Monday, 18 April 2011

बेटे के फायदे के लिए गहलोत ने लुटाया सरकारी खजाना

बेटे के फायदे के लिए गहलोत ने लुटाया सरकारी खजाना

by Jitendra Pratap Singh on Sunday, April 17, 2011 at 3:13pm
बेटे के फायदे के लिए गहलोत ने लुटाया सरकारी खजाना

    * आईबीएन-७

 राजस्थान की रेत एक बड़े घोटाले की गरमी से तप रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पुत्रमोह इस गड़बड़झाले की नींव डाल रहा है। आईबीएन7 की खास पड़ताल कहती है कि अब तक मिस्टर क्लीन की छवि भुना रहे मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने बेटे वैभव को कानूनी सलाहकार बनाने वाली दो निजी कंपनियों के लिए सरकारी खजाना खोल दिया। इन कंपनियों को आंखें मूंद कर ठेके बांटे गए, उनके लिए खेती वाली जमीन चुटकियों में कमर्शियल लैंड बना दी गईं। इन दो कंपनियों में पहली कंपनी है ट्राइटन होटल्स और दूसरी ओम मैटल ग्रुप। इन दोनों के वैभव गहलोत लीगल एडवाइजर हैं।

ट्राइटन होटल्स

बेटे के फायदे के लिए गहलोत ने लुटाया सरकारी खजाना
ट्राइटन होटल्स का जयपुर में सात सितारा फेयरमांट होटल बन रहा है। आने वाले समय में ये सबसे बेहतरीन होटलों में से एक होगा। लेकिन इस होटल की इमारत खड़ी नहीं होती अगर अशोक गहलोत ने इस पर अपनी मेहरबानी नहीं की होती। दरअसल होटल बनाने के लिए 10 हजार वर्ग मीटर की जो जमीन ट्राइटन होटल्स ने खरीदी वो खेती की जमीन थी। लेकिन गहलोत सरकार ने उसका लैंडयूज बदल कर उसे व्यावसायिक कर दिया ताकि वहां होटल बनाया जा सके। खास बात ये है कि ट्राइटन के मालिक रतन कांत शर्मा की वैभव गहलोत यानि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे की कंपनी सनलाइट कार रेंटल सर्विसेज में 50 फीसदी की हिस्सेदारी है। वैभव ट्राइटन होटल्स के लीगल एडवाइजर भी हैं।

ओम मैटल ग्रुप

राजस्थान सरकार ने ओम मेटल ग्रुप को 8 जून 2010 को 206 करोड़ का ठेका कालीसिंध डैम पर दिया। ओम मैटल्स अकेली कंपनी थी जिसे ये ठेका मिला क्योंकि टेंडर की शर्तें ऐसी थीं जिसे केवल वही पूरा करती थी। ओम मैटल ने एसपीएमएल नाम की दूसरी कंपनी से एमओयू साइन किया है और इन दोनों को जैसलमेर में 160 मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट का भी ठेका मिला है। इन दोनों को ही 250 करोड़ का जयपुर से भीलवाड़ा तक सड़क बनाने का भी काम मार्च 2010 मे दिया गया है। इसी कंपनी को 318 करोड़ के वाटर प्रोजेक्ट का भी काम दिया गया। मतलब ओम मैटल ग्रुप को सरकार से करीब एक हजार करोड़ के ठेके मिल गए। क्या सिर्फ इसीलिए क्योंकि मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत उसके लीगल एडवाइजर हैं?

ओम मेटल्स के डायरेक्टर विकास कोठारी कहते हैं कि हमारे 1200 करोड़ रुपये के आर्डर बुक हैं जिसमें राजस्थान में 206 करोड़ का काम है। हम आन्ध्र प्रदेश सरकार, मध्यप्रदेश सरकार, एनएचपीसी, नेपको सबके लिए काम कर चुके हैं। 25 सालों में राजस्थान में 5 प्रोजेक्ट किए हैं। हर पार्टी की सरकार के लिए काम किया है और अभी भी हमें एक ही कॉन्ट्रेक्ट मिला है।

विकास कोठारी ये भी कहते हैं कि वैभव गहलोत हमारे यहां 2006 से लीगल एडवाइजर के रूप में काम कर रहे हैं। गहलोत की सरकार 2009 में बनी है उसके 3 साल पहले से वो हमारे यहां काम कर रहे हैं। अब उनके पिता सीएम बन जाते हैं तो वो नौकरी छोड़ दें ये जरूरी नहीं है।

बहरहाल आईबीएन7 के हाथ लगे वैभव के इनकम टैक्स रिटर्न की जानकारी के मुताबिक अक्टूबर 2008 और मार्च 2009 के बीच वैभव की कुल आय 2 लाख 48 हजार 204 रुपए थी जो कि बढ़कर 2009-2010 वित्तीय वर्ष में 9 लाख 99 हजार 753 हो गई। उन्हें ये सारा पैसा ओम मैटल ग्रुप या फिर ट्राइटन होटल्स से फीस के तौर पर मिला।

ओम मैटल ग्रुप से वैभव को हर महीने 5000 रुपए दिए जाते थे लेकिन पिता के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये बढ़ाकर 8000 हर महीने कर दिए गए। जबकि ट्राइटन होटल्स से उन्हें 50 हजार रुपये हर महीने मिलते हैं।

महत्वपूर्ण बात ये है वकील रहते हुए वैभव ने भाड़े पर लक्जरी कार देने के लिए 2008 में सनलाइट कार रेंटल सर्विसेज नाम की एक कंपनी अपनी पत्नी के साथ खोली लेकिन इस कंपनी में ट्राइटन होटल्स के मालिक रतनकांत शर्मा की 50 फीसदी की भागीदारी भी है। यानी वकील रहते हुए वैभव बिजनेसमैन भी बन गए जबकि वकीलों के कोड आप कंडक्ट के मुताबिक ये गलत है।

आईबीएन7 की तहकीकात से साफ है कि दाल में कुछ काला जरूर है। हमने बाकायदा फैक्स भेजकर और खुद गहलोत से इन सवालों का जवाब जानना चाहा लेकिन उन्होंने अपना पक्ष रखने से साफ मना कर दिया यानि वो सवाल अभी भी मौजूद है जो आईबीएन7 के पास मौजूद कागजात से उठ रहे हैं।

 मुख्यमंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए। इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए।

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