Monday 18 April 2011

जांच रोकने की कोशिश

जांच रोकने की कोशिश

by Jitendra Pratap Singh on Sunday, April 17, 2011 at 2:31pm
जांच रोकने की कोशिश
[साभार दैनिक जागरण ]

स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच कर रही संसद की लोक लेखा समिति के कामकाज में सत्तापक्ष के सांसदों ने जिस तरह खलल डाला और जिसके चलते उसकी कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी उससे यह और अधिक साफ हो गया कि वे इस समिति को सही तरीके से काम करने देने के लिए तैयार नहीं। स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिए जब तक संयुक्त संसदीय समिति गठित नहीं हुई थी तो सत्तापक्ष और विशेष रूप से कांग्रेसजनों का यह तर्क था कि जब लोक लेखा समिति इस मामले की जांच कर ही रही है तब एक और समिति के गठन का क्या औचित्य, लेकिन अब वही महानुभाव लोक लेखा समिति को काम नहीं करने दे रहे हैं? सबसे चिंताजनक यह है कि संयुक्त संसदीय समिति के मुखिया और कांग्रेस सांसद पीसी चाको इस कोशिश में लगे हुए हैं कि लोक लेखा समिति स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच बंद कर दे। हालांकि लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने उनके तर्क को खारिज कर दिया है, लेकिन वह अपनी समिति का काम आगे बढ़ाने के बजाय दूसरी समिति के काम में टांग अड़ाने से बाज नहीं आ रहे। विगत दिवस लोक लेखा समिति में शामिल कांग्रेस और द्रमुक सांसदों ने जिस तरह एक के बाद एक कुतर्को के जरिये समिति की कार्यवाही बाधित की उसे देखते हुए इसकी संभावना कम ही है कि यह समिति तय समय में अपना काम पूरा कर सकेगी? कांग्रेस और द्रमुक सांसदों ने पहले इस कुतर्क की आड़ लेकर अटार्नी जनरल और सीबीआइ निदेशक की गवाही नहीं होने दी कि यह मामला अदालत में है। इसके बाद यह बहाना बनाया कि उन्होंने संबंधित दस्तावेजों का अध्ययन नहीं किया है। जब उद्देश्य बहाने बनाकर काम रोकना हो तो फिर बहानेबाजी पर लगाम लगाना मुश्किल है। ऐसा लगता है कि घपले-घोटालों के कारण देश-दुनिया में अपनी सरकार की बदनामी हो जाने के बावजूद कांग्रेसजन यह समझने के लिए तैयार नहीं कि जांच बाधित करने के लिए ऐसी बहानेबाजी उन्हें बहुत महंगी पड़ सकती है।

कांग्रेस सांसद लोक लेखा समिति के कामकाज में जिस तरह अड़ंगा लगा रहे हैं उससे यह भी संकेत मिलता है कि पीसी चाको की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच में लीपापोती की हर कोशिश करेगी। कांग्रेसजनों के ऐसे रवैये को देखते हुए यह और आवश्यक हो जाता है कि लोक लेखा समिति स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच और अधिक गहनता से करे। यह निराशाजनक है कि कांग्रेस सांसद अपने संकीर्ण स्वार्थो की रक्षा के लिए लोक लेखा समिति की महत्ता को कम करने का काम कर रहे हैं। क्या ऐसा नहीं लगता कि कांग्रेस को संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने में महारथ हासिल हो चुकी है? इस संदर्भ में यह विस्मृत नहीं किया जा सकता कि जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने स्पेक्ट्रम घोटाले में पौने दो लाख करोड़ की राजस्व क्षति का अनुमान लगाते हुए रपट दी थी तो वरिष्ठ कांग्रेस नेता और यहां तक कि कुछ मंत्री भी उस पर हमला बोलने के लिए आगे आ गए थे। यदि कांग्रेस सांसद लोक लेखा समिति की कार्रवाई इसी तरह बाधित करते रहे तो यह समिति 30 अप्रैल तक अपना काम शायद ही समेट पाए। यदि यह समिति 30 अप्रैल तक अपना काम समाप्त नहीं कर पाती है तो इस समिति को काम खत्म करने में जरूरत से ज्यादा देर हो सकती है, क्योंकि अगले महीने इस समिति में कुछ नए सदस्य शामिल होंगे और वे नए सिरे से सुनवाई की मांग कर सकते हैं।

No comments: