Monday 2 April 2012

जनरल वी. के. सिंह को कांग्रेस के द्वारा उनकी ईमानदारी की सजा मिल रही है ?


 




 
  भारतीय थल सेना के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी थल सेना अध्यक्ष को न्याय पाने के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खट-खटाना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि सेना मुख्यालय के एडजुटेंट जनरल एवं सैन्य सचिव शाखा में सेना प्रमुख की उम्र से सम्बंधित अलग-अलग दस्तावेज होने से सरकार के साथ यह विवाद पैदा हुआ है।
 

 
एडजुटेंट जनरल के कार्यालय में सिह के जन्म का वर्ष 1951 दर्ज है जबकि सैन्य सचिव शाखा में यह 1950 है। सेना प्रमुख का कहना है कि उनका जन्म 10 मई 1951 को हुआ। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ शुक्रवार को जनरल सिंह की उम्र विवाद को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी। इसके पहले दिन में जनरल सिंह ने रक्षा राज्य मंत्री एम.एम. पल्लम राजू से मुलाकात की। आइए इस विशेष मसले पर कुछ और बिंदुओं पर प्रकाश डालते हैं। 

कांग्रेस का कहना है की उनकी जन्म तिथि गलत है उन्हें एक साल पहले रिटायर हो जाना चाहिए था पर उन्होंने गलत जन्मतिथि बताई है जिसके कारण उनका कार्यकाल एक से दो साल तक बढ़ गया है चलिए कुछ समय के लिए मन लेते है की कांग्रेस सही कह रही है। पर इतने सालों तक क्या कांग्रेस सो रही थी अचानक उसे सेना प्रमुख की जन्म तिथि की क्यूँ चिंता होने लगी। ये कोई इतना बड़ा विषय तो नहीं है। जिस तरह सरकारी नौकरियो में दो से तीन साल का विस्तार मिल जाता है तो क्या सेना प्रमुख को नहीं मिल सकता है। 

परन्तु यहाँ मामला कुछ और ही है। बात ये है की सेना प्रमुख एक नेक इमानदार और सच्चे इन्सान हैं। और कांग्रेस उन्हें इसलिए हटाना चाहती है क्यूँ की अगले साल भारत एक बहुत बड़ा रक्षा सौदा करने
जा रहा है। आपको याद होगा इसी रक्षा सौदे के लालच में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आए थे। इस रक्षा सौदे से अमेरिका को बहुत फायदा होता उसके यहाँ लाखों नौकरियाँ पैदा होती है। तो माज़रा ये है की कांग्रेस वर्तमान सेना प्रमुख को हटा के किसी अपने व्यक्ति को बैठाना चाहती है। ताकि वो होने वाले इन रक्षा सौदों में फिर से करोडों की दलाई खा सके। (बोफोर्स तोपों के घोटालों की तरह) 

आदर्श घोटाले मे कांग्रेस को ना बचाने की सजा कांग्रेस दे रही है सेना प्रमुख को:
कहा जाता है कि केंद्र सरकार आदर्श घोटाला जिस तरह जगजाहिर हुआ उसे केंद्र सरकार और कांग्रेस सेना प्रमुख से खफा है। कितनी शर्म की बात है कि हमारे पडोसी चीन और पाकिस्तान अपनी सेना को मजबूत करते जा रहे हैं और भारतीय सीमा से स्टे नए नए एअरपोर्ट और बंकर बनाते जा रहे हैं और वही दूसरी तरफ भारत का सेना प्रमुख कोर्ट कचहरी के चक्कर काट रहा है। भारत के इतिहास में १६ जनवरी २०१२ का दिन एक कलंकित दिन के रूप में याद किया जायेगा। जब इतिहास में पहली बार किसी सेना प्रमुख को सरकार अपने निजी स्वार्थ के लिए इस देश की सुरक्षा की जगह अदालतों का चक्कर काटने पर मजबूर कर रही है।
क्या है सेना प्रमुख का उम्र विवाद ?
सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के स्कूल से लेकर युनिवर्सिटी, पासपोर्ट , ड्राइविंग लाइसेन्स, सेना के आई कार्ड , उनके सर्विस रिकार्ड , प्रोमोशन दस्तावेज , यानी सभी जगह उनकी जन्मतिथि 10 मई 1951 दर्ज है लेकिन एनडीए के फार्म मे क्लर्क ने गलती से 1950 लिख दिया था। फिर जब वो सेना में लेफ्टिनेंट बने तब उनके पिताजी जो खुद ले. कर्नल थे उन्होंने कागजात प्रस्तुत करके और हलफनामा देकर क्लर्क की इस गलती को सुधरवा दिया। यहाँ तक कि वी के सिंह ने सेना में अब तक जितने भी प्रोमोशन और प्रशस्ति पत्र पाए हैं उन सब पर उनकी जन्मतिथि 10 मई 1951 ही दर्ज है। सेना के एक आरटीआई के जबाब मे खुलासा भी किया है कि उनकी जन्मतिथि सेना के रिकार्ड में 10 मई 1951 ही है।
फिर विवाद की असली वजह क्या है ?
असल मे वी के सिंह ने सेना से सम्बन्धित दो बड़े घोटालों की जाँच की। सुकना जमीन घोटाला और कारगिल शहीदों के परिजनों के नाम पर बने आदर्श सोसाइटी घोटाला। इन दोनों घोटालों में असली दोषियों को बचाने के लिए वी के सिंह पर केन्द्र सरकार का जबरदस्त दबाव था। क्योकि आदर्श सोसाइटी घोटाले में महाराष्ट्र के सभी बड़े कांग्रेसी नेता और कई केन्द्रीय मंत्री और सोनिया के दामाद और प्रियंका के पतिदेव राबर्ट वढेरा तक का नाम सामने आने लगा। सुशील कुमार शिंदे (एक राज्य के राज्यपाल हैं) अशोक चौह्वण विलास राव देशमुख (ये भी बेशर्मी से केन्द्रीय केबिनेट मंत्री बने हुए हैं) कहा जाता है कि सोनिया के दामाद दामाद �यानी राबर्ट वढेरा कभी इस घोटाले मे फंसते नजर आये, लेकिन उन्हें उबार लिया गया।
लेकिन क़ुरबानी सिर्फ अशोक चौह्वाण की ही देनी पड़ी। बाकी सब अपने पद पर डटे हुए हैं। जनरल वी.के सिंह ने इस घोटाले की जाँच बड़ी ही निष्पक्षता और ईमानदारी से की। हलांकि उनके उपर कांग्रेस पार्टी और केंद्र सरकार का बहुत बड़ा दबाव था कि २ जी घोटाले की भठ्ठी में जल रही सरकार को वी. के. सिंह एक और भठ्ठी में ना फेंक दिया, लेकिन वी. के. सिंह ने केंद्र सरकार के दबाव के आगे झुकने से मना कर दिया। फिर सुकना जमीन घोटाला सामने आया जिसने बंगाल के कुछ कांग्रेस नेताओं सेना के दो अधिकारियों अवधेश प्रताप सिंह और अशोक रथ के साथ मिलकर सेना की जमीन पर एक पब्लिक स्कूल और एक रिजोर्ट बनाने की प्लानिंग की। लेकिन एक निजी चैनल ने इस घोटाले का भंडाफोड़ कर दिया। इसमें भी वी. के सिंह ने दो लेफ्टिनेंट जनरल का कोर्ट मार्शल करवाया और कांग्रेस से जुड़े एक बड़े उद्योगपति को जेल भिजवाया। 

