Sunday 11 March 2012

आखिर कांग्रेस गुजरात मे हुए 1969 के भयानक मुस्लिम विरोधी दंगो पर क्यों खामोश है ?

आखिर कांग्रेस गुजरात मे हुए 1969 के भयानक मुस्लिम विरोधी दंगो पर क्यों खामोश है ?

मित्रों , देश के बटवारे के बाद अब तक हुए सबसे भयानक दंगे १९६९ मे गुजरात मे हुए थे . जो अहमदाबाद से शुरू होकर पूरे गुजरात मे फ़ैल गया था और पूरे चार महीने तक होता रहा ..

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उस समय गुजरात मे कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री थे हितेंद्र भाई देसाई ..

उस दंगे मे पुलिस दंगाईओ के साथ मिलकर मुसलमानों का खुलेआम कत्लेआम मचा रही थी ..

आज जो कांग्रेस मोदी जी के उपर आरोप लगाती है कि मोदी ने तीन दिनों तक केन्द्र सरकार से सेना नहीं बुलाई .. मित्रों उस समय पूरे एक महीने तक कांग्रेस ने सेना नहीं बुलाई थी ..
चूँकि उस समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नहीं थी और गुजरात मे सिर्फ दो अखबार छपते थे सन्देश और गुजरात समाचार जिनके मलिक कांग्रेसी ही थे ..

उस समय बीबीसी का एक पत्रकार ने टिप्पड़ी किया था कि अगर भारत मे मुसलमानों को वोट देने का अधिकार नही होता तो शायद आज भारत मे सबसे बड़ी हिन्दुवादी पार्टी कांग्रेस होती .. और कांग्रेस पूरे भारत से मुसलमानों को बंगाल की खाड़ी मे फेकवा देती ..

सरकारी आकडो मे इस १९६९ के दंगो मे कुल ३८३२ लोग मरे थे जिसमे ३६७८ तो मुसलमान थे .
आज तक किसी भी दंगाई को एक दिन भी जेल मे नहीं रहना पड़ा ..

इसी समय महात्मा गाँधी के सहयोगी रहे और सीमांत गाँधी के नाम से मशहूर खान अब्दुल गफ्फार खान पोरबंदर आये हुए थे और उनके उपर भी दंगाई ने हमले करने की कोशिस किया था . वो पूरे दस दिनों तक पोरबंदर मे फसे रहे .उन्होंने कई बार इंदिरा गाँधी और दूसरे बड़े नेताओ से मदद के लिए गुहार लगाई लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी . फिर उनके भाई ने जब पाकिस्तान सरकार से खान साहब को बचाने की अपील की और पाकिस्तान ने जब भारत पर दबाव डाला तक उनको वायुसेना के विमान से पोरबंदर से दिल्ली लाया गया ..

उन्होंने पाकिस्तान वापस जाते समय दिल्ली मे राजघाट मे रखी अथिति पुस्तिका मे लिखा " जो मैंने कांग्रेस सरकार के द्वारा गुजरात मे किये गए कत्लेआम को अपनी आँखों से देखा है मेरे विचार से अब कांग्रेस को महात्मा गाँधी का नाम इस्तेमाल नहीं करना चाहिए "

बाद मे जब सरकार ने गुजरात की कांग्रेस पार्टी द्वारा मुसलमानों के कत्लेआम की जाँच के लिए एक कमेटी बनाई जिसके अध्यक्ष थे जस्टिस नसरवन जी वकील उन्होंने इस कत्लेआम के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री हितेंद्र भाई को दोषी माना और उनके उपर कड़ी करवाई करने की सिपारिश की .लेकिन इंदिरा गाँधी ने इस सिपारिश को मानने से ही इंकार कर दिया .

इस कमेटी के एक सदस्य ने तो यहाँ तक लिखा था "the govt. has issued lisencses to police to kill the muslims ".

मित्रों फिर ये नीच कांग्रेसी अपना पाप क्यों भूल जाते है ?
मोदी जी ने तीसरे दिन गुजरात को सेना के हवाले कर दिया था . और तीसरे ही दिन केन्द्र सरकार ने के पी एस गिल को गुजरात का विशेष डीजीपी नियुक्त कर दिया और उन्हें राज्य सरकार से पुलिस पर नियत्रंण का अधिकार लेकर सौप दिया गया ..
फिर भी लोग मोदी जी को कैसे दोष दे सकते है

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