Saturday 14 April 2012

राजबाला का सबसे बड़ा गुनाह :::क्योकि वो राजबाला थी .कोई जकिया जाफरी या जाहिरा शेख नही ....












 







क्योंकि वो राजबाला थी कोई जकिया जाफरी या जाहिरा शेख नहीं !! 

क्या आपने कभी सोचा कि अगर रामलीला मैदान मे कोई मुस्लिम धर्म गुरु सभा करता तो भी क्या वहा कांग्रेस रात तो दो बजे महिलाओ और बच्चो को घेर कर लाठियो और गोलियों से भूनती ? बेचारी राजबाला १२४ दिनों तक कोमा मे रहने के बाद जिंदगी की जंग हार गयी . डॉक्टरों ने सरकार को तीन बार पत्र लिखा था उन्हें अमेरिका के पेंसिल्वेनिया मेडिकल इंस्टीट्यूट भेजना चाहिए .. लेकिन आम आदमी का दंभ भरने वाली कांग्रेस कितनी निर्दयी है की उसने अमेरिका तो दूर भारत मे भी उसका इलाज ठीक से नहीं करवाया .

एक तरफ सोनिया गाँधी को सरकार एक खास एयर एम्बुलेंस मे रातो रात अमेरिका इलाज के लिए भेजती है और सोनिया के लिए 20 लाख रूपये प्रतिदिन वाला सेवेन स्टार सुइट बुक करवाती है इस सुइट मे से हडसन नदी , स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी , और अटलांटिक महासागर का दिलकश नज़ारा साफ साफ दिखता है ..सच कहा गया है जिसे अय्याशी की लत लग चुकी हों उसे बीमारी मे भी अय्याशी करने की आदत नहीं जायेगी ..जबकी राजबाला की मौत की रिपोर्ट के लिए उनके परिजनों को धरने पर बैठना पड़ा .

इस घटना के दो सबसे बड़े शर्मनाक पहलु है ..पहला राजबाला को लेकर मिडिया का दोगला रवैया और दूसरा सरकार और कांग्रेस का दोगलापन . राजबाला १२४ दिनों तक दिल्ली के एक अस्पताल मे जिंदगी और मौत का संघर्ष कर रही थी लेकिन इस बीच कांग्रेस का एक भी नेता और सरकार का एक भी मंत्री उनका हाल चाल लेने नहीं पंहुचा .. क्या राजबाला की जगह कोई मुस्लिम महिला होती तो भी क्या कांग्रेस इतनी नीच रवैया दिखाती ? एक तरफ भरतपुर मे हिंसा पर उतारू भीड़ पर पुलिस को मज़बूरी मे गोली चलानी पड़ी जिससे दो मुस्लमान मरे .. फिर आनन फानन मे कांग्रेस ने वहाँ के एसपी और डीएम पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया ..तो फिर राजबाला के हत्या के लिए चितंबरम और दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियो पर हत्या का मुकदमा क्यों नहीं सरकार दर्ज करने का आदेश देती है ? क्या सिर्फ इसलिए कि राजबाला हिंदू है और कांग्रेस हिन्दुओ से अति घृणा करती है ?

इस घटना को लेकर मीडिया ने भी अपने दोगलेपन का फिर एक उदाहरण पेश किया . जब राजबाला का अंतिम सस्कार मे बाबा रामदेव और सुषमा स्वराज पहुचे तो मीडिया खासकर एनडीटीवी बार बार दिखा रहा था कि राजबाला के अंतिम संस्कार मे भी सियासत । जबकि ये दोगला चैनेल जिसके उपर भष्टाचार के कई आरोप है जिसके मलिक प्रणव रॉय के उपर सीबीआई मे तीन केस दर्ज है जो कांग्रेस के फेके टुकडो पर पलता है वो गुजरात दंगे के १० साल बाद भी उसको बार बार कुरेदता है तो क्या ये सियासत नहीं है ?

4 जून को हुए हादसे के बाद कितने पत्रकारों ने उसकी हालत जानने का प्रयास किया ? कितने चैनल में यह खबर दिखाई गयी कि पुलिस बर्बरता की शिकार एक निरीह महिला को अस्पताल में सही इलाज भी मिल पा रहा है या नहीं ? क्या किसी ने गुड़गांव में उसके घर जाकर परिजनों से कोई प्रतिक्रिया मांगी ? जब एक मुस्लिम लड़की पर तेजाब फेका जाता है तो कांग्रेस सरकार उसका अमेरिका मे प्लास्टिक सर्जरी करवाती है इसमें मुझे या किसी को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जब किसी हिंदू पीड़ित की बारी आती है फिर कांग्रेस की संवेदनाये क्यों मर जाती है ? अभी ताजा उदाहरण एक हिंदू दलित महिला भंवरी देवी का है . भारत के इतिहास मे पहली बार हुआ है कि एक मंत्री पर बलात्कार , अपहरण , हत्या जैसे संगीन आरोप मे एफ आई आर दर्ज होता है लेकिन ना तो मंत्री इस्तीफ़ा देता है और ना कांग्रेस उस मंत्री से इस्तीफा लेती है अगर उस भंवरी देवी की जगह कोई मुस्लिम महिला होती तो भी क्या कांग्रेस चूप रहती ?

क्या कांग्रेस का चूप रहना यह सिद्ध नहीं करता की कांग्रेस हिंदू महिलाओ के उपर होने वाले अत्याचार का समर्थन करती है ? वैसे भी कांग्रेस एक बिल ला रही है जिसमे हिन्दू महीला के साथ किया बलात्कार अपराध नहीं होगा. कांग्रेस के इस रवैये ने ये साफ कर दिया है कि कांग्रेस को हिन्दुओ के दुःख दर्द से कोई मतलब नहीं है आज राजबाला है कल हमारे घर की माँ और बहने भी कांग्रेस की लाठियो से घायल होकर एक जिन्दा लाश की तरह पड़ी रहेंगी अब वक्त आ गया है कि हम सब हिंदू अपनी जाति , भाषा , प्रान्त भुलाकर संगठित होकर इस देश से कांग्रेस का सफाया कर दे . नहीं तो हमें राजबाला की तरह तडप तडप कर मरने के लिए तैयार रहना पड़ेगा

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