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मित्रों , कितनी शर्म की बात है कि हमारे पडोशी चीन और पाकिस्तान अपनी सेना को मजबूत करते जा रहे है और भारतीय सीमा से स्टे नए नए एअरपोर्ट और बंकर बनाते जा रहे है और वही दूसरी तरफ भारत का सेना प्रमुख कोर्ट कचहरी के चक्कर काट रहा है ..
मित्रों भारत के इतिहास मे १६ जनवरी २०१२ का दिन एक कलंकित दिन के रूप मे याद किया जायेगा जब इतिहास मे पहली बार किसी सेना प्रमुख को सरकार अपने निजी स्वार्थ के लिए इस देश की सुरक्षा की जगह अदालतों का चक्कर काटने पर मजबूर कर रही है ..
क्या है सेना प्रमुख का उम्र विवाद ?
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सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के स्कूल से लेकर युनिवर्सिटी , पासपोर्ट , ड्राइविंग लाइसेन्स, सेना के आई कार्ड , उनके सर्विस रिकार्ड , प्रोमोशन दस्तावेज , यानी सभी जगह उनकी जन्मतिथि 10 मई 1951 दर्ज है लेकिन एनडीए के फार्म मे क्लर्क ने गलती से 1950 लिख दिया था .फिर जब वो सेना मे लेफ्टिनेंट बने तब उनके पिताजी जो खुद उस समय कर्नल थे और बाद मे जनरल बने उन्होंने कागजात प्रस्तुत करके और हलफनामा देकर क्लर्क की इस गलती को सुधरवा दिया ..
यहाँ तक कि वीके सिंह ने सेना मे अब तक जितने भी प्रोमोशन और प्रशस्ति पत्र पाए है उन सब पर उनकी जन्मतिथि 10 मई 1951 ही दर्ज है . सेना के एक आरटीआई के जबाब मे खुलासा भी किया है कि उनकी जन्मतिथि सेना के रिकार्ड मे 10 मई 1951 ही है .
फिर विवाद की असली वजह क्या है ?
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असल मे वीके सिंह ने सेना से सम्बन्धित दो बड़े घोटालों की जाँच की -- सुकना जमीन घोटाला और कारगिल शहीदों के परिजनों के नाम पर बने आदर्श सोसाइटी घोटाला .
इन दोनों घोटालों मे असली दोषियो को बचाने के लिए वीके सिंह पर केन्द्र सरकार का जबरदस्त दबाव था . क्योकि आदर्श सोसाइटी घोटाले मे महाराष्ट्र के सभी बड़े कांग्रेसी नेता और कई केन्द्रीय मंत्री और राबर्ट वढेरा तक का नाम सामने आने लगा . सुशील कुमार शिंदे , [जो आज बेशर्मी से एक राज्य के राज्यपाल है और महामहिम बने है , ] अशोक चौह्वण विलास राव देशमुख [ये भी बेशर्मी से केन्द्रीय केबिनेट मंत्री बने हुए है ] शरद पवार [ इनको बेशर्म कहना बेशर्म शब्द का अपमान होगा ]
और खुद भारत के “राष्ट्रिय दामाद “ यानी राबर्ट वढेरा कभी इस घोटाले मे फसते नजर आये ..
लेकिन क़ुरबानी सिर्फ अशोक चौह्वाण की ही दी गयी और बाकी सब अपने पद पर डटे रहे .
वीके सिंह ने इस घोटाले की जाँच बड़ी ही निष्पक्षता और ईमानदारी से की हलांकि उनके उपर कांग्रेस पार्टी और केंद्र सरकार का बहुत बड़ा दबाव था कि २ जी घोटाले की भठ्ठी मे जल रही सरकार को वीके सिंह एक और भठ्ठी मे ना फेंके , लेकिन वीके सिंह ने केंद्र सरकार के दबाव के आगे झुकने से मना कर दिया .
फिर सुकना जमीन घोटाला सामने आया जिसने बंगाल के कुछ कांग्रेस नेता सेना के दो अधिकारियों अवधेश प्रताप सिंह और अशोक रथ के साथ मिलकर सेना की जमीन पर एक पब्लिक स्कूल और एक रिजोर्ट बनाने की प्लानिंग की .लेकिन एक निजी चैनल ने इस घोटाले का भंडाफोड़ कर दिया .
इसमे भी वीके सिंह ने दो लेफ्टिनेंट जनरल का कोर्ट मार्शल करवाया और कांग्रेस से जुड़े एक बड़े उद्योगपति को जेल भिजवाया .
कांग्रेस का इतिहास है बदला लेने के लिए कुछ भी कर दे
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मित्रों जैसे पहले बाबा रामदेव सरकार और कांग्रेस के लिए बहुत अच्छे थे सारे कांग्रेसी उनके योग शिविरों मे जाने के लिए बेताब रहते थे कांग्रेसी उनके गुण गाते थे .लेकिन जैसे ही बाबा रामदेव ने काले धन और भ्रष्टाचार की बहस इस देश मे छेड़ दी उसका नतीजा है आज बाबा रामदेव को सरकार और कांग्रेस दाउद इब्राहीम से भी बड़ा खतरा मानती है ..केंद्र सरकार ने अपनी सारी १० बड़ी जाँच एजेंसियों को उनके अपने सारे काम से हटाकर सिर्फ बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के पीछे लगा दिया .
ठीक ऐसे ही सरकार ने सोनिया गाँधी के आदेश से जनरल वीके सिंह की पूरी जन्मकुंडली खंगालने को कहा ..सीबीआई से लेकर आईबी तक उनके पैतृक गांव, उनकी प्रापर्टी , उनके सारे इन्वेस्टमेंट , उनके सारे आयकर रिर्टन , उनके सारे दस्तावेज खंगालने लगे .
फिर जब उनको कुछ भी नही मिला तब कांग्रेस ने कोर्ट मार्शल के द्वारा पांच साल सजा प्राप्त अवधेश प्रताप सिंह से जेल मे संपर्क किया जो सेना के गुप्तचर कोर मे रह चुके है .उन्होंने बताया की वी के सिंह के एनडीए मे दाखिले के समय भरे फार्म मे क्लर्क से एक गलती हुई है जिसके आधार पर कुछ मामला मिल सकता है ..
आखिर कांग्रेस और सरकार जनरल वीके सिंह को एक साल पहले रिटायर क्यों करना चाहती है ?
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असल मे आदर्श घोटाले मे अभी कई नाम और खुलने बाकी है और सेना को अभी बोम्बे हाई कोर्ट मे कई दस्तावेज देने है जिसमे कांग्रेस के जमाई राबर्ट वढेरा भी लपेटे मे आ सकते है इसलिए सरकार उन्हें एक साल पहले ही जबरजस्ती रिटायर करना चाहती है
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मित्रों , कितनी शर्म की बात है कि हमारे पडोशी चीन और पाकिस्तान अपनी सेना को मजबूत करते जा रहे है और भारतीय सीमा से स्टे नए नए एअरपोर्ट और बंकर बनाते जा रहे है और वही दूसरी तरफ भारत का सेना प्रमुख कोर्ट कचहरी के चक्कर काट रहा है ..
मित्रों भारत के इतिहास मे १६ जनवरी २०१२ का दिन एक कलंकित दिन के रूप मे याद किया जायेगा जब इतिहास मे पहली बार किसी सेना प्रमुख को सरकार अपने निजी स्वार्थ के लिए इस देश की सुरक्षा की जगह अदालतों का चक्कर काटने पर मजबूर कर रही है ..
क्या है सेना प्रमुख का उम्र विवाद ?
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सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के स्कूल से लेकर युनिवर्सिटी , पासपोर्ट , ड्राइविंग लाइसेन्स, सेना के आई कार्ड , उनके सर्विस रिकार्ड , प्रोमोशन दस्तावेज , यानी सभी जगह उनकी जन्मतिथि 10 मई 1951 दर्ज है लेकिन एनडीए के फार्म मे क्लर्क ने गलती से 1950 लिख दिया था .फिर जब वो सेना मे लेफ्टिनेंट बने तब उनके पिताजी जो खुद उस समय कर्नल थे और बाद मे जनरल बने उन्होंने कागजात प्रस्तुत करके और हलफनामा देकर क्लर्क की इस गलती को सुधरवा दिया ..
यहाँ तक कि वीके सिंह ने सेना मे अब तक जितने भी प्रोमोशन और प्रशस्ति पत्र पाए है उन सब पर उनकी जन्मतिथि 10 मई 1951 ही दर्ज है . सेना के एक आरटीआई के जबाब मे खुलासा भी किया है कि उनकी जन्मतिथि सेना के रिकार्ड मे 10 मई 1951 ही है .
फिर विवाद की असली वजह क्या है ?
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असल मे वीके सिंह ने सेना से सम्बन्धित दो बड़े घोटालों की जाँच की -- सुकना जमीन घोटाला और कारगिल शहीदों के परिजनों के नाम पर बने आदर्श सोसाइटी घोटाला .
