Sunday 8 April 2012

आइये जाने भारत पर राज करते एक इस नकली गाँधी परिवार का एक एक सच-एक अनसुलझी पहेली .....बहुत ही गंदा सच है इन नकली गांधियों का



    भारत को आजाद हुए 64साल हो चुके हैं! और इन सालों में ज्यादातर समय तक एक ही वंश ने शासन किया है! वो वंश है भारत के पहले प्रधानमंत्री का!

    लेकिन आज देश का एक बहुत बड़ा तबका इस खानदान पर सवाल खड़े कर चूका है!
    आइये जानते हैं इसी वंश से जुडी कुछ संदेहास्पद बातों के बारे में!

    कहानी शुरू होती है जवाहर लाल के परदादाओं से! इनमे दो नाम विशेष रूप से लेना चाहूँगा!

    एक तो था राज कौल जिसके बाप का नाम था गंगू! गंगू ने सिखों के गुरु गोविन्द सिंह के बेटों को औरंगजेब के हवाले करवा दिया था गद्दारी करके ! जिसके कारन हिन्दू और सिख गंगू को ढून्ढ रहे थे! अपनी जान बचाने के लिए गंगू कश्मीर से भागकर डेल्ही आ गया जिसके बारे में औरंगजेब के वंशज, फरुख्शियर को पता चल गया! उसने गंगू को पकड़कर इस्लाम कबूल करने को कहा! बदले में उसे नहर के पार कुछ जमीन देदी!


    दूसरा नाम है गियासुदीन गाजी जो राज कोल की औलाद था! यही था मोतीलाल नेहरु का बाप!

    अब ये जो गियासुदीन था वो 1857 कि क्रांति से पहले मुग़ल साम्राज्य के समय में एक शहर का कोतवाल हुआ करता था! और 1857 कि क्रांति के बाद, जब अंग्रेजों का भारत पर अच्छे सेकब्ज़ा हो गया तो अंग्रेजों ने मुगलों का क़त्ल-ए-आम शुरू कर दिया!
    ब्रिटिशर्स ने मुगलों का कोई भी दावेदार न रह जाये, इसके लिए बहुत खोज करके सभी मुगलों और उनके उत्तराधिकारियों का सफाया किया!
    दूसरी तरफ अंग्रेजों ने हिन्दुओं पर निशाना नहीं किया हालाँकि अगर किसी हिन्दू के तार मुगलों से जुड़े हुए थे तो उन पर भी गाज गिरी!


    अब इस बात से डरकर कुछ मुसलमानों ने हिन्दू नाम अपना लिए जिससे उन्हें छिपने में आसानी हो सके!

    अब इस गियासुदीन ने भी हिन्दू नाम अपना लिया!
    डर और चालाकी इस खानदान कि बुनियाद से ही इनका गुण रहा है! इसने अपना नाम रखा गंगाधर और नहर के साथ रहने के कारन अपना उपनाम इसने अपनाया वो था नेहरु!
    (उस समय वो लाल-किले के नज़दीक एक नहर के किनारे पर रहा करता था!)

    और शायद यही कारन है कि इस उपनाम का कोई भी व्यक्ति नहीं मिलेगा आपको पूरी दुनिया में!


    एम् के सिंह कि पुस्तक “Encyclopedia of Indian War of Independence” (ISBN:81-261-3745-9) के 13वे संस्करण में लेखक ने इसका विस्तार से उल्लेख किया है , लेकिन भारत सरकार हमेशा से इस तथ्य को छिपती रही है |

    उस समय सिटी कोतवाल का दर्ज़ा आज के पुलिस कमिश्नर कि तरह एक बहुत बड़ा दर्जा हुआ करता था और ये बात जग-ज़ाहिर है कि उस समय मुग़ल साम्राज्य में कोई भी बड़ा पद हिन्दुओं को नहीं दिया जाता था! विदेशी मूल के मुस्लिम लोगों को ही ऐसे पद दिए जाते थे |

    जवाहर लाल नेहरु कि दूसरी बहिन कृष्ण ने भी ये बात अपने संस्मरण में कही है कि जब बहादुर शाह जफ़र का राज था तब उनका दादा सिटी कोतवाल हुआ करता था!
    जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में कहा गया है कि उसने अपने दादा की एक तस्वीर देखि है जिसमे उसके दादा ने एक मुगल ठाकुर की तरह कपडे पहने हैं और चित्र में दिखाई देता है कि वह लंबे समय से और बहुत मोटी दाढ़ी रख रहा था, एक मुस्लिम टोपी पहने हुए था और उसके हाथ में दो तलवारें लिए हुए था |

