Saturday, 31 March 2012

मूंगफली के तेल का भाव केन्द्र सरकार ने गुजरात सरकार को बदनाम करने के लिए बढाया है

मूगफली के तेल का दाम बढने की जिम्मेदार केन्द्र सरकार है |

मित्रों , गुजरात के कांग्रेस के नेता मूंगफली तेल [सिंग तेल ] का दाम बढने पर अपनी छाती कूटकर जो विलाप कर रहे है और उसका दोष गुजरात सरकार को दे रहे है वो एकदम झूठ है |

आज विधानसभा मे गुजरात सरकार ने केन्द्र सरकार को लिखे हुए चार पत्र जाहिर किये | जिसमे गुजरात सरकार ने केन्द्र सरकार से अपील किया था कि चूँकि इस साल मूंगफली की फसल ज्यादा नही हूयी है इसलिए मूंगफली के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दिया जाये |

लेकिन कांग्रेस ने बड़ी दोगली चाल चली ,, चूँकि दिसम्बर मे गुजरात मे चुनाव होने वाले है इसलिए केन्द्र सरकार ने एफसीआई के माध्यम से सौराष्ट्र मे किसानो से खूब सस्ते भाव पर मूंगफली खरीदकर अपने गोदामो मे भर लिया जिसमे केंद्रीय कृषि मंत्रालय की साईट के अनुसार कुल बीस हज़ार टन मूंगफली विदेशो के एक्सपोर्ट कर दिये गए |

दो दिन पहले ही महाराष्ट्र के विधानसभा मे वहाँ के मुख्यमंत्री ने भी केन्द्र सरकार को मूंगफली का भाव बढने का जबाबदार ठहराया था |

मित्रों , आप खुद सोचिये कि कांग्रेस गुजरात को बदनाम करने के लिए कितनी दोगली चाल चल रही है .. एक तरफ कपास की खूब उत्पादन होने के वावजूद भी कपास के निर्यात पर रोक लगा देती है जिससे किसानो को आधे दाम पर कपास बेचना पड़ रहा है ..

वहीँ दूसरी तरह मूंगफली की खूब कम उत्पादन होने के वावजूद भी उसके निर्यात पर रोक नही लगाती . ताकि आर्टिफिशियल तरीके से भाव बढाकर गुजरात सरकार को बदनाम किया जा सके |

जो गुजरात के कांग्रेस नेता मैडम के हुक्कम से गुजरात मे ओरल डायरिया करते है वही नेता सोने पर एक्साइज बढाने और सोने के गरीब कारीगरों पर ८% टैक्स लगाने और सोने के गहने के खरीद पर पैन कार्ड इत्यादि अनिवार्य करने . और गहने के जॉबवर्क पर १२% सर्विस टैक्स लगाने जैसे मुद्दे पर जिस पर पिछले एक हप्ते से गुजरात के सभी सोनी बाज़ार बंद है और गरीब कारीगरों को भूखे मरने की नौबत आ गयी है इस पर खामोश क्यों है ?

दोगलो की चाल अब जनता समझ चुकी है .. ये चोर को कहते है तू चोरी कर और साहूकार को कहते है तू जगता रह !!!

2 comments:

Nirvana306 said...

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अनुराग राम said...

यह तो काँग्रेस का पुराना खेल है
आज से चार वर्ष पहले सन २००७ के लगभग पी.चितंबरम का बयान था कि इस वर्ष गेहूँ की बंपर फसल है और इस कारण से इस बार हम बाहर से नहीं मँगवायेंगे और अचानक दो महीने बाद गेहूँ का स्टाक कम हो गया और ३००० टन गेहूँ निर्यात कर मंगवाया गया