by Jitendra Pratap Singh on Sunday, April 17, 2011 at 7:59pm
मित्रो जैसे कई केसों में आपने सुना होगा की वकील लोग सामने वाली पार्टी से पैसे लेकर "डबल क्रोस" करके केस को कमजोर कर देते है ठीक वही 2जी घोटाले में अटॉर्नी जनरल गुलाम ई वाहनवती ने किया .. जिन दोस्तों को अटॉर्नी जनरल का मतलब नहीं मालूम है उन्हें मई बता दू की अटर्नी जनरल केंद्र सरकार के द्वारा निउक्त किया जाता है और वो केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में वकील होता है तथा केंद्र सरकार को क़ानूनी सलाह देता है ..
टेलीकॉम घोटाले में एक बार फिर देश के अटॉर्नी जनरल गुलाम ई वाहनवती पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। टेलीकॉम मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी ने अदालत में दर्ज अपने बयान में कहा है कि उन्हें बताया गया था कि देश के तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल ने अपने एक हलफनामे में स्वान टेलीकॉम को प्राथमिकता देने को कहा था।
भारत सरकार के रिटायर्ड वायरलेस एडवाइजर आर.पी. अग्रवाल ने अदालत में दर्ज बयान में कहा है कि उन्हें बताया गया था कि टेलीकॉम डिस्पूयट सेटेलमेंट एपीलेट ट्रिब्यूनल यानी टीडीसेट के सामने दिए हलफनामे में देश के तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल गुलाम वाहनवती ने स्वान को उच्च प्राथमिकता पर दिखाया था। यही तथ्यात्मक और कानूनी स्थिति थी। अग्रवाल ने ये भी कहा कि इसके बाद भ्रम का कोई कारण नहीं था। आखिर में फाइल दूरसंचार मंत्री ने क्लियर की थी और ये उनकी ही जिम्मेदारी है।
अग्रवाल का ये बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अदालत में दर्ज हो चुका है। यानी ये बयान ट्रायल के दौरान अदालत में मान्य होगा और अगर अग्रवाल ये बयान बदलते हैं तो उन पर कार्रवाई भी हो सकती है। अग्रवाल के इस बयान के बाद कानूनी जानकारों का मानना है कि दूरसंचार घोटाले में वाहनवती पर सवाल उठे हैं। लिहाजा सीबीआई को उनकी भूमिका की जांच करनी चाहिए।
अग्रवाल ने अपने बयान में ये भी कहा है कि अगस्त 2008 के महीने में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा के निजी सचिव आर.के. चंदोलिया लगातार उन पर स्वान कंपनी को दिल्ली सर्किल में स्पेक्ट्रम देने का दबाव बना रहे थे। चंदोलिया ने उनके सहायकों पर भी स्वान की फाइल आगे बढ़ाने का दबाव बनाया था। लेकिन उनके सहायकों ने फाइल बढ़ाने से इनकार कर दिया था। अग्रवाल के मुताबिक जब उन्होंने इस बात से चंदोलिया को अवगत कराया तो उनके सहायकों का तबादला कर दिया गया। अग्रवाल की मानें तो जब चंदोलिया ने उन्हें तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल के हलफनामे के बारे में बताया तो उनके सामने कोई विकल्प नहीं बचा था। सीबीआई ने टेलीकॉम घोटाले में दाखिल अपने आरोपपत्र में अटॉर्नी जनरल गुलाम वाहनवती का नाम बतौर गवाह शामिल किया है। पहले भी उन पर टेलीकॉम मामले में सवाल खड़े हुए हैं। जाहिर है देश की जनता को देश के सबसे बड़े कानूनी अधिकारी पर उठे सवालों के जवाब चाहिए।
दोस्तों आप सोचो अगर सुप्रीम कोर्ट में सुब्रमण्यम स्वामी जी ने याचिका नहीं दायर की होती और सुप्रीम कोर्ट ने जाच को आपने हाथ में नहीं लिया होता तो आज क्या "राजा" जेल में होते ? और "इतालियन रानी " भी आपने आपको भारत की "भाग्य बिधाता " ही समझती ..
मतलब बिलकुल साफ है सोनिया और उनके सिपहसालारो ने इस घोटाले को दबाने की पूरी की पूरी जोर लगा दिया ..लेकिन मित्रो आप "बदबू " को कभी भी दबा नहीं सकते
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