बच्चो की किताबो मे इस नेहरु के बारे मे पढाती है ...

आगे अभी और भी है इस '' बालिकाओ के priya chaha नेहरु के कारनामे.....

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