मित्रों अगर दो आदमी किसी कुत्ते को अपने पास बुलाने की कोशिश करे .एक आदमी के पास रोटी का एक टुकड़ा हो और दूसरे आदमी का हाथ खाली हो तो कुत्ता किस आदमी के पास जायेगा ?
जाहिर है कुत्ता हमेशा उसी आदमी के पास जाता है जो उसे रोटी का टुकड़ा लेकर बुलाए .....ठीक यही उदाहरण भारतीय मीडिया पर लागू होती है . एक सर्वे में भारतीय मीडिया को पुरे विश्व में सबसे भ्रष्ट और लालची बताया गया है ..क्योंकि आज लगभग सभी भारतीय मीडिया एक कॉर्पोरेट हॉउस की तरह चल रही है और स्टाक एक्सचेंज में लिस्टेड हो चुकी है . तो जाहिर है उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात सिर्फ और सिर्फ मुनाफा कमाना हो गया है .. नैतिकता , सच्चाई ,निरभिकता , और प्रजाहित आज भारतीय मीडिया के लिए महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि कैसे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जाये ये महत्वपूर्ण है चाहे इसके लिए पत्रकारिता के सारे सिद्धांत की क़ुरबानी ही क्यों न देनी पड़े
मित्रों , निर्मल बाबा जैसा महाठग जब तक इन चैनेलो के आगे हड्डी फेकता रहा तब तक ये उसके बारे मे कुछ नही बोली .. फिर जब वेब मीडिया पर निर्मल बाबा के खिलाफ एक जोरदार अभियान चला तब जाकर सबसे पहले न्यूज़ एक्सप्रेस ने निर्मल बाबा के खिलाफ कार्यक्रम दिखाने की शुरुआत की .. फिर जाकर उसके बाद कुछ और चनेलो ने निर्मल बाबा की पोल खोलनी शुरू की ..
लेकिन निर्मलजीत सिंह नरुला को तो निर्मल बाबा इसी मीडिया ने ही बनाया ?
.मित्रों अभी ताजा उदाहरण बाबा रामदेव का है .. आज गली गली में बहुत से ऐसे खोजी पत्रकार पैदा हो गए है जिनसे तो विकिलिक्स के असंजे भी शर्मा जाये .. कोई बालकृष्ण के गांव पहुच जाता है कोई बाबा रामदेव की कंपनी खोज रहा है .. जबकि कुछ दिनों पहले तक इस देश की सारी मीडिया बाबा रामदेव के आगे पीछे घुमती रहती थी .. रामदेव को स्वामी रामदेव बनाने में इस देश की मीडिया का भी बहुत योगदान है ये बात खुद बाबा रामदेव ने कही है क्योंकि योग को घर घर पहुचने का काम मीडिया ने किया है
.लेकिन आज यही मीडिया बाबा के पीछे खोजी पत्रकारिता क्यों कर रही है ? क्योंकि सरकार ने १३०० करोड़ का बजट भारत निर्माण के विज्ञापन के लिए निर्धारित किया है पहली बात तो कांग्रेस बार बार नैतिकता की बात करती है तो क्या सरकारी पैसे से किसी राजनितिक पार्टी का प्रचार नहीं हो सकता ..मैंने प्रधानमंत्री कर्यालय को पत्र लिखकर इस बाबत पूछा तो वहा से जबाब मिला की ये सरकार और सरकार की योजनाओ का प्रचार है ना की किसी पार्टी का .मैंने फिर पूछा पूछा की अगर ये सरकार का प्रचार है तो इसमें सोनिया गाँधी को क्यों दिखाया जाता है ?
एक बात मै और बता दूँ की इस देश के सभी मीडिया हाउसों ने विदेशी निवेश के नियमों की और शेयर ट्रान्सफर के नियमों की खुल कर धज्जिय उड़ाई है इसलिए सरकार के हुकम को हर एक मिडिया घराने को मानना जरुरी हो जाता है क्योंकि जो खुद दागदार हो वो दूसरे की कमियां नहीं बता सकता ..चलते चलते अब मित्रो द्वारा सुनाई गयी खबर भी निचे लिख रहा हूँ दिग्विजय के बयानों से प्रभावित हो कर भारत सरकार का ऐलान,अब दिग्विजय के जन्म दिवस, अंतर्राष्ट्रीय मुर्खता दिवस मनाया जायेगा.अन्ना हजारे की दिग्विजय को पुणे के पागलखाने में दाखिले की नसीहत के बाद, पागलखाने के पागल अनशन पर बैठ गए.. ज्ञात हो की इससे पहले गधे भी इसी बात को लेकर अनशन पर बैठे थे..
जाहिर है कुत्ता हमेशा उसी आदमी के पास जाता है जो उसे रोटी का टुकड़ा लेकर बुलाए .....ठीक यही उदाहरण भारतीय मीडिया पर लागू होती है . एक सर्वे में भारतीय मीडिया को पुरे विश्व में सबसे भ्रष्ट और लालची बताया गया है ..क्योंकि आज लगभग सभी भारतीय मीडिया एक कॉर्पोरेट हॉउस की तरह चल रही है और स्टाक एक्सचेंज में लिस्टेड हो चुकी है . तो जाहिर है उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात सिर्फ और सिर्फ मुनाफा कमाना हो गया है .. नैतिकता , सच्चाई ,निरभिकता , और प्रजाहित आज भारतीय मीडिया के लिए महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि कैसे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जाये ये महत्वपूर्ण है चाहे इसके लिए पत्रकारिता के सारे सिद्धांत की क़ुरबानी ही क्यों न देनी पड़े
मित्रों , निर्मल बाबा जैसा महाठग जब तक इन चैनेलो के आगे हड्डी फेकता रहा तब तक ये उसके बारे मे कुछ नही बोली .. फिर जब वेब मीडिया पर निर्मल बाबा के खिलाफ एक जोरदार अभियान चला तब जाकर सबसे पहले न्यूज़ एक्सप्रेस ने निर्मल बाबा के खिलाफ कार्यक्रम दिखाने की शुरुआत की .. फिर जाकर उसके बाद कुछ और चनेलो ने निर्मल बाबा की पोल खोलनी शुरू की ..
लेकिन निर्मलजीत सिंह नरुला को तो निर्मल बाबा इसी मीडिया ने ही बनाया ?
.मित्रों अभी ताजा उदाहरण बाबा रामदेव का है .. आज गली गली में बहुत से ऐसे खोजी पत्रकार पैदा हो गए है जिनसे तो विकिलिक्स के असंजे भी शर्मा जाये .. कोई बालकृष्ण के गांव पहुच जाता है कोई बाबा रामदेव की कंपनी खोज रहा है .. जबकि कुछ दिनों पहले तक इस देश की सारी मीडिया बाबा रामदेव के आगे पीछे घुमती रहती थी .. रामदेव को स्वामी रामदेव बनाने में इस देश की मीडिया का भी बहुत योगदान है ये बात खुद बाबा रामदेव ने कही है क्योंकि योग को घर घर पहुचने का काम मीडिया ने किया है
.लेकिन आज यही मीडिया बाबा के पीछे खोजी पत्रकारिता क्यों कर रही है ? क्योंकि सरकार ने १३०० करोड़ का बजट भारत निर्माण के विज्ञापन के लिए निर्धारित किया है पहली बात तो कांग्रेस बार बार नैतिकता की बात करती है तो क्या सरकारी पैसे से किसी राजनितिक पार्टी का प्रचार नहीं हो सकता ..मैंने प्रधानमंत्री कर्यालय को पत्र लिखकर इस बाबत पूछा तो वहा से जबाब मिला की ये सरकार और सरकार की योजनाओ का प्रचार है ना की किसी पार्टी का .मैंने फिर पूछा पूछा की अगर ये सरकार का प्रचार है तो इसमें सोनिया गाँधी को क्यों दिखाया जाता है ?
सोनिया गाँधी किस संवैधानिक पद पर है ?? तो प्रधानमंत्री कार्यालय ने मेरे बार बार रीमाईनडर भेजने के बावजूद चुप्पी साध ली है ..सरकार की ओर से सारे मीडिया को चेतावनी दे दी गई है की वो अब रामलीला मैदान की हैवातियत की फुटेज को ना दिखाए और अन्ना और बाबा रामदेव के बारे में नकारात्मक छबी ही दिखाए , नहीं तो उन्हें अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा . और करोडो रूपये के सरकारी विज्ञापन से भी हाथ धोना पड़ेगा ..
एक बात मै और बता दूँ की इस देश के सभी मीडिया हाउसों ने विदेशी निवेश के नियमों की और शेयर ट्रान्सफर के नियमों की खुल कर धज्जिय उड़ाई है इसलिए सरकार के हुकम को हर एक मिडिया घराने को मानना जरुरी हो जाता है क्योंकि जो खुद दागदार हो वो दूसरे की कमियां नहीं बता सकता ..चलते चलते अब मित्रो द्वारा सुनाई गयी खबर भी निचे लिख रहा हूँ दिग्विजय के बयानों से प्रभावित हो कर भारत सरकार का ऐलान,अब दिग्विजय के जन्म दिवस, अंतर्राष्ट्रीय मुर्खता दिवस मनाया जायेगा.अन्ना हजारे की दिग्विजय को पुणे के पागलखाने में दाखिले की नसीहत के बाद, पागलखाने के पागल अनशन पर बैठ गए.. ज्ञात हो की इससे पहले गधे भी इसी बात को लेकर अनशन पर बैठे थे..
No comments:
Post a Comment