इन दोनों घोटालों मे असली दोषियो को बचाने के लिए वीके सिंह पर केन्द्र सरकार का जबरदस्त दबाव था . क्योकि आदर्श सोसाइटी घोटाले मे महाराष्ट्र के सभी बड़े कांग्रेसी नेता और कई केन्द्रीय मंत्री और राबर्ट वढेरा तक का नाम सामने आने लगा . सुशील कुमार शिंदे , [जो आज बेशर्मी से एक राज्य के राज्यपाल है और महामहिम बने है , ] अशोक चौह्वण विलास राव देशमुख [ये भी बेशर्मी से केन्द्रीय केबिनेट मंत्री बने हुए है ] शरद पवार [ इनको बेशर्म कहना बेशर्म शब्द का अपमान होगा ]
और खुद भारत के “राष्ट्रिय दामाद “ यानी राबर्ट वढेरा कभी इस घोटाले मे फसते नजर आये ..
लेकिन क़ुरबानी सिर्फ अशोक चौह्वाण की ही दी गयी और बाकी सब अपने पद पर डटे रहे .
वीके सिंह ने इस घोटाले की जाँच बड़ी ही निष्पक्षता और ईमानदारी से की हलांकि उनके उपर कांग्रेस पार्टी और केंद्र सरकार का बहुत बड़ा दबाव था कि २ जी घोटाले की भठ्ठी मे जल रही सरकार को वीके सिंह एक और भठ्ठी मे ना फेंके , लेकिन वीके सिंह ने केंद्र सरकार के दबाव के आगे झुकने से मना कर दिया .
फिर सुकना जमीन घोटाला सामने आया जिसने बंगाल के कुछ कांग्रेस नेता सेना के दो अधिकारियों अवधेश प्रताप सिंह और अशोक रथ के साथ मिलकर सेना की जमीन पर एक पब्लिक स्कूल और एक रिजोर्ट बनाने की प्लानिंग की .लेकिन एक निजी चैनल ने इस घोटाले का भंडाफोड़ कर दिया .
इसमे भी वीके सिंह ने दो लेफ्टिनेंट जनरल का कोर्ट मार्शल करवाया और कांग्रेस से जुड़े एक बड़े उद्योगपति को जेल भिजवाया .
कांग्रेस का इतिहास है बदला लेने के लिए कुछ भी कर दे
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मित्रों जैसे पहले बाबा रामदेव सरकार और कांग्रेस के लिए बहुत अच्छे थे सारे कांग्रेसी उनके योग शिविरों मे जाने के लिए बेताब रहते थे कांग्रेसी उनके गुण गाते थे .लेकिन जैसे ही बाबा रामदेव ने काले धन और भ्रष्टाचार की बहस इस देश मे छेड़ दी उसका नतीजा है आज बाबा रामदेव को सरकार और कांग्रेस दाउद इब्राहीम से भी बड़ा खतरा मानती है ..केंद्र सरकार ने अपनी सारी १० बड़ी जाँच एजेंसियों को उनके अपने सारे काम से हटाकर सिर्फ बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के पीछे लगा दिया .
ठीक ऐसे ही सरकार ने सोनिया गाँधी के आदेश से जनरल वीके सिंह की पूरी जन्मकुंडली खंगालने को कहा ..सीबीआई से लेकर आईबी तक उनके पैतृक गांव, उनकी प्रापर्टी , उनके सारे इन्वेस्टमेंट , उनके सारे आयकर रिर्टन , उनके सारे दस्तावेज खंगालने लगे .
फिर जब उनको कुछ भी नही मिला तब कांग्रेस ने कोर्ट मार्शल के द्वारा पांच साल सजा प्राप्त अवधेश प्रताप सिंह से जेल मे संपर्क किया जो सेना के गुप्तचर कोर मे रह चुके है .उन्होंने बताया की वी के सिंह के एनडीए मे दाखिले के समय भरे फार्म मे क्लर्क से एक गलती हुई है जिसके आधार पर कुछ मामला मिल सकता है ..
आखिर कांग्रेस और सरकार जनरल वीके सिंह को एक साल पहले रिटायर क्यों करना चाहती है ?
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असल मे आदर्श घोटाले मे अभी कई नाम और खुलने बाकी है और सेना को अभी बोम्बे हाई कोर्ट मे कई दस्तावेज देने है जिसमे कांग्रेस के जमाई राबर्ट वढेरा भी लपेटे मे आ सकते है इसलिए सरकार उन्हें एक साल पहले ही जबरजस्ती रिटायर करना चाहती है
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