    उसने ये भी लिखा कि उसके दादा और परिवार को अंग्रेजों ने हिरासत में ले लिए था , जबकि असली कारन का उल्लेख तक नहीं किया! जोकि ये था कि वो लोग मुगलों से जुड़े हुए थे !
    बल्कि बहाना ये बनाया कि क्यूंकि वो लोग कश्मीरी पंडित थे, इसलिए उनके साथ ऐसा किया गया |
    19 वीं सदी के उर्दू साहित्य, विशेष रूप से ख्वाजा हसन निज़ामी का काम , इस बात को पूरी तरह साबित करता है कि कैसे उस समय मुगलों और मुसलमानों को परेशानी उठानी पड़ी थी! और हर सम्भावना में नेहरु का दादा और उसका परिवार भी उन दिनों उनके साथ था!

    जवाहर लाल नेहरु एक ऐसा व्यक्ति था जिसे पूरा गुलाम कांग्रेस  इज्ज़त कि नज़र से देखता है!  लेकिन कमाल कि बात देखिये कि उसके जनम स्थान पर भारत सरकार ने कोई भी स्मारक नहीं बनवाया है आजतक भी |
    बनवाएं भी किस मुह से! बे-इज्ज़ती जो होगी!इनका कच्चा चिटठा बहार जो आ जायेगा!

    कारन में बतला देता हूँ |
    जवाहर लाल का जनम हुआ था- 77 , मीरगंज, अलाहाबाद में! एक वेश्यालय में!
    अलाहाबाद में बहुत लम्बे समय तक वो इलाका वेश्यावृति के लिए प्रसिद्द है! और ये अभी हाल ही में वेश्यालय नहीं बना है बल्कि जवाहर लाल के जनम से बहुत पहले तक भी वहां यही काम होता था! हा हा
सी घर का कुछ हिस्सा जवाहर लाल नेहरु के बाप मोतीलाल ने लाली जान नाम कि एक वेश्या को बेच दिया था जिसका नाम बाद में इमाम-बाड़ा पड़ा |
यदि किसी को इस बात में कोई भी संदेह है तो आप उस जगह की सैर कर आयें! कई भरोसेमंद स्रोतों और encyclopedia.com और विकिपीडिया भी इस बात कि पुष्टि करता है!

बाद में मोतीलाल अपने परिवार के साथ आनंद भवन में रहने आ गए! अब ध्यान रहे कि आनंद भवन नेहरु परिवार का पैतृक घर तो है लेकिन जवाहर लाल नेहरु का जनम स्थान नहीं!

भारतीय सिविल सेवा के एम ओ मथाई जिन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निजी सचिव के रूप में भी कार्य किया. मथाई जी ने एक पुस्तक “Reminiscences of the Nehru Age”(ISBN-13: 9780706906219) 'लिखी |

किताब से पता चलता है कि वहाँ जवाहर लाल नेहरू और माउंटबेटन एडविना (भारत, लुईस माउंटबेटन को अंतिम वायसराय की पत्नी) के बीच गहन प्रेम प्रसंग था..
ये प्रेम सम्बंद इंदिरा गांधी के लिए महान शर्मिंदगी का एक स्रोत था! इंदिरा गाँधी अपने पिता जवाहर लाल नेहरु को इस सम्बंद के बारे में समझाने हेतु मोलाना अबुल कलाम आज़ाद कि मदद लिया करती थी |

    यही नहीं, जवाहर लाल का सरोजिनी नायडू की पुत्री पद्मजा नायडू के साथ भी प्रेम प्रसंग चल रहा था, जिसे बंगाल के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था!
    इस बात का खुलासा भी हुआ है कि जवाहर लाल नेहरु अपने कमरे में पद्मजा नायडू की तस्वीर रखते थे जिसे इंदिरा गाँधी हटा दिया करती थी |

    इन घटनाओं के कारण पिता-पुत्री के रिश्ते तनाव से भरे रहते थे |
उपरोक्त सम्बन्धों के अतिरिक्त भी जवाहर लाल नेहरु के जीवन में बहुत सी अन्य महिलाओं से नाजायज़ ताल्लुकात रहे हैं |
नेहरु का बनारस की एक सन्यासिन शारदा(श्रद्धा) माता के साथ भी लम्बे समय तक प्रेम प्रसंग चला !
यह सन्यासिन काफी आकर्षक थी और प्राचीन भारतीय शास्त्रों और पुराणों में निपुण विद्वान थी!

