Monday, 18 April 2011

ओबामा का मनमोहन पर फ़िदा होना

सार के सबसे बडे दादा अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी पर एकाएक बहुत बुरी तरह से ‘‘फिदा’’ हो गये। उन्होंने उनकी तारीफ में कसीदे कढते हुये कहा कि जब मनमोहन सिंह बोलते हैं तो सारी दुनिया उन्हें सुनती है यदि देखा जाये तो बराक ओबामा ने सौ फीसदी सच बात कही है क्योंकि जैसे किसी मां बाप को बच्चा पहली बार मां या पापा कह दे, जैसे किसी लडके को कोई लडकी पहली बार ‘‘आई लव यू’’ कह दे, जैसे किसी भिखमंगे को अचानक लाख रूपये की लाटरी मिल जाये, जैसे किसी बेरोजगार को नौकरी मिल जाय, जैसे विवेक ओबेराय को ऐश्वर्या मिल जाये, जैसे हर बार जमानत जब्त होने वाले नेता को चुनाव में जीत मिल जाये तो इन तमाम लोगों को जितनी खुशी होगी उतनी ही खुशी बराक ओबामा को मनमोहन सिंह को बोलते हुये देखकर हुई क्योंकि उन्हेंभी इस बात की पुख्ता जानकारी ह नरसिंहाराव के बाद ये हिन्दुस्तान के दूसरे ‘मौनी
बाबा’ है जो भारत में राज कर रहे है शायद यही कारण था कि जब मनमोहन सिंह को बराक ओबामा ने बोलते हुये देखा तो उनका रोम रोम खुशी से भर गया मारे खुशी के उन्होंने कह दिया कि जब मनमोहन सिंह जी बोलते हैं तो सारी दुनिया उन्हें सुनती है एक हिसाब से उनकी बात में दम है क्योंकि कोई ‘‘लंगडा’’ यदि चलने लगे कोई ‘‘अंधा’’ देखने लगे कोई ‘‘विकलांग’’ तैरने लगे कोई ‘‘हवाई जहाज’’ पानी में चलने लगे और ‘‘रेलगाडी’’ हवा में उडने लगे तो उसे सारी दुनिया अचरज से देखेगी ही यही मन मोहन सिंह के साथ हुआ. जो इंसान कभी कुछ बोलता ही नही है उसे बोलता देख बराक ओबामा का आश्चर्य में आना स्वाभाविक था. बराक ओबामा तो फिर भी विदेशी है देश के ही ऐसे करोडो लोग हैं जिन्होंने कभी मनमोहन सिंह के ‘‘मुखारबिन्द’’ से शब्दों को झडतें देखा या सुना नहीं है है उनके मुंह पर एक अदृश्य पट्टी बंधी हुई है और जब जरूरत होती है वे दस जनपथ में जाकर अपनी पट्टी का थोडा सा हिस्सा खुलवा कर आ जाते हैं और जितना वहां से आदेश होता है उतना बोल कर फिर पट्टी के यथास्थान लगा लेते हैं पिछले दिनों देखो न छै साल में बार कितनी ‘‘रिक्वेस्ट’’ के बाद उन्हे पत्रकारों से बात करने की ‘‘परमीशन’’ मिली. पत्रकार लोग भी भारी भारी प्रश्नावलियां लेकर पहुच गये सिंह साहब की पत्रकारवार्ता में सोचा था सब कुछ पूछ डालेंगे एक ही झटके में पर साहब जी को तो जितने की परमीशन मिली थी वे उतना ही बोले. धरे के धरे रह गये पत्रकारों के सवाल. बार बार कुरेदने पर उन्होंने इशारे इशारे में समझा दिया कि भाई लोगों क्यो मेरी कुरसी खतरे में डाल रहे हो जितना आदेश था बतला दिया इसके आगे एक शब्द भी बोलने की मनाही है तो मैं क्या करूं? यही कारण था कि उन्हे बोलता देख ‘‘बराक’’ ‘‘अवाक’’ रह गये पर शायद लोगों को यह नहीं मालूम होगा कि अमेरिका में जाकर बोलने पर इसलिये उन पर कोई बंदिश नहीं थी क्योंकि बोलने वाला और बोलने वाले को परमीशन देने वाला दोनों ही अमेरिका के पिछलग्गू हैं

No comments: