दसवन्द यानी आय का दसवां हिस्सा इस ठग निर्मल बाबा को देना ...
मित्रों , ये महाठग और धुर्त निर्मल बाबा अपने शिष्यों को डराकर उनसे उनकी कमाई का दसवा हिस्सा किस तरह से ठग लेता है ये आज मैंने एक चैनेल पर देखा ..
एक जयपुर के बिल्डर ने पूछा बाबा मुझे प्रोजेक्ट मे नुकसान हो रहा है .. इस पर तुरंत ही इस ठग ने पूछा की इसके पहले आपको कुछ प्रोजेक्ट पर फायदा हुआ है ?
भक्त ने कहा हाँ
फिर तो इस कमीने निर्मल की आँखों के चमक आ गयी ..
इसने कहा की भाई किरिपा कैसे आएगी ? पहले आप दरबार मे दसवन्द जमा करवाओ .. भगवान कह रहे है कि बिना गुरु को दसवन्द दिये तुम नए नए प्रोजेक्ट लाँच कर रहे हो तो एक न एक दिन तो नुकसान तो होगा ही ..
फिर ये चू ..या कहता है कि अरे ये बीकानेर क्यों मेरे सामने आ रहा है ?
[सबको मालूम है कि जयपुर से बीकानेर ३०० किमी है तो कोई न कोई रिश्ता तो होगा ही ]
भक्त कहता है कि मै तो कभी बीकानेर गया ही नही हूँ ..
फिर ये घाघ कहता है कि कोई न कोई रिश्तेदारी होगी ..
भक्त कहता है नही
मैंने सोचा कि आज तो ये निर्मल फँसा ..
लेकिन तुरंत ही किसी मंजे हुए खिलाडी की तरह बाबा पूछता है कि शायद कभी बीकानेरी नमकीन खाई होगी ..
बस .. यही दाँव इस निर्मल बाबा का निशाने पर लग गया ..
भक्त कहता है कि बाबा मुझे बीकानेरी आलू सेव कभी कभी खाता हूँ ...
[हर कोई खाता है ..मै भी हल्दीराम का आलू भुजिया बहुत खाता हूँ ]
अब तो बेचारा भक्त फंस गया ..बाबा ने तुरंत कहा जाओ पांच पैकेट बीकानेरी सेव गरीबो मे बाँट देना ..और दरबार के पहले के प्रोजेक्ट के कमाई का दसवन्द जमा करवा देना किरिपा आनी शुरू हो जायेगी ..
सच मे झुकती है दुनिया ...झुकाने वाला चाहिए ..
मित्रों , ये महाठग और धुर्त निर्मल बाबा अपने शिष्यों को डराकर उनसे उनकी कमाई का दसवा हिस्सा किस तरह से ठग लेता है ये आज मैंने एक चैनेल पर देखा ..
एक जयपुर के बिल्डर ने पूछा बाबा मुझे प्रोजेक्ट मे नुकसान हो रहा है .. इस पर तुरंत ही इस ठग ने पूछा की इसके पहले आपको कुछ प्रोजेक्ट पर फायदा हुआ है ?
भक्त ने कहा हाँ
फिर तो इस कमीने निर्मल की आँखों के चमक आ गयी ..
इसने कहा की भाई किरिपा कैसे आएगी ? पहले आप दरबार मे दसवन्द जमा करवाओ .. भगवान कह रहे है कि बिना गुरु को दसवन्द दिये तुम नए नए प्रोजेक्ट लाँच कर रहे हो तो एक न एक दिन तो नुकसान तो होगा ही ..
फिर ये चू ..या कहता है कि अरे ये बीकानेर क्यों मेरे सामने आ रहा है ?
[सबको मालूम है कि जयपुर से बीकानेर ३०० किमी है तो कोई न कोई रिश्ता तो होगा ही ]
भक्त कहता है कि मै तो कभी बीकानेर गया ही नही हूँ ..
फिर ये घाघ कहता है कि कोई न कोई रिश्तेदारी होगी ..
भक्त कहता है नही
मैंने सोचा कि आज तो ये निर्मल फँसा ..
लेकिन तुरंत ही किसी मंजे हुए खिलाडी की तरह बाबा पूछता है कि शायद कभी बीकानेरी नमकीन खाई होगी ..
बस .. यही दाँव इस निर्मल बाबा का निशाने पर लग गया ..
भक्त कहता है कि बाबा मुझे बीकानेरी आलू सेव कभी कभी खाता हूँ ...
[हर कोई खाता है ..मै भी हल्दीराम का आलू भुजिया बहुत खाता हूँ ]
अब तो बेचारा भक्त फंस गया ..बाबा ने तुरंत कहा जाओ पांच पैकेट बीकानेरी सेव गरीबो मे बाँट देना ..और दरबार के पहले के प्रोजेक्ट के कमाई का दसवन्द जमा करवा देना किरिपा आनी शुरू हो जायेगी ..
सच मे झुकती है दुनिया ...झुकाने वाला चाहिए ..
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