अब इस परिवार कि चालाकियों और षड़यंत्र के बारे में संदेह पैदा करने वाली कुछ घटनाओं को याद करते हैं !
नेताजी सुभाष चंद्र बोस और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत के प्रधानमंत्री के पद के लिए जवाहरलाल नेहरू के प्रतियोगियों में थे और उन दोनों को रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई।
खैर अभी तो पूरा परिवार इन गुणों से भरा पड़ा है!

एस. सी. भट्ट की एक पुस्तक “The great divide: Muslim separatism and partition” (ISBN-13:9788121205917) के अनुसार --जवाहरलाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी अपने पिता के कर्मचारी सयुद हुसैन के साथ भाग गई. तो मोतीलाल नेहरू जबरदस्ती उसे वापस ले आया और एक रंजीत पंडित नाम के एक आदमी के साथ उसकी शादी कर ली.
इंदिरा प्रियदर्शिनी को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था लेकिन वहां से बेकार प्रदर्शन के लिए बाहर निकाल दिया गया!.


बाद में उसे शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन, रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उसे वहां से खराब आचरण के लिए बहर निकाल दिया !


शांति निकेतन से निकाले जाने के बाद इंदिरा अकेलेपन से ग्रस्त हो गई ! उसकी माँ की तपेदिक से मृत्यु हो चुकी थी और बाप राजनीति में व्यस्त था! इस अकेलेपन में उसे साथ मिला फ़िरोज़ खान नाम के एक युवक का जो उन दिनों मोतीलाल नेहरु की हवेली में शराब आदि की सप्लाई करने वाले एक पंसारी नवाब खान का बेटा था! फिर महाराष्ट्र के राज्यपाल डा. श्रीप्रकाश ने नेहरू को इस बारे में चेतावनी भी दी थी कि इंदिरा का फिरोज खान के साथ एक अवैध संबंध चल रहा था! फ़िरोज़ खान इंग्लैंड में पढ़ा हुआ एक युवक था जो इंदिरा से बहुत सहानुभूति रखता था! जल्दी ही इंदिरा ने अपना धर्म फिर से बदल लिया और मुस्लिम धर्म अपना कर फिरोज से लंदन की एक मस्जिद में शादी कर ली ! अब इंदिरा प्रियदर्शनी नेहरु का नाम बदल कर मैमुना बेगम हो चुका था! कमला नेहरु इस बात से जल भुन गई ! उधर जवाहर लाल नेहरु भी परेशान था क्यूंकि इससे फिर उसके राजनितिक जीवन पर असर पड़ना था!
तो अब जवाहर लाल ने फ़िरोज़ खान को उसका उपनाम बदल कर गाँधी रखने को कहा! और उसे विश्वास दिलवाया कि सिर्फ उपनाम खान की जगह गाँधी इस्तेमाल करो और धर्म बदलने की भी कोई जरुरत नहीं है! यह सिर्फ एक एफिडेविट से नाम बदलने जैसा था! तो फ़िरोज़ खान अब फ़िरोज़ गाँधी बन गया लेकिन यह नाम उतना ही अजीब लगता है जितना कि अगर किसी का नाम बिस्मिल्लाह शर्मा रख दिया जाये !

नेहरु ने अपने मित्र और बड़े वकील सर तेज बहादुर सप्रू से इलाहबाद हाईकोर्ट ने एफिडेविट देकर इंदिरा उर्फ मैमुदा बेगम और फिरोजखान के निकाह को फोक करार कर दिया .. और बाद मे फिर दूसरा एफिडेविट देकर फिरोज खान का नाम फिरोज गाँधी करवा दिया ..

तब से लेकर आज तक ये लुटेरा खानदान गाँधी नाम से पूरे देश को मुर्ख बना रहा है |

दोनों ने अपना उपनाम बदल लिया और जब दोनों भारत आये तो भारत की जनता को बेवकूफ बनाने के लिए हिन्दू विधि विधान से शादी कर दी गई!

तो अब इंदिरा गाँधी कि आने वाली नसल को एक नया फेंसी नाम गाँधी मिल गया था!
नेहरु और गाँधी ये दोनों नाम ही इस परिवार के खुद के बनाये हुए उपनाम हैं!

जैसे एक गिरगिट अपना रंग बदलता है उसी तरह इस वंश ने अपनी गतिविधयों को छुपाने के लिए अपने नाम बदलें हैं!

No comments: