Saturday 17 March 2012

कांग्रेस करे तो लीला ... दूसरे करे तो पाप ?

क्या उद्योगों को जमीन सिर्फ गुजरात मे ही दी जाती है ?

मित्रों , गुजरात के आर्थिक विकास से कांग्रेस किस कदर कोमा मे चली गयी है कि जब उसे उसका असली चेहरा दिखा दिया जाये तो उनकी बोलती बंद हों जाती है |

एक कहावत है कि " चाय से ज्यादा गर्म केतली होती है " | कुछ यही हाल गुजरात कांग्रेस के नेताओ का है | गुजरात कांग्रेस के नेता कई बार कुछ ऐसी हरकते करते है जिससे खुद उनके हाईकमांड से लात खानी पडती है |

दो दिन पहले विधानसभा मे अर्जुन मोधवाडिया ने राज्य सरकार से गुजरात मे कुछ उद्योगों जैसे टाटा , पियुजो , डेमलर , जीएम , ह्युंडई, मारुति को दी गयी जमीनों के कीमतों और जन्त्री कर के बारे मे सवाल पूछा था |

लेकिन जब गुजरात की जमीन महसूल मंत्री आनंदी बेन पटेल ने अर्जुन भाई को जबाब दिया फिर तो उनकी बोलती ही बंद हों गयी ..

गुजरात मे उद्योगों को दी जाने वाली जमीनों के बारे मे मंत्री जी का विधानसभा मे जबाब
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आखिर कांग्रेस गुजरात की जनता को मुर्ख क्यों समझ रही है ? महाराष्ट्र मे यदि कांग्रेस सरकार पुणे और चिंचवाड़ मे उद्योगों को जमीन देती है तो गुजरात सरकार कम पैसे लेकर भी राज्य मे रोजगार बढाने के लिए क्या उद्योगों को जमीन नही दे सकती ?

असल मे अर्जुन भाई का सवाल पांच दिन पहले विधानसभा अध्यक्ष के पास गया था .जिसके जबाब के लिए राज्य सरकार ने जबरदस्त तैयारी के साथ उनका जबाब दिया ..

गुजरात सरकार ने केरल सरकार , महाराष्ट्र सरकार , हरियाणा और तमिलनाडु सरकार से उनके राज्य मे उद्योगों को दी गयी जमीनों का ब्यौरा और उन राज्यों मे उद्योग के लिए जमीन आवंटन की नीति का पूरा ब्योरा आरटीआई से मंगा लिया | और खुद गुजरात मे जब कांग्रेस की सरकार थी तब कांग्रेस ने उद्योगों को किस भाव मे जमीन दी थी उसके भी सारे कागजात मंगा लिए |

और जब मंत्री जी ने अर्जुन भाई से कहा कि आप ये सारे कागजात एक बार पढ़ लीजिए ..

१- हरियाणा की कांग्रेस सरकार सोनिया गाँधी परिवार के तीन ट्रस्टो को जिसमे सिर्फ तीन लोग सोनिया , राहुल और प्रियंका ही ट्रस्टी है पांच सौ एकड जमीन मुफ्त मे दी | इसका खुलासा आईबीऍन ७ ने भी कुछ महीने पहले किया था |

२- गुजरात मे जब कांग्रेस सरकार थी तब अंकलेश्वर से वापी के बीच एक इण्डस्ट्रीज ज़ोन बनाया गया था . इस ज़ोन मे हर कम्पनी को १ रूपये के टोकन पर जमीन दी गयी थी |

३- महारास्त्र सरकार की इंडस्ट्रीज पॉलिसी के अनुसार हर ऐसे उद्योग को जिसमे २०० करोड का निवेश और २५० लोगो को रोजगार मिलता हों उन्हें १ रूपये टोकन पर जमीन देती है .. और वहा सिर्फ मुख्यमंत्री भी कोई भी फैसला ले सकता है |

जबकि गुजरात की इंडस्ट्रीज पॉलिसी के अनुसार ऐसे इंडस्ट्री जिसमे १००० करोड का निवेश हों और कम से कम २५०० लोगो को रोजगार मिलता हों ऐसे ही कम्पनी को सब्सीडी पर जमीन मिलती है |

गुजरात मे बीस सदस्सीय कमेटी इस बारे मे फैसला लेती है . मुख्यमंत्री इस कमेटी मे शामिल ही नही है |

महारास्त्र और हरियाणा सरकार ऐसी जमीनों पर जन्त्री [स्टैम्प डयूटी ] भी नही लेती .जबकि गुजरात सरकार जमीनों को सब्सिडी पर देती है लेकिन स्टैम्प ड्यटी बाज़ार के अनुसार ही वसूलती है |

सानंद मे टाटा मोटर्स से ८० करोड रूपये स्टैम्प डयूटी ली गयी है |

४- तमिलनाडु मे ह्युदई मोटर्स को मुफ्त मे जमीन दी गयी है |

५- खुद केन्द्र सरकार के द्वारा शासित प्रदेश जैसे दमन मे केन्द्र सरकार उद्योगों को १ रूपये टोकन पर जमीन देती है और इतना ही नही दमन मे लगी हर एक फैक्ट्री को बीस सालो तक एक्साइज और सीएसटी नही देनी पडती |
आज पूरे दमन मे एक इंच जमीन खाली नही है ..

६- राबर्ट वढेरा ने जैसे ही डीएलएफ के ३०% शेयर लिए और इसके बोर्ड ऑफ डाईरेक्टर मे शामिल हुए सारे कांग्रेस शासित राज्यों मे डीएलएफ को मुफ्त मे जमीन देने की होड मच गयी है |

हरियाणा की कांग्रेस सरकार ने बीस हज़ार एकड , राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पांच सौ एकड , महारास्त्र सरकार ने मुंबई ,पूना सहित कई शहरों मे दो हज़ार एकड जमीन डीएलएफ को दी है ..

मित्रों असल मे कांग्रेस जैसी नीच राजनितिक दल पूरे विश्व के किसी भी देश मे नही होगी |

ये अगर कुछ करे तो लीला ..और दूसरे करे तो पाप ?

केन्द्र सरकार ने २ जी मामले मे सुप्रीम कोर्ट मे हर सुनवाई मे कहा कि हर सरकार के पास नीतिगत फैसले लेने का संवैधानिक अधिकार है | सरकार जनहित मे कोई भी फैसला ले सकती है और इस पर कोई भी सवाल नही उठा सकता | सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि सरकार जनहित मे कोई भी फैसला ले सकती है लेकिन २ जी मे क्या जनहित है ? तो केन्द्र सरकार चूप हों गयी |

फिर गुजरात मे कांग्रेस के लिए सरकार की क्या अलग परिभाषा हों जाती है ?

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