Tuesday 10 April 2012

कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी मंजूर नही ... २ जी घोटाले पर प्रेसिडेंशियल रिफरेंस लेने का केबिनेट मे प्रस्ताव पास हुआ ..



मित्रों , ये कांग्रेस अब इस देश के न्यायपालिका पर भी बिलकुल विश्वास नही करती | कांग्रेस के लिए असली तीर्थ स्थान या असली सुप्रीम कोर्ट १० जनपथ है |

आज के पहले भारत के ६५ साल के इतिहास मे कभी भी किसी भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रेसिडेंशियल रिफरेंस नही माँगा | सभी सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को स्वीकार किया है |

फिर दो बार ऐसा हुआ है जब किसी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बदला हो | राजीव गाँधी के समय मे जब शाहबानो केस मे सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओ को भी गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया तब राजीव गाँधी मुस्लिम वोट बैंक के तुष्टीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूरे ४८ घंटे लगातार संसद चलवाकर एक नया कानून बनाकर बदल दिया था |

लेकिन चूंकि आज कांग्रेस के पास राज्यसभा मे बहुमत ही नही है और लोकसभा मे भी उसे ९८ दूसरे दलों के समर्थन से बहुमत है इसलिए कांग्रेस अब एक बहुत ही घटिया खेल खेल रही है जो इस देश के सम्विधान के लिए आत्मघाती कदम होगा |

मित्रों, हमारे देश का ढांचा तीन चीजों पर टीका है ..न्यायपालिका , कार्यपालिका , और व्यव्थापिका , लेकिन आज कांग्रेस अपने फायदे के लिए नयायपालिका को तहस नहस करने पर तुली है |

प्रेसिडेंशियल रिफरेंस क्या होता है ?
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चूँकि भारत सरकार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानना ही पड़ता है .और अगर सरकार इससे संतुष्ट न हो या सरकार को कोई संदेह हो तो वो राष्ट्रपति के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से अपने आदेश को बदलने या उसमे संशोधन करने की मांग करती है |


आखिर कांग्रेस को २ जी मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान्य क्यों नही है
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आज कांग्रेस एकदम घटिया तर्क ये दे रही है की २ जी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भारत मे विदेशी निवेश को धक्का लगेगा | ये एकदम कुतर्क और देश को बरगलाने वाली बात है |

मित्रों, ये विदेशी कम्पनीयों को सिर्फ अपना मुनाफा प्यारा होता है ..अगर किसी धंधे मे इनको मोटा मुनाफा मिल रहा हो तो कोई इनको कितना भी लात मारे ये बुरा नही मानेंगे |
उदाहरण के लिए मोरार जी भाई देसाई जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने पहला काम ये किया की कोका कोला सहित सभी विदेशी कम्पनियों को लात मारकर खदेड दिया था .. लेकिन जैसे ही इंदिरा गाँधी प्रधानमंत्री बनी सारी कंपनियां दूम हिलाते हुए फिर भारत आ गयी |

चीन ने गूगल और एप्पल को बहुत परेशान किया और गूगल ने कहा कि वो चीन के दबाव मे नही झुकेगी ..लेकिन जैसे ही बैलेंसशीट कमजोर हुयी गूगल चीनी सरकार के आगे एकदम झुक गयी |

मित्रों जब कपिल सिब्बल ने सोशल नेटवर्किंग साईट और गूगल पर सिकंजा कसना चाहा तो पहले ये कम्पनियाँ बड़ी बड़ी आज़ादी की बाते कर रही थी .लेकिन बाद मे सिब्बल के आगे सब झुक गयी


फिर इसकी असली वजह क्या हो सकती है ?
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सुब्रमण्यम स्वामी जिन्होंने इस महाघोटाले को उजागर किया है और इस घोटाले के तह तक गए है

उन्होंने कई बार मीडिया मे और कोर्ट मे कहा है की इस २ जी के एक लाख छिहत्तर हज़ार करोड की लूट मे कुल ३०% सोनिया गाँधी ने खाए है और वो बीमारी के बहाने बार बार उसे विदेश के ठिकाने लगाकर आती है | आजतक सोनिया गाँधी ने इस महाघोटाले पर कुछ नही बोला है और इतना ही नही ए राजा को पूरे एक साल तक बचाया गया |

सुब्रमण्यम स्वामी के आरोप पर आजतक सोनिया गाँधी ने खंडन नही किया है और न ही उन्हें कोई लीगल नोटिस भेजा है ..

तो फिर क्या सोनिया गाँधी के दबाव मे सरकार ये सब कर रही है ?
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जी हाँ ,, क्योकि कंपनियों ने जिस काम के लिए पैसे दिये है और अगर काम नही हुआ तो फिर पैसे तो वापस करने पडेंगे | और २ जी मे तो दो कम्पनियाँ दाउद इब्राहीम की है और चार कम्पनियों मे अंडरवर्ल्ड के दूसरे खूंखार लोगो का पैसा लगा है .. वैसे मे ये लोग अपना घूस मे तौर
पर दिया गया पैसा वसूलने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है .. इसीलिए सोनिया गाँधी के दबाव मे केन्द्र सरकार चाह रही है कि कुछ भी करके किसी भी तरह २ जी के लाईसेंस बचा लिए जाये ताकि मैडम ने जो पैसा खाया है वो पैसा मैडम को वापस न करना पड़े |

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