Thursday 29 March 2012

सच मे ये नीच कांग्रेस अपने स्विस बैंक के लिए इस देश को बेच कर ही दम लेगी

सच मे .. कांग्रेस इस देश को बेच कर ही दम लेगी |

मित्रों , १९६२ के चीन युद्ध मे भारत की बुरी तरह हार हुयी जिसमे चीन ने भारत के एक बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया था | उसके पहले १९४८ मे कश्मीर पर पाकिस्तानी सेना ने कबायलियों के साथ मिलकर कश्मीर के आधे से ज्यादा हिस्से पर कब्जा कर लिया और उसमे से अक्साई चिन एरिया चीन को उपहार मे दे दिया ..
आज़ादी के बाद भारत अब तक जितने भी युद्ध हारा है और अपने भूभाग को खोया है वो कांग्रेस के समय मे ही लड़े गए |

मित्रों, ये कांग्रेस भारत की अखंडता के प्रति कितनी घटिया और नीच सोच रखती है उसका मुजाहिरा संसद मे तब देखने को मिला जब चीन युद्ध मे करारी हार के बाद नेहरु संसद मे बयान दे रहे थे |

उस वक्त डॉ श्यामा प्रशाद मुखर्जी के सवाल का जबाब देते हुए नेहरु ने कहा कि चीन ने जिस भूभाग पर कब्जा कर लिया है वो बंजर है किसी काम की नही है इसलिए हमे उसका दुःख नही होना चाहिए ... इस पर डॉ मुखर्जी ने तुरंत खड़े होकर नेहरु से कहा कि नेहरु जी आपका सर भी बंजर है क्योकि वहाँ बाल नही है तो क्या आप अपना सर कलम करवा लेंगे ? इस जबाब पर नेहरु की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी थी |

फिर जब उस समय के नौजवान सांसद अटल बिहारी वाजपेयी ने रक्षामंत्री वी के कृष्ण मेनन [जिनके उपर सेना के लिए जीप खरीदने मे घोटाले का आरोप लगा था और वो सारी जीपे चीन की लड़ाई मे धोखा दे गयी और उन घटिया जीपों की वजह से हमारे पांच हज़ार सैनिक शहीद हुए थे ] उनका इस्थीपा माँगा तो नेहरु ने तुरंत खड़े होकर मेनन के पक्ष मे बोलने लगे और कहा कि युद्ध मे जीत और हार तो होती रहती है इसका मतलब ये नही है कि किसी का इस्थीपा लिया जाये |

असल मे वी के क्रिंष्ण मेनन नेहरु का सबसे खास राजदार था .. नेहरु के अवैध सम्बन्ध माउंटबेटन की पत्नी एडविना से थे .. [इसके बारे मे आप विस्तृत रूप से एडविना की सहेली ली कैथरीन की किताब "नेहरु एंड एडविना " मे पढ़ सकते है . इस किताब मे नेहरु के द्वारा उसकी खुद की हैंड राइटिंग्स मे लिखे कुल ३० सड़क छाप प्रेम पत्र भी प्रकाशित किये गए है .. इस किताब मे उस डॉ का भी जिक्र है जिसके पास लन्दन मे नेहरु अपनी यौन रोगों का ईलाज करवाते थे ]

आज़ादी के बाद जब एडविना लन्दन चली गयी तब नेहरु ने अपने इसी खास राजदार मेनन को बिना किसी योग्यता के ब्रिटेन मे भारत का उच्चायुक्त [हाई कमिश्नर ] बनाकर भेज दिया . और उस ज़माने मे नेहरु ट्रंककाल से एडविना से फोन पर घंटो बाते करते थे और उसका बिल इन्डियन हाई कमीशन चुकाती थी |

फिर जब ये मामला ब्रिटेन के कई अखबारों मे खूब उछला तो नेहरु ने कृष्ण मेनन को भारत वापस बुलाकर केंद्रीय केबिनेट रक्षामंत्री बना दिया जबकि उस समय मेनन संसद के किसी भी सदन का सदस्य तक नही था ..

असल मे मेनन नेहरु के सारे राज जनता था इसलिए वो नेहरु को पूरी जिंदगी ब्लैकमेल करता रहा और इस देश को लुटता रहा और इस देश को चीन की लड़ाई मे उसने ही हरवाया |

आज भी कुछ जानकर लोग गुजरात के एक नेता को जो आज गाँधी खानदान का काफी करीबी है और जिसकी जनाधार तक नही है उसके खुद के शहर मे कांग्रेस खत्म हो गयी है फिर भी वो आज गाँधी खानदान का सबसे बड़ा करीबी है ..उसके बारे मे भी यही चर्चा उठती है कि ये भी मेनन की तरह ब्लैकमेल करके ही आज इस देश को लूट रहा है ..

मित्रों , आजकल आप किसी भी चैनेल पर डिस्कशन मे सेना के पूर्व जनरलो का बयान देखिये ..सभी एक सुर मे यही बात कह रहे है कि आज देश मे वही हालात पैदा हो गए है जो १९६२ मे नेहरु ने किये थे .अपने करीबी लोगो को इस देश को लूटने देते रहे और दुश्मन ने हमला कर दिया |

हद तो तब हो गयी जब यूपीए के घटक और केन्द्र के सत्ता मे भागीदार तृणमूल कांग्रेस के सांसद अम्बिका बनर्जी ने प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री को करीब एक साल पहले पत्र लिखकर सेना के फ्रंटियर कोर मे पैराशूट, जूते , रायफल , कारतूस आदि की खरीदी पर हुए बड़े घोटाले और घटिया क्वालिटी के बारे मे बताया था .. लेकिन हमारे "ईमानदार " प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री किसी "अदृश्य " शक्ति के दबाव मे उस पत्र को कूडेदान मे डाल दिये ..

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