Saturday 26 May 2012

कुछ मुर्ख कांग्रेसी अपने वाल पर संजय जोशी के इस्थिपे को लेकर अपनी छाती कूट रहे है ... इन मूर्खो और इटली की मालकिन के पालतू कुत्तों को क्या सीताराम केसरी याद है की नहीं ?


देखिये इस तस्वीर को जब सोनिया गाँधी से त्रस्त होकर सीताराम केसरी अपने से उम्र के कई साल छोटे नरसिम्हा राव के कदमो मे झुकना पड़ा था ..फिर भी नरसिम्हा राव उन्हें सोनिया के कहर से नही बचा सके |


मित्रों, सीताराम केसरी जब पांच साल के थे तब चम्पारण मे महात्मा गाँधी के सत्यग्रह से प्रभावित होकर कांग्रेसी बन गए .. हलाकि वो दलित थे और दूसरे दलित नेता उनको समझते थे की नीच कांग्रेस कभी दलितो को बड़े पद पर असिन नही होने देगी .. बाबू जगजीवन राम का इस नीच कांग्रेस ने क्या हाल किया वो पूरी दुनिया ने देखा |

बेचारे सीताराम केसरी बिहार से ट्रेन के जनरल डिब्बे मे बैठकर दिल्ली नेहरु से मिलने आते थे . फिर बाद मे उन्हें कांग्रेस का कोषाध्यक्ष बनाया गया | उन्होंने अपने काम को इतनी ईमानदारी से निभाया की उनके बारे मे कहा जाने लगा " न खाता न बही .. जो केसरी कहे वही सही "

फिर जब राजीव गाँधी की हत्या के बाद सोनिया गाँधी ने राजनीती मे न आने की कसम खायी और बयान दिया कि अपने बच्चों के हाथ मे भीख का कटोरा पकड़ा दूंगी लेकिन मै और मेरे बच्चो को कभी राजनीती मे नही आने दूंगी | तो नरसिम्हा राव ने सीताराम केसरी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया | सीताराम केसरी पहले दलित थे जो कांग्रेस के अध्यक्ष बने | कांग्रेस के सम्विधान के अनुसार अध्यक्ष का कार्यकाल पांच साल का होता है |

लेकिन मित्रों, जिस खानदान को खून पीने की आदत हो उस खानदान के ड्रेकुला और पिचास बिना खून पिए आखिर कब तक चैन से बैठ सकते है ?

जो सोनिया कहती थी कि वो अपने बच्चो के हाथ मे कटोरा दे देंगी लेकिन राजनीती मे नही आएँगी .. सिर्फ दो साल के बाद ही उनके अंदर राजनीती मे आने की चूल मचने लगी .. असल मे जब जब वो स्विस बैंक का अकाउंट देखती थी तो सोचती थी ये कम हो रहा है और इसे भरने के लिए इस देश को लूटना ही पडेगा |

फिर उन्होंने कहा की को अब कांग्रेस का अध्यक्ष बनेंगी .. इस पर सीताराम केसरी ने कहा की मैडम मेरा कार्यकाल तो पूरा हो जाने दीजिए अभी तीन साल बचे है लेकिन इस कांग्रेस ने एक कर्मठ, दलित सीताराम केसरी को बुरी तरह बेइज्जत करके लात मारकर बाहर फेक दिया |

सीताराम केसरी को इस्थीपा देने के लिए दो दिन का टाइम मैडम ने दिया जब उन्होंने नही दिया तो मैडम सोनिया ने कांग्रेस कार्यकारिणी की आपात बैठक बुलाकर सीताराम केसरी को अध्यक्ष पद से बर्खास्त करवा दिया |

उस समय टीवी पर पूरे देश ने एक बुजुर्ग दलित जो ८० साल से कांग्रेस की सेवा किया उसे फूट फूट कर रोते देखा . और उन्होंने कहा कि काश वो बाबा साहब अम्बेडकर की बात मान लेते कि कांग्रेस न अभी दलितो की हितैषी है न कभी थी और न कभी रहेगी |

मित्रों जब सीताराम केसरी का निधन हुआ तो सोनिया तो दूर कोई बही कांग्रेसी उनको श्रद्धांजलि देने तक नही गया |

आज जहां जहा राजीव गाँधी पेशाब तक किये है वहाँ वहाँ कांग्रेस ने स्मारक बनवा दिया लेकिन आज पूरे देश के किसी भी कांग्रेस दफ्तर मे कांग्रेस के पहले दलित अध्यक्ष सीताराम केसरी का फोटो तक नही है |

इतना ही नही सोनिया गाँधी को इस बात का किस कदर गुस्सा था कि आखिर इसने मेरा आदेश क्यों नही माना  .. सोनिया गाँधी ने सीताराम केसरी के बच्चो को कही का नही छोड़ा .. उनके सामान सरकारी आवास से फेक दिये गए ..चुकी सीताराम केसरी पूरी जिंदगी ईमानदार रहे इसलिए बेचारे दिल्ली मे एक कमरे का फ़्लैट तक नही खरीद सके ..

आज उनके बच्चे बिहार मे गुमनामी के काले अँधेरे मे खो गए |

मित्रों, इस देश की नीच और  भांड मीडिया मैडम से बोटी मिलने की आस मे कभी ये सब नही बताएगी | लेकिन जो जो कुछ इस देश मे घटा है उसे सोनिया चाह कर भी बदल नही सकती

1 comment:

Rajput said...

कांग्रेस में आज कल 'राजा,कलमाड़ी , कनिमोझी ' की ईमानदारी का दबदबा है