Thursday 19 April 2012

गुजरात मे मुसलमानों का कत्लेआम तो कांग्रेस ने अपने राज मे किया है



आज पूरे देश मे सबसे ज्यादा सुखी मुसलमान गुजरात मे है : राजीव गाँधी फाउंडेशन की रिपोर्ट

मित्रों एक तरफ कांग्रेस मीडिया को पैसे देकर मोदी को बदनाम करती है और वही एक ऐसे एनजीओ की रिपोर्ट मे मोदी की खूब तारीफ की गयी है जिसकी मुखिया खुद सोनिया गाँधी है .
हलाकि बाद मे सोनिया ने तीन बड़े लोगो को निकाल भी दिया .


मोदी विशुद्ध रूप से एक प्रशासक हैं। उनके अन्दर नेतृत्व की क्षमता है। वे कभी भी राज्य के हिन्दू-मुस्लिम अधिकारियों के बीच भेदभाव नहीं करते और न ही विकास का लाभ एक वर्ग को पहुंचाते हैं। गुजरात पहला राज्य है जहां के मुसलमानों की आय देश के अन्य राज्यों के मुसलमानों से अधिक है। राज्य के मुस्लिम व्यवसायी मानते हैं कि उन्हें नरेन्द्र मोदी सरकार से बहुत सुविधा मिलती है। व्यावसायिक मामलों में शासकीय औपचारिकताएं तो सरल हैं ही साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से भी वे संतुष्ट हैं।


कांग्रेस के समय मे हुए गुजरात के भयावह दंगे :-
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गुजरात के बाहर के मुसलमानों को डराकर वोट लेने के लिए नरेन्द्र मोदी की चाहे जैसी छवि बनाई जाए किन्तु सच यही है कि गुजरात के मुसलमान धर्मनिरपेक्ष राजनीति के तिकड़मी लफ्फाजी को समझ चुके हैं। अब वे नरेन्द्र मोदी और पूर्व की सरकारों में तुलना करने लगे हैं। उनके लिए नरेन्द्र मोदी अच्छे हैं या फिर वे जिनके शासनकाल में दो-दो, तीन-तीन महीनों तक गुजरात के कस्बों व शहरों में कर्फ्यू रहा करता था। 2002 के दंगे के बाद गुजरात में एक भी दंगा नहीं हुआ किन्तु भाजपा के शासन के पहले गुजरात हिन्दू-मुस्लिम दंगों के राज्य के रूप में बदनाम था। उल्लेखनीय है कि 1969 में कांग्रेस शासन के दौरान हुए दंगे में 512 लोग मरे जबकि 1982 में बड़ौदा के दंगे में 17 जानें गईं और 50 घायल हुए। उस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री थे कांग्रेस के माधव सिंह सोलंकी। 1985 में अहमदाबाद के दंगे में 300 लोग मरे थे। उस वक्त भी मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी ही थे। 1986 में फिर अहमदाबाद में दंगा हुआ इसमें 59 लोग मारे गए और 80 लोग घायल हुए। उस वक्त मुख्यमंत्री थे कांग्रेस के अमर सिंह चौधरी। 1990 में गुजरात में दंगा हुआ उसमें 265 लोग मारे गए और 775 लोग घायल हुए। उस वक्त भी गैर भाजपाई सरकार थी। मुख्यमंत्री थे चिमन भाई पटेल जो कांग्रेस के समर्थन से राज्य में सरकार चला रहे थे। 1991 में बड़ौदा में हुए दंगे के दौरान 66 लोग मारे गए और 170 लोग घायल हुए। उस वक्त भी सरकार चिमन भाई पटेल की ही थी। 1992 में सूरत के दंगे में 200 लोग मारे गए तब भी चिमन भाई पटेल ही मुख्यमंत्री थे। 2002 में भाजपा शासन के दौरान दावा तो किया जा रहा है कि 2000 लोग मारे गए किन्तु सरकारी रिकार्ड के मुताबिक 790 मुस्लिम, 254 हिन्दू मारे गए और 223 लोग गायब हैं जिनमें दोनों समुदाय के लोग शामिल हैं। इस दौरान 27901 हिन्दू, 7651 मुसलमान गिरफ्तार हुए। पुलिस ने 10 हजार गोलियां चलाई इनमें 93 मुस्लिम और 77 हिन्दू मारे गए थे।


गुजरात कैडर के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री खुद पुलिस मुख्यालय में जाकर जिला पुलिस प्रमुखों एवं अन्य पुलिसकर्मियों से कानून व्यवस्था के बारे में बात करते हैं। यही नहीं, गुजरात में पहली बार एक मुस्लिम पुलिस प्रमुख यानि महानिदेशक बने शब्बीर हुसैन शेखदम खण्डवा वाला जिन्हें नरेन्द्र मोदी ने ही बनाया। इतना ही नहीं, नरेन्द्र मोदी की तारीफ तो खुद प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी इस बात के लिए कर चुके हैं कि मुस्लिमों के विकास के लिए उन्होंने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट बड़ी ईमानदारी एवं कुशलतापूर्वक लागू कर दी है। राजीव गांधी फाउंडेशन ने देश के सबसे ज्यादा विकास की गति के लिए जब मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को श्रेय दिया तो उसकी रिपोर्ट में इस बात का कहीं भी उल्लेख नहीं था कि विकास सिर्प हिन्दुओं का ही हुआ है। रिपोर्ट में गुजरात के ग्रामीण क्षेत्र, कृषि, व्यवसाय एवं कानून व्यवस्था की सुदृढ़ता के लिए नरेन्द्र मोदी को सबसे श्रेष्ठ मुख्यमंत्री बताया जा चुका है।


यह सही है कि गुजरात दंगों के बाद से ही राज्य सरकार मुकदमेंबाजी में फंस गई है। अदालतों के चक्कर में कई बार ऐसा लगा कि मोदी अब गए या तब गए। किन्तु जो लोग मोदी के खिलाफ अदालतों में मुकदमेंबाजी शुरू किए हैं अंगुलियां उन पर भी उठ रही हैं। उनके खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल हैं कि उन्होंने मोदी के खिलाफ फर्जी शपथ पत्र का सहारा लिया। लेकिन मजे की बात तो यह है कि राज्य में कांग्रेस पार्टी के नेता तो मोदी के खिलाफ कुछ कर पाने में खुद को असमर्थ पाते हैं। वे तो पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट पर ही निर्भर हैं। यदि मोदी जाकिया जाफरी द्वारा दायर वाद से साफ निकल गए तो कांग्रेस के उन हसीन सपनों का क्या होगा जो उन्होंने देख रखा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जैसे ही मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा वैसे ही नरेन्द्र मोदी पर त्यागपत्र देने के लिए दबाव बढ़ेगा और यदि एक बार मोदी गए तो राज्य से भाजपा को धक्का देकर कांग्रेस सत्ता हथिया लेगी।

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