Sunday 22 July 2012

कौन है वो नीच गद्दार क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद को धोखे से मरवाने वाला ........? वो दूसरा कोई नही बल्कि जवाहर लाल नेहरु है ..



मित्रों, चंद्रशेखर आज़ाद की मौत से जुडी फ़ाइल आज भी लखनऊ के सीआइडी ऑफिस १- गोखले मार्ग मे रखी है .. उस फ़ाइल को नेहरु ने सार्वजनिक करने से मना कर दिया .. इतना ही नही नेहरु ने यूपी के प्रथम मुख्यमंत्री गोविन्द बल्लभ पन्त को उस फ़ाइल को नष्ट करने का आदेश दिया था .. लेकिन चूँकि पन्त जी खुद एक महान क्रांतिकारी रहे थे इसलिए उन्होंने नेहरु को झूठी सुचना दी की उस फ़ाइल को नष्ट कर दिया गया है ..

क्या है उस फ़ाइल मे ?
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उस फ़ाइल मे इलाहबाद के तत्कालीन पुलिस सुपरिटेंडेंट मिस्टर नॉट वावर के बयान दर्ज है जिसने अगुवाई मे ही पुलिस ने अल्फ्रेड पार्क मे बैठे आजाद को घेर लिया था और एक भीषण गोलीबारी के बाद आज़ाद शहीद हुए |

नॉट वावर ने अपने बयान मे कहा है कि " मै खाना खा रहा था तभी नेहरु का एक संदेशवाहक आया उसने कहा कि नेहरु जी ने एक संदेश दिया है कि आपका शिकार अल्फ्रेड पार्क मे है और तीन बजे तक रहेगा .. मै कुछ समझा नही फिर मैं तुरंत आनंद भवन भागा और नेहरु ने बताया कि अभी आज़ाद अपने साथियो के साथ आया था वो रूस भागने के लिए बारह सौ  रूपये मांग रहा था मैंने उसे अल्फ्रेड पार्क मे बैठने को कहा है "

फिर मै बिना देरी किये पुलिस बल लेकर अल्फ्रेड पार्क को चारो ओर घेर लिया और आजाद को आत्मसमर्पण करने को कहा लेकिन उसने अपना माउजर निकालकर हमारे एक इंस्पेक्टर को मार दिया फिर मैंने भी गोली चलाने का हुकम दिया .. पांच गोली से आजाद ने हमारे पांच लोगो को मारा फिर छठी गोली अपने कनपटी पर मार दी |"

आजाद नेहरु से मिलने क्यों गए थे ?
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इसके दो कारण है

१- भगत सिंह की फांसी की सजा माफ़ करवाना
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महान क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद जिनके नाम से ही अंग्रेज अफसरों की पेंट गीली हो जाती थी, उन्हें मरवाने में किसका हाथ था ?  27 फरवरी 1931 को क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद की मौत हुयी थी । इस दिन सुबह आजाद नेहरु से आनंद भवन में उनसे भगत सिंह की फांसी की सजा को उम्र केद में बदलवाने के लिए मिलने गये थे, क्यों की वायसराय लार्ड इरविन से नेहरु के अच्छे ''सम्बन्ध'' थे, पर नेहरु ने आजाद की बात नही मानी,दोनों में आपस में तीखी बहस हुयी, और नेहरु ने तुरंत आजाद को आनंद भवन से निकल जाने को कहा । आनंद भवन से निकल कर आजाद सीधे अपनी साइकिल से अल्फ्रेड पार्क गये । इसी पार्क में नाट बाबर के साथ मुठभेड़ में वो शहीद हुए थे ।अब आप अंदाजा लगा लीजिये की उनकी मुखबरी किसने की ? आजाद के लाहोर में होने की जानकारी सिर्फ नेहरु को थी । अंग्रेजो को उनके बारे में जानकारी किसने दी ? जिसे अंग्रेज शासन इतने सालो तक पकड़ नही सका,तलाश नही सका था, उसे अंग्रेजो ने 40 मिनट में तलाश कर, अल्फ्रेड पार्क में घेर लिया । वो भी पूरी पुलिस फ़ोर्स और तेयारी के साथ ?
अब आप ही सोच ले की गद्दार कोन  हें ?

२- लड़ाई को आगे जारी रखने के लिए रूस जाकर स्टालिन की मदद लेने की योजना
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मित्रों, आज़ाद पहले कानपूर गणेश शंकर विद्यार्थी जी के पास गए फिर वहाँ तय हुआ की स्टालिन की मदद ली जाये क्योकि स्टालिन ने खुद ही आजाद को रूस बुलाया था . सभी साथियो को रूस जाने के लिए बारह सौ  रूपये की जरूरत थी .जो उनके पास नही था इसलिए आजाद ने प्रस्ताव रखा कि क्यों न नेहरु से पैसे माँगा जाये .लेकिन इस प्रस्ताव का सभी ने विरोध किया और कहा कि नेहरु तो अंग्रेजो का दलाल है लेकिन  आजाद ने कहा कुछ भी हो आखिर उसके सीने मे भी तो एक भारतीय दिल है वो मना नही करेगा |

फिर आज़ाद अकेले ही कानपूर से इलाहबाद रवाना हो गए और आनंद भवन गए उनको सामने देखकर नेहरु चौक उठा |

आजाद ने उसे बताया कि हम सब स्टालिन के पास रूस जाना चाहते है क्योकि उन्होंने हमे बुलाया है और मदद करने का प्रस्ताव भेजा है .पहले तो नेहरु काफी गुस्सा हुआ फिर तुरंत ही मान गया और कहा कि तुम अल्फ्रेड पार्क बैठो मेरा आदमी तीन बजे तुम्हे वहाँ ही पैसे दे देगा |

मित्रों, फिर आपलोग सोचो कि कौन वो गद्दार है जिसने आज़ाद की मुखबिरी की थी ?








1 comment:

Unknown said...

neharu aur uska pura khandan agrejo ka dalla tha ye bat bharat ki puri janta janti hai lekin bolti nahi karan:-

1)- congress ke alawa dusra vikalp ka abhaw

2)- gandhi ki jid ki pradhanmantri neharu hi banega, isiliye neta ji Subhash Chandra bosh ko desh nikala dila diya taki koi roda na rahe

3)- sabse aham karan ki aazadi ke bad desh me eise netao ka akal(rashtrawadi netao ) hona jo gandhi ya neharu ke khilaf bol sake q ki eik eik karke aise sare netao ko ya to khatm kara diya gaya tha ya fir desh nikala dila diya gaya tha, le de ke bache the sardar ballabh bhai patel,rajendra prasad congress me aur Dr.shyama prasad mukharji RSS me so Rajendra babu ko rastrapati bana diya taki wo khatm, aur patel ji ho gaye akele, fir bhi unase jo ban pada kiya jaise neharu ko najarband karake haidrabad ya J&K ka mamla `lekin gandhi w neharu ne milke sabka khatma kar diya tha so akele wo kya karate .............
Dr. shyama prasad mukharji ji jab tak the tab tak apane tarko ke dam pe neharu ko pareshan kiye rahe aur unake tarko ka koi jabab neharu ke pass nahi hota aur anttah neharu ko mil gaya mauka jab S.P.Mukharji chale kashmir jhanda fahrane tab unako jail me dal ke marwa diya,
ab sab raste clear the jo thoda bahut aawaz uthane wale the wo bhi shant ho ke baith gaye aur neharu pariwar apni manmani karta gaya aur ab tak kar raha hai
lekin wo kahate hai na ki bhagwan ke ghar der hai lekin andher nahi, ab neharu pariwar me le de bache hai aaul gandhi aur samne aa rahe hai apne Narendra Modi ji dekhate hai 2014 kya dikhata hai ...........

JAI MODI RAJ KI !!