कांग्रेस का इतिहास है बदला लेने के लिए कुछ भी कर दे- 

पहले बाबा रामदेव, सरकार और कांग्रेस के लिए बहुत अच्छे थे सारे कांग्रेसी उनके योग शिविरों मे जाने के लिए बेताब रहते थे कांग्रेसी उनके गुणगान गाते थे रहते थे। लेकिन जैसे ही बाबा रामदेव ने काले धन और भ्रष्टाचार की बहस इस देश मे छेड़ दी उसका नतीजा है आज बाबा रामदेव को सरकार और कांग्रेस दाउद इब्राहीम से भी बड़ा खतरा मानती है। केंद्र सरकार ने अपनी सारी १० बड़ी जाँच एजेंसियों को उनके अपने सारे काम से हटाकर सिर्फ बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के पीछे लगा दिया।
ठीक ऐसे ही सरकार ने सोनिया गाँधी के आदेश से जनरल वीके सिंह की पूरी जन्मकुंडली खंगालने को कहा। सीबीआई से लेकर आईबी तक उनके पैतृक गांव, उनकी प्रापर्टी, उनके सारे इन्वेस्टमेंट, उनके सारे आयकर रिर्टन , उनके सारे दस्तावेज खंगालने लगे। फिर जब उनको कुछ भी नही मिला तब कांग्रेस ने कोर्ट मार्शल के द्वारा पांच साल सजा प्राप्त अवधेश प्रताप सिंह से जेल मे संपर्क किया जो सेना के गुप्तचर कोर मे रह चुके है। उन्होंने बताया की वी के सिंह के एनडीए में दाखिले के समय भरे फार्म मे क्लर्क से एक गलती हुई है जिसके आधार पर कुछ मामला मिल सकता है।

आखिर कांग्रेस और सरकार जनरल वीके सिंह को एक साल पहले रिटायर क्यों करना चाहती है ?
असल मे आदर्श घोटाले मे अभी कई नाम और खुलने बाकी है और सेना को अभी बोम्बे हाई कोर्ट मे कई दस्तावेज देने है जिसमे कांग्रेस के जमाई राबर्ट वढेरा भी लपेटे मे आ सकते है इसलिए सरकार उन्हें एक साल पहले ही जबरजस्ती रिटायर करना चाहती है।
सेनाध्यक्ष वी के. सिंह पर विवाद की असली वजह क्या है?
क्या ये सजा है आदर्श घोटाले की निष्पक्ष जांच की? क्या ये सजा है कांग्रेस के बड़े नेताओं को बचाने की? क्या ये सजा है राबर्ट वाड्रा का नाम इस विवाद में लाने की? क्या ये सजा है उस देश के सीमाओं की रक्षा तत्परता के साथ करने की जिसके नागरिक भाव शून्य हैं? क्या ये सजा है इस बात की कि कांग्रेस के विपक्ष में एक बेहद कमजोर पार्टी या alliance है? क्या ये सजा है ''परम विशिष्ट सेवा मेडल 'अतिविशिष्ट सेवा मेडल' 'युद्ध सेवा मेडल' मिलने की?
क्या ये सजा है इस बात की कि उन्हें ये सम्मान मिला ''On 11 March 2011, Singh was inducted into the United States Army War College (Class of 2001 graduate) International Fellows Hall of Fame. He is the 33rd International Fellow and the first Indian Armed Forces officer to be inducted.

अब सजा तो मिली है उन्हें क्यों मिली सबको पता है या ये कहिये जानकर भी कोई नही जानना चाहता
अब ये सवाल हर आम आदमी जो देश भक्त के दिमाग में उठेगे। क्यूँ कोई लडेगा इस देश के लिए? क्यों कोई अपने परिवार से अलग होकर सेना के साथ बोर्डर पर जाएगा? क्यूँ कोई सम्मान की जगह अपमान झेलेगा? ऐसे बहुत से क्यूँ हैं जिनका जवाब है भी और नही भी। खोजिये जवाब, दीजिये जवाब, और हाँ मांगिये जवाब..
सबसे खास वजह:
अगर जनरल वी के सिंह १० महीने के बाद रिटायर होते हैं। तो फिर कांग्रेस अपने जिस "खास " को सेना प्रमुख बनाना चाहती है वो कभी नहीं बन पायेगा। क्योंकि वो इसी बीच रिटायर हो जायेगा। और उस खास लेफ्टिनेंट जनरल के बेटे की शादी एक पाकिस्तानी लड़की से हुयी है। और उसकी लड़की और दामाद इटली के मिलान से एक हथियार बनाने वाली कम्पनी में इंजीनियर है।

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