Monday 18 April 2011

कांग्रेस का "मीडिया मैनेजमेंट" और राहुल गाँधी का मीडिया प्रेम

दर असल इसी कोंग्रेस का मीडिया मैनेजमेंट ही कहा जाएगा कि प्रतिभाहीन होने के बावजूद राहुल हमारे देश के युवा नेता बने हुए है. वह हर महत्वपूर्ण मसाले पर शतुरमुर्ग की तरह छिप जाते है. चाहे आरक्षण हो या जेहादी आतंकवाद. लेकिन सुविधाजनक बयान देकर वाहवाही लूटने को हमेशा बेताब रहते है. जबकि राहुल से कम उम्र के वरुण गांधी उनसे कई गुना ज्यादा प्रतिभाशाली होने के बावजूद मीडिया द्वारा विलेन बना दिए गए हैं.
उड़ीसा के आदिवासियों से लेकर उत्तर प्रदेश के दलितों के और महाराष्ट्र की कलावातियो के घर जाकर राहुल चिकनी चुपड़ी बाते तो करते है, लेकिन करते कुछ नहीं, जबकि सरकार उनकी है. उनकी सरकार कोर्पोरेट के सामने नतमस्तक है. ताकि ज्यादा से जयादा माल बटोरा जा सके और सोनिया दरबार में पहुंचाकर खुद को वफादार साबित किया जा सके. फिर क्या कलमाडी (कोमन्वेल्थ) और क्या चव्हान (आदर्श), क्या राजा (टेलीकोम )और क्या राजशेखर रेड्डी (सत्यम घोटाला). और युवराज खामोश हो जाते है. पिछले रास्ते से माल बटोरते है. और पब्लिक में महात्मा गांधी बनते है. ऐसे में अगर नरेन्द्र मोदी उन्हें अहमदाबाद नगरपालिका के चपरासी के लायक भी ना समझे तो क्या बुराई है??
आज के माहौल में माता सोनिया और युवराज के बारे में खरी-खरी लिखने के लिए हिम्मत होनी चाहिए.

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