उमा भारती जी ने क्या गलत कहा ? "मै निर्मल बाबा जैसे ढोंगी का समर्थन नही करती लेकिन मीडिया को हिंदुत्व के साथ साथ दूसरे धर्मो के ढोंगियो को भी बेनकाब करना चाहिए | पॉल दिनाकरन जो पांच हज़ार करोड का साम्राज रखे है और बकायदा समागम करते है उस पर भी मीडिया को दिखाना चाहिए "
उमा भारती जी का वही बयान आजतक और इंडिया टीवी पर पूरा दिखाया गया .. उन्होंने साफ साफ कहा की वो निर्मल बाबा का सर्मथन नही करती और ऐसे ढोंगी बाबा को बेनकाब करना चाहिए लेकिन सिर्फ हिंदू धर्म के ढोंगियो को ही नही बल्कि दूसरे धर्मो के ढोंगियो पर भी मीडिया को कोई कार्यक्रम दिखाना चाहिए जैसे दक्षिण भारत के ईसाई पॉल दिनाकरन पर मीडिया का ध्यान क्यों नही जाता ?
ये पॉल दिनाकरन तो खानदानी रूप से पिछले ४० साल से निर्मल बाबा की तरह सभा करता है और ३७५० रूपये एंट्री फ़ीस लेता है और साथ ही दसवन्द भी लेता है .. ये किसी अंधे को आंख और किसी भी पोलियोग्रस्त को पैर देने का दावा करता है ..
आज इसने पांच हज़ार करोड की सम्पति बना ली है .. और खुद का दो चैनल भी चलता है |
इतना ही नही सोनिया गाँधी के आदेश से इसके दोनों चैनेलों को टैक्स मे खास रियायत मिलती है |
मित्रों इस बयान मे साफ साफ है की उमा जी ने निर्मल का कोई समर्थन नही किया .
लेकिन भारत की कुत्ती और नीच मीडिया मे से कुछ जैसे स्टार न्यूज़ और न्यूज़ एक्सप्रेस जैसे चैनेल मैडम से हड्डी मिलने की आस मे पूरे दिन इस खबर को जानबूझकर तोड़ मरोडकर दिखाते रहे ..
मैंने कल उमा भारती जी से फोन पर इस बारे मे बात भी की थी .उन्होंने कहा की भारत की मीडिया नीच हो चुकी है वो दिल्ली पहुंचकर उनके बयान को आधा और अपने तरफ से मनमर्जी ढंग से दिखाने पर इन दोनों चैनेलों को लीगल नोटिस भेजेंगी .
मित्रों, ये एकदम सच है की मीडिया सिर्फ हिंदू धर्म से जुड़े लोगो के बयानों को ही खूब तोड़मरोड़कर कर पेश करती है |
तीन दिन पहले जामा मस्जिद का इमाम बुखारी ने कहा की भारत देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे पद का मुसलमानों के लिए कोई महत्व नहीं है है ये दोनों पद एकदम नाकारा और महत्वहीन है क्योकि इन पदों पर कोई कट्टर मुसलमान नही बैठता ..मुसलमान के लिए इन पदों का तभी महत्व है जब इन पदों पर कोई कट्टर सुन्नी मुसलमान बैठेगा ..
सोचिये , हमारे सम्विधान का इतना बड़ा मजाक इस मौलाना ने किया लेकिन किसी भी मीडिया ने इसे नही दिखाया .मै चैनेल बदल रहा था तब मेरी नजर ई टीवी गुजराती के नीचे चल रही पट्टी पर पड़ी तब मैंने जाना |
लेकिन यही मीडिया बाबा रामदेव या बीजेपी के कोई नेता कुछ कहते है तब सुपारी लेकर उसे अपने तरफ से काट छाँट कर पूरे दिन पेचिश करती है ..
मित्रों, आपको जानकारी के लिए बता दूँ की स्टार न्यूज़ चैनेल का कोंटेंट हेड और चीफ एडिटर एक कट्टर मुस्लिम है जिसका नाम शाजी जमां है .. यही डिसाइड करता है की चैनल पर क्या दिखाना है कैसे दिखाना है और क्या जोड़ तोड़ कर दिखाना है |
ये शाजी जमां हिंदुत्व से घोर नफरत करता है ये आपको स्टार न्यूज़ देखकर ही पता चल जाता होगा | असल मे स्टार न्यूज़ जो ग्लोबल एक कट्टर ईसाई ग्रुप द्वारा संचालित होता है उसे भारत के ऐसे लोग चाहिए थे जो हिंदुत्व से घृणा करते हो .इसलिए उसने शाजी जमां जैसे नीच और कमीने इंसान को चैनेल के संचालन की जिम्मेदारी दी |
आज जब पूरे देश मे मीडिया की आज़ादी को लेकर बहस छिड़ रही है तब ये मीडिया वाले कहते है की हम खुद ही अपनी जबाबदेही तय करेंगे ..
वाह !! जैसे कोई सूअर तय करेगा की उसे किस गटर मे लोटना है कितनी देर तक लोटना है ..जैसे कोई कुत्ता खुद तय करेगा की उसे किसकी फेकी हुयी बोटी चबानी है किसके आगे दूम हिलाना है ..
मित्रों, भारत सरकार के प्रसारण एक्ट के तहत कोई भी अखबार या चैनेल किसी के भी बयान को अपनी तरफ से जोड़ तोड़ कर नही दिखा सकता और न ही किसी के अधूरे बयान को अपनी मर्जी से जोड़ कर पूरा कर सकता है .. किसी भी मीडिया को किसी के बयान का अपने शब्दों मे अर्थ निकलना गलत है .. ये नीच मीडिया दूसरे को सारा दिन नैतिकता का पाठ पढाती है लेकिन खुद कब नैतिकता को समझेगी ?
ब्रिटन केएक पूर्व प्राइम मिनीस्टर ने एक ज़माने में बीबीसी के बारे में ये कहा था की अगर आज बीबीसी मेरी मौतकी खबर प्रसारीत कर दे, उसके बाद मैं खुद शहरमें घुमने निकलूँ फिर भी लोग मानेंगे नहीं की मैं जीन्दा हुं! ये थी मिडीया की ताकत और विश्वसनियता. ...लेकिन ईसी ताकत का गलत इस्तमाल होने लगे तो? मिडीया अगर अपना फर्झ, जो हमेशा लोगो तक सच्चाई पहुचाना और जो कुछ भी है उसको वैसाही जनताको दिखाना ये भूल के और अपनी ताकत तो हथियार बनाके जो वो खुद जनताको दिखाना चाहता है तो दिखाना शुरू कर दे तो फिर मिडीया की पवित्रता खतम हो जाती है और वो भस्मासूर बन जाता है.
कुछ समय पहले तक लोगों की मज़बुरी थी की उनके पास खबरोंके लिये सीर्फ रेडियो, अखबार और टेलीविझन था, ये तीनो माध्यमकी सबसे बडी कमज़ोरी ये है की उनके उपर हमेशा से किसी न किसी का नियंत्रण रहा है, और वो हमेशा अपने आकाओ के ईशारे पर ही चलता है, सोश्यल मिडीयाके आने के बाद ये बात खुल के सामने आ गई है की टीवी और अखबार जो खुछ भी दिखाते है उस खबर का स्वरूप उसी तरह का होता है जो उनके आकाओ को पसंद हो, परिणाम स्वरूप, जनताकी आवाज़ या सोच का महत्व उसमें रसोईमें जीतना नमक होता है उतना ही रह जाता है.
उमा भारती जी का वही बयान आजतक और इंडिया टीवी पर पूरा दिखाया गया .. उन्होंने साफ साफ कहा की वो निर्मल बाबा का सर्मथन नही करती और ऐसे ढोंगी बाबा को बेनकाब करना चाहिए लेकिन सिर्फ हिंदू धर्म के ढोंगियो को ही नही बल्कि दूसरे धर्मो के ढोंगियो पर भी मीडिया को कोई कार्यक्रम दिखाना चाहिए जैसे दक्षिण भारत के ईसाई पॉल दिनाकरन पर मीडिया का ध्यान क्यों नही जाता ?
ये पॉल दिनाकरन तो खानदानी रूप से पिछले ४० साल से निर्मल बाबा की तरह सभा करता है और ३७५० रूपये एंट्री फ़ीस लेता है और साथ ही दसवन्द भी लेता है .. ये किसी अंधे को आंख और किसी भी पोलियोग्रस्त को पैर देने का दावा करता है ..
आज इसने पांच हज़ार करोड की सम्पति बना ली है .. और खुद का दो चैनल भी चलता है |
इतना ही नही सोनिया गाँधी के आदेश से इसके दोनों चैनेलों को टैक्स मे खास रियायत मिलती है |
मित्रों इस बयान मे साफ साफ है की उमा जी ने निर्मल का कोई समर्थन नही किया .
लेकिन भारत की कुत्ती और नीच मीडिया मे से कुछ जैसे स्टार न्यूज़ और न्यूज़ एक्सप्रेस जैसे चैनेल मैडम से हड्डी मिलने की आस मे पूरे दिन इस खबर को जानबूझकर तोड़ मरोडकर दिखाते रहे ..
मैंने कल उमा भारती जी से फोन पर इस बारे मे बात भी की थी .उन्होंने कहा की भारत की मीडिया नीच हो चुकी है वो दिल्ली पहुंचकर उनके बयान को आधा और अपने तरफ से मनमर्जी ढंग से दिखाने पर इन दोनों चैनेलों को लीगल नोटिस भेजेंगी .
मित्रों, ये एकदम सच है की मीडिया सिर्फ हिंदू धर्म से जुड़े लोगो के बयानों को ही खूब तोड़मरोड़कर कर पेश करती है |
तीन दिन पहले जामा मस्जिद का इमाम बुखारी ने कहा की भारत देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे पद का मुसलमानों के लिए कोई महत्व नहीं है है ये दोनों पद एकदम नाकारा और महत्वहीन है क्योकि इन पदों पर कोई कट्टर मुसलमान नही बैठता ..मुसलमान के लिए इन पदों का तभी महत्व है जब इन पदों पर कोई कट्टर सुन्नी मुसलमान बैठेगा ..
सोचिये , हमारे सम्विधान का इतना बड़ा मजाक इस मौलाना ने किया लेकिन किसी भी मीडिया ने इसे नही दिखाया .मै चैनेल बदल रहा था तब मेरी नजर ई टीवी गुजराती के नीचे चल रही पट्टी पर पड़ी तब मैंने जाना |
लेकिन यही मीडिया बाबा रामदेव या बीजेपी के कोई नेता कुछ कहते है तब सुपारी लेकर उसे अपने तरफ से काट छाँट कर पूरे दिन पेचिश करती है ..
मित्रों, आपको जानकारी के लिए बता दूँ की स्टार न्यूज़ चैनेल का कोंटेंट हेड और चीफ एडिटर एक कट्टर मुस्लिम है जिसका नाम शाजी जमां है .. यही डिसाइड करता है की चैनल पर क्या दिखाना है कैसे दिखाना है और क्या जोड़ तोड़ कर दिखाना है |
ये शाजी जमां हिंदुत्व से घोर नफरत करता है ये आपको स्टार न्यूज़ देखकर ही पता चल जाता होगा | असल मे स्टार न्यूज़ जो ग्लोबल एक कट्टर ईसाई ग्रुप द्वारा संचालित होता है उसे भारत के ऐसे लोग चाहिए थे जो हिंदुत्व से घृणा करते हो .इसलिए उसने शाजी जमां जैसे नीच और कमीने इंसान को चैनेल के संचालन की जिम्मेदारी दी |
आज जब पूरे देश मे मीडिया की आज़ादी को लेकर बहस छिड़ रही है तब ये मीडिया वाले कहते है की हम खुद ही अपनी जबाबदेही तय करेंगे ..
वाह !! जैसे कोई सूअर तय करेगा की उसे किस गटर मे लोटना है कितनी देर तक लोटना है ..जैसे कोई कुत्ता खुद तय करेगा की उसे किसकी फेकी हुयी बोटी चबानी है किसके आगे दूम हिलाना है ..
मित्रों, भारत सरकार के प्रसारण एक्ट के तहत कोई भी अखबार या चैनेल किसी के भी बयान को अपनी तरफ से जोड़ तोड़ कर नही दिखा सकता और न ही किसी के अधूरे बयान को अपनी मर्जी से जोड़ कर पूरा कर सकता है .. किसी भी मीडिया को किसी के बयान का अपने शब्दों मे अर्थ निकलना गलत है .. ये नीच मीडिया दूसरे को सारा दिन नैतिकता का पाठ पढाती है लेकिन खुद कब नैतिकता को समझेगी ?
ब्रिटन केएक पूर्व प्राइम मिनीस्टर ने एक ज़माने में बीबीसी के बारे में ये कहा था की अगर आज बीबीसी मेरी मौतकी खबर प्रसारीत कर दे, उसके बाद मैं खुद शहरमें घुमने निकलूँ फिर भी लोग मानेंगे नहीं की मैं जीन्दा हुं! ये थी मिडीया की ताकत और विश्वसनियता. ...लेकिन ईसी ताकत का गलत इस्तमाल होने लगे तो? मिडीया अगर अपना फर्झ, जो हमेशा लोगो तक सच्चाई पहुचाना और जो कुछ भी है उसको वैसाही जनताको दिखाना ये भूल के और अपनी ताकत तो हथियार बनाके जो वो खुद जनताको दिखाना चाहता है तो दिखाना शुरू कर दे तो फिर मिडीया की पवित्रता खतम हो जाती है और वो भस्मासूर बन जाता है.
कुछ समय पहले तक लोगों की मज़बुरी थी की उनके पास खबरोंके लिये सीर्फ रेडियो, अखबार और टेलीविझन था, ये तीनो माध्यमकी सबसे बडी कमज़ोरी ये है की उनके उपर हमेशा से किसी न किसी का नियंत्रण रहा है, और वो हमेशा अपने आकाओ के ईशारे पर ही चलता है, सोश्यल मिडीयाके आने के बाद ये बात खुल के सामने आ गई है की टीवी और अखबार जो खुछ भी दिखाते है उस खबर का स्वरूप उसी तरह का होता है जो उनके आकाओ को पसंद हो, परिणाम स्वरूप, जनताकी आवाज़ या सोच का महत्व उसमें रसोईमें जीतना नमक होता है उतना ही रह जाता है.
2 comments:
midiya ilaaj hona sb se jroori hai
ye sab media wale hindo k piche padhe rehte hai, jab PAK. KA FLAG INDIA K SHREENAGAR KI LAL CHOWK PAR FAIRAYA JATA HAI TO IN MEDIA WALO KO DIKHAYI NAHE DETA,
YE SALE KHATE HINDUSTAN KA HAI OR GAATE PAKISTAN KA
NIKALO SALO KO DESH SE BAHAR
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