कुछ पत्रकार देश्ध्रोही, घोटालेबाज और हत्यारे होते है ! आप भी देख लीजिये
by ShreshthBharat
देश में अब चैनलों के साथ साथ पत्रकारों की टी आर पी भी तय होने लगी है निश्चित तौर पर ख़बरों का सनसनीखेज होना भी इसलिए अनिवार्य होता जा रहा है ख़बरों की सनसनी के पीछे छुपा सच हमेशा चौंका देने वाला होता है,
इस वक़्त देश में बरखा दत्त की टी आर पी निस्संदेह बहुत ज्यादा है शायद ये बढ़ी हुई टी आर पी का ही नतीजा है कि वो कवरेज के अलावा अपने पत्रकारी दमखम का इस्तेमाल करना भी भली भांति जान गयी हैं ,कभी वो मंत्रालय में विभागों का बंटवारा कराती नजर आती हैं ,तो कभी खुद के खिलाफ लिखने वाले ब्लॉगर को मुक़दमे में खींचती हुई |नीरा राडिया मामले में बरखा दत्त ने कितना कुछ लेकर कितना कुछ किया होगा इसका तो सही सही लेखा जोखा शायद कभी सामने नहीं आये लेकिन ये बात साफ़ है कि बरखा ने राजनीति में अपने रसूख का इस्तेमाल बार बार किया है ,अगर ऐसा न होता तो पूर्व नौ सेना अध्यक्ष सुरेश मेहता द्वारा लगाये गए आरोप के बाद बरखा यूँ साफ़ नहीं बच जाती ,गौर तलब है कि एडमिरल सुरेश मेहता ने बरखा को कारगिल युद्ध के दौरान तीन जवानों की हत्या का दोषी माना था जिसमे बरखा की लाइव कवरेज के दौरान बताये गए लोकेशन को ट्रेस कर पाकिस्तान ने तीन भारतीय जवानों को मार गिराया था,जबकि उन्हें ऐसा करने से मोर्चे पर मौजूद सैनिकों ने बार बार रोका था ,हैरानी ये कि उस वक़्त रक्षा मंत्रालय के जबरदस्त विरोध के बावजूद बरखा के खिलाफ कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं की जा सकी थी |बहुत संभव है कि बरखा ने नीरा राडिया मामले में उसी रसूख का इस्तेमाल किया हो जिस रसूख का इस्तेमाल उन्होंने उस वक़्त किया था |
लम्बे विवादों के बाद अपने पद से इस्तीफा देने वाले शशि थरूर समेत कांग्रेस के कई मंत्रियों और नेताओं से से जिनमे पी .चिदम्बरम और प्रियंका गाँधी तक शामिल हैं इनकी घनिष्ठता किसी से छुपी नहीं है ,बरखा खुद-बखुद कहती हैं कि मेरी पत्रकारिता को शशि थरूर बेहद पसंद करते हैं |एक पत्रकार मित्र कहते हैं “बरखा को पद्मश्री पुरस्कार यूँही नहीं मिल गया ,इन सबके पीछे उनका और एन डी टी वी का कांग्रेस के प्रति पोजिटिव अप्प्रोच रहा है जिसका इस्तेमाल वो कभी ए .राजा को मंत्रिमंडल में जगह दिलाने तो कभी अपने चैनल के हितों का पोषण करने में करती रही हैं |
बरखा दत्त के कई चेहरे हैं मै जब भी बरखा दत्त के बारे में सोचता हूँ मेरी आँखों के सामने २६/११ की बरखा घुमने लगती हैं है |लाइव कवरेज में बरखा एक बेहद फटेहाल व्यक्ति से पूछती हैं कहाँ है तुम्हारी पत्नी मार दी गयी तो क्या बंधक नहीं बना रखा है उसे ?जी नहीं वो वहां छुपी है उस जगह |दूसरा दृश्य लगभग ४ घंटे के आपरेशन के बाद जैसे ही सेना का एक जनरल बाहर निकल कर आता है और खबर देता है कि और कोई बंधक ओबेराय में नहीं है बरखा कि ओर से एक और ब्रेकिंग न्यूज फ्लेश होती है अभी भी ओबेराय में १०० से अधिक बंधक मौजूद है |निस्संदेह हमेशा की तरह बरखा उस वक़्त भी अपनी टी आर पी बढ़ने के लिए सनसनी बेच रही होती हैं |उस वक्त जल रहे ताज के बजाय बरखा के चेहरे पर पड़ रहा कैमरे का फ्लेश इस सच को पुख्ता करता है|
जब नीदरलैंड के एक अप्रवासी भारतीय चैतन्य कुंटे ने २६/११ के दौरान अपने ब्लॉग बरखा की इस पत्रकारिता पर सवाल खड़े किये तो बरखा और एन डी टी वी इंडिया ने पहले तो चैतन्य से माफ़ी मांगने को कहा और फिर उसके खिलाफ मुक़दमे की कार्यवाही शुरू कर दी|अंततः कुंटे को वो पोस्ट हटानी पड़ी कोलंबिया में पढ़ी लिखी और लाइम लाइट में रहने की की शौक़ीन बरखा को चैतन्य जैसे आम ब्लॉगर की आलोचना भला क्यूँकर स्वीकार होती | अफ़सोस इस बात का रहा कि उस वक्त किसी भी वेबसाईट या ब्लॉग पर बरखा दत्त की इस कार्यवाही को लेकर एक शब्द भी नहीं छापा गया लेकिन हाँ, उस एक घटना से ये साबित हो गया कि उनके भीतर एक ऐसी दम्भी महिला पत्रकार बैठी हुई है जो खुद अभिव्यक्ति की स्वतंत्र मालूम के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकती है |बरखा के सम्बन्ध में एक किस्सा शायद बहुत लोगों को नहीं मालूम हो ,बरखा दत्त नाम से एक इन्टरनेट डोमेन नेम हैदराबाद की एक फर्म ने ले रखा था ,बखा दत्त को जैसे ही इस बात का पता चला वो न्यायायल चली गयी और वाहन ये नजीर दी कि मेरा नाम हिंदुस्तान में बेहद मशहूर है अगर इस नाम से कोई वेबसाईट बनायीं जायेगी तो लोगों के दिमाग में मै ही आउंगी ,इसलिए ये डोमेन नेम निरस्त कर दिया जाए ,हालांकि बरखा ये मुकदमा हार गयी |ये बात कुछ ऐसी थी कि देश में बरखा दत्त नाम का कोई दूसरा हो ही नहीं सकता ,अगर हुआ तो उस पर बरखा मुकदमा कर देंगी |
बरखा द्वारा स्पेक्ट्रम घोटाले में अगर नीरा राडिया की मदद की गयी तो उसके पीछे सिर्फ व्यक्तिगत फायदा नहीं था बल्कि पूरे चैनल का हित भी उससे जुड़ा हुआ था ,इस बात की बहुतों को जानकारी नहीं होगी कि नीरा राडिया की ही फर्म वैष्णवी कारपोरेट कम्युनिकेशन के ही एक हिस्से विट्काम द्वारा एन डी टी वी इमेजिन का व्यवसाय देखा जा रहा है |ये नीरा राडिया और बरखा दत्त का ही कमाल था कि एन डी टी वी का व्यावसायिक घाट पिछले एक साल में ही बेहद कम हो गया ,इस घाटे को कम करने के लिए हाई प्रोफाइल इंटरव्यूज कवरेज किये गए वहीँ ,बेहद शर्मनाक तरीके से इन इंटरव्यूज के माध्यम से इमेज मकिंग का भी काम किया गया |अगर आप बतख दत्त द्वारा लिए गए साक्षात्कारों की सूची पर निगाह डालें तो ये सच अपने आप सामने आ जायेगा |बरखा दत्त की एन डीटी वी में जो पोजीशन है उसमे उनकी जवाबदेही खत्म हो जाती है ,वो चाहे ख़बरों का मामला हो चाहे अब ये घोटाला उनको लेकर एन डी टी वी कोई कार्यवाही करेगा ,नितांत असंभव है |फेसबुक में ‘Can you please take Barkha off air’ नामक ग्रुप चलने वाली निवेदिता दास कहती हैं “बरखा दत्त में,मे उस एक अति महत्वकांक्षी महिला को देखती हो जो खबरों की कवरेज के समय खुद को यूँ ब्लो उप करती है जैसे ये खबर ओस्कर के लिए चुनी जाने वाली है ,जब लोग डरे ,सहमे और मौत के बीच रहते हैं उस वक्त का वो अपने और पाने चैनल के लीये बखूबी इस्तेमाल करना जानती है ,जब वो ख़बरों की क्कोव्रेज नहीं कर रही होती है तब भी उसमे वही अति महत्वाकांक्षी महिला साँसे लेती रही थी ,जिसका सबूत इस एक घोटाले से सामने आया है आवेश की कृति
आज के जमाने मे जब क्रांतिकारियों की मीडिया मे पब्लिसिटी होती है तब से उनका ह्यास होना शुरू हो जाता है क्योकि अधर्मियों और देश्ध्रोहियों से भरा पड़ा है ये इंडिया, ये उन क्रांतिकारियों पर भारी पड़ते है इसलिए गुप्त ज्वालामुखी-रूपी क्रांति ही सर्व श्रेष्ठ है, बस आग बनाते जाओ और इसके फूटने का इंतजार करो, एक दिन सफलता मिलेगी !
by ShreshthBharat
देश में अब चैनलों के साथ साथ पत्रकारों की टी आर पी भी तय होने लगी है निश्चित तौर पर ख़बरों का सनसनीखेज होना भी इसलिए अनिवार्य होता जा रहा है ख़बरों की सनसनी के पीछे छुपा सच हमेशा चौंका देने वाला होता है,
इस वक़्त देश में बरखा दत्त की टी आर पी निस्संदेह बहुत ज्यादा है शायद ये बढ़ी हुई टी आर पी का ही नतीजा है कि वो कवरेज के अलावा अपने पत्रकारी दमखम का इस्तेमाल करना भी भली भांति जान गयी हैं ,कभी वो मंत्रालय में विभागों का बंटवारा कराती नजर आती हैं ,तो कभी खुद के खिलाफ लिखने वाले ब्लॉगर को मुक़दमे में खींचती हुई |नीरा राडिया मामले में बरखा दत्त ने कितना कुछ लेकर कितना कुछ किया होगा इसका तो सही सही लेखा जोखा शायद कभी सामने नहीं आये लेकिन ये बात साफ़ है कि बरखा ने राजनीति में अपने रसूख का इस्तेमाल बार बार किया है ,अगर ऐसा न होता तो पूर्व नौ सेना अध्यक्ष सुरेश मेहता द्वारा लगाये गए आरोप के बाद बरखा यूँ साफ़ नहीं बच जाती ,गौर तलब है कि एडमिरल सुरेश मेहता ने बरखा को कारगिल युद्ध के दौरान तीन जवानों की हत्या का दोषी माना था जिसमे बरखा की लाइव कवरेज के दौरान बताये गए लोकेशन को ट्रेस कर पाकिस्तान ने तीन भारतीय जवानों को मार गिराया था,जबकि उन्हें ऐसा करने से मोर्चे पर मौजूद सैनिकों ने बार बार रोका था ,हैरानी ये कि उस वक़्त रक्षा मंत्रालय के जबरदस्त विरोध के बावजूद बरखा के खिलाफ कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं की जा सकी थी |बहुत संभव है कि बरखा ने नीरा राडिया मामले में उसी रसूख का इस्तेमाल किया हो जिस रसूख का इस्तेमाल उन्होंने उस वक़्त किया था |
लम्बे विवादों के बाद अपने पद से इस्तीफा देने वाले शशि थरूर समेत कांग्रेस के कई मंत्रियों और नेताओं से से जिनमे पी .चिदम्बरम और प्रियंका गाँधी तक शामिल हैं इनकी घनिष्ठता किसी से छुपी नहीं है ,बरखा खुद-बखुद कहती हैं कि मेरी पत्रकारिता को शशि थरूर बेहद पसंद करते हैं |एक पत्रकार मित्र कहते हैं “बरखा को पद्मश्री पुरस्कार यूँही नहीं मिल गया ,इन सबके पीछे उनका और एन डी टी वी का कांग्रेस के प्रति पोजिटिव अप्प्रोच रहा है जिसका इस्तेमाल वो कभी ए .राजा को मंत्रिमंडल में जगह दिलाने तो कभी अपने चैनल के हितों का पोषण करने में करती रही हैं |
बरखा दत्त के कई चेहरे हैं मै जब भी बरखा दत्त के बारे में सोचता हूँ मेरी आँखों के सामने २६/११ की बरखा घुमने लगती हैं है |लाइव कवरेज में बरखा एक बेहद फटेहाल व्यक्ति से पूछती हैं कहाँ है तुम्हारी पत्नी मार दी गयी तो क्या बंधक नहीं बना रखा है उसे ?जी नहीं वो वहां छुपी है उस जगह |दूसरा दृश्य लगभग ४ घंटे के आपरेशन के बाद जैसे ही सेना का एक जनरल बाहर निकल कर आता है और खबर देता है कि और कोई बंधक ओबेराय में नहीं है बरखा कि ओर से एक और ब्रेकिंग न्यूज फ्लेश होती है अभी भी ओबेराय में १०० से अधिक बंधक मौजूद है |निस्संदेह हमेशा की तरह बरखा उस वक़्त भी अपनी टी आर पी बढ़ने के लिए सनसनी बेच रही होती हैं |उस वक्त जल रहे ताज के बजाय बरखा के चेहरे पर पड़ रहा कैमरे का फ्लेश इस सच को पुख्ता करता है|
जब नीदरलैंड के एक अप्रवासी भारतीय चैतन्य कुंटे ने २६/११ के दौरान अपने ब्लॉग बरखा की इस पत्रकारिता पर सवाल खड़े किये तो बरखा और एन डी टी वी इंडिया ने पहले तो चैतन्य से माफ़ी मांगने को कहा और फिर उसके खिलाफ मुक़दमे की कार्यवाही शुरू कर दी|अंततः कुंटे को वो पोस्ट हटानी पड़ी कोलंबिया में पढ़ी लिखी और लाइम लाइट में रहने की की शौक़ीन बरखा को चैतन्य जैसे आम ब्लॉगर की आलोचना भला क्यूँकर स्वीकार होती | अफ़सोस इस बात का रहा कि उस वक्त किसी भी वेबसाईट या ब्लॉग पर बरखा दत्त की इस कार्यवाही को लेकर एक शब्द भी नहीं छापा गया लेकिन हाँ, उस एक घटना से ये साबित हो गया कि उनके भीतर एक ऐसी दम्भी महिला पत्रकार बैठी हुई है जो खुद अभिव्यक्ति की स्वतंत्र मालूम के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकती है |बरखा के सम्बन्ध में एक किस्सा शायद बहुत लोगों को नहीं मालूम हो ,बरखा दत्त नाम से एक इन्टरनेट डोमेन नेम हैदराबाद की एक फर्म ने ले रखा था ,बखा दत्त को जैसे ही इस बात का पता चला वो न्यायायल चली गयी और वाहन ये नजीर दी कि मेरा नाम हिंदुस्तान में बेहद मशहूर है अगर इस नाम से कोई वेबसाईट बनायीं जायेगी तो लोगों के दिमाग में मै ही आउंगी ,इसलिए ये डोमेन नेम निरस्त कर दिया जाए ,हालांकि बरखा ये मुकदमा हार गयी |ये बात कुछ ऐसी थी कि देश में बरखा दत्त नाम का कोई दूसरा हो ही नहीं सकता ,अगर हुआ तो उस पर बरखा मुकदमा कर देंगी |
बरखा द्वारा स्पेक्ट्रम घोटाले में अगर नीरा राडिया की मदद की गयी तो उसके पीछे सिर्फ व्यक्तिगत फायदा नहीं था बल्कि पूरे चैनल का हित भी उससे जुड़ा हुआ था ,इस बात की बहुतों को जानकारी नहीं होगी कि नीरा राडिया की ही फर्म वैष्णवी कारपोरेट कम्युनिकेशन के ही एक हिस्से विट्काम द्वारा एन डी टी वी इमेजिन का व्यवसाय देखा जा रहा है |ये नीरा राडिया और बरखा दत्त का ही कमाल था कि एन डी टी वी का व्यावसायिक घाट पिछले एक साल में ही बेहद कम हो गया ,इस घाटे को कम करने के लिए हाई प्रोफाइल इंटरव्यूज कवरेज किये गए वहीँ ,बेहद शर्मनाक तरीके से इन इंटरव्यूज के माध्यम से इमेज मकिंग का भी काम किया गया |अगर आप बतख दत्त द्वारा लिए गए साक्षात्कारों की सूची पर निगाह डालें तो ये सच अपने आप सामने आ जायेगा |बरखा दत्त की एन डीटी वी में जो पोजीशन है उसमे उनकी जवाबदेही खत्म हो जाती है ,वो चाहे ख़बरों का मामला हो चाहे अब ये घोटाला उनको लेकर एन डी टी वी कोई कार्यवाही करेगा ,नितांत असंभव है |फेसबुक में ‘Can you please take Barkha off air’ नामक ग्रुप चलने वाली निवेदिता दास कहती हैं “बरखा दत्त में,मे उस एक अति महत्वकांक्षी महिला को देखती हो जो खबरों की कवरेज के समय खुद को यूँ ब्लो उप करती है जैसे ये खबर ओस्कर के लिए चुनी जाने वाली है ,जब लोग डरे ,सहमे और मौत के बीच रहते हैं उस वक्त का वो अपने और पाने चैनल के लीये बखूबी इस्तेमाल करना जानती है ,जब वो ख़बरों की क्कोव्रेज नहीं कर रही होती है तब भी उसमे वही अति महत्वाकांक्षी महिला साँसे लेती रही थी ,जिसका सबूत इस एक घोटाले से सामने आया है आवेश की कृति
आज के जमाने मे जब क्रांतिकारियों की मीडिया मे पब्लिसिटी होती है तब से उनका ह्यास होना शुरू हो जाता है क्योकि अधर्मियों और देश्ध्रोहियों से भरा पड़ा है ये इंडिया, ये उन क्रांतिकारियों पर भारी पड़ते है इसलिए गुप्त ज्वालामुखी-रूपी क्रांति ही सर्व श्रेष्ठ है, बस आग बनाते जाओ और इसके फूटने का इंतजार करो, एक दिन सफलता मिलेगी !
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