Saturday 14 July 2012

अरे कमीनों मीडिया वालो .. अब तो शर्म करो .. बाबू सिंह कुशवाहा के कांग्रेस के शामिल होने पर अपनी छाती कुटने वालो .. मीडिया के कुत्तों आज सीपी सिंह के कांग्रेस मे शामिल होने पर और फिर उतरांखंड के निवासी न होने पर भी उत्तराखंड मे राज्यमंत्री का दर्जा दिये जाने पर चूप क्यों हो ? मीडिया वालो एक वेश्या भी तोड़ी बहुत शर्म रखती है लेकिन तुमसब तो वेश्या से भी गए गुजरे हो ..



मित्रों, उ.प्र. राजकीय निर्माण निगम के पूर्व एमडी सीपी सिंह ने उ.प्र. में हजारों करोड़ रुपये का गोलमाल किया। सूबे में सरकार बदलते ही निर्माण निगम के खिलाफ आधा दर्जन एफ.आई.आर. दर्ज करवा दी गयी और लखनऊ के एस.एस.पी. ने रीजनल पासपोर्ट आफीसर को उनका पासपोर्ट जब्त करने का आदेश कर दिया। सपा सरकार उनके विरूद्ध सीबीआई जांच की सोच ही रही थी कि उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने उन्हें अवस्थापना आयोग के सलाहकार के पद पर तैनात करके राज्समंत्री का दर्जा दिलवा दिया। उनके मीडिया मैनेजमेंट का कमाल ही था कि कहीं किसी चैनल या अखबार में एक भी खबर नहीं छपी।

सूत्रों से पता चला है कि काग्रेस ने एनडीटीवी, एवीपी न्यूज़, आईबीएन सहित सभी मीडिया को उनके औकात के हिसाब से दो करोड से लेकर बीस लाख तक दिये है ताकि ये खबर मीडिया मे चलने न पाए ..

कौन है सीपी सिंह :-

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सीपी सिंह के पास पांच खरब रूपये की संपत्ति है .. इनका रुसूख दो दो प्रदेशो यूपी से लेकर उतराखण्ड तक मे फैला है |

बसपा सरकार में आने के बाद निर्माण निगम के प्रबन्ध निदेशक पद पर सीपी सिंह की तैनाती हुई। तैनाती होते ही सीपी सिंह ने अपने ऐसे हुनर दिखाना शुरू कर दिये कि मुख्यमंत्री मायावती उन पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गयीं। निर्माण निगम में हजारों करोड़ रुपये के कामों का अंबार लग गया। निर्माण निगम के मामूली कर्मचारी भी रातों-रात करोड़पति बन गये। सीपी सिंह की हैसियत का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस समय मायावती के घर जाने की हिम्मत बसपा के धुरंधरों की भी नहीं थी उसी समय सीपी सिंह बेधड़क मुख्यमंत्री निवास जाया करते थे।

सीपी सिंह का रूतबा इतना बढ़ गया था कि कई विधायक और बडे़ माफिया भी सार्वजनिक रूप से इस अदने से इंजीनियर का पैर छुआ करते थे। सीपी सिंह जिसके सिर पर हाथ रख देते थे वह रातों रात करोड़पति बन जाता था। बताया जाता है कि सीपी सिंह की हैसियत बीते पांच सालों में पांच हजार करोड़ से अधिक की हो गयी थी। निजी सुरक्षा गार्डों की टीम उनके साथ चला करती थी। यूं तो वैसे भी उनके विरुद्घ बोलने की हिम्मत किसी में नहीं थी, मगर कोई ऐसा करने की जुर्रत करता भी तो उसे शांत करने के कई नुस्खे सीपी सिंह के पास थे। इसमें पैसे के प्रलोभन से लेकर धमकाना तक सब शामिल था। यही कारण रहा कि सीपी सिंह का शासन निर्बाध रूप से चलता रहा। इस बीच सीपी सिंह का सेवाकाल भी समाप्त हो गया मगर इन्हें लगातार सेवा विस्तार दिया जाता रहा। इस दौर में लखनऊ ही नहीं पूरे प्रदेश के सभी बडे़ कामों का ठेका निर्माण निगम के पास रहता था और स्वाभाविक रूप से यह काम करने का जिम्मा उसी ठेकेदार का रहता था जिस पर सीपी सिंह मेहरबान होते थे।

सड़कों पर फटेहाल घूमने वाले लोग रातों-रात करोड़पति हो गये। लखनऊ के बहुचर्चित अंबेडकर पार्क का निर्माण हो या फिर कांशीराम स्मारक का। प्रदेश में अस्पताल बनने हों या जेल। माया का दुलारा यह अफसर ही तय करता था कि काम कौन और किस क्वालिटी का करेगा। जाहिर है जब लागत से सौ गुना अधिक दर पर इस्टीमेट बनेगा तो पैसा भी उसी गति से आयेगा। लखनऊ के अम्बेडकर पार्क और कांशीराम पार्क का निर्माण निगम की इसी धांधली का गवाह है कि जहां सात लाख का हाथी अड़तालीस लाख में खरीदा गया। यहां लाइटें ब्राजील से मंगवायी गयी। हकीकत यह थी कि इन लाइटों पर नाम सिर्फ ब्राजील का था बाकी सारा निर्माण भारत में ही हुआ था। मायावती के दोनों दुलारे जानते थे कि अगर सत्ता परिवर्तन हो गया तो उनकी मुसीबत हो जायेगी। लिहाजा दोनों अपना-अपना सुरक्षित ठिकाना ढूंढने में लगे थे। टी राम ने तो राजनीति की राह पकड़ी और बसपा के टिकट पर विधानसभा पहुंच गये। मगर सीपी सिंह को अपनी दौलत का बहुत गुरूर था। उन्हें लगता था कि पैसे के दम पर सब मैनेज किया जा सकता है।

मगर सूबे में अखिलेश सरकार के बनने के बाद निर्माण निगम के दिन खराब होने शुरू हुए। पुलिस ने निर्माण निगम में धांधली की आधी दर्जन से अधिक एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस को शक था कि निर्माण विभाग में धांधली की आधी दर्जन से अधिक एफआईआर की जांच में खुद के फंसने के डर से सीपी सिंह विदेश भाग सकते हैं। लखनऊ पुलिस ने रीजनल पासपोर्ट ऑफीसर को पत्र लिखकर सीपी सिंह का पासपोर्ट जब्त करने को कहा। समाजवादी पार्टी के नेता चाहते थे कि इस मामले की सीबीआई जांच करवा दी जाए जिससे सीपी सिंह के साथ-साथ बसपा को भी घेरा जा सके। सीपी सिंह जानते थे कि अगर इस मामले की सीबीआई जांच हो गई तो उन्हें जेल जाने से कोई नहीं रोक सकता। लिहाजा उनके गुर्गे इस बात के लिए लग गये कि चाहे कितना भी पैसा खर्च हो जाये मगर सीपी सिंह को कांग्रेस का संरक्षण मिल जाये। सूत्रों का कहना है कि यूपी के एक बडे़ नेता को पचास करोड़ की रकम इस बाबत उपलब्ध भी करा दी गयी और शेष आधी रकम को मनचाही तैनाती या कांग्रेस में उचित स्थान पर मिलने के बाद देने का वायदा
कर दिया गया।

यह कवायद रंग भी लायी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने इस दागी अफसर को उत्तराखंड में तैनात करने में तनिक भी देर नहीं लगाया। सीपी सिंह को अवस्थापना विकास सलाहकार के पद पर तैनात करके उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा भी दे दिया गया। सरकार जानती थी कि जो शख्स उत्तर प्रदेश में हजारों करोड़ कमा सकता है वो उत्तराखंड में भी कमाई के भरपूर साधन उपलब्ध करा सकता हैं। मगर सरकार को सपने में भी अनुमान नहीं था कि एक दागी अधिकारी की तैनाती तूफान खड़ा कर देगी। मुख्यमंत्री के खिलाफ सितारगंज से चुनाव लड़ रहे प्रकाश पंत ने कहा कि जिस तरह से भ्रष्टाचार के नये-नये हथकंडे अपनाकर विजय बहुगुणा ने अपनी सरकार बचायी है उसी तरह भ्रष्ट अधिकारियों को उत्तराखंड में तैनात करके वह भ्रष्टाचार के नये-नये रास्ते खोज रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विशन सिंह चौफाल ने कहा कि उत्तराखंड की सरकार भ्रष्टाचार की ही बुनियाद पर खड़ी है। अवस्थापना सलाहकार जैसे महत्वपूर्ण पद पर इतने भ्रष्ट अधिकारी की तैनाती शर्मनाक है। हम इसके विरोध में सड़क से लेकर विधानसभा तक संघर्ष करेंगे। ऐसे किसी भी भ्रष्ट सलहाकार का हम हर स्तर पर विरोध करेंगे।


 सीपी सिंह दो सौ करोड रूपये देकर कांग्रेस मे शामिल हुए :-

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सीपी सिंह ने कांग्रेस मे शामिल होने और अपने खिलाफ सीबीआई जाँच रोकने और उत्तराखंड मे राज्यमंत्री का दर्जा पाने के लिए कुल दो सौ करोड रूपये विजय बहुगुणा को दिये |

सारा लेन देन लखनऊ मे विजय बहुगुणा की बहन रीता बहुगुणा के द्वारा हुआ ...

और इतना ही नही इसमें से बहुगुणा खानदान को सिर्फ पचास करोड मिले बाकी के एक सौ पचास करोड रूपये सोनिया गाँधी को दिये गए ..

अब देश की जनता को समझ से आ गया की आखिर सोनिया ने जमीनी नेता हरीश रावत को छोडकर यूपी से बुलाकर विजय बहुगुणा को उत्तराखंड की जनता पर क्यों थोप दिया |


मीडिया दोगलापन रुख क्यों अपना रही है :--

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मित्रों, आजकल कांग्रेस मीडिया मैनेजमेंट पर हर महीने दो सौ करोड रूपये खर्च कर रही है .. अभी जब कांग्रेस ने अपनी एक साल की कमाई जो 1690 करोड रूपये सरकार को बताई .. लेकिन अपने खर्च सार्वजनिक नही किये ..

चाहे राहुल गाँधी बलात्कार केस हो, अभिसेक्स मनु सेक्स कांड हो , या सोनिया ने भारत के बजाय अमेरिका मे ईलाज करवाने का मसला हो, कांग्रेस अच्छी तरह जानती है की जब कुत्ते भूखे होते है तभी भौकते है .इसलिए कांग्रेस इन मीडिया के कुत्तों का पेट पहले ही भर देती है ताकि ये भौकने के बजाय चुपचाप बोटी चबाने मे लगे रहे |

1 comment:

Gulshan Chawla said...

सब भेड़िये मिलकर देश को नोच रहे है !
विपक्ष अपना बचा खुचा विश्वास / समर्थन भी खो देगा ! .....