Tuesday, 10 April 2012

नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट् मिलने से इस देश के कई लोग जो इस्लामिक देशो से चंदे से अपनी दुकान चला रहे थे उनके सीने पर सांप लोट गया .. उन्हें अपने चंदे की टेंशन है ..

नरेंद्र मोदी को क्‍लीन चिट कईयों के लिए बड़ा झटका



गुजरात दंगे के गुलबर्ग मामले में मंगलवार को विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्‍लीन चिट दे दी। लंबी जांच के बाद एसआईटी ने पाया कि गुलबर्ग नरसंहार में मोदी की कोई भूमिका नहीं थी। 'पुराने गुजरातवासियों' के लिए यह खबर जैसी भी हो लेकिन 'वाइबरेंट गुजरात' में रह रहे लोगों के लिए इससे बड़ी खुशी इस समय कोई नहीं। बात अगर झ...टके की कहें तो इस खबर ने उन नेताओं को बड़ा झटका दिया है, जो 2002 के बाद से अब तक मोदी के खिलाफ राजनीति करते आ रहे हैं, यही नहीं मीडिया के उस वर्ग को भी झटका है, जो तब से लेकर आज तक यही चिल्‍लाते आ रहे थे कि मोदी ने दंगे भड़काये।

2002 में गुजरात दंगे भड़के जिसके तुरंत बाद मोदी ने संवेदनशील इलाकों को नियंत्रित करने के लिए सेना बुला ली। फिर सर्किट हाउस से दूरदर्शन पर प्रसारित एक अपील जारी की, जिसमें लोगों से शांति व्‍यवस्‍था बनाये रखने का आग्रह किया गया। लेकिन लोगों को यह गवारा नहीं था। लोगों ने अपने चैनल पलटे और वो निजी न्‍यूज़ चैनल लगा दिये जो चिल्‍ला-चिल्‍ला कर मोदी पर पत्‍थर बरसा रहे थे।

यह तो तब की घटना थी, जब बहुत ज्‍यादा चैनल नहीं थे। दंगे खत्‍म हो गये उसके बाद पिछले 10 साल से जब-जब गुजरात दंगों की बात आती है, तब तब टीवी चैनल अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए ऐसी दलील देते हैं, मानों वही जज हों और वही वकील और दुनिया बेवकूफ। आप खुद देख सकते हैं, जिस समय आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने मोदी पर दंगे में भूमिका होने के आरोप लगाये थे, उस समय देश के लगभग सभी टीवी चैनल 24X7 यही चिल्‍लाते रहे कि दंगों के पीछे मोदी का हाथ है। आज जब मोदी को क्‍लीन चिट मिल गई, तो सभी चैनलों ने महज एक ब्रेकिंग न्‍यूज दिखाकर अपनी औपचारिकताएं पूरी कर लीं।

मैं पूछना चाहूंगा कि टीवी चैनल अब क्‍यों‍ नहीं चिल्‍ला-चिल्‍ला कर कहते, "इस वक्‍त की सबसे बड़ी खबर- नरेंद्र मोदी को मिली क्‍लीन चिट, हम आपको दिखाएंगे इस पर विशेष रिपोर्ट।"

अब बात अगर क्‍लीन चिट मिलने से खुशी और नखुशी की करें तो गुजरात में जिन लोगों की सोच आज भी 10 साल पुरानी है, वो लोग इस खबर को सुनकर जरूर दुखी हुए होंगे। उन्‍हें लगा होगा कि जिस व्‍यक्ति को हमने इतने दिनों तक कठघरे में खड़ा रखा उसे क्‍लीन चिट कैसे मिल गई। वहीं दूसरी सोच वाले व्‍यक्ति वो हैं जो "वाइबरेंट गुजरात" में रह रहे हैं। वे लोग जो चाहते हैं कि गुजरात तेजी से आगे बढ़े। इस खबर के बाद यही लोग सबसे ज्‍यादा खुश हैं, क्‍योंकि गुजरात की और ज्‍यादा तरक्‍की होगी यह विश्‍वास अब और भी ज्‍यादा पक्‍का हो गया है।

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