Monday, 18 April 2011

क्या कोई राज्यपाल बन जाने से कोई व्यक्ति भगवान बन जाता है ??

क्या कोई राज्यपाल बन जाने से कोई व्यक्ति  भगवान बन जाता है ??

मित्रो अन्ना हजारे ने जिस लोकपाल के लिए अनशन किया था उसमे सबसे महत्वपूर्ण बात ये थी की पुलिस या कोई अन्य जाच एजेंसिया किसी भी पद पर बैठे व्यक्ति से बिना किसी की अनुमति लिए पूछताछ कर सकती है ..  

नेताओ ने कानून को अपनी सुबिधा के अनुसार ही बनाया है .. जैसे किसी मंत्री ,बिधायक , सांसद ,राज्यपाल और राष्ट्रपति से पुलिस या कोई भी अन्य जाँच एजेंसिया बिना अनुमति के पूछताछ नहीं कर सकती .. और तो और राष्ट्रपति  पद पैर बैठे व्यक्ति से तो बिना उसके इस्तीफा दिए पूछताछ नहीं सो सकता .. चाहे इनका गुनाह कितना भी संगीन क्यों न हो ..
लेकिन क्यों ?? क्या ये इन्सान नहीं होते ? क्या इनके अन्दर मानवीय कमजोरिया जैसे काम [sex ], क्रोध [anger ], मद [igo ] और लोभ [greed ] नहीं होती ??

अभी ताजा मामला पांडिचेरी के राज्यपाल इक़बाल सिंह का है . ये जनाब गाँधी नेहरु परिवार के बहुत ही करीबी माने जाते है . इन्होने अपने जीवन में कभी भी कोई चुनाव नहीं जीता फिर भी ये जनाब मैडम की कृपा से कई बार राज्य सभा के सांसद बने . फिर कार्यकाल पूरा होने पर मैडम ने इनकी वफ़ादारी से खुश होकर पांडिचेरी का राज्यपाल बना दिया .. ये जब सांसद थे तब इनकी ही सिपरिशी चिठ्ठी पर हसन अली और उसकी पत्नी का पासपोर्ट बना था .. आखिर इनका हसन अली का पासपोर्ट बनवाने में क्यों रूचि थी ? क्या सोनिया गाँधी के कहने पर इन्होने सिपरिशी चिठी लिखी ? इनसे ED और सीबीआई सहित कई जाँच एजेंसिया पूछताछ करना चाहती है लेकिन ये जनाब तो "लाट साहब " है इनसे बिना राष्ट्रपति की मंजूरी से पूछताछ नहीं हो सकती .. और मंजूरी की ये प्रक्रिया बहुत ही जटिल है , पहले जाँच एजेंसी को गृह मंत्रालय में निवेदन करनी होती है फिर गृह मंत्रालय उस निवेदन को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजता है . इसमें कई महीने या कई साल लग जाते है और राष्ट्रपति चाहे तो माना भी कर सकते है ..

 बहुत से मित्रो ने मेरे से कहा था की क्या अन्ना हजारे के अनशन से भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा ? अन्ना हजारे के अनशन से भ्रष्टाचार खत्म हो या न हो लेकिन किसी भी व्यक्ति से पूछताछ की अनुमति की गन्दी और सामन्तवादी प्रथा जरूर खत्म होगी ... आमीन